झारखण्ड राज्य जिसका भौगोलिक क्षेत्र 79.714 वर्ग किलोमीटर है,तथा जनसंख्या2.69 करोड़ है, मुख्यतः एक ग्रामीण अर्थव्यवस्था है। यद्यपि यह राज्य वन एवं खनिज सम्पदा से सम्पन्न है परन्तु सुदृढ़ आधारभूत संरचना विकसित न होने के कारण केवल 20 प्रतिशत जनसंख्या ही उद्योग क्षेत्र पर निर्भर करती है एवं राज्य की लगभग 80 प्रतिशत आबादी कृषि संबंधी क्षेत्रों पर निर्भर रहकर अपना जीवन व्यतीत करती है।
झारखण्ड राज्य की 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है लेकिन यहां की कृषि पिछड़ी अवस्था में है एवं राज्य अपनी आवश्यकतानुसार अन्न उत्पादन नहीं कर पा रहा है। अन्न उत्पादन के मामले में इस राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है। यहां की भूमि असमतल एवं ढलुआ है। मिट्टी प्रायः अम्लीय प्रवृत्ति की है। वर्षा का जल ही दस राज्य का मुख्य जल स्त्रोत है। औसत वर्षा लगभग 1372 मि0मी0 है परन्तु यह चार मानसून महीनों में फैली रहती है तथा वर्षा की प्रकृति सामान्य नहीं रहती है। कुल सिंचित क्षेत्र मात्र 8-10 प्रतिशत है। लगभग 19 लाख हे0 कृषि भूमि भू-क्षरण से प्रभावित है। यहां के कृषक लगभग कृषि संसांधन विहीन हैं। छोटे आकार के खेत, प्राकृतिक वर्षा तथा पारिवारिक श्रम मात्र ही उनके पास उपलब्ध संसाधन है। उक्त सभी कारक मिलकर निम्न कृषि उत्पादकता स्तर, निम्न कृषि में विनियोग के निम्न स्तर एवं फलतः स्थिर कृषि अर्थव्यवस्था के कुचक्र को जन्म देते हैं।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि कृषि क्षेत्र, राज्य के भौतिक विकास का केंद्र बिन्दु है, खाद्यान्न उत्पादन के मामले में राज्य को आत्मनिर्भर बनाना कृषि विभाग कृत संकल्प है एवं इसी उद्देश्य की पूतिै के लिये राज्य में विभिन्न् कृषि कार्यक्रम चलाये जा रहे है। कृषि उत्पादन बढ़ाने हेतु उन्नत उपादान जैसे बीज, उर्वरक, उन्नत कृषि यंत्र अनुदानित दर पर तथा उन्नत तकनीक आदि किसानों तक पहुंचायी जा रही है। राज्य के साकाजिक एवं आर्थिक विकास हेतु योजना रणनीति इस तरह निर्धारित की जा रही है जिससे कृषि, उद्यान एवं अन्य कृषि संबंधी क्षेत्र का द्रुतगति से विकास संभव हो सके।
ज्ञातव्य है कि कृषि मूलतः प्रकृति पर निर्भर है। उत्पादन के दौरान किसानों को सुखाड़, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, असामयिक वर्षा, आदि प्राकृतिक आपदाअें का सामना करना पड़ता है। इस राज्य को हाल में ही गत खरीफ मौसम मे भयंकर सूखे का सामना करना पड़ा। इन विषम परिस्थितियों में भी हम अपने राज्य को कृषि उत्पादन के मामले में स्ववलंबी बनाना चाहते है। इस दिशा में कृषि विभाग से संबंधित योजनाओं का विवरण आपकी जानकारी हेतु प्रस्तुत है|
इस योजनान्तर्गत खरीफ मौसम में धान, मूँग, उरद, अरहर एवं अन्य फसल तथा रबी मौसम में मसूर, चना, सरसो एवं अन्य फसल का बीज झारखण्ड बीज नीति 2011 के आलोक में 50 प्रतिशत अनुदान पर 33 प्रतिशत एस आर आर लक्ष्य की प्राप्ति करने हेतु ससमय कृषकों को विक्रय किया जायेगा।
