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ग्राम पंचायत की अवधारणा

ग्राम पंचायत की अवधारणा

  1. ग्राम पंचायत एक परिचय
  2. ग्राम पंचायत का स्वरूप
  3. ग्राम पंचायत की संरचना
  4. शपथ ग्रहण/प्रतिज्ञा लेना
  5. स्थान का आरक्षण
  6. ग्राम पंचायत की अवधि
  7. मुखिया और उप मुखिया की पदावधि
  8. मुखिया/ वार्ड सदस्य का पद रिक्त होने पर निर्वाचन
  9. ग्राम पंचायत की बैठक
  10. कोरम (गणपूर्ति)
  11. ग्राम पंचायत के कार्य
  12. ग्राम पंचायत की स्थायी समितियां
  13. मुखिया की जिम्मेदारियाँ
  14. उप मुखिया की जिम्मेदारियाँ
  15. ग्राम पंचायत का स्टाफ
  16. ग्राम रक्षा दल का गठन
  17. ग्राम पंचायत और ग्राम सभा में संबंध
  18. ग्राम पंचायत की संपत्ति और निधि
  19. ग्राम पंचायत द्वारा करारोपण
  20. पंचायतों को वित्तीय सहायता एवं अन्य साधन
  21. बजट
  22. लेखा
  23. अंकेक्षण (ऑडिट)
  24. पंचायतों की जवाबदेही
  25. पारदर्शिता
  26. मुखिया/ उप मुखिया द्वारा त्याग-पत्र दिया जाना
  27. मुखिया के खिलाफ अविश्वास  प्रस्ताव
  28. उप मुखिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
  29. मुखिया/ उप मुखिया को सरकार द्वारा हटाया जाना
  30. ग्राम पंचायत के सदस्यों का त्याग-पत्र
  31. ग्राम पंचायत से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दु
  32. गणपूर्ति (कोरम)
  33. ग्राम पंचायत की स्थायी समिति
  34. ग्राम पंचायत की स्थायी समिति का गठन
  35. ग्राम पंचायत के मुख्य कार्य
  36. मुखिया की शक्तियाँ, कृत्य और कर्तव्य
  37. उप मुखिया की शक्तियाँ, कृत्य और कर्तव्य
  38. मुखिया के विरूध्द अविश्वास प्रस्ताव
  39. उप-मुखिया के विरूध्द अविश्वास प्रस्ताव
  40. पदच्युत करना व त्याग-पत्र देना

ग्राम पंचायत एक परिचय

73वें संविधान संशोधन के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायती राज में प्रारम्भिक स्तर की संस्था ''ग्राम पंचायत'' सबसे महत्वपूर्ण संस्था है। ग्राम पंचायत ही निर्वाचित प्रतिनिधियों  की एक ऐसी संस्था है जिसे जनता के आमने-सामने हो कर जवाब देना पड़ता है तथा अधिकांश  कार्यकलापों के लिए निर्णय लेने हेतु पहले उनकी सहमति लेनी होती है।

ग्राम पंचायत का स्वरूप

ग्राम पंचायत का क्षेत्र बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के प्रावधानानुसार लगभग 7,000 की जनसंख्या पर जिला दंडाधिकारी (डी0एम0) द्वारा घोषित किया जाता है। ग्राम पंचायत में एक या एक से अधिक गाँव (राजस्व गाँव) शामिल हो सकते हैं। मुखिया संबंधित ग्राम पंचायत के सभी मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से बहुमत के आधार पर निर्वाचित होते हैं। ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि प्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं द्वारा बहुमत के आधार पर निर्वाचित होते हैं। लगभग पाँच सौ की आबादी पर एक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड) का गठन होता है और प्रत्येक वार्ड से एक ग्राम पंचायत सदस्य निर्वाचित होता है। सभी वार्ड सदस्य अपने बीच से ही एक उप मुखिया का बहुमत से चुनाव करते है। इस मतदान में मुखिया भी भाग लेते हैं। मुखिया, उपमुखिया और सभी वार्ड सदस्यों को मिलाकर ग्राम पंचायत का गठन होता है। ग्राम पंचायत का कार्यकाल प्रथम बैठक से पाँच वर्ष तक का होता है।

ग्राम पंचायत की संरचना

ग्राम पंचायत की संरचना में निर्वाचित मुखिया, उप मुखिया एवं प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचित सदस्य (वार्ड सदस्य) सम्मिलित होते हैं।

शपथ ग्रहण/प्रतिज्ञा लेना

निर्वाचन में विजयी होने के उपरांत मुखिया, उप मुखिया एवं प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के सदस्य (वार्ड सदस्य) को शपथ ग्रहण या प्रतिज्ञा लेना अनिवार्य है।

स्थान का आरक्षण

प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्राम पंचायत के सदस्यों (वार्ड सदस्य) के कुल स्थानों का 50 प्रतिशत स्थान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित किए जाएंगें। अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों का आरक्षण पंचायत में उनकी जनसंख्या के अनुपात में होगा। पिछड़े वर्ग का आरक्षण अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों के आरक्षण के पश्चात् 20 प्रतिशत तक होगा। आरक्षित एवं अनारक्षित श्रेणी में 50 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित होगा। आरक्षण का यही नियम मुखिया पद हेतु होनेवाले आरक्षण पर भी लागू है।

ग्राम पंचायत की अवधि

ग्राम पंचायत अपनी प्रथम बैठक के तिथि से 5 वर्षों की अवधि तक रहेगी उससे अधिक नहीं।

मुखिया और उप मुखिया की पदावधि

ग्राम पंचायत सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण/ प्रतिज्ञा लेने की तिथि से यानी पांच वर्ष पूरा होते हीं उसकी पदावधि समाप्त हो जाएगी।

मुखिया/ वार्ड सदस्य का पद रिक्त होने पर निर्वाचन

मुखिया/ वार्ड सदस्य के मृत्यु, त्याग-पत्र, अयोग्यता, पदच्युति अथवा अन्य कारणों से मुखिया का पद रिक्त हो जाने पर यथाशीघ्र उक्त पद पर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन कराना आवश्यक है। मुखिया एव उप मुखिया दोनों का स्थान रिक्त हो जाने पर कार्यपालक पदाधिकारी 15 दिनों के अंदर पंचायत सदस्यों की बैठक बुलाकर उप मुखिया का चुनाव कराएगा जिसके लिए सदस्यों को कम से कम सात दिन पहले सूचना दी जायगी। ऐसी बैठक की अध्यक्षता कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा किया जाएगा। परन्तु कार्यपालक पदाधिकारी को उस चुनाव में मत देने का अधिकार नहीं है।

ग्राम पंचायत की बैठक

ग्राम पंचायत की बैठक दो माह में कम से कम एक बार ग्राम पंचायत के कार्यालय में आयोजित किया जाना अनिवार्य है। इसके लिए मुखिया जब भी उचित समझे तब सूचना देकर ग्राम पंचायत की बैठक आयोजित कर सकता है। इसके अतिरिक्त ग्राम पंचायत के एक तिहाई सदस्यों के लिखित अनुरोध पर, अनुरोध प्राप्त होने की तिथि से 15 (पन्द्रह) दिनों के अन्दर विशेष बैठक आयोजित किया जाना अनिवार्य है।

