कार्यक्षेत्र |
प्रदेश के 5 जिला- रायपुर, बालोद, रायगढ़, कोरिया एवं दंतेवाड़ा |
उद्देश्य |
राज्य में जैविक खेती द्वारा लागत में कमी एवं टिकाऊ उत्पादकता प्राप्त करना, प्रमाणित जैविक खेती को बढ़ावा देना, जैविक उत्पादन प्रणाली में कृषकों का क्षमता विकास। |
हितग्राही की पात्रता |
सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं। |
मिलने वाला लाभ |
(अ) नाडेप टांका लागत का 50 प्रतिशत् या रू. 4000/- जो भी कम हो। (ब) वर्मी कम्पोष्ट लागत का 50 प्रतिशत् या रू. 8000/- जो भी कम हो। |
कार्यक्षेत्र |
राज्य के समस्त जिले। |
उद्देश्य |
प्रदेश के कृषकों के खेतों के मिट्टी नमूनों की जांच कर मृदा स्वास्थ्य सुधार एवं संतुलित उर्वरक उपयोग हेतु सुझाव। |
विभागीय मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला |
स्थायी प्रयोगशाला :- जिला- रायपुर, धमतरी, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर, जांजगीर, जगदलपुर। |
चलित प्रयोगशाला :- जिला- कबीरधाम, कोरबा, कोरिया, कांकेर। |
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हितग्राही की पात्रता |
सभी श्रेणी के कृषक योजना में लाभान्वित किये जाते हैं। |
मिलने वाला लाभ |
शासन द्वारा मिट्टी परीक्षण (नत्रजन, स्फुर, पोटाश एवं पी.एच. की जांच) के लिये रू. 2/- एवं सूक्ष्म तत्वों की जांच हेतु रू. 25/- प्रति नमूना शुल्क निर्धारित किया गया है। |
स्त्रोत : किसान पोर्टल,भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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