इस योजनान्तर्गत प्रस्तावित राशि के आलोक में विभिन्न योजनाओं का संचालन संकाय कृषि, भूमि संरक्षण, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य एवं अन्य हेतु प्रावधानित किया जाएगा। प्रस्तावित राशि के आलोक में राज्यस्तरीय स्वीकृति समिति से स्वीकृति प्राप्त कर योजनाओं का संचालन किया जाएगा।
प्रस्तावित योजनान्तर्गत सरकार के विभिन्न प्रक्षेत्रों में खरीफ एवं रबी मौसम में धान, मूँग, अरहर, उरद, मक्का, गेहूँ, सरसों, मसूर, चना इत्यादि फसलों का आधार से प्रमाणित बीज उत्पादन किया जाएगा। उपरोक्त बीजोत्पादन का कार्य लगभग 700-800 हे0 में किया जाएगा। उत्पादित प्रमाणित बीज का वितरण योजना वर्ष में सरकार द्वारा निर्धारित अनुदानित दर पर कृषकों के बीच विक्रय किया जायेगा जिससे आशातीत एस आर आर प्राप्त करने में सुविधा होगी। इस योजनान्तर्गत आधार बीज का क्रय विभिन्न संस्थाओं यथा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, एन.एस.सी., एस.एफ.सी.आई एवं अन्य खयाति प्राप्त एजेंसियों से किया जाएगा।
इस योजनान्तर्गत कुल रू0 150.00 लाख (एक करोड़ पचास लाख रूपये) मात्र राशि का प्रावधान वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु किया गया है। प्रस्तावित योजनान्तर्गत राज्यस्तर पर खरीफ एवं रबी में एक - एक कर्मशाला, जिला स्तर पर खरीफ एवं रबी में एक - एक कर्मशाला तथा इसी प्रकार राज्यस्तर/जिलास्तर/प्रखण्ड स्तर पर मेला का आयोजन प्रस्तावित है। इस योजना के कार्यान्वयन से प्राधिकारियों, कृषकों के बीच, कई तकनीकों का हस्तांतरण और कृषि में हो रहे नित्य नये विकास आदि से उन्हें ससमय परिचय कराया जाएगा ताकि ग्रामीण स्तर पर उसका प्रचार - प्रसार हो सके एवं लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।
इस योजनान्तर्गत कुल रू0 212.00 लाख (दो करोड़ बारह लाख रूपये) मात्र राशि का प्रस्ताव वर्ष 2012-13 हेतु किया गया है। इस योजनान्तर्गत प्रसार केन्द्र, हेहल स्थित पुराने भवनों का सुदृढ़ीकरण कार्य किया जायेगा तथा कार्यरत कर्मी यथा जन सेवक, प्रखंड कृषि पदाधिकारी तथा प्रगतिशील कृषकों का प्रशिक्षण कार्य कराया जाएगा। ताकि कृषि क्षेत्र में हो रहे नित्य नई तकनीकों की जानकारी लक्षित कृषकों को मिल सके। इस योजनान्तर्गत वर्ष प्रशिक्षण मद में कुल रू0 162.00 लाख मात्र राशि का प्रस्ताव है। इस योजनान्तर्गत वर्ष 2012-13 में नवचयनित जन सेवकों का छः महीने का प्रशिक्षण कार्यक्रम दिया जाएगा ताकि उन्हें पूर्ण रूप से प्रशिक्षित कर क्षेत्रों में कृषि कार्य किया जा सके।
इस योजनान्तर्गत कुल रू0 50.00 लाख (पचास लाख रूपये) मात्र राशि का प्रस्ताव वित्तीय वर्ष 2012-13 अन्तर्गत किया गया है। इस योजनान्तर्गत राज्य, जिला एवं प्रखण्ड स्तर पर वैसे कृषक जो कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य करेंगे, उन्हें राज्य, जिला एवं प्रखण्ड स्तरीय चयन कमिटी के द्वारा चयन किया जाएगा। इस संदर्भ में मुखयतः पारितोषिक योजना का कार्यक्रम कृषि क्षेत्र में नये प्रयोग जैसे द्वितीय हरित क्रांति से संबंधित कृषकों को विशेष प्राथमिकता दी जायेगी।
इस योजनान्तर्गत कृषि कार्ड का वितरण कृषकों के बीच किया जाएगा। इस कार्ड के वितरण से लाभुक कृषकों को बिना किसी कागजी खानापूर्ति के उपादानों का वितरण किया जा सकेगा। जिससे कृषक अनावश्यक भाग-दौड़ से बचेंगे।