ग्राम पंचायत की सामान्य और विशेष बैठक आयोजन की नोटिस में बैठक का स्थान, तिथि समय तथा बैठक का एजेण्डा स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए। ग्राम पंचायत की बैठक के लिए कार्यावली (ऐजेण्डा) मुखिया/ उप मुखिया की सहमति से पंचायत सचिव के द्वारा बनाई जाती है। हर बैठक की कार्रवाई के विवरण को उसके लिए उपलब्ध रजिस्टर में अंकित किया जाना चाहिए और बैठक में भाग लेने वालों  का हस्ताक्षर होना अनिवार्य है। यह आम जनता के निरीक्षण के लिए उपलब्ध रहनी चाहिए। सामान्य बैठक की सूचना बैठक के सात दिन पूर्व तथा विशेष  बैठक की सूचना तीन दिन पूर्व देना अनिवार्य है। ग्राम पंचायत की बैठक की अध्यक्षता करने का दायित्व मुखिया का है। मुखिया की अनुपस्थिति में बैठक की अध्यक्षता उपमुखिया द्वारा किया जायेगा।

कोरम (गणपूर्ति)

ग्राम पंचायत की बैठक में कोरम (गणपूर्ति) हेतु कम-से-कम कुल सदस्यों की संख्या के आधे सदस्यों की उपस्थिति अनिर्वाय है। बगैर कोरम के ग्राम पंचायत की बैठक में लिए गए निर्णय मान्य नहीं होते हैं। कोरम की ओर ध्यान दिलाये जाने की स्थिति में एक घंटा तक प्रतीक्षा करने के उपरांत अगर बैठक स्थगित की जाती है, तो अगली बैठक की पुन: लिखित सूचना दी जाएगी। स्थगित बैठक की अगली बैठक में भी कुल सदस्य संख्या की आधी गणपूर्ति आवष्यक होगी। ग्राम पंचायत की बैठक चाहे वह सामान्य हो या विशेष या बजट पास कराना हो या अन्य कोई प्रस्ताव पारित कराना हो तो उक्त सभी बैठक में कोरम कुल सदस्य संख्या का 50 प्रतिशत होना अनिवार्य है।

ग्राम पंचायत के कार्य

ग्राम पंचायतों का मुख्य कार्य ग्रामीण विकास में सहयोग करना तथा ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम सभा में निर्णय की प्रक्रिया में आम आदमी को जोड़ना है। बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के अनुसार ग्राम पंचायतों को निम्न कार्य आवंटित किए गए हैं :-

  • संसाधनों के प्रबंधन  व उत्पादन संबंधी कार्य
  • ग्रामीण व्यवस्था व निर्माण संबंधी कार्य
  • मानवीय क्षमता वृध्दि संबंधी कार्य
  • कृषि तथा कृषि विस्तार
  • सामाजिक और फार्म वनोद्योग,लघु वन उत्पाद, र्इंधन और चारा
  • पशुपालन, दुग्ध उद्योग व मुर्गी पालन
  • मछली पालन
  • खादी, ग्राम तथा कुटीर उद्योग
  • ग्रामीण स्वच्छता एवं पर्यावरण
  • ग्रामीण गृह निर्माण
  • पेयजल व्यवस्था
  • सड़क, भवन, पुल, पुलिया, जलमार्ग
  • विद्युतीकरण एवं वितरण
  • गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत
  • जनवितरण प्रणाली
  • सार्वजनिक संपत्ति का रख-रखाव
  • बाजार तथा मेले
  • ग्रामीण पुस्तकालय तथा वाचनालय
  • खटालों, कांजी हाऊस तथा ठेला स्टैण्ड का निर्माण एवं रख-रखाव
  • कसाईखानों का निर्माण एवं रख-रखाव
  • सार्वजनिक पार्क, खेलकूद का मैदन आदि का रख-रखाव
  • सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ादान की व्यवस्था
  • झोपड़ियों एवं शेडों का निर्माण तथा नियंत्रण
  • सामान्य कार्य के अधीन योजना बनाना एवं बजट तैयार करना, अतिक्रमण हटाना तथा बाढ़- सुखाड़ आदि प्राकृतिक आपदाओं के समय आम जन को सहायता प्रदान करना, गाँव के अनिवार्य सांख्यिकी ऑंकड़ों को सुरक्षित रखना
  • धर्मशालाओं, छात्रावासों एवं अन्य वैसे ही संस्थानों का निर्माण एवं उसका रख-रखाव करना
  • शिक्षा, प्राथमिक व माधयमिक स्तर तक
  • वयस्क तथा अनौपचारिक शिक्षा
  • लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
  • महिला व बाल विकास
  • गरीबी उन्मूलन (गरीबी हटाना)
  • कमजोर वर्गो विशेष रूप से अनुसूचित जाति तथा जनजाति का कल्याण
  • सामाजिक, सांस्कृतिक तथा खेलकूद को बढ़ावा देना
  • शारीरिक एवं मानसिक रूप से नि:शक्त व्यक्तियों के लिए सामाजिक कल्याण

उपरोक्त कार्यों के अतिरिक्त समय-समय पर सरकार द्वारा जो कार्य पंचायत को सौंपे जायेंगे, वह उन्हें कार्यान्वित करेगी।

ग्राम पंचायत की स्थायी समितियां

ग्राम पंचायत के कार्य काफी विस्तृत हैं। अत: कार्यों की गुणवत्ता , उत्कृष्टता तथा ससमय निष्पादन हेतु यह आवश्यक है कि प्रत्येक ग्राम पंचायत बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा-25 के अधीन गठित की जानेवाली स्थायी समितियों के माध्यम से कार्यों का प्रभावी निष्पादन सुनिश्चित कर सके। इससे ग्राम पंचायत के कार्य का बंटवारा होगा और कार्य की गुणवत्ता  भी बनी रहेगी। इसके तहत स्थानीय स्तर पर कार्यों का वास्तविक एवं व्यवहारिक विकेन्द्रीकरण अपनायी गई है।

प्रत्येक ग्राम पंचायत द्वारा अपने कार्यों के प्रभावी निष्पादन हेतु निर्वाचित सदस्यों में से चुनाव के द्वारा 6 समितियों का गठन अनिवार्य रूप से किया जाना है, जो निम्नवत है :-

(i) योजना, समन्वय एवं वित्त  समिति

(ii)    उत्पादन समिति

(iii)   सामाजिक न्याय समिति

(iv)   शिक्षा  समिति

(v)    लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति

(vi)   लोक निर्माण समिति

(i)     योजना, समन्वय एवं वित्त समिति

यह समितियों की समिति है। यह अन्य समितियों के कार्यों का समवन्य करते हुए उनका निष्पादन करती है। साथ ही जो कार्य अन्य समितियों के प्रभार में नहीं है वह कार्य यह समिति सम्पादित करती है।

(ii)    उत्पादन समिति

यह समिति कृषि, पशुपालन, डेयरी, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन, वानिकी, खादी ग्राम या कुटीर उद्योग तथा गरीबी उन्मूलन संबंधी कार्य करती है।

