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मांग और वसूली

मांग और वसूली

  1. कम भुगतान या भुगतान नहीं करने या गलती से राशि वापस लौटाने या गलत तरीके से इनपुट कर क्रेडिट का लाभ उठाने या प्रयोग करने पर कर की वसूली के प्रयोजन के लिए क्या धारा लागू होती है?
  2. धारा 73 के अंतर्गत कारण बताओ नोटिस जारी होने के पूर्व, यदि व्यक्ति जिस पर कर आरोप्य हैं, राशि का ब्याज सहित भुगतान कर दे, तो ऐसी स्थिति में क्या होगा?
  3. यदि धारा 73 कने अंतर्गत नोटिस जारी करने की बाद नोटिस प्राप्तकर्ता ब्याज सहित भुगतान कर देता है, क्या ऐसे मामले में न्यायिक निर्णय की आवश्यकता है?
  4. कारण बताओ नोटिस जारी करने की प्रासंगिक तिथि क्या होगी?
  5. क्या मामलों को अधिनिर्णित करने की कोई समय-सीमा है?
  6. धोखाधड़ी/तथ्य छुपाना/जानबुझकर दिए गए गलत बयान के मामलों में कर-आरोपित किए गए किसी व्यक्ति को छूट-प्राप्त है जो, सूचना जारी होने से पूर्व माँग की राशि ब्याज सहित भुगतान कर देता है?
  7. यदि धारा 74 के अंतर्गत नोटिस जारी किया जाता है और नोटिस प्राप्तकर्ता भुगतान कर देता है, क्या इस मामले में किसी न्यायिक निर्णय की आवश्यकता है?
  8. यदि कोई नोटिस को धारा 74 के अन्तर्गत कर की पुष्टि एवं दंड के साथ अधिनिर्णित किया गया है, तो क्या नोटिसी के पास कम दंड भुगतान करने का कोई विकल्प है?
  9. ऐसे मामलों मे क्या होगा जहाँ धारा 73 एवं 74 के अंतर्गत नोटिस जारी कर दिया गया है पर उक्त धाराओं के अंतर्गत अधिनिर्णयन की निर्धारित अवधि के दौरान आदेश नही जारी किए गए हैं?
  10. जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से कर तो एकत्रित करता है लेकिन सरकारी खाते में जमा नहीं करता है तब उस स्थिति में क्या होता है ?
  11. किसी मामले में यदि कोई व्यक्ति धारा 76(1) के उल्लंघन में एकत्रित कर जमा नहीं करता, ऐसी स्थिति में उस पर क्या कार्रवाई की जा सकती है?
  12. धारा 76 के अन्तर्गत वसूले गए कर जिसका भुगतान सरकार को नही किया गया, के मामलों में नोटिस जारी करने की समय सीमा क्या है?
  13. सक्षम अधिकारी के पास कर की वसूली के क्या तरीके उपलब्ध हैं?
  14. क्या बकाया कर का भुगतान किश्तो में किया जा सकता है?
  15. ऐसे मामलों में क्या होता है जब अपील/संशोधन की कार्यवाही में कर की पुष्टि की गई मांग (कन्फर्म डिमांड) को बढ़ा दिया जाता है?
  16. यदि कोई व्यक्ति जो कर का भुगतान करने के लिये उत्तरदायी है और उसके कुछ निश्चित कर दायित्व हैं और इस बीच वह अपने व्यापार को किसी दूसरे व्यक्ति को स्थानान्तरित कर देता है, उसकी मौजूदा कर देयता के बारे में क्या होता है?
  17. जब एक कपनी (कराधीन व्यक्ति) दिवालिया हो जाती/जाता है तब देय कर की राशि का क्या होता है?
  18. कपनी के निदेशकों (कर आरोपित व्यक्ति) के क्या दायित्व हैं?
  19. देय कर के भुगतान के लिए साझेदारी प्रतिश्ठान (कराधीन व्यक्ति) के भागीदारों के क्या दायित्व हैं?
  20. एक कराधीन व्यक्ति की कर देयता का क्या होता है, जिसका व्यापार किसी अभिभावक/न्यासी या एक नाबालिग के एजेंट द्वारा किया जाता है?
  21. जब एक कराधीन व्यक्ति की संपत्ति वार्ड न्यायालय के नियंत्रण में आ जाती है तब क्या होता है?

