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महाराष्ट्र राज्य के पंचायतों की सफल कहानियाँ भाग – 7

औढ़ा ग्राम पंचायत, जिला नासिक, महाराष्ट्र: अंगूर की खेती में आमूल परिवर्तन

नासिक अंगूरों के लिए प्रसिद्ध है और इसे ‘भारत की शराब की राजधानी’ के नाम से भी जाना जाता है | अत: यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि 1956 से ओंढ़ा ग्राम पंचायत में अंगूर की खेती प्राथमिक व्यवसाय रहा है | यह एक प्रमुख आर्थिक क्रियाकलाप है और ग्राम पंचायत में अधिकतर किसान इस पर बहुत ज्यादा निर्भर करते है | किसानों ने अंगूरों की खेती की विश्व स्तर की तकनीकों का मुकाबला किया है | अंगूर की खेती करने वाले किसान अपनी सफलता का श्रेय ग्राम पंचायत और ग्राम कार्यकर्ताओं के सक्रिय सहयोग और प्रेरणा को देते है | ग्राम पंचायत अंगूर की खेती करने वाले किसानों के कौशलों का उन्नयन करने के लिए सेमिनारों, संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का आयोजन करती है | हाल में ग्राम पंचायत के बैनर के तहत “द्रक्ष गुणवत्ता अभियान” आयोजित किया गया | “ओढ़ा विविध कार्यकारी सहकारी सोसाइटी” नामक एक सहकारी सोसाइटी ने नाम मात्र की ब्याज दरों पर जरूरत मंद किसानों को वित्तीय सहायता दी है | किसान अंगूरों की थोमसन सीडलेस, शरद सीडलेस, सोनाका वेरायटी उगा रहे है जो महाराष्ट्र के इस भाग के लिए अनूठी हैं | ये वेरायटियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत लोकप्रिय है और इनसे ग्राम पंचायत से अंगूरों से निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है | इस ग्राम पंचायत को विकास में मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है | हरियाणा, गुजरात के कृषि मंत्रियों और अंतर्राष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों ने इस मॉडल और खेती की तकनीकों का अध्ययन करने के लिए ग्राम पंचायत का दौरा किया है ताकि वे अपने क्षेत्रों में इन्हें अपना सकें |

यवली शहीद ग्राम पंचायत, जिला अमरावती, महाराष्ट्र: नई सोच से राजस्व संग्रहण

यवली शहीद, महाराष्ट्र के अमरावली जिले में एक बड़ा गाँव है | ग्राम पंचायत कर संग्रहण की समस्या से जूझ रही थी | ग्राम पंचायत ने समुदाय को करों को चुकाने के लिए मनाने का प्रयास किया | तथापि, भारी संख्या में ग्रामवासियों ने गृह कर, पानी कर, विकास कर आदि जैसे करों का भुगतान नहीं किया | करों के बकाया बढ़ रहे थे और विकास कार्य शुरू करना तो दूर की बात थी, ग्राम पंचायत को अपने दायित्व पूरा करने में लगातार कठिनाई आ रही थी | इस समस्या से निपटने के लिए ग्राम सेवक ने लोगों को करों की अपनी बकाया राशियों को चुकाने के लिए प्रेरित करने का नया तरीका सुझाया | उन्होंने सुझाव दिया कि ग्राम पंचायत एक लक्की ड्रा निकाले और उसमें आकर्षक ईनाम रखें | केवल वही व्यक्ति इस ड्रा में भाग लेने के पात्र होंगे, जिन्होंने अपने कर चूका दिए हो | इस ड्रा की घोषणा के बाद बहुत ही कम समय में 80 प्रतिशत बकाया राशियों को चुका दिया गया | पंचायत ने अपना वचन निभाया और रखे गए ईनाम वितरित कर दिए | परन्तु ग्राम पंचायत निधि से ईनामों की खरीद के लिए कोई पैसा नहीं लिया गया | इसके बजाय इस राशि का योगदान ग्राम पंचायत के सरपंच और अन्य सदस्यों ने किया जो प्रशंसनीय था और इससे पूरे गाँव को सराहना मिली |

स्रोत: भारत सरकार, पंचायती राज मंत्रालय

अंतिम बार संशोधित : 7/15/2019



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