(iii)    सामाजिक न्याय समिति

यह समिति अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जातियों के साथ ही कमजोर वर्गों को शैक्षणिक, आर्थिक तथा सामाजिक अन्याय से बचाने तथा महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण संबंधी कार्य करती है।

(iv)   शिक्षा समिति

इस समिति के जिम्मे मुख्यत: प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा एवं जनशिक्षा, पुस्तकालय एवं सांस्कृतिक कार्यकलाप है।

(v)    लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति

इस समिति द्वारा लोक कल्याण, परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता संबंधी कार्य किए जाते हैं।

(vi)    लोक निर्माण समिति

इस समिति का मुख्य कार्य ग्रामीण आवास, जलापूर्ति स्रोतों, सड़क एवं आवागमन के अन्य माध्यमों,ग्रामीण विद्युतीकरण के साथ-साथ सभी प्रकार के निर्माण एवं अनुरक्षण संबंधी कार्य हैं।

उपरोक्त सभी समितियों का गठन निम्न नियमों का पालन करते हुए किया जाएगा। यदि इन नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो समिति के कार्य वैध नहीं होंगे।

उपरोक्त सभी समिति में अध्यक्ष के साथ-साथ न्यूनतम तीन और अधिकतम पाँच सदस्य होंगे। प्रत्येक समिति अपने दायित्वों के प्रभावी निष्पादन हेतु विशेषज्ञों एवं जनहित से प्रेरित व्यक्तियों में अधिक-से-अधिक दो सदस्यों को समिति में कॉ-ऑप्ट कर सकती है।

योजना समन्वय एवं वित्त समिति का पदेन सदस्य एवं अध्यक्ष मुखिया होगा और वह निर्वाचित सदस्यों में से प्रत्येक समिति के लिए अध्यक्ष नामित करेगा। योजना, समन्वय एवं वित्त  समिति सहित तीन से अधिक समिति के अध्यक्ष का प्रभार मुखिया नहीं रखेगा।

प्रत्येक समिति में न्यूनतम एक महिला सदस्य होगी। सामाजिक न्याय समिति का एक सदस्य उपलब्धता के आधार पर अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य होगा।

जहाँ तक संभव हो ग्राम पंचायत का कोई निर्वाचित सदस्य तीन समितियों से अधिक मंत नहीं रहेगा।

पंचायत सचिव योजना, समन्वय एवं वित्त  समिति का सचिव होगा। जिला पदाधिकारी या उनके द्वारा इसके लिए प्राधिकृत कोई अन्य पदाधिकारी, अन्य स्थायी समितियों के सचिव के रूप में कार्य करने के लिए किसी सरकारी सेवक को नामित कर सकते हैं।

ग्राम पंचायत के सामान्य मार्गदर्शन, पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण के अधीन स्थायी समितियाँ उपर्युक्त कार्यों का सम्पादन करेगी।

मुखिया की जिम्मेदारियाँ

 

  • ग्राम सभा और ग्राम पंचायत की बैठकें आयोजित करना और उनकी अध्यक्षता करना।
  • बैठकों का कार्य-व्यवहार संभालना और उनमें अनुशासन  कायम रखना।
  • एक कैलेण्डर वर्ष में ग्राम सभा की कम-से-कम चार बैठकें आयोजित करना।
  • पूँजी कोष पर विशेष  नजर रखना।
  • ग्राम पंचायत के कार्यकारी प्रशासन  की देख-रेख।
  • ग्राम पंचायत में कार्यरत कर्मचारियों की देख-रेख और दिशा  नियंत्रण करना।
  • ग्राम पंचायत की कार्ययोजनाओं/ प्रस्तावों को लागू करना।
  • नियमानुसार रखी गई विभिन्न रजिस्टरों के रख-रखाव का इंतजाम करना।
  • ग्राम पंचायत द्वारा तय किए टैक्सों, चंदों और फीसों की वसूली का इंतजाम।
  • विभिन्न निर्माण कार्यों को कार्यान्वित करने का इंतजाम करना, और
  • राज्य सरकार या एक्ट अथवा किसी अन्य कानून के अनुसार सौंपी गई अन्य जिम्मेदारियों और कार्यों को पूरा करना।

 

उप मुखिया की जिम्मेदारियाँ

मुखिया द्वारा समय-समय पर लिखित आदेश के रूप में सौंपे गए शक्तियों, कार्यों एवं कर्तव्यों का निर्वहन करेगा। साथ ही ग्राम पंचायत के सामान्य या विशेष प्रस्ताव द्वारा निदेशित कार्यों का निर्वहन करेगा। मुखिया की अनुपस्थिति में मुखिया द्वारा सम्पादित किए जा रहे सभी शक्तियों, कार्यों एवं कर्तव्यों का अक्षरश: निष्पादन/ निर्वहन करेगा।

ग्राम पंचायत का स्टाफ

  • प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक पंचायत सचिव की नियुक्ति सरकारी नियमानुसार सक्षम पदाधिकारी द्वारा किया जाएगा।
  • पंचायत सचिव ग्राम पंचायत कार्यालय का प्रभारी होता है और उसके सभी  कर्तव्यों का निष्पादन सरकारी निर्देशों के अनुसार तथा बिहार ग्राम पंचायत (सचिव की नियुक्ति, अधिकार एवं कर्त्तरव्य) नियमावली, 2011 के तहत करना है।
  • ग्राम पंचायत अपने कार्यों के संचालन के लिए भुगतान के आधार पर अवैतनिक कर्मचारियों या व्यवसायिकों की सेवा राज्य सरकार के निदेशानुसार ले सकती है।

 

ग्राम रक्षा दल का गठन

सामान्य पहरा, निगरानी एवं आकस्मिक घटनाओं जैसे अगलगी, बाढ़, बांध में दरार, महामारी, चोरी, डकैती आदि का सामना करने,सार्वजनिक शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने तथा सरकार द्वारा समय-समय पर सौंपे गये कार्यों को सम्पादित करने हेतु विहित रीति से एक दलपति की नियुक्ति की जाएगी।

एक दलपति के अधीन प्रत्येक ग्राम पंचायत के अंतर्गत एक ''ग्राम रक्षा दल'' का गठन किया जाएगा। ग्राम रक्षा दल में ग्राम के 18 वर्ष से 30 वर्ष तक के शारीरिक रूप से सभी योग्य व्यक्ति सदस्य होंगे। ग्राम रक्षा दल के गठन, कर्तव्य एवं उपयोग के लिए सरकार नियम बनाएगी।

ग्राम पंचायत और ग्राम सभा में संबंध

ग्राम पंचायत के सभी मतदाता ग्राम सभा के सदस्य होते हैं। अधिनियम के अंतर्गत सौंपे गए सभी 29 विषयों के  कार्यों के अनुसार ग्राम सभा के प्रति मुखिया, उप मुखिया एवं ग्राम पंचायत सदस्य उत्तारदायी होते हैं। ग्राम सभा के निर्णय को ग्राम पंचायत की बैठक द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। मुखिया या ग्राम पंचायत के सदस्यों के कार्यकलाप के संबंध में ग्राम सभा की बैठक में उनसे प्रश्न पूछा जा सकता है। ग्राम सभा द्वारा लिए गए निर्णयों एवं ग्राम पंचायत द्वारा निष्पादित कार्यों का विवरण ग्राम सभा में रखा जाता है। ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों के रचनात्मक सहयोग से ग्रामीण विकास एवं योजनाओं का सुगमता से कार्यान्वयन संभव है।

