हाँ। कोई भी व्यक्ति जो जीएसटी अधिनियम(मों) के किसी आदेश या पारित किये गये निर्णय द्वारा पीड़ित है उसे धारा 107 के अंतर्गत अपील करने का अधिकार है। ऐसा आदेश या निर्णय “न्यायिक निर्णय प्राधिकरण” द्वारा पारित किया जाना चाहिए।
हालांकि, कुछ निर्णयों या आदेशों (जैसे धारा 121 में प्रदान किये अनुसार) अपील करने योग्य नहीं हैं।
पीड़ित व्यक्ति के लिये, आदेश और निर्णय की सूचना मिलने की तिथि के 3 महीने के भीतर समय सीमा तय की गई है। विभाग (राजस्व) के लिये, 6 महीने की समय सीमा निर्धारित की गई है जिसके भीतर समीक्षा कार्यवाही पूरी की जानी होगी और अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर की जाएगी ।
हाँ । वह अपील का आवेदन दायर करने के लिये उसकी निर्धारित 3/6 (3+1/6+1), महीने की अवधि के अंत से एक महीने तक देरी को क्षमा कर सकता है, बशर्त धारा 107(4) में किये प्रावधान के अनुसार “पर्याप्त कारण” निर्धारित किये जाने चाहिये।
हाँ। उसके पास अतिरिक्त आधार के लिये अनुमति प्रदान करने की शक्तियां प्राप्त हैं, यदि वह संतुष्ट हो जाता है कि की गई चूक जानबूझकर या अनुचित नहीं थी।
अपीलीय प्राधिकारी को सीजीएसटी और एसजीएसटी/ यूटीजीएसटी क्षेत्राधिकार के आयुक्त को एक प्रति के साथ अपीलकर्ता, प्रतिवादी और न्यायायिक प्राधिकरण को आदेश की प्रति संचारित करना आवश्यक होगा ।
कर, ब्याज, जुर्माना, फीस और रद्द आदेश से उत्पन्न दंड की सारी रकम, जिसे अपीलकर्ता द्वारा स्वीकार किया गया है और दायर की अपील से संबंधित विवादास्पद कर की बाकी राशि के 10 प्रतिशत समतुल्य होगी ।
नहीं, विभाग अपील प्राधिकरण को अधिक पूर्व जमा राशि के लिये आवेदन नहीं कर सकता है ।
उपरोक्त के अनुसार पूर्व-जमा की रकम जमा करने पर, शेष राशि की वसूली लंबित मान ली जाएगी, धारा 107(7) की शर्तों के अनुसार ।
अपील प्राधिकरण को किसी जब्ती के बदले फीस या दंड या जुर्माने में वृद्धि या प्रतिदाय या इनपुट टैक्स क्रेडिट की राशि को कम करने के लिए आदेश पारित कर सशक्त किया गया है, बशर्ते कि अपील करने वाले व्यक्ति को प्रस्तावित हानिकारक आदेश के विरूद्ध कारण बताओ प्रकटीकरण का उचित अवसर दिया गया है (धारा 107(11) का दूसरा प्रावधान)।
जहां तक कि शुल्क बढ़ाने या अनुचित तरीके से आईटीसी प्राप्त करने का संबंध है, अपील प्राधिकरण कवल प्रस्तावित आदेश क विरूद्ध अपील करने वाले व्यक्ति को एक विशिष्ट एससीएन देने के बाद ऐसा कर सकता है और वह आदेश धारा 73 या धारा 74 के अंतर्गत उल्लिखित निर्धारित समय सीमा के भीतर पारित किया जाना चाहिए (धारा 107(11) का दूसरा प्रावधान)।
नहीं। धारा 107(11) की विशिष्ट रूप से व्यक्त करती है कि अपील प्राधिकरण, कथित जांच पूरी करने के बाद जिस रूप में भी अनिवार्य हो सकता है, कथित आदेश पारित कर सकता है, जैसा भी वह न्यायसंगत और उचित समझता है, अपील के विरूद्ध निर्णय या आदेश को प्रमाणित, संशोधित या निरस्त कर सकता है, लेकिन किसी भी स्थिति में वह मामले को उस प्राधिकरण के पास वापस नहीं लौटायेगा जिसके द्वारा निर्णय या आदेश दिया है।