इस योजनान्तर्गत कुल रू0 450.00 लाख (चार करोड़ पचास लाख रूपये) मात्र राशि का प्रस्ताव वित्तीय वर्ष 2012-13 अन्तर्गत किया गया था| इस योजनान्तर्गत राज्यस्तर पर समेति एवं जिला स्तर पर आत्मा कार्यालय हेतु वेतन एवं भत्ते, छपाई कार्य, मशीन एवं उपकरण, कार्यालय व्यय, यात्रा भत्ता आदि हेतु व्यय किया जाएगा।
इस योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु कुल रू0 100.00 लाख (एक करोड़ रूपये) मात्र राशि का प्रावधान किया गया था| इस योजनान्तर्गत राशि का व्यय वेतन, कार्यालय व्यय, वाहन हेतु ईंधन, मरम्मति, निर्माण तथा एजेंसी हेतु अनुदान पर व्यय किया जाएगा। इस एजेंसी के द्वारा राज्य में प्रजनक बीज से आधार बीज का उत्पादन एवं आधार बीज से उत्पादित किये गए प्रमाणित बीजों का प्रमाणीकरण कार्य किया जाएगा।
इस योजनान्तर्गत कुल रू0 500.00 लाख (पाँच करोड़ रूपये) मात्र राशि का प्रावधान वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु किया गया था। इस योजनान्तर्गत राज्य बीज निगम को चलाने हेतु अनुदान का प्रावधान किया गया है ताकि झारखण्ड राज्य को प्रत्येक वर्ष किसानों को विभिन्न फसलों का बीज अनुदान पर वितरण करने हेतु अन्य एजेंसियों पर निर्भर रहना पड़ता है। बीज निगम की स्थापना से विभिन्न फसलों का प्रमाणित बीज राज्य में हीं उपलब्ध हो पाएगा तथा अन्य एजेंसियों पर कम से कम निर्भर रहना पड़ेगा।
इस योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु कुल रू0 1500.00 लाख (पन्द्रह करोड़ रूपये) मात्र राशि का प्रावधान किया गया था| इस योजना के संदर्भ में वैसे जिलों में जहाँ आधारभूत संरचना का कार्य अभी तक नहीं हो पाया है, उन जिलों में समीक्षावार आधारभूत संरचना का निर्माण किया जाएगा। जिससे कृषि कार्य के उत्थान में सहयोग मिल सकेगा।
इस योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु कुल रू0 1000.00 लाख (दस करोड़ रूपये) मात्र राशि का प्रावधान रखा गया था| इस योजना के अन्तर्गत राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में के0भी0के0 के सुदृढ़ीकरण, प्रखण्ड स्तर पर कृषि प्रौद्योगिकी सूचना तंत्र की स्थापना तथा बीज परिक्षण प्रयोगशालाओं संबंधी कार्यक्रमों का कार्यान्वयन नाबार्ड एवं अन्य के सहयोग से किया जाएगा।
इस योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु कुल रू0 1560.00 लाख (पंद्रह करोड़ साठ लाख रूपये) मात्र राशि का प्रावधान था, जिसमें रू0 676.00 लाख (छः करोड़ छिहत्तर लाख रूपये) की राशि टी एस पी , रू0 572.00 लाख (पांच करोड़ बहत्तर लाख रूपये) की राशि ओ एस पी के लिए तथा एस सी एस पी के लिए रू0 312.00 लाख (तीन करोड़ बारह लाख रूपये) कर्णांकित है। इस योजनान्तर्गत राज्य एवं जिला स्तर पर कार्यरत कर्मियों का वेतन, कार्यालय व्यय, कृषक मित्र का वेतन, संकुल स्तर पर किये जाने वाले निर्माण कार्य एवं संकुलों के लिए अन्य प्रोत्साहन राशि लक्षित कृषकों को दिया जाएगा। इस योजनान्तर्गत विभिन्न स्तर पर प्रशिक्षण कार्य एवं कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। संकुल स्तर पर कृषक मित्र निर्णय लेकर वैसे निर्माण कार्य जो किसी कारणवद्गा अधुरी पड़ी है तथा थोड़ी सी राशि व्यय कर कृषि क्षेत्र में विकास ला सकता है, का निर्माण कार्य करेगी ताकि कृषि क्षेत्र में बढ़ावा मिल सकेगी।