ग्राम पंचायत की संपत्ति और निधि

बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 में पंचायतों को संपत्तिा अर्जित करने, धारण करने तथा राज्य सरकार की पूर्व अनुमति से उसका निपटान करने की शक्ति प्राप्त है।

पंचायतों को विभिन्न स्त्रोतों से जो धन प्राप्त होता है उसे पंचायत निधि में जमा किया जाना है। पंचायत द्वारा किए जाने वाले कार्यों पर जो खर्चा आता है, उसे इस निधि के प्रयोग से पूरा किया जाना है। इस संबंध में ऐसे नियम हैं जो पंचायत निधि से धन प्राप्त करने या धन निकालने की क्रियाविधि को नियंत्रित करते हैं। इन नियमों का कड़ाई से पालन करना बेहद जरूरी है।

ग्राम पंचायत द्वारा करारोपण

ग्राम पंचायत को कर लगाने की शक्ति अधिनियम के प्रावधानों के तहत है। इसके अंतर्गत होल्ंडिग कर, सम्पति कर (सभी प्रकार की आवासीय और वाणिज्यिक सम्पतियों  पर कर) व्यवसायों, व्यापारों आदि पर लगाए जानेवाले कर, जलकर, प्रकाश शुल्क तथा स्वच्छता शुल्क आदि सम्मिलित हैं। परन्तु फीस/शुल्क सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

पंचायतों को वित्तीय सहायता एवं अन्य साधन

बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अन्तर्गत गठित राज्य वित्त  आयोग द्वारा की गई अनुशंसा (जिसे सरकार ने स्वीकृत कर अधिसूचित कर दिया हो) के आधार पर प्रत्येक पंचायत को राज्य कोष से सहायता  अनुदान प्राप्त करने का अधिकार है।

ग्राम पंचायत, पंचायत समिति तथा जिला परिषद अपने-अपने क्षेत्राधिकार की स्थानीय सीमाओं के अन्तर्गत अधिनियमानुसार सरकार द्वारा निर्दिष्ट अधिकतम दर के तहत कर/शुल्क लगा सकते हैं। राज्य वित्त  आयोग की अनुशंसा पर ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद कर/फीस संग्रहण सरकार के निदेशानुसार  कर सकता है।

ग्राम पंचायत, पंचायत समिति एवं जिला परिषद क्रमशः ग्राम पंचायत के नाम से ग्राम पंचायत निधि, पंचायत समिति के नाम से पंचायत समिति निधि एवं परिषद के नाम से जिला परिषद निधि का गठन करते हैं, और जमा खाते में अपनी अपनी राशियाँ  जमा/ व्यय कर सकते हैं।

बजट

बजट में संभावित सभी आय एवं व्यय का वार्षिक आकलन होता है, जिसमें प्रस्तावित कार्यक्रम का वित्तीय विवरण प्रकट होता है। पंचायती राज संस्थाओं के लिए बजट उसके एक वर्ष के कार्यक्रम का स्वीकृत दस्तावेज है। कोई भी व्यय बिना बजट के अनुमोदन के नहीं हो सकता।

अधिनियम में ग्राम पंचायत के बजट का प्रावधान है, जिसके आलोक में प्रत्येक ग्राम पंचायत अपना वार्षिक बजट अर्थात् आय एवं व्यय का वार्षिक बजट तैयार करेगी और बैठक में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से इसे अनुमोदित कराएगी। उस बैठक के लिए अन्य बैठकों की भाँति कम-से-कम कुल सदस्यों के 50 प्रतिशत सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। अधिनियम के आलोक में बजट एवं एकाउंटस् रूल का गठन प्रक्रियाधीन है। नियमावली के गठन तक बिहार ग्राम पंचायत लेखा नियमावली, 1949 के आलोक में मुखिया द्वारा अगले वित्तीय वर्ष के लिए फारम संख्या- 6 में बजट प्राक्कलन तैयार किया जाएगा एवं प्रतिवर्ष 15 फरवरी तक स्वीकृत कराया जाएगा। वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से प्रारम्भ होकर अगले वर्ष 31 मार्च तक का होता है।

लेखा

लेखाकरण ऐसी पध्दति है जिसका प्रयोग किसी भी संगठन के लेन-देन संबंधी कार्यों का रिकॉर्ड रखने, इन्हें वर्गीकृत करने और इन्हें सारणीबध्द रूप से सम्प्रेषित करने के लिए किया जाता है। ग्राम पंचायतों को अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न स्रोतों से निधियों की प्राप्ति होती है। पंचायतों के लिए जरूरी है कि वह लेखाकरण संबंधी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुव्यवस्थित लेखाकरण प्रक्रिया का अनुसरण करें।

पंचायती राज संस्थाओं में स्वस्थ, बेहतर एवं पारदर्शी लेखा प्रणाली लागू करने के उद्देश्य से पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार एवं भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा पंचायतों के लिए मॉडल एकाउंटिंग सिस्टम निर्धारित किया गया है। इसमें सरल प्रपत्र निर्धारित किए गए हैं। मॉडल एकाउंटिंग सिस्टम कम्प्युटराईज्ड प्रणाली है। इस प्रणाली में सूचना एवं संचार तकनीक के माध्यम से वित्तीय प्रतिवेदन बनाने में सुविधा होगा।

राज्य सरकार ने अधिसूचना संख्या- 4868 दिनांक- 05.07.2010 द्वारा बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा-30, 58 एवं85 के तहत राज्य के ग्राम पंचायतों, पंचायत समिति एवं जिला परिषदों द्वारा भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक तथा पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार के निर्धारित मॉडल एकाउंटिंग सिस्टम प्रपत्र में 01.04.2010 से लेखा संधारण का निर्णय लिया गया है।

अंकेक्षण (ऑडिट)

किसी भी ग्राम पंचायत के लेखा के  अंकेक्षण (ऑडिट) भारत के महालेखापरीक्षक अथवा उसके द्वारा प्राधिकृत प्राधिकार द्वारा प्रतिवर्ष किया जाएगा।

पंचायतों की जवाबदेही

पंचायतें स्थानीय क्षेत्रों की प्रतिनिधि सरकारें हैं। इन संस्थानों के निर्वाचित प्रतिनिधि, जिस प्रकार अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हैं, उन सभी के लिए वे स्वयं जवाबदेह भी हैं। इनकी जवाबदेही दो स्तरों पर होती है। पंचायतों को राज्य सरकार से निधियाँ मिलती हैं। अत: वह अपनी राज्य सरकार के प्रति जवाबदेह होती है। पंचायतें लोकतांत्रिक संस्थान हैं। अत: इनकी मुख्य जिम्मेदारी उन लोगों के प्रति है जिन्होंनें इन्हें चुना है। इन दोनों स्तरों पर इनकी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए पंचायतों को अपनी गतिविधियों के संबंध में बेहद सजग रहना है।

