भूमिका
राज्य में मत्स्योद्योग के विकास हेतु अनेक कल्याणकारी योजनायें क्रियान्वित हैं जिसके तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचितजनजाति के कृषकों के साथसाथ सभी वर्गो के मछुओ को तकनीकी मार्गदर्शन एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है जिसका विवरण निम्नानुसार हैः
राज्य की योजनाएं
निजी क्षेत्र में मत्स्य बीज संवर्धन हेतु अनुदान योजना
योजना का उद्देश्य
मत्स्य पालकों को मत्स्य बीज उत्तम गुणवत्ता का स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराना।
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
सम्पूर्ण प्रदेश
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
- हितग्राही अपनी भूमि के नक्शा खसरा की नकल सहित जिले के सहायक संचालक मत्स्योधोग को निर्धारित प्रपत्र में आवेदन प्रस्तुत करेगा। जिला मत्स्योधोग अधिकारी द्वारा भूमि का निरीक्षण कर मिटटी का परीक्षण करवाया जायेगा एवं उपयुक्त पाये जाने पर हितग्राही का ऋण प्रकरण बना कर स्वीकृति हेतु बैंक को प्रेषित किया जायेगा ।
- बैंक द्वारा ऋण स्वीकृत होने पर बैंक की मांग के आधार पर बैंक एण्डेड सबिसडी बैंक को उपलब्ध करार्इ जायेगी ।
- विभाग के जिला अधिकारी द्वारा अधोसंरचना का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर एवं हितग्राही द्वारा आवेदन करने पर अनुदान राशि वितरित की जायेगी ।
हितग्राही की अर्हताएं
सभी वर्ग के भूस्वामी योजना के हितग्राही हो सकते है।
अनुदान राशि
50 प्रतिशत अनुदान पर उक्त योजना क्रियानिवत की जा रही है। (न्यूनतम 0.5 हैक्टेयर एवं अधिकतम 5.00 हैक्टेयर जलक्षेत्र)
अन्य जानकारी
उक्त योजना वर्ष 201011 से प्रदेश के समस्त जिलों में संचालित की जा रही है।
मत्स्य विक्रय को बढावा देने हेतु मत्स्य बाज़ार निर्माण योजना
योजना का उद्देश्य
ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में सुव्यवस्थित मत्स्य विपणन एवं उत्तम गुणवत्ता की मछली उपलब्ध कराना।
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
सम्पूर्ण प्रदेश
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
- मत्स्योधोग विभाग के अधिकारी द्वारा हाट बाजार में प्रतिदिवस बिक्री होने वाली मछली का आकंलन किया जाएगा।
- चयनित स्थल पर बाजार निर्माण हेतु प्लान एवं प्राक्कलन स्थानीय निकाय के द्वारा मत्स्योधोग विभाग के अधिकारियों की सहमति से तैयार किया जाएगा।
- निर्मित प्लान एवं प्राक्कलन के अनुसार राशि स्थानीय निकाय को प्रदाय कर बाजार का निर्माण कराया जाएगा।
- निर्मित बाजारों में दुकानों का आवंटन स्थानीय निकाय एवं मत्स्योधोग विभाग की सहमति से किया जाएगा।
- दुकानों का प्रबंध एवं सुधार कार्य का दायित्व भी स्थानीय निकाय का होगा।
अनुदान राशि
शतप्रतिशत अनुदान से मत्स्य बाजारों का निर्माण किया जाता है।
अन्य जानकारी
उक्त योजना वर्ष 2012 से प्रदेश के समस्त जिलों में संचालित की जा रही है।
शिक्षण प्रशिक्षण (मछुआरों का प्रशिक्षण)
योजना का उद्देश्य
सभी श्रेणी के मछुओं को मछली पालन की तकनीकी एवं मछली पकड़ने, जाल बुनने, सुधारने एवं नाव चलाने का प्रशिक्षण, मत्स्यबीज उत्पादन संवर्धन कार्य |
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
- प्रत्येक प्रशिक्षणार्थियों को उनके निवास स्थान से प्रशिक्षण केन्द्र तक आने जाने का एक बार का वास्तविक किराया या अधिकतम राशि रू. 100 एवं रू. 750 की छात्रवृत्ति दी जाती है ।
- जाल बुनने के लिए रू. 400 मूल्य का नायलान धागा भी नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है ।