कम भुगतान या भुगतान नहीं करने या गलती से राशि वापस लौटाने या गलत तरीके से इनपुट कर क्रेडिट का लाभ उठाने या प्रयोग करने पर कर की वसूली के प्रयोजन के लिए क्या धारा लागू होती है?

धारा 73 उन मामलों में जहां धोखाधड़ी/दमन/झूठे बयान आदि नहीं हैं और धारा 74 जहां धोखाधड़ी/दमन/झूठे बयान आदि तत्व पाए जाते हैं।

धारा 73 के अंतर्गत कारण बताओ नोटिस जारी होने के पूर्व, यदि व्यक्ति जिस पर कर आरोप्य हैं, राशि का ब्याज सहित भुगतान कर दे, तो ऐसी स्थिति में क्या होगा?

ऐसे मामलों में सभोचित अधिकारी द्वरा कारण बताओं नोटिस जारी नही किया जाएगा। {धारा 73 (6)}

यदि धारा 73 कने अंतर्गत नोटिस जारी करने की बाद नोटिस प्राप्तकर्ता ब्याज सहित भुगतान कर देता है, क्या ऐसे मामले में न्यायिक निर्णय की आवश्यकता है?

जहां एक व्यक्ति जिसे धारा 73 की उप-धारा (8) के अंतर्गत नोटिस जारी किया गया है, नोटिस जारी होने के 30 दिनों के भीतर ब्याज तथा कर का भुगतान कर देता है, उस पर कोई जुर्माना देय नहीं होगा और इस तरह के नोटिस के संबंध में सभी कार्यवाही पूरी हो गई हैं ऐसा मान लिया जाएगा ।

कारण बताओ नोटिस जारी करने की प्रासंगिक तिथि क्या होगी?

(i) धारा 73 के मामले में (धोखाधड़ी/तथ्य छुपाना/जानबूझकर दिए गलत बयानों के मामलों को छोडकर ) प्रासंगिक तिथि वार्षिक रिटर्न दायर करने की नियत तिथि से गिनी जाएगी, जिस वित्तीय वर्ण से माँग संबंधित हैं। कारण बताओं नोटिस को वार्षिक रिटर्न दायर करने के तीन वर्ष के भीतर अधिनिर्णित करना होगा । कारण बताओ नोटिस अधिनिर्णन की समय-सीमा से कम से कम तीन माह पूर्व जारी किया जाना आवश्यक है। धारा 73(2एवं10)}

(ii) धारा 74 के मामलें में (धोखाधड़ी / तथ्य छुपाना / जानबूझकर दिए गए गलत बयान) प्रासंगिक तिथि वार्षिक रिटर्न दायर करने की नियत तिथि से गिनी जाएगी, जिस वित्तीय वर्ष से वह माँग से संबंधित है । कारण बताओ नोटिस को वार्षिक रिटर्न दायर करने के पाँच वर्ष के भीतर अधिनिर्णित करना होगा । कारण बताओ नोटिस अधिनिर्णित की समय-सीमा से कम से कम छः माह पूर्व जारी किय जाना आवश्यक है। { धारा 74(2एवं10) }

क्या मामलों को अधिनिर्णित करने की कोई समय-सीमा है?

(i) (धारा 73 के मामले में (धोखाधड़ी / तथ्य छुपाना/ जानबूझकर दिए गए गलत बयान के मामलों को छोड़कर) मामलों को अधिनिर्णित करने की समय-सीमा माँग से संबंधित वित्तीय वर्ष की वार्षिक रिटर्न दायर करने की नियत तिथि से 3 वर्ष है। { धारा 73(10) }

(ii) धारा 74 के मामले में (धोखाधड़ी / तथ्य छुपाना / जानबुझकर दिए गए गलत बयान के मामले) अधिनिर्णित करने की समय-सीमा माँग से संबंधित वित्तीय वर्ष की वार्षिक रिटर्न दायर करने की नियत से 5 वर्ष है।{ धारा 74 (10) }

धोखाधड़ी/तथ्य छुपाना/जानबुझकर दिए गए गलत बयान के मामलों में कर-आरोपित किए गए किसी व्यक्ति को छूट-प्राप्त है जो, सूचना जारी होने से पूर्व माँग की राशि ब्याज सहित भुगतान कर देता है?