पारदर्शिता

पंचायतों को अपने वित्तीय लेन-देन के संबंध में पारदर्शिता (स्पष्टता) बनाई रखनी है। सूचना अधिकार अधिनियम के अनुसार, कोई भी नागरिक पंचायत के किसी भी वित्तीय लेन-देन से संबंधित सूचना की माँग कर सकता है। जब कभी ऐसी सूचना की माँग की जायें, तो पंचायतों को बिना विलंब किए तत्काल समस्त सूचना प्रदान करनी है।

मुखिया/ उप मुखिया द्वारा त्याग-पत्र दिया जाना

मुखिया/ उप मुखिया जिला पंचायत राज पदाधिकारी को स्वयं लिखकर अपने पद से त्याग-पत्र दे सकता है। जिला पंचायत राज पदाधिकारी द्वारा त्याग पत्र प्राप्ति के सात दिनों के अंदर यदि मुखिया/उप मुखिया द्वारा स्वयं लिखकर त्यागपत्र वापस नहीं लिया जाता है, तो त्यागपत्र प्राप्ति की तिथि से आठवें दिन से प्रभावी हो जायेगा।

मुखिया के खिलाफ अविश्वास  प्रस्ताव

मुखिया को ग्राम पंचायत के मतदाताओं की विशेष  तौर से बुलाई गई बैठक में साधारण बहुमत (अर्थात् कुल मतदाताओं का 50प्रतिशत+1) से अविश्वास  मत पारित कर हटाया जा सकता है। ऐसी विशेष बैठक हेतु ग्राम पंचायत के कुल मतदाताओं का न्यूनतम पाँचवा भाग यानि 20 प्रतिशत मतदाता एक आवेदन में हस्ताक्षर करके जिला पंचायत राज पदाधिकारी से अनुरोध करेंगे। जिला पंचायत राज पदाधिकारी बैठक की नोटिश जारी होने की तिथि के 15 दिन के अंदर विशेष बैठक आयोजित करेगा। बैठक की अध्यक्षता जिला पंचायत राज पदाधिकारी द्वारा की जाएगी। परन्तु अविश्वास प्रस्ताव मुखिया के निर्वाचित होने (प्रथम बैठक यानि शपथ ग्रहण) के प्रथम दो वर्षों तक तथा ग्राम पंचायत के कार्यकाल के अंतिम छ: महीनों के शेष रहने के दौरान नहीं लाया जा सकता है। नियमानुसार मुखिया का अविश्वास  प्रस्ताव यदि पारित नहीं होता है तो अगले एक वर्ष की कालावधि के भीतर पुन: अविश्वास  प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।

उप मुखिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

उप मुखिया को ग्राम पंचायत की विशेष  तौर पर इस प्रयोजन से बुलाई गई बैठक में मुखिया सहित निर्वाचित कुल ग्राम पंचायत सदस्यों की संख्या में से साधारण बहुमत से हटाया जा सकता है। ऐसी विशेष बैठक बुलाने हेतु ग्राम पंचायत के कुल निर्वाचित सदस्यों की संख्या के कम-से-कम एक तिहाई सदस्यों के हस्ताक्षर से आवेदन मुखिया को दी जाएगी। आवेदन प्राप्त होने की तिथि से सात दिनों के अंदर मुखिया ग्राम पंचायत कार्यालय में इस प्रस्ताव पर विचार हेतु विशेष बैठक बुलाकर उस बैठक की अध्यक्षता करेगा। मुखिया की तरह ही उप मुखिया के विरूध्द भी पदावधि (प्रथम बैठक यानि शपथ ग्रहण) के पहले दो वर्षों तथा कार्यकाल के अंतिम छ: महीनों के दौरान अविश्वास  प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। नियमानुसार उप मुखिया का अविश्वास  प्रस्ताव यदि पारित नहीं होता है तो अगले एक वर्ष की कालावधि के भीतर पुन: अविश्वास  प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।

मुखिया/ उप मुखिया को सरकार द्वारा हटाया जाना

अधिनियम के प्रावधानानुसार सरकार के विचार में यदि कोई मुखिया अथवा उप मुखिया बिना समुचित कारण के तीन लगातार बैठकों में अनुपस्थित रहने या जान बुझकर इस अधिनियम के अधीन अपने कार्यों एवं कर्तव्यों को करने से इंकार या उपेक्षा करने,शक्तियों का दुरूपयोग करने, कर्तव्यों के निर्वहन में दुराचार का दोषी पाए जाने या शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम होने, किसी अपराधिक मामले का अभियुक्त होने के कारण छ: माह से अधिक फरार हो जाने का दोषी हो तो ऐसे मुखिया या उप मुखिया को स्पष्टीकरण हेतु समुचित अवसर प्रदान करने के उपरांत सरकार हटा सकती है। निहित शक्तियों के दुरूपयोग या अपने दायित्वों के निर्वहन में दुराचार का दोषी पाए जाने के फलस्वरूप हटाये गए मुखिया या उप मुखिया हटाये जाने की तिथि से पंचायत निकायों के किसी भी निर्वाचन में अगले पाँच वर्षों तक उम्मीदवार होने का पात्र नहीं होगा। शेष आरापों के आधार पर हटाया गया मुखिया या उप मुखिया या ग्राम पंचायत सदस्य के रूप में उसकी शेष अवधि के दौरान पुन: निर्वाचन का पात्र नहीं होगा।

ग्राम पंचायत के सदस्यों का त्याग-पत्र

ग्राम पंचायत का कोई भी सदस्य ग्राम पंचायत के मुखिया को स्वयं लिखकर अपनी सदस्यता से त्याग-पत्र दे सकता है। सदस्य त्याग-पत्र देने की तिथि से सात दिनों के अंदर अपना त्याग-पत्र स्वयं लिखकर वापस मुखिया से ले सकता है। यदि सदस्य सात दिनों के अंदर त्याग-पत्र वापस नहीं लेता है तो उसका पद त्याग-पत्र की तिथि से सात दिन की समाप्ति पर रिक्त हो जाएगा।

ग्राम पंचायत से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दु

ग्राम पंचायत की बैठक का आयोजन किसके द्वारा और कब किया जाना है?

ग्राम पंचायत की बैठक का आयोजन मुखिया द्वारा निश्चित तिथि एवं समय पर ग्राम पंचायत कार्यालय में दो माह में कम-से-कम एक बार निश्चित रूप से की जानी है।

ग्राम पंचायत के बैठक के आयोजन की क्या प्रक्रिया है?