अधिनियम की धारा 2(99) “पुनरीक्षण प्राधिकरण” को इस अधिनियम के अंतर्गत निर्णय या धारा 108 में निर्दिष्ट आदेशों में संशोधन करने के लिये एक नियुक्त या अधिकृत प्राधिकरण के रूप में परिभाषित करती है। अधिनियम की धारा 108 कथित “पुनरीक्षण प्राधिकरण” को उसके अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा पारित किसी आदेश की मांग और निरीक्षण करने के लिये अधिकृत करती है और यदि किसी मामले में वह विचार करता है कि निचले प्राधिकरण द्वारा दिया गया आदेश गलत है जहां तक कि वह राजस्व के लिये नुकसानदेह है और अवैध या अनुचित है या कुछ सामग्री के तथ्यों को ध्यान में नहीं लिया गया है, बेशक वह कथित आदेश के जारी होने के समय पर उपलब्ध थे या नहीं या भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक को अवलोकन को परिणामस्वरूप, वह, यदि आवश्यक हो, नोटिस प्राप्त करने वाले व्यक्ति को उचित अवसर प्रदान करने के बाद आदेश को संशोधित कर सकता है।
हाँ । पुनरीक्षण प्राधिकरण कथित संशोधन के लंबित रहने तक अपने सहायक द्वारा पारित किसी आदेश पर रोक लगाया जा सकता है।
हाँ, "पुनरीक्षण प्राधिकरण” निम्न किसी भी आदेश में संशोधन नहीं करेगा यदिः (क) आदेश धारा 107 या धारा 112 या धारा 117 या धारा 118 की अंतर्गत अपील को अधीन है; या
(ख) धारा 107(2) के अंतर्गत निर्दिष्ट अवधि अभी तक समाप्त नहीं हुई है या निर्णय या आदेश पारित करने या भावी संशोधित आदेश के बाद तीन साल की अवधि समाप्त हो गई है।
(ग) धारा के अंतर्गत किसी भी प्रारंभिक चरण में संशोधन के लिये आदेश पहले से ही प्राप्त कर लिये गये हैं।
ऐसे मामलों में जहां अपील शामिल है –
पीड़ित व्यक्ति को अपील के विरूद्ध आदेश की प्राप्ति की तारीख से 3 महीने के भीतर न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर करना होगा। विभाग को समीक्षा कार्यवाही पूरी करनी होगी और संशोधन की अंतर्गत आदेश को पारित होने की तिथि की 6 महीने क भीतर अपील दायर करनी होगी।
हाँ, न्यायाधिकरण के पास 3/6 महीने के बाद अतिरिक्त बशर्त अपीलकर्ता द्वारा कथित देरी करने के लिये प्रयाप्त स्पष्टीकरण प्रकट किया गया है।
अपील की प्राप्ति की तारीख से 45 दिनों के भीतर।
हाँ, अधिनियम की धारा 115 के अनुसार, जहाँ अपीलकर्ता द्वारा धारा 107 की उपधारा (6) या धारा 112 की उपधारा (8) के अंतर्गत जमा राशि को अपील प्राधिकारी या अपील न्यायाधिकरण के किसी आदेश के परिणामस्वरूप् वापस करना अनिवार्य है, जैसा भी मामला हो सकता है, धारा 56 के अंतर्गत उस पर ब्याज उस प्रतिदाय/रिफड के संबंध में उसके भुगतान करने की तारीख तक देय होगा ।
न्यायाधिकरण की राज्य पीठ या क्षेत्रीय पीठों द्वारा पारित आदेश के विरूद्ध अपील उच्च न्यायालय में निहित होती है यदि उच्च न्यायालय इससे संतुष्ट हो जाता है कि कथित अपील में कानून की बड़ी प्राथमिकता शामिल है। (धारा 117(1)। हालांकि, यदि न्यायाधिकरण के राष्ट्रीय पीठ या क्षेत्रीय पीठ द्वारा पारित आदेश के मामले में उसकी सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में की जाएगी न कि उच्च न्यायालय में (अधिनियम की धारा 109(5) यदि किसी मामले में कोई मुद्दे में आपूर्ति के स्थान का संबंध है तब केवल
न्यायाधिकरण की राष्ट्रीय पीठ या क्षेत्रीय पीठ अपील पर निर्णय देगी।)
आदेश की प्राप्ति की तारीख से 180 दिन के भीतर, आदेश के विरुद्ध अपील दायर की जा सकती है। हालांकि, उच्च न्यायालय के समक्ष पर्याप्त कारण प्रकट करने पर आगे देरी को माफ करने की शक्ति प्राप्त है।
स्रोत: भारत सरकार का केंद्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड, राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय
अंतिम बार संशोधित : 2/20/2023
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