हाँ । कर-आरोपित व्यक्ति के पास स्वयं द्वारा निश्चित या यथोचित अधिकारी द्वारा निश्चित कुल कर का 15% कर की राशि ब्याज एवं दण्ड सहित भुगतान करने का विकल्प है, ओर ऐसे भुगतान पर, ऐसे भुगतान किए गए कर पर कोई नोटिस जारी नही किया जाएगा। { धारा 74(6) }

यदि धारा 74 के अंतर्गत नोटिस जारी किया जाता है और नोटिस प्राप्तकर्ता भुगतान कर देता है, क्या इस मामले में किसी न्यायिक निर्णय की आवश्यकता है?

जहाँ करदाता धारा 74 की उप-धारा (1) के अन्र्तगत ब्याज सहित कर के 25% समान दण्ड का भुगतान करता है, ऐसे नोटिस को समाप्त मान लिया जाएगा { धारा 74(8)}

यदि कोई नोटिस को धारा 74 के अन्तर्गत कर की पुष्टि एवं दंड के साथ अधिनिर्णित किया गया है, तो क्या नोटिसी के पास कम दंड भुगतान करने का कोई विकल्प है?

हाँ। यदि कोई व्यक्ति आदेश द्वारा निश्चित कुल कर के 50 कर का ब्याज एव दण्ड सहित भुगतान आदेश प्राप्ति के तीस दिनों के भीतर कर देता है तब उक्त कर के संबंध में सभी कार्यवाही समाप्त समझी जाएगी।{ धारा 74(11) }

ऐसे मामलों मे क्या होगा जहाँ धारा 73 एवं 74 के अंतर्गत नोटिस जारी कर दिया गया है पर उक्त धाराओं के अंतर्गत अधिनिर्णयन की निर्धारित अवधि के दौरान आदेश नही जारी किए गए हैं?

धारा 75(10) उक्त धाराओं के अंतर्गत निर्धारित समय-सीम में आदेश जारी न होने की स्थिति में अधिनिर्णमन कार्यवाही समाप्त समझे जाने की स्थिति उपलब्ध कराता है ।

जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से कर तो एकत्रित करता है लेकिन सरकारी खाते में जमा नहीं करता है तब उस स्थिति में क्या होता है ?

इस अधिनियम के अंतर्गत कर का प्रतिनिधित्व करने वाले किस व्यक्ति से वसूला गया कर सरकार को भुगतान किया जाना आवश्यक है। ऐसी किसी राशि, जिसका भुगतान न किया गया हो, यथोचित अधिकारी ऐसी राशि एवं दण्ड के बराबर राशि की वसूली हैतु कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है। { धारा 76 (1 एवं 2)}

किसी मामले में यदि कोई व्यक्ति धारा 76(1) के उल्लंघन में एकत्रित कर जमा नहीं करता, ऐसी स्थिति में उस पर क्या कार्रवाई की जा सकती है?

कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है, एवं ऐसा होने पर, ऐसे नोटिस के जारी होने की तिथि के एक वर्ष के भीतर नैसर्गिक न्याय सिद्धातों के अनुसरण में आदेश पारित किया जाना चाहिए। { धारा 76 (2 से 6)}

धारा 76 के अन्तर्गत वसूले गए कर जिसका भुगतान सरकार को नही किया गया, के मामलों में नोटिस जारी करने की समय सीमा क्या है?

कोई समय-सीमा नही है। ऐसे मामले पर पाए जाने पर बिना किसी समय-सीमा के नोटिस जारी किया जा सकता हैं ।

सक्षम अधिकारी के पास कर की वसूली के क्या तरीके उपलब्ध हैं?