ग्राम पंचायत के बैठक के आयोजन की निम्नलिखित प्रक्रियाएँ हैं :-

 

  1. अपने कार्यों के निष्पादन के लिए ग्राम पंचायत की बैठक दो माह में कम से कम एक बार ग्राम पंचायत के कार्यालय में आयोजित किया जाना अनिवार्य है।
  2. मुखिया, जब भी वह उचित समझे तब, और ग्राम पंचायत के कुल सदस्यों की संख्या के कम-से-कम एक तिहाई सदस्यों के लिखित अनुरोध पर, ऐसा अनुरोध प्राप्त होने की तिथि से पन्द्रह दिनों के भीतर, किसी तिथि को ग्राम पंचायत की विशेष बैठक बुलाएगा।
  3. साधारण बैठक के लिए पूरे सात दिनों की नोटिस तथा विशेष बैठक के लिए पूरे तीन दिनों की नोटिस, जिसमें ऐसी बैठक का स्थान, तिथि और समय तथा बैठक में निपटाए जाने वाले कार्य निर्दिष्ट होंगे, ग्राम पंचायत सचिव द्वारा सदस्यों तथा ग्राम पंचायत के कार्यों से संबंधित सरकारी पदाधिकारियों को दी जाएगी और उसे ग्राम पंचायत के सूचना पट्ट पर लगाया जाएगा।
  4. जिन पदाधिकारियों को नोटिस दी जाए, वे तथा संबंधित ग्राम पंचायत के क्षेत्र या उसके किसी भाग पर क्षेत्राधिकार रखने वाले अन्य सरकारी पदाधिकारी ग्राम पंचायत की प्रत्येक बैठक में तथा उसकी कार्यवाही में भाग लेने से हकदार होंगे, किन्तु उन्हें मत (वोट) देने का हक नहीं होगा।
  5. मुखिया, यदि ग्राम पंचायत के सदस्यों के अनुरोध पर विशेष बैठक न बुलाये तो उप-मुखिया, या उसकी अनुपस्थिति में ग्राम पंचायत के कुल सदस्यों की संख्या के एक तिहाई सदस्य, उसके अधिक-से-अधिक पन्द्रह दिनों के अन्दर किसी दिन ऐसी बैठक बुला सकेंगे तथा ग्राम पंचायत सचिव से यह अपेक्षा करेंगे कि वह सदस्यों को इसका नोटिस दे दें और बैठक बुलाने के लिए यथावश्यक कार्रवाई करे।

 

गणपूर्ति (कोरम)

ग्राम पंचायत की बैठक हेतु कितनी गणपूर्ति (कोरम) आवश्यक है?

ग्राम पंचायत की बैठक के लिए गणपूर्ति सदस्यों की कुल संख्या की आधी होगी।

ग्राम पंचायत की बैठक हेतु यदि गणपूर्ति (कोरम) नहीं होती हो तब क्या किया जायेगा?

किसी बैठक के लिए नियत समय पर यदि गणपूर्ति नहीं होती हो, या यदि बैठक आरंभ हो जाय और गणपूर्ति की कमी की ओर ध्यान आकृष्ट कराया जाय तो ऐसी स्थिति में पीठासीन पदाधिकारी एक घंटे तक प्रतीक्षा करेगा और यदि उस अवधि के भीतर भी गणपूर्ति नहीं होती हो तो पीठासीन पदाधिकारी उस बैठक को अगले दिन अथवा आने वाले किसी ऐसे दिन को ऐसे समय के लिए,जो उसके द्वारा निर्धारित किया जायेगा, स्थगित कर देगा। गणपूर्ति की कमी के चलते स्थगित ऐसी बैठक में यदि निर्धारित विषय पर विचार नहीं हो सका हो तो उसे स्थगित बैठक या बैठकों के समक्ष रखा और निष्पादित किया जायेगा जिसके लिए उसी प्रकार कुल सदस्य संख्या की आधी गणपूर्ति आवश्यक होगी।

ग्राम पंचायत की बैठक की अध्यक्षता कौन करेगा?

ग्राम पंचायत की बैठक की अध्यक्षता मुखिया और उसकी अनुपस्थिति में उप मुखिया करेगा।

ग्राम पंचायत की स्थायी समिति

ग्राम पंचायत की स्थायी समिति क्या है?

प्रत्येक ग्राम पंचायत अपने कृत्यों के प्रभावी निर्वहन हेतु छ: स्थायी समिति यथा :- 1.योजना, समन्वय एवं वित्त  समिति 2.उत्पादन समिति 3. सामाजिक न्याय समिति 4. शिक्षा समिति 5. लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति एवं 6. लोक निर्माण समिति का गठन कर सकेगी।

ग्राम पंचायत की स्थायी समिति के क्या कार्य है?

ग्राम पंचायत की स्थायी समिति के निम्नलिखित कार्य हैं :-

योजना, समन्वय एवं वित्त समिति

धारा 22 में वर्णित विषयों सहित ग्राम पंचायत से संबंधित सामान्य कृत्यों को करने के लिए, अन्य समिति के कार्यों का समन्वय तथा अन्य समितियों के प्रभार में नहीं रहने वाले शेष कार्यों के सम्पादन के लिए।

उत्पादन समिति

कृषि, पशुपालन, डेयरी, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन, वानिकी संबंधी प्रक्षेत्र, खादी, ग्राम या कुटीर उद्योग एवं गरीबी उपसमन संबंधी कार्यों को करने के लिए।

सामाजिक न्याय समिति

अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों तथा कमजोर वर्गों के शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक,सांस्कृतिक और अन्य हितों की उन्नति से संबंधित कार्य एवं ऐसी जातियों और वर्गों को सामाजिक अन्याय एवं सभी प्रकार के शोषण से बचाने संबंधी कार्य तथा महिलाओं एवं बच्चों का कल्याण।

शिक्षा समिति

प्राथमिक, माध्यमिक एवं जनशिक्षा, पुस्तकालय एवं सांस्कृतिक कार्यकलापों से संबंधित कार्यों को करने के लिए।

लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति

लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता संबंधी कार्यों को करने के लिए।

लोक निर्माण समिति

ग्रामीण आवास, जलापूर्ति  स्रोतों , सड़क एवं आवागमन के अन्य माध्यमों, ग्रामीण विद्युतीकरण एंव संबंधित कार्यों सहित सभी प्रकार के निर्माण एवं अनुरक्षण संबंधी कार्यों को करने के लिए।

ग्राम पंचायत की स्थायी समिति का गठन

ग्राम पंचायत की स्थायी समिति का गठन किस प्रकार किया जाना है?

ग्राम पंचायत की स्थायी समिति का गठन निम्न प्रकार से किया जाता है :

 

  1. प्रत्येक ग्राम पंचायत अपने कृत्यों के प्रभावी निर्वहन हेतु निर्वाचित सदस्यों में से चुनाव द्वारा समितियों का गठन करेगी।
  2. प्रत्येक स्थायी समिति के अध्यक्ष सहित कम-से-कम तीन और अधिक-से-अधिक पांच सदस्य होंगे। प्रत्येक समिति अपने दायित्वों के प्रभावी निर्वहन हेतु विशेषज्ञों एवं जनहित से प्रेरित व्यक्तियों में से अधिक-से-अधिक दो सदस्यों को सहयोजित (कोऑप्ट) कर सकेगी।
  3. योजना, समन्वय एवं वित्त  समिति का पदेन सदस्य एंव अध्यक्ष मुखिया होगा और वह निर्वाचित सदस्यों में से प्रत्येक समिति के लिए अध्यक्ष नामित करेगा। योजना, समन्वय एवं वित्त  समिति सहित तीन से अधिक समिति के अध्यक्ष का प्रभार मुखिया नहीं रखेगा।परन्तु यह कि प्रत्येक समिति में कम-से-कम एक महिला सदस्य होगी और यह कि सामाजिक न्याय समिति का एक सदस्य उपलब्धता के अध्यधीन अनुसूचित जाति या अनूसूचित जनजाति का सदस्य होगा|
  4. जहाँ तक सम्भव हो, ग्राम पंचायत का कोई निर्वाचित सदस्य तीन समितियों से अधिक में नहीं रहेगा।
  5. पंचायत सचिव, योजना, समन्वय एवं वित्त  समिति का सचिव होगा। जिला पदाधिकारी या उनके द्वारा इसके लिए प्राधिकृत कोई अन्य पदाधिकारी, अन्य स्थायी समितियों के सचिव के रूप में कार्य करने के लिए किसी सरकारी सेवक को नामित करेगा।
  6. ग्राम पंचायत के सामान्य मार्गदर्शन, पर्यवेक्षण, एवं नियंत्रण के अधीन स्थायी समितियां उपर्युक्त कार्यों को करेंगी।

 

ग्राम पंचायत के मुख्य कार्य

ग्राम पंचायत के क्या कार्य है?

