मृदा एक जीवित माध्यम है, जो पौधों की वृद्धि के लिये आवश्यक पोषक तत्वों के प्राकृतिक स्त्रोत के रूप में कार्य करती है, जिसमें प्राथमिक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटेशियम, द्वितीयक तत्व जैसे सल्फर एवं सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, बोरॉन, लोहा, तांबा, मैंग्नीज, मालिब्डेनम आदि होते हैं। खनिज, जैविक पदार्थ, जल एवं वायु मृदा के घटक हैं। जिनकी मात्रा मृदा में घटती-बढती रहती है, उक्त सभी घटक मिलकर पौधों के वृद्धि के लिये आवश्यक तंत्र का निर्माण करते हैं। सघन खेती पद्धति, उन्नत प्रजाति के बीज, उर्वरकों के प्रयोग एवं उपयुक्त सिंचाई के कारण हाल के वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन में तो प्रभावी वृद्धि हुई है, परन्तु भूमि का उसकी क्षमता से अधिक दोहन होने के दुद्गप्रभाव मृदा उर्वरता स्तर में कमी, द्वितीय एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की बढ़ती हुई कमी, जीवांश कार्बन के स्तर में कमी एवं मृदा स्वास्थ्य में गिरावट के रूप में सामने आ रहे हैं। वर्तमान में भारतीय मृदाओं में प्राथमिक पोषक तत्वों नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटेशियम, द्वितीयक तत्व जैसे सल्फर एवं सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, बोरॉन, तांबा की कमी प्रदर्शित हो रही है। मृदा परीक्षण व जैविक खेती अपनाकर इस समस्या का निदान किया जा सकता है।
अतः मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन के लिये विभाग द्वारा जैविक खेती के प्रोत्साहन व मृदा परीक्षण कार्यक्रम पर विशेष बल दिया जा रहा है। जिसके अर्न्तगत मृदा परीक्षण, मृदा में मौजूद सूक्ष्म जीवों एवं कार्बनिक पदार्थो का संरक्षण, रसायनिक खादों एवं कृषि रक्षा रसायनों का न्यायोचित एवं संतुलित प्रयोग, जैव उर्वरकों एवं जैव कृषि रक्षा रसायनों के प्रयोग को प्रोत्साहन तथा जैविक खेती के प्रोत्साहन हेतु राज्य में निम्न कार्यक्रम/योजनायें क्रियान्वित की गयी/की जा रही हैं।
मृदा परीक्षण एक महत्वपूर्ण तकनीकी परामर्श सेवा का कार्यक्रम है जिसका मुख्य सिद्धान्त मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता को सरंक्षित रखते हुये अनवरत फसल उत्पादन प्राप्त करना है जो कि टिकाऊ (Sustainble) कृषि के लिये अति आवश्यक है।
मृदा परीक्षण के उद्देश्य
1. भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा ज्ञात करना।
2. फसल-विशेष की आवश्यकता एवं भूमि के गुणों के आधार पर उर्वरकों की सही मात्रा का निर्धारण।
3. भूमि परीक्षण के आधार पर क्षेत्र का मृदा उर्वरता मानचित्र तैयार करना एवं कृषकों का मार्गदर्शन करना।
4. समस्याग्रस्त भूमि हेतु मृदा सुधारकों की मात्रा का निर्धारण तथा समस्या के निराकरण हेतु प्राविधिक परामर्श देना।
5. सिंचाई हेतु प्रयोग किये जाने वाले जल की गुणवत्ता की जाँच करना।
6. सूक्ष्म पोषक तत्वों का स्तर ज्ञात करना तथा आवश्यक उर्वरकों के उपयोग पर सुझाव देना।
7. मृदा परीक्षण संस्तुतियों के आधार पर प्रदर्शन कराना तथा कृषकों को मृदा परीक्षण के लाभ से अवगत कराना।
राज्य में मृदा परीक्षण सुविधा
राज्य में मृदा परीक्षण हेतु सभी 13 जनपदों में मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित हैं। मुख्य पोषक तत्वों के विश्लेषण की सुविधा सभी प्रयोगशालाओं पर उपलब्ध है, जबकि सूक्ष्मपोषकतत्वों के विश्लेषण की सुविधा 05 प्रयोगशालाओं में उपलब्ध है, विवरण निम्नवत है-
क्र0सं० |
प्रयोगशाला |
परीक्षण सुविधा |
01 |
02 |
03 |
1 |
क्षेत्रीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, रुद्रपुर, ऊधम सिंह नगर |
पी0एच0, जीवांश कार्बन (उपलब्ध नाइट्रोजन), उपलब्ध फॉस्फोरस, उपलब्ध पोटास, द्वितीयक तत्व (गंधक) एवं सूक्ष्मपोषकतत्व (जस्ता, तांबा, लोहा, मैंग्नीज) |
2 |
जनपदीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, कठैतबाड़ा, बागेश्वर |
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3 |
जनपदीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, कोलीढेक लोहाघाट जिला चम्पावत |
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4 |
जनपदीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, निदेशालय परिसर,नंदा की चौकी,प्रेम नगर देहरादून |
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5 |
जनपदीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, कृषि प्रसार भवन,बहादराबाद,हरिद्वार |
उक्त 05 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त अन्य 08 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं में मुख्य पोषक तत्वों एवं द्वितीयक तत्व (गंधक) के विश्लेषण की सुविधा उपलब्ध है, विवरण निम्नवत् है-
क्र0सं० |
प्रयोगशाला |
परीक्षण सुविधा |
01 |
02 |
03 |
1 |
सहायक निदेशक, क्षेत्रीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, श्रीनगर, पौड़ी। |
पी0एच0, जीवांश कार्बन (उपलब्ध नाइट्रोजन), उपलब्ध फॉस्फोरस, उपलब्ध पोटास, द्वितीयक तत्व (गंधक) |
2 |
जनपदीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, रुद्रप्रयाग |
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3 |
जनपदीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला,गोपेश्वर, चमोली |
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4 |
जनपदीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, उत्तरकाशी |
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5 |
जनपदीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, नई टिहरी |
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6 |
जनपदीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, कोसी, अल्मोड़ा |
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7 |
जनपदीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, विकासखण्ड परिसर विण, पिथौरागढ़ |
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8. |
जनपदीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, नैनीताल स्थित विकास भवन परिसर भीमताल |
मृदा परीक्षण कार्यक्रम-
क्र0सं |
कार्यमद |
परीक्षण शुल्क |
योजनाओं का विवरण |
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01 |
02 |
03 |
04 |
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1 |
पी0एच0, प्राथमिक तत्व (जीवांश कार्बन, उपलब्ध फास्फोरस एवं उपलब्ध पोटाश) |
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2 |
द्वितीय तत्व (गन्धक) एवं सूक्ष्म तत्वों का विश्लेषण |
रु0 51.00 |
मृदा परीक्षण कार्यक्रम (राज्य सेक्टर) |
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3 |
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रु0 5.00 |
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4 |
कुल मृदा परीक्षण शुल्क (प्रति नमूना) |
रु0 63.00 |
उर्वरता मानचित्र-राज्य में प्रत्येक तीन वर्ष में जनपदवार, विकासखंडवार एवं न्यायपंचायतवार मृदा उर्वरता स्तर मानचित्र का संकलन किया जाता है। इस क्रम में वर्ष 2013-14 में विगत तीन वर्षों 2010-11 से 2012-13 तक विश्लेषक नमूनों के आधार पर मृदा उर्वरता स्तर मानचित्र का संकलन किया गया है, जिनका प्रदर्शन कृषकों को मृदा परीक्षण हेतु जागरूक करने के लिए न्यायपंचायत स्तर पर स्थापित कृषि निवेश केन्द्रों एवं कृषक गोष्ठियों में किया जा रहा है।
उक्त उर्वरता स्तर मानचित्रों को कृषि विभाग उत्तराखंड पर अपलोड किया गया है।
स्त्रोत- भारत सरकार का किसान पोर्टल
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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