उत्तम गुणवत्ता के बीजों को उपलब्ध कराने के लिये मध्यप्रदेश में सीड रोलिंग प्लान बनाया गया है। विभाग द्वारा सभी फसलों की बीज प्रतिस्थापन दर बढ़ाने के लिये निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं जिसके कारण प्रमाणित बीजों की मांग प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है। नवीन किस्मों के विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रमाणित बीज के उत्पादन और वितरण में प्रदेश का स्थान देश में सर्वोच्च क्रम पर है। प्रदेश के आर्थिक रूप से पिछड़े अनुसूचित जाति एवं जन जाति के किसान अपने अल्प उत्पादक बीजों के स्थान पर नई किस्मों के उन्नत बीज क्रय कर सकें इस हेतु राज्य शासन द्वारा दो प्रमुख योजनाएं अन्नपूर्णा एवं सूरजधारा संचालित की जा रही हैं। अन्नपूर्णा योजना में अनाज के बीज तथा सूरजधारा योजनान्तर्गत दलहन व तिलहन बीजों के उन्नत बीज किसानों को दिये जाते हैं।
योजना का लाभ किसे
योजना सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में प्रचलित है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लघु एवं सीमांत कृषक जो विपुल उत्पादन देने वाली खाद्यान्न फसलों की उन्नत किस्मों के बीज क्रय करने मे असमर्थ होते हैं, ऐसे कृषकों को उन्नत बीज उपलब्ध कराये जाते हैं, जिससे उत्पादकता एवं उत्पादन बढ़ाकर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सके।
किस तरह के लाभ हैं
कृषक द्वारा दिये गये अलाभकारी फसलों के बीज के बदले 1 हैक्टर की सीमा तक खाद्यान्न फसलों के उन्नत एवं संकर बीज प्रदाय किये जाते हैं। प्रदाय बीज पर 75 प्रतिशत अनुदान, अधिकतम रू. 1500/- की पात्रता होती है। कृषक के पास बीज उपलब्ध नहीं होने पर प्रदाय बीज की 25 प्रतिशत नगद राशि कृषक को देनी होती है।
बीज स्वावलम्बन :- कृषकों की धारित कृषि भूमि के 1/10 क्षेत्र के लिये आधार/प्रमाणित बीज, 75 प्रतिशत अनुदान पर प्रदाय।
शासकीय कृषि प्रक्षेत्रों की 10 किलोमीटर की परिधि में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के लघु एवं सीमांत कृषकों के खेतों पर कम से कम आधा एकड़ क्षेत्र में बीज उत्पादन कार्यक्रम लिये जाते हैं। कृषकों को आधार /प्रमाणित -1 श्रेणी का बीज 75 प्रतिशत अनुदान पर प्रदाय किया जाता है। अधिकतम 1 हैक्टर तक अनुदान की पात्रता होती है। पंजीयन हेतु प्रमाणीकरण संस्था को देय राशि का भुगतान योजना मद से किया जाता है। उत्पादित प्रमाणित बीज, आगामी वर्ष में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कृषकों को निर्धारित कीमत पर वितरण किया जाता है।
योजना का लाभ किसे
यह योजना भी सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में प्रचलित है। इसका उद्देद्गय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लघु एवं सीमांत कृषकों को अलाभकारी फसलों/किस्मों के स्थान पर लाभकारी दलहनी/तिलहनी फसलों के उन्नत एवं विपुल उत्पादन देने वाली किस्मों के बीज उपलब्ध कराना है।
क्या लाभ मिलेगा-
बीज अदला बदली -
कृषकों द्वारा दिये गये अलाभकारी बीज के बदले में लाभकारी दलहनी/तिलहनी फसलों के उन्नत बीज 1 हैक्टर की सीमा तक प्रदाय किये जाते हैं। कृषकों द्वारा दिये गये बीज के बराबर उसी फसल का उन्नत बीज (1 हैक्टर सीमा तक) प्रदाय किया जावेगा। अन्य फसल का बीज चाहने पर, प्रमाणित बीज की वास्तविक कीमत का 25 प्रतिशत मूल्य का बीज अथवा नगद राशि कृषक को देनी होगी।
बीज स्वावलम्बन -
कृषक की धारित कृषि भूमि के 1/10 क्षेत्र के लिये आधार/ प्रमाणित बीज, 75 प्रतिशत अनुदान पर दिया जाएगा।
बीज स्वावलम्बन -
कृषक की धारित कृषि भूमि के 1/10 क्षेत्र के लिये आधार/ प्रमाणित बीज, 75 प्रतिशत अनुदान पर दिया जाएगा।
स्त्रोत : किसान पोर्टल,भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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