इस स्कीम का उद्देश्य मानसिक रुप से विकलांग व्याक्तियों के माता-पिता के संघों को ऋण मुहैया कराना है जिससे मानसिक रुप से विकलांग व्यक्तियों के लाभार्था आय सृजन के क्रियाकलाप स्थापित किया जा सके। इस आय सृजन क्रियाकलाप की प्रकृति ऐसी होनी चाहिए जिसमे मानसिक रुप से विकलांग व्यक्ति प्रत्यक्ष रुप से इसमें शामिल होने चाहिए और आय ऐसे व्यक्तियों के बीच बराबर-बराबर बंटनी चाहिए। आय सृजन क्रियाकलाप का प्रबंधन माता-पिता संघ द्वारा किया जायेगा जो अपनी सेवाए स्वैच्छिक रुप से मुहैया कराएँगे।
क) ऐसे व्यक्तियों के माता-पिता के संघ कम से कम 3 वर्ष से पंजीकृत होने चाहिए।
ख) इसमे न्यूनतम 05 माता-पिताओं की सदस्यता होनी चाहिए ।
ग) कोई भी केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार, निजी उपक्रम के किसी अन्य वित्तीय संस्थान, बैंको आदि का वित्तीय बकायादार नहीं होना चाहिए।
1% की छूट सहायक पर विकलांग महिला के लिए ब्याज
प्रत्येक गैर-सरकारी संगठन के लिए ऋण प्रमात्रा 5.00 लाख रुपये तक सीमित है। गैर-सरकारी संगठन का शेयर परियोजना लागत का 5% होगा। गैर-सरकारी संगठन ऋण का उपयोग एकल अथवा बहुल क्रियाकलाप परियोजना के क्रियान्वयन में लगायेगी तथा जिसमें लाभभोगियों की अधिकतम सम्भव भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
ऋण धनराशि पर ब्याज निम्नलिखित अनुसार लिया जाएगा -
क) 50,000/-रुपये तक - 5 प्रतिशत प्रति वर्ष।
ख) 50,000/-रुपये से अधिक किन्तु 5.00 लाख से कम - 6 प्रतिशत प्रति वर्ष।
ब्याज सहित ऋण 10 वर्ष के भीतर बराबर तिमाही किश्तों में अदा की जाएगी।
स्कीम के अन्तर्गत गैर-सरकारी संगठन द्वारा ऋण आवेदन सीधे राष्ट्रीय विकलांग वित्त एवं विकास निगम को प्रस्तुत करना होगा। तथापि, गैर-सरकारी संगठन को अपनी प्रबंधन समिति/न्यास बोर्ड द्वारा इस संबंध में एक संकल्प पारित करवाना होगा। इसका प्रमाण आवेदन सहित भेजना अनिवार्य होगा।
स्रोत: भारत सरकार का नेशनल हैन्डीकैप्ड फाइनैंस एंड डेवलपमेंट कारपोरेशन, सामाजिक न्याय व अधिकारिकता मंत्रालय
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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