- प्रति प्रशिक्षणार्थी रू. 1250 का व्यय किया जाता है यह योजना प्रदेश के सभी जिलों में संचालित है ।
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
चयन किए गए मछुआरों को जिले में स्थित मत्स्योत्पादन मत्स्यबीज उत्पादन केन्द्रों पर विभाग के अधिकारियों द्वारा सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाता है । जिला पंचायत की अध्यक्षता में गठित समिति जिसमें 2 नामांकित अशासकीय सदस्य तथा सहायक संचालक मत्स्योधोग होते हैं, द्वारा मछुआरों का चयन किया जाता है जिसमें विभाग द्वारा 15 दिवसीय मत्स्य पालन प्रशिक्षण दिया जाता है ।
हितग्राही की अर्हताएं
मछुआ सहकारी समितियों के सक्रिय सदस्यस्व सहायता समूह के सदस्य मत्स्य कृषक विकास अभिकरण का हितग्राही मत्स्यबीज उत्पादक संवर्धनकर्ता, मत्स्य पालन गतिविधियों में संलग्न व्यकित, तालाब जलाशय पटटे पर लेकर मत्स्य पालन करने वाला हितग्राही ।
प्रशिक्षण अवधि
15 दिवस
अनुदान राशि
प्रति प्रशिक्षणार्थी रू. 1250 का प्रावधान है ।
ग्रामीण तालाबों में मत्स्य आहार प्रबंधन योजना
योजना का उद्देश्य
ग्रामीण तालाबो की मत्स्य उत्पादकता वृद्धि हेतु फारमुलेटेड फ्लोटिंग या नान फ्लोटिंग फीड (परिपूरक मत्स्य आहार) के उपयोग एवं महत्व से अवगत कराये जाने के उददेश्य से योजना प्रस्तावित है |
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
प्रदेश के समस्त जिलों में क्रियाविन्त हैं।
हितग्राही की अर्हताएं
निम्नानुसार अर्हाताऐं प्राप्त हितग्राही योजना के तहत सम्मलित होगे,
एकल हितग्राही,समूह में प्राप्त ग्रामीण तालाब के हितग्राही,
जाति एवं प्राथमिकता बंधन नहीं,
ग्रामीण तालाब की पात्रता
- पानी की उपलब्घता के आधार पर ग्रामीण तालाबों की पात्रता समस्त बारहमासी ग्रामीण तालाब, समस्त लांग सीजनल ग्रामीण तालाब, जिसमें माह अप्रैल के पश्चात तक अनिर्वायता पानी रहता हो |
- स्वामित्व के आधार पर ग्रामीण तालाबों की पात्रता ग्राम पंचायत स्वामित्व के समस्त ग्रामीण तालाब,
- मत्स्य कृषक विकास अभिकरण योजना के तहत निर्मित तालाब,
- मीनाक्षी योजना के तहत मत्स्य पालन हेतु निर्मित तालाब,
- अन्य विभागीय योजना के तहत निर्मित तालाब, जिसमें मत्स्योधोग विभाग की योजनाओं एवं मार्गदर्शन के तहत मत्स्य पालन कार्य किया जा रहा हो,
- निजी क्षेत्र के तालाब, जिसमें मत्स्योधोग विभाग की योजनाओं एवं मार्गदर्शन के तहत मत्स्य पालन कार्य किया जा रहा हो,
- समस्त सिंचार्इ जलाशय एवं शार्ट सीजनल ग्रामीण तालाब जिनमें माह अप्रैल के पूर्व पानी सूख जाता है, इस योजना में सम्मिलित नहीं होगें,
जलक्षेत्र के आधार पर ग्रामीण तालाबों की पात्रता
- बारहमासी ग्रामीण तालाब
- न्यूनतम 0.2 हे. जलक्षेत्र के छोटे ग्रामीण तालाब योजना में सम्मिलित नहीं होगें,
- अधिकतम 10.00 हे. जलक्षेत्र से बडे़ ग्रामीण तालाब योजना में सम्मिलित नहीं होग,
- बारहमासी तालाबों को चयन में प्राथमिकता दी जाये ,
- लांग सीजनल ग्रामीण तालाब
- न्यूनतम 0.4 हे0 जलक्षेत्र के छोटे ग्रामीण तालाब योजना में सम्मिलित नहीं होगें |
- अधिकतम 5.0 हे0 जलक्षेत्र से बडे ग्रामीण तालाब योजना में सम्मिलित नहीं होगें।
प्रशिक्षण अवधि
- चयनित हितग्राही को एक दिवसीय प्रथम प्रशिक्षण मत्स्य आहार उपयोग प्रारम्भ करने के पूर्व दिया जायेगा , जिसमें मत्स्य आहार के उपयोग के बारे में जानकारी दी जायेगी।
- द्वितीय प्रशिक्षण (प्री हार्वेस्टिंग ट्रेनिंग) मत्स्य आहार उपयोग के दौरान दी जायेगी , जिसमें कार्बनिक, अकार्बनिक खाद के उपयोग के साथसाथ मत्स्य आहार के उपयोग से मछली की बढ़वार आदि के बारे में संबधित मतस्य कृषक के साथ अन्य मत्स्य कृषकों केा भी प्रशिक्षण दिया जायेगा ।
- तृतीय प्रशिक्षण, (पोस्ट हार्वेस्टिंग ट्रेनिंग) आसपास के मत्स्य कृषकों के समक्ष जाल चलाकर मछली की बढ़वार आदि के बारे में प्रशिक्षण दिया जायेगा ।
- विकास खण्ड स्तर पर पदस्थ विभागीय अधिकारी का दायित्व होगा कि वह मत्स्य आहार के उपयोग के संबंध में आवश्यक तकनीकी मार्गदर्शन देवे तथा मत्स्य आहार का उपयोग सुनिश्चित करावे,
- मत्स्य आहार की गतिविधि प्रारंभ होने पर संबंधित विकास खण्ड में पदस्थ विभागीय अधिकारी समय समय पर हितग्राही को तकनीकी मार्गदर्शन उपलब्घ करायेगे|
अनुदान राशि
''मत्स्य आहार'' के रूप में प्रदान की जाती हैं जिसमें:
योजना इकार्इ लागत का 90 प्रतिशत अर्थात रू. 45,000प्रति हे. की दर से हितग्राहियों को वित्तीय सहायता ,अनुदान केवल एक बार देय।
योजना इकार्इ लागत का 10 प्रतिशत ,अर्थात रू. 5,000 प्रति हे0 की दर से हतग्राहियों द्वारा वहन किया जायेगा । कुल रू. 50,000 का मत्स्य आहार जिला कार्यालय एमी.एग्रो से देय होगा।
अन्य जानकारी
हितग्राही को यह भी सहमति पत्र देना अनिवार्य होगा, कि वह चयनित होने पर हितग्राही अपने हिस्से की 10 प्रतिशत राशि का बैंक ड्राफ्ट जमा करेगा। विभागीय जिला अधिकारी चयनित हितग्राही को यह भी निर्देशित करेगें कि हितग्राही द्वारा देय 10 प्रतिशत की राशि का बैंक ड्राफ्ट जो एम.पी.एग्रो में देय होगा शीघ्र प्रस्तुत करेगें।
योजना का उद्देश्य
मत्स्यपालन, मत्स्यबीज उत्पादन,एवं महासंध के जलाशयों में मत्सयाखेट करने वाले मछुओं को कार्यशील पूंजी हेतु अल्पावधि ऋण उपलब्ध कराना ।
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
सम्पूर्ण म.प्र.(सहकारी बैंको के माध्यम से)
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
हितग्राही संबंधित विकास खण्ड तहसील स्तर पर पदस्थ सहायक मत्स्य अधिकारी मत्स्य निरीक्षक तथा संबंधित जिले के सहायक संचालक मत्स्योधोग से सम्पर्क कर अपना आवेदन प्रस्तुत करेगा। चयन किये गये हितग्राहियों का जिला अधिकारी द्वारा प्रस्ताव तैयार कर सहकारी बैंकों को क्रेडिट कार्ड बनाने हेतु भेजा जायेगा , म.प्र. राज्य सहकारी बैंक मर्यादित भोपाल (शीर्ष बैंक) के द्वारा ब्याज अन्तर अनुदान राशि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित को उपलब्ध करायी जायेगी । जिससे जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों की शाखाओं के माध्यम से मत्स्य कृषकों के खातों में ब्याज अनुदान समायोजित किया जायेगा।
हितग्राही की अर्हताएं
प्रदेश की मत्स्य पालन की नवीन नीति अनुसार त्रिस्तरीय पंचायतों के अधीन पटटे पर उपलब्ध कराये गये सिंचार्इ जलाशयों तथा ग्रामीण तालाबों के विभिन्न पटटा धारक मत्स्य कृषक, मत्स्योधोग सहकारी समितियों, स्व सहायता समूहों के सदस्य, मौसमी तालाबों में मत्स्य बीज संवर्धन का कार्य करने वाले तथा मत्स्य महासंध के अधिनस्थ जलाशयों में मत्स्याखेट का कार्य करने वाले मछुआरें पात्र हितग्राही होगें । पटटा धारक मत्स्य कृषक गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करता हो,विभागीय तकनीकी मार्गदर्शन में मत्स्यपालन का व्यवसाय कर रहा हो तथा बैंक का डिफाल्टर न हो ।
ऋण राशि
''0'' प्रतिशत ब्याज दर पर सहकारी बैंकों के माध्यम से कार्यशील पूंजी हेतु अल्पावधि ऋण निम्न योजनाओं हेतु उपलब्ध करवाया जाता हैं।
विभागीय योजना
- ग्रामीण तालाबों में मत्स्य पालन हेतु: रूपये 18300प्रति हे.
- सिंचार्इ तालाबों में मत्स्य पालन हेतु: रूपये 2000प्रति हे.
- मौसमी तालाबों में स्पान संवर्धन कर मत्स्य बीज उत्पादन हेतु:रूपये 23000प्रति 0.25 हे.
महासंघ की योजना
- महासंघ के जलाशयों में मत्स्याखेट हेतु नाव क्रयकरण हेतु :रूपये 10000/ प्रति व्यक्ति (5 वर्ष में एक बार)
- 10 किलो जाल हेतु: रूपये 5000प्रति हे. (1वर्ष में एक बार)रूपये 5000/प्रति व्यक्ति (1 वर्ष में एक बार)
- मौसमी तालाबों में स्पान संवर्धन कर मत्स्य बीज उत्पादन हेतु: रूपये 23000/प्रति 0.25 हे.
विभागीय जलाशयों में मत्स्योत्पादन योजना
योजना का उद्देश्य
विभागीय जलाशयों में मत्स्यबीज उत्पादन, प्रजनक एकत्रीकरण तथा प्रशिक्षण
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
मध्यप्रदेश मत्स्यपालन नीति के अनुरूप विभाग में रखे गए जलाशयों में उददेश्य की पूर्ति के साथ ही स्वत्व शुल्क पद्धति से मत्स्याखेट करना तथा समिति समूह के सदस्यों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करना ।
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
विभागीय जलाशयों में कार्य हेतु मछुआ सहकारी समिति समूह के द्वारा आवेदन जिले में पदस्थ सहायक मत्स्य अधिकारी मत्स्य निरीक्षक को देते हुए उक्त आवेदन पत्र में निम्न बिन्दुओं का समावेश होना आवश्यक है :
- क्रियाशील एवं सक्रिय मछुआ सहकारी समिति समूह का आवेदन पत्र
- समिति समूह का प्रस्ताव ठहराव
- समिति समूह की सूची जो उक्त जलाशय में मत्स्याखेट कार्य करेगी ।
- विभागीय स्वत्व शुल्क की दर एवं नीति निर्देशों के अनुरूप ही कार्य का उल्लेख हो ।
- सिक्यूरिटी राशि जमा करने एवं एडवांस रायल्टी जमा करने तथा अनुबंध निष्पादित करने के पश्चात ही मत्स्याखेट कार्य प्रारंभ कराना एवं समिति समूह के मछुआ सदस्यों को परिचय पत्र प्रदाय करना तथा परिचय पत्र प्रदाय किए गए सदस्यों से ही मत्स्याखेट कार्य करवाना
- निर्धारित समय पर प्रतिदिन मत्स्याखेट की तौल करवाना एवं मत्स्याखेट रजिस्टर में प्रतिष्ठित करना
- मध्यप्रदेश फिशरीज एक्ट, 1948 के नियमों का पालन अनिवार्य है।
हितग्राही की अर्हताएं
क्रियाशील एवं सक्रिय मछुआ सहकारी समिति/समूह
प्रशिक्षण अवधि:10 दिवस
नवीन मत्स्य समृद्धि योजना
योजना का उद्देश्य
प्रदेश की नदियों में मत्स्य सम्पदा समृद्धि हेतु नैसर्गिक रूप से पार्इ जाने वाली प्रजातियों के बीज का गहरे दहों में संचयन
- नदियों के किनारे रहने वाले वंशानुगत मातिस्यकी जन मछुआरों अनुसूचित जाति, जनजाति के व्यक्तियों को नदियों में मत्स्याखेट से रोजगार उपलब्ध कराकर जीवन यापन के संसाधन जुटाना ।
- नदियों में जैव विविधता का संरक्षण
- प्रदेश में मत्स्योत्पादन में वृद्धि
- कुपोषण के उन्मूलन में सस्ते प्रोटीन के रूप में मत्स्य आहार
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
- प्रदेश में प्रवाहित 17088 किलोमीटर नदियों में 890 गहरे दहों में 5000 फिंगरलिंग प्रति हैक्टयर की दर से मत्स्यबीज संचय किया जाना ।
- मत्स्यबीज संवर्धन हेतु ग्रामीण तालाबों का उपयोग ।
- गहरे दहों के किनारे के ग्रामीण तालाबों को मत्स्यबीज संवर्धन हेतु प्राथमिकता ।
- नदियों 100 एम.एम. एवं इससे बड़े आकार का मत्स्यबीज संचय किया जाना
- मत्स्यबीज संवर्धन मत्स्य सहकारी समितियोंस्व सहायता