यथोचित अधिकारी निम्नलिखित तरीके से देय राशि वसूल सकता :

क) ऐसे व्यक्ति को भुगतान किए जाने वाली राशि में से देय राशि काटकर ।

ख) ऐसे व्यक्ति से संबंधित किसी माल को रोककर या विक्रय कर के वसूली।

ग) किसी अन्य व्यक्ति से वसूली, जिससे राशि देय है या देय हो सकती है या ऐसे व्यक्ति से वसूली जिसने राशि रोककर रखी है या बाद में रख सकता है, जिसे केन्द्रीय या राज्य सरकार के खाते में जमा कराना है।

घ) ऐसें व्यक्ति से संबंधित किसी भी चल या अचल संपत्ति की जब्ती, जब तक कि भुगतान योग्य राशि का भुगतान न कर दिया जाए। यदि 30 दिनों के अंदर देय राशि का भुगतान नहीं किया गया तो, उक्त संपत्ति को बेचकर ऐसी बिक्री से प्राप्त राशि से देय राशि एंव विक्री खर्च वसूला जाए ।

ड़) जिला के कलेक्टर द्वारा, जिसमे ऐसे व्यक्ति की कोई संपति हो अथवा वह रहता हो या व्यापार करता हो, जैसी कि वह भूमि राजस्व का बकाया हो।

च) यथोचित मजिस्ट्रेट को आवेदन कर के, जो बदले में राशि वसूलेगें, जैसे कि वह उनके द्वारा लगाया गया काई दण्ड हो ।

छ) इस अधिनियम के अंतर्गत निष्पादित बाण्ड/इंस्ट्रमेन्ट को प्रवर्तन द्वारा ।

ज) सीजीएसटी बकाया को एसजीएसटी बकाया एवं इस के प्रतिकूल वसूला जा सकता है। { धारा 79(1,2,3,4) }

क्या बकाया कर का भुगतान किश्तो में किया जा सकता है?

ऐसा अनुरोध प्राप्त होने पर, आयुक्त/मुख्य आयुक्त धारा 50 के अन्र्तगत निश्चित सीमाओं एवं शतों सहित ब्याज के भुगतान की दशा में भुगतान की समय-सीमा बढा सकते हैं या अधिनियम के अंतर्गत ऐसे व्यक्ति द्वारा किसी रिटर्न में स्वत: निर्धारित दायित्व के अनुसार देय राशि के भुगतान मासिक किश्तों में करने को दे सकते है, जो 24 से ज्यादा न हो। फिर भी, नियत तिथि को किसी भी एक किश्त के भुगतान में कमी /देरी होने की स्थिति में, उस तिथि को कुल बकाया राशि देय हो जाएगी एवं किसी नोटिस के बिना वसूल ली जाएगी । { धारा 80}

ऐसे मामलों में क्या होता है जब अपील/संशोधन की कार्यवाही में कर की पुष्टि की गई मांग (कन्फर्म डिमांड) को बढ़ा दिया जाता है?

मांग का नोटिस कवल उस संबंध में किया जाना आवश्यक है जहां देय कर राशि में वृद्धि की जाती है। जहां तक कि राशि की पुष्टि अपील/संशोधन के निपटान से पहले ही हो गई है, तब कर वसूली की कार्यवाही उसी चरण से जारी हो सकती है जहां से कथित अपील/पुर्नविचार के निपटान करने से तुरन्त पहले हो चुकी थी। ( धारा 84 (क) )

यदि कोई व्यक्ति जो कर का भुगतान करने के लिये उत्तरदायी है और उसके कुछ निश्चित कर दायित्व हैं और इस बीच वह अपने व्यापार को किसी दूसरे व्यक्ति को स्थानान्तरित कर देता है, उसकी मौजूदा कर देयता के बारे में क्या होता है?

उस व्यक्ति द्वारा, जिसे व्यापार का अंतरण किया गया हो, संयुक्त एवं पृथक रूप से कर-आरोपित व्यक्ति से अंतरण के समय तक का कर, ब्याज एवं दण्ड देय होगा, भले ही ऐसा बकाया ऐसे अंतरण के पहले निश्चित कर लिए गए हों और भुगतान न किया गया हो या उसे बाद में निश्चित किया गया हो। { धारा 85 (1) }

जब एक कपनी (कराधीन व्यक्ति) दिवालिया हो जाती/जाता है तब देय कर की राशि का क्या होता है?

