देश में जैविक खेती के कुल रकबे का लगभग 40 प्रतिशत मध्यप्रदेश में है। अतः उत्पादन तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश, पूरे देश में पहले स्थान पर है। वर्ष 2011 में प्रदेश की अपनी जैविक कृषि नीति बनाई गई है। जैविक खेती विकास के संबंध में निर्णय लेने के जैविक खेती विकास परिषद का गठन प्रदेश के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनाया गया है। किसानों को जैविक कृषि पद्धति अपनाने के लिये कई सुविधाएं प्रदेश में दी जा रहीं हैं तथा उत्पादों के लाभकारी विपणन के लिये जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण की व्यवस्था है, जिसमें पंजीयन कराने के लिये भी निर्धारित शुल्क में राज्य सरकार द्वारा छूट व अनुदान दिये जाते हैं।
समन्वित पोषक तत्व प्रबन्धन एवं उर्वरकों के संतुलित व समन्वित उपयोग द्वारा भूमि के स्वास्थ्य को बनाये रखते हुए दीर्घकाल तक टिकाऊ उत्पादन प्राप्त करना इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य है। इसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण राज्य है। समस्त श्रेणी के कृषक इन सुविधाओं के लिये पात्रता रखते हैं।
क्र किसानों को क्या लाभ है कितनी सहायता दी जाती है
1 आर्गेनिक फार्म फील्ड स्कूल रू. 1700 प्रति एफएफएस |
2 एक दिवसीय जैविक कार्यशाला के लिये रूपये 3 लाख मात्र |
3 राज्य के अन्दर कृषक भ्रमण/प्रशिक्षण 30 किसानों के लिये कुल रू. 90 हजार प्रत्येक |
भ्रमण/प्रशिक्षण |
4 भ्रमण राज्य स्तर 30 किसानों के लिये राज्य के बाहर कृषक प्रशिक्षण/ |
भ्रमण के लिये रू. 1.80 लाख प्रत्येक प्रद्गिा./भ्रमण |
5 एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण जिला स्तर पर एक दिवसीय 30 कृषकों के प्रशिक्षण हेतु रूपये 10000 |
का प्रावधान |
6 वर्मीकम्पोस्ट वर्मी कम्पोस्ट निर्माण पर लागत का 50 प्रतिशत |
अधिकतम रू. 3000 जो भी कम हो |
7 जैव कीटनाशक लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम रू. 500 |
8 जैव उर्वरक/हार्मोन्स लागत का 50 प्रतिशत, अधिकतम रू. 500 |
1 आर्गेनिक फार्म फील्ड स्कूल रू. 1700 प्रति एफएफएस |
2 एक दिवसीय जैविक कार्यशाला एक दिवसीय कार्यशाला के लिये रूपये 3 लाख मात्र |
3 राज्य के अन्दर कृषक भ्रमण/प्रशिक्षण 30 किसानों के लिये कुल रू. 90 हजार प्रत्येक |
भ्रमण/प्रशिक्षण |
4 भ्रमण राज्य स्तर 30 किसानों के लिये राज्य के बाहर कृषक प्रशिक्षण/ |
भ्रमण के लिये रू. 1.80 लाख प्रत्येक प्रति/भ्रमण |
मध्यप्रदेश में जैविक प्रमाणीकरण संस्था राज्य के किसानों का जैविक कृषि उत्पादन प्रमाणीकृत करने के लिये कार्यरत है। इसका मुख्य उद्देश्य जैविक उत्पादों का राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के मानकों के अनुरूप प्रमाणीकरण करना है।
स्त्रोत : किसान पोर्टल,भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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