ग्राम पंचायत के मुख्य कार्य निम्नलिखित है :-

सामान्य कार्य कृषि जिसमें कृषि विस्तार भी शामिल है

पशुपालन, डेयरी उद्योग और कुक्कुट पालन

मत्स्य पालन

सामाजिक और फार्म वनोद्योग, लघु वन उत्पाद, ईंधन और चारा

खादी, ग्राम और कुटीर उद्योग

ग्रामीण गृह निर्माण

पेयजल

सड़क, भवन, पुलिया, सेतु, फेरी, जल मार्ग और अन्य संचार साधन

सार्वजनिक गलियों तथा अन्य स्थानों में प्रकाश उपलब्ध कराने और उसके अनुरक्षण के लिए विद्युत वितरण सहित ग्रामीण विद्युतीकरण

गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत

गरीबी उपशमन कार्यक्रम

शिक्षा, प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षा सहित

व्यस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा

पुस्तकालय

सांस्कृतिक एवं खेलकूद कार्यकलाप

बाजार एवं मेले

ग्रामीण स्वच्छता एवं पर्यावरण

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण

महिला एवं बाल विकास

शारीरिक एवं मानसिक रूप से नि:शक्त व्यक्तियों के कल्याण् सहित सामाजिक कल्याण

कमजोर वर्गों विशेषकर अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों का कल्याण

जनवितरण प्रणाली

सामुदायिक आस्तियों का अनुरक्षण

धर्मशालाओं, छात्रावासों और सदृश संस्थानों का निर्माण एवं अनुरक्षण

खटालों, काँजी हाउस तथा ठेला स्टैण्ड का निर्माण एवं अनुरक्षण

कसाईखानों का निर्माण एवं अनुरक्षण

सार्वजनिक पार्क, खेलकूद का मैदान आदि का अनुरक्षण

सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ादानों की व्यवस्था

झोपड़ियों एवं शेडों का निर्माण एवं नियंत्रण, तथा ऐसे अन्य कार्य जो सौपें जायें।

मुखिया की शक्तियाँ, कृत्य और कर्तव्य

मुखिया की शक्तियाँ, कृत्य और कर्तव्य निम्न हैं :-

  • ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत की बैठक आयोजित करना और उसकी अध्यक्षता करना।
  • बैठक का कार्य-व्यवहार संभालना और उनमें अनुशासन कायम रखना।
  • ग्राम पंचायत के अभिलेखों का समुचित संधारण का उत्तरदायी होगा।
  • ग्राम पंचायत की वित्तीय और कार्यकारणी प्रशासन के लिए सामान्यत: उत्तारदायी होगा
  • ग्राम पंचायत के कर्मचारियों तथा पदाधिकारियों और वेसे कर्मचारियों, जिनकी सेवा किसी अन्य पदाधिकारी द्वारा ग्राम पंचायत के अधीन सौंपी गई हो, के कार्यों पर प्रशासनिक नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण रखना।
  • अधिनियम से संबंधित कार्यों को करने के लिए या एतद् द्वारा प्राधिकृत कोई आदेश करने के प्रयोजनार्थ ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा और ऐसे कार्यों का निष्पादन करेगा तथा ऐसेर् कर्तव्यों का निर्वहन करेगा जिनका प्रयोग, निष्पदान या निर्वहन अधिनियम अथवा इसके अधीन बनाई गई नियमावली के अधीन ग्राम पंचायत द्वारा किया जा सके। परन्तु मुखिया ऐसी शक्तियों का प्रयोग, ऐसे कार्यों का निष्पादन या ऐसे कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करेगा, जिन्हें इस अधिनियम के अधीन बनाई गई नियमावली की अपेक्षानुसार केवल ग्राम पंचायत द्वारा ही अपनी बैठक में प्रयोग करने, निष्पादन करने या निर्वहन करने की अपेक्षा हो।
  • ऐसी अन्य शक्तियों का प्रयोग, ऐसे अन्य कार्यों का निष्पादन तथा ऐसे अन्यर् कर्तव्यों का निर्वहन करेगा, जो ग्राम पंचायत द्वारा सामान्य या विशेष प्रस्ताव द्वारा यथा निर्देशित हो अथवा इसके लिए बनाई गई नियमावली के अधीन सरकार द्वारा यथाविहित हो।

उप मुखिया की शक्तियाँ, कृत्य और कर्तव्य

उप मुखिया की शक्तियाँ, कृत्य और कर्तव्य निम्न हैं :-

  • मुखिया की ऐसी शक्तियों का प्रयोग, ऐसे कार्यों का निष्पादन और ऐसेर् कर्तव्यों का निर्वहन करेगा, जो इसके लिए सरकार द्वारा बनाई गई नियमावली के अध्यधीन मुखिया द्वारा उसे समय-समय पर लिखित आदेश रूप में प्रत्यायोजित किया जाए।परन्तु मुखिया इस प्रकार प्रत्यायोजित सभी या किन्हीं शक्तियों, कार्यों और कर्तव्यों को उप-मुखिया से किसी भी समय वापस ले सकेगा।
  • मुखिया की अनुपस्थिति में, मुखिया की सभी शक्तियों का प्रयोग, सभी कार्यों का निष्पादन एवं सभी  कर्तव्यों का निर्वहन करेगा।परन्तु जैसे ही मुखिया उपस्थित हो जाये, वह अपने अधिकारों को स्वत: ग्रहण कर लेगा तथा मुखिया के सभी कार्यों का सम्पादन एवं सभी  कर्तव्यों का निर्वहन आरम्भ करेगा।
  • ऐसी अन्य शक्तियों का प्रयोग, ऐसे अन्य कार्यों का निष्पादन तथा ऐसे अन्यर् कर्तव्यों का निर्वहन करेगा, जो ग्राम पंचायत सामान्य या विशेष प्रस्ताव द्वारा यथा निर्देशित करे या इसके लिए बनाई गई नियमावली द्वारा सरकार विहित करे।

 