इस योजना स्तर पर कुल रू0 150.00 लाख (एक करोड़ पचास लाख रूपये) मात्र का प्रावधान वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु प्रस्तावित था| इस योजना के कार्यान्वयन से वैसे जिले जहाँ उर्वरक प्रयोगशाला नहीं है, वहॅां प्राथमिकता के आधार पर स्थापना की जाएगी। ताकि उस क्षेत्र के कृषकों को उर्वरक आदि के जाँच में स्थानीय तौर पर ही प्रयोगशाला उपलब्ध हो सकेगी। जिससे फलाफल के रूप में उन्हें उर्वरकों की मानकता का ससमय पता चल सकेगा।
इस योजनन्तर्गत कुल रू0 50.00 लाख (पचास लाख रूपये) मात्र राशि का प्रावधान वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु किया गया था| इस योजनन्तर्गत राज्य स्तर पर स्थापित गुण नियंत्रण प्रयोगशालाओं का सुदृढ़ीकरण यथा केमिकल्स, उपकरण एवं ग्लासवेयर्स का क्रय तथा भवनों के रख रखाव हेतु राशि का व्यय तथा विभिन्न उपकरणों के क्रय पर व्यय किया जाएगा ताकि स्थापित प्रयोगशाला बिना व्यवधान के चलाया जा सके।
योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु कुल रू0 20.00 लाख (बीस लाख रूपये) मात्र राशि का प्रावधान था| इस योजनान्तर्गत एक काउंसिल की स्थापना की जाएगी जो कृषि के विभिन्न क्षेत्रों के विकास हेतु अपना मंतव्य देगी।
इस योजनान्तर्गत कुल रू0 200.00 लाख (दो करोड़ रूपये) मात्र राशि का प्रावधान वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु किया गया था। इस योजनान्तर्गत काउंसिल के निर्माण कार्य हेतु कंसल्टेंसी फीस आदि देने की व्यवस्था की जाएगी।
इस योजनान्तर्गत कुल रू0 20.00 लाख (बीस लाख रूपये) मात्र राशि का प्रावधान वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु किया गया था| इस योजनान्तर्गत माप-तौल हेतु विभिन्न प्रस्तावित उपकरण का क्रय किया जाएगा|
इस योजनान्तर्गत कुल रू0 1000.00 लाख (दस करोड़ रूपये) मात्र राशि का प्रावधान वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु किया गया था| इस योजनान्तर्गत खरीफ एवं रबी मौसम में उर्वरकों के अभाव से बचने हेतु पूर्व में ही उर्वरक का भंडारण कर लिया जाएगा ताकि ससमय कृषकों को उर्वरक उपलब्ध कराया जा सके।
इस योजनान्तर्गत कुल रू0 250.00 लाख (दो करोड़ पचास लाख रूपये) मात्र राशि का प्रावधान वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु किया था| इस योजनान्तर्गत 50 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार द्वारा तथा 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा प्रावधानित किया जाता है। प्रावधानित राशि से खरीफ एवं रबी मौसम में प्रस्तावित विभिन्न फसलों का वेदर बेस्ड इंसुयोरेंस इच्छुक कृषकों को किया जाएगा तथा कृषकों के द्वारा देय प्रीमियम पर भारत सरकार के अनुशंसा पर अनुदान राशि दिया जाएगा।
स्रोत: कृषि व गन्ना विकास, झारखण्ड सरकार|
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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