जब कोई कपनी परिसमाप्त हो गई हो, सभी नियुक्त परिसंपत्ति के प्राप्तकर्ता ( "लिक्यूडेटर") को इस नियुक्ति की सूचना 30 दिनों के अंदर आयुक्त को देंगे। ऐसी सूचना के प्राप्ति पर आयुक्त लिक्यूडेटर को तीन माह के भीतर कर दायित्व/बकाया को वसूल करने के लिए उपयुक्त राशि अधिसुचित कर सकते हैं। { धारा 88 (1,2) }

कपनी के निदेशकों (कर आरोपित व्यक्ति) के क्या दायित्व हैं?

जब कोई निजी कपनी परिसमाप्त होती है और कोई कर या अन्य बकाया ऋणमुक्ति के पहले या बाद में निश्चित किया गया हो, जिसकी वसूली नही हो पाई हो, प्रत्येक व्यक्ति जो उस अवधि में कपनी का निदेशक था जिसमें कर बकाया हुआ, संयुक्त अथव पृथक रूप से बकाया कर के भुगतान के लिए जिम्मेदार होगा, जब तक कि वह आयुक्त को संतुष्ट न कर दे कि ऐसी वसूली न होने का कारण उसकी तरफ से कपनी के कोई मामले के संबंध में कोई बडी उपेक्षा, गलतफहमी या कर्तव्यों के प्रति उल्लंघन नही हैं { धारा 88(3),89 }

देय कर के भुगतान के लिए साझेदारी प्रतिश्ठान (कराधीन व्यक्ति) के भागीदारों के क्या दायित्व हैं?

किसी भी प्रतिष्ठान के साझेदार संयुक्त और पृथक रूप से किसी भी कर, ब्याज या जुर्माने के भुगतान के लिए उत्तरदायी होंगे। प्रतिष्ठान/साझेदार साझेदारी अपने किसी भी साझेदार की सेवानिवृत्ति की सूचना आयुक्त को लिखित नोटिस के रूप में देंगे- इस सेवानिवृत्ति अवधि तक कर देयता, ब्याज या जुर्माने का उत्तरदायित्व कथित साझेदार पर होगा, चाहै वह उस तारीख को निर्धारित किया गया है या उसके बाद। यदि सेवानिवृति की तारीख के एक महीने के भीतर कोई सूचना नहीं दी गई, ऐसे साझेदार की देयता तारीख तब तक जारी रहैगी जब तक आयुक्त द्वारा कथित सूचना प्राप्त नहीं हो जाती। { धारा 90}

एक कराधीन व्यक्ति की कर देयता का क्या होता है, जिसका व्यापार किसी अभिभावक/न्यासी या एक नाबालिग के एजेंट द्वारा किया जाता है?

जहाँ एक कराधीन व्यक्ति के संबंध में उसके व्यवसाय का संचालन किसी अभिभावक/न्यासी/अव्यस्क या अन्य विवश/अक्षम व्यक्ति के एजेंट द्वारा कथित अव्यस्क/अक्षम व्यक्ति के लाभ के लिए या उसकी ओर से एक किया जाता है, तब ऐसे कर, ब्याज या जुर्माना ऐसे अभिभावक/न्यासी/ऐजेंट पर लगाया जाता है और उनसे वसूल किया जाएगा । { धारा 91}

जब एक कराधीन व्यक्ति की संपत्ति वार्ड न्यायालय के नियंत्रण में आ जाती है तब क्या होता है?

जब एक व्यवसाय के कराधीन स्वामी की संपत्ति जिसके संबंध में कर, ब्याज या जुर्माना देय हो वार्ड के न्यायालय/प्रशासक जनरल/ सरकारी न्यासी/रिसीवर या प्रबंधक जिसे न्यायालय द्वारा किसी आदेश के अंतर्गत नियुक्त किया गया है, तब ऐसे लगाये गये कर, ब्याज या जुर्माने को वार्ड के न्यायालय/प्रशासक जनरल/सरकारी न्यासी/रिसीवर या प्रबंधक से उस हद तक वसूल किया जाएगा जैसा कराधीन व्यक्ति पर निर्धारित किया और वसूल किया जाएगा।

स्रोत: भारत सरकार का केंद्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड, राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय

अंतिम बार संशोधित : 3/29/2023



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