मुखिया के विरूध्द अविश्वास प्रस्ताव

मुखिया के विरूध्द अविश्वास प्रस्ताव निम्न प्रकार से लाया जा सकता है :-

प्रत्येक मुखिया द्वारा उसी समय से अपना पद रिक्त कर दिया गया मान लिया जाएगा, यदि विशेष तौर पर इस प्रयोजन से बुलाई गई बैठक में ग्राम पंचायत के कुल मतदाताओं की संख्या के साधारण बहुमत से उसमें विश्वास न रहने का प्रस्ताव पारित कर दिया जाए। ऐसी विशेष बैठक की अध्यपेक्षा ग्राम पंचायत की कुल मतदाता संख्या के कम-से-कम पंचमांश मतदाताओं के हस्ताक्षर से की जाएगी और वह जिला पंचायत राज पदाधिकारी को दी जाएगी। जिला पंचायत राज पदाधिकारी अध्यपेक्षा प्राप्त होने की तिथि से सात दिनों के अन्तर्गत किसी स्थान पर ग्राम पंचायत की विशेष बैठक बुलाएगा। बैठक का नोटिस जारी होने की तिथि के15 दिनों के भीतर बैठक आयोजित की जाएगी। बैठक की अध्यक्षता जिला पंचायत राज पदाधिकारी द्वारा की जायेगी।

परन्तु मुखिया की पदावधि के प्रथम दो वर्षों में ऐसा कोई अविश्वास प्रस्ताव उसके विरूध्द नहीं लाया जाएगा। परन्तु मुखिया के विरूध्द अविश्वास प्रस्ताव एक बार नामंजूर कर दिये जाने पर ऐसी नामंजूरी की तिथि से अगले एक वर्ष की कालावधि के भीतर कोई नया अवश्विास प्रस्ताव नहीं लाया जायेगा।

परन्तु यह और कि ग्राम पंचायत के कार्यकाल के अन्तिम छ: माह के दौरान मुखिया के विरूध्द कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जायेगा।

उप-मुखिया के विरूध्द अविश्वास प्रस्ताव

उप-मुखिया के विरूध्द अविश्वास प्रस्ताव निम्न प्रकार से लाया जा सकता है :-

प्रत्येक उप मुखिया द्वारा उसी समय से अपना पद रिक्त कर दिया गया मान लिया जाएगा, यदि विशेष तौर पर इस प्रयोजन से बुलाई गई बैठक में ग्राम पंचायत के कुल निर्वाचित सदस्यों एवं मुखिया की संख्या के साधारण बहुमत से उसमें विश्वास न रहने का प्रस्ताव पारित कर दिया जाए। ऐसी विशेष बैठक की अध्यपेक्षा ग्राम पंचायत के कुल निर्वाचित सदस्यों की संख्या के कम-से-कम एक तिहाई सदस्यों के हस्ताक्षर से मुखिया से की जाएगी और यह मुखिया को सुपुर्द कर दी जाएगी। अध्यपेक्षा प्राप्त होने के सात दिनों के भीतर मुखिया ग्राम पंचायत के कार्यालय में प्रस्ताव पर विचार हेतु ग्राम पंचायत की विशेष बैठक बुलाएगा तथा बैठक की अध्यक्षता भी करेगा।

परन्तु उप मुखिया की पदावधि के प्रथम दो वर्षों में ऐसा कोई अविश्वास प्रस्ताव उसके विरूध्द नहीं लाया जाएगा। परन्तु और कि उप मुखिया के विरूध्द अविश्वास प्रस्ताव एक बार नामंजूर कर दिये जाने पर ऐसी नामंजूरी की तिथि से अगले एक वर्ष की कालावधि के भीतर उप मुखिया के विरूध्द नया अवश्विास प्रस्ताव नहीं लाया जायेगा।

परन्तु यह और कि ग्राम पंचायत के कार्यकाल के अन्तिम छ: माह के दौरान उप मुखिया के विरूध्द कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जायेगा।

यदि मुखिया, उपमुखिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो और पारित न हुआ हो तो कितने समय बाद पुन: अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है?

यदि मुखिया, उपमुखिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो और पारित न हुआ हो तो ऐसी नामंजूरी की तिथि से अगले एक वर्ष की कालावधि के पश्चात् नया अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा।

पदच्युत करना व त्याग-पत्र देना

मुखिया, उपमुखिया किस प्रकार पदच्युत किया जा सकता है?

कोई मुखिया अथवा उप मुखिया बिना समुचित कारण के तीन लगातार बैठकों में अनुपस्थित रहें या जान बुझकर इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों एवं अपने  कर्तव्यों को करने से इन्कार या उपेक्षा करें या उसमें निहित शक्तियों के दुरूपयोग या अपने कर्तव्यों के निर्वहन में दुराचार का दोषी पाये जाए या अपने  कर्तव्यों का निर्वहन करने में शरीरिक या मानसिक तौर पर अक्षम होने या किसी आपराधिक मामले का अभियुक्त होने के चलते छ: माह से अधिक फरार हो जाने का दोषी हो तो सरकार ऐसे मुखिया या उप-मुखिया को स्पष्टीकरण हेतु समुचित अवसर प्रदान करने के उपरांत आदेश पारित कर उसके पद से पदच्युत कर सकती है।

ग्राम पंचायत के सदस्यों के त्याग-पत्र की क्या प्रक्रिया है?

ग्राम पंचायत का कोई सदस्य ग्राम पंचायत के मुखिया को स्वयं लिखकर अपनी सदस्यता से त्याग पत्र दे सकेगा और उसका पद ऐसे त्याग पत्र की तिथि से सात दिन बीतने पर रिक्त हो जाएगा, बशर्तें की उक्त सात दिन की अवधि के अंतर्गत वह मुखिया को स्वयं लिखकर अपना ऐसा त्याग-पत्र वापस न ले ले।

मुखिया एवं उप मुखिया का पद यदि एक साथ रिक्त हो जाए तो वहाँ कैसे काम होगा?

किसी ग्राम पंचायत में मुखिया या उपमुखिया का पद एक साथ रिक्त हो जाने या इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो जाने पर पंद्रह दिनों के अन्दर संबंधित पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी (बी0डी0ओ0) उपमुखिया के चुनाव हेतु बैठक बुलाएगा, जिसकी सूचना संबंधित ग्राम पंचायत के सभी ग्राम पंचायत सदस्यों को कम-से-कम सात दिन पहले दी जायेगी। ऐसी बैठक की अध्यक्षता संबंधित कार्यपालक पदाधिकारी करेगा परन्तु उसे मतदान का अधिकार नहीं होगा। मतों की बराबरी की स्थिति में परिणाम लॉटरी के द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

यदि मुखिया या उप-मुखिया अपने पद का त्याग करना चाहे, तब उसे क्या करना होगा?

मुखिया/ उप-मुखिया जिला पंचायत राज पदाधिकारी को स्वयं लिखकर, अपने पद से त्याग-पत्र दे सकेगा। प्रत्येक त्याग-पत्र, जिला पंचायत राज पदाधिकारी को उसकी प्राप्ति की तिथि से सात दिनों की समाप्ति पर प्रभावी हो जाएगा यदि सात दिनों की इस अवधि में वह जिला पंचायत राज पदाधिकारी को स्वयं लिखकर अपना त्याग-पत्र वापस न ले लें।

 

स्रोत: पंचायती राज विभाग, भारत व बिहार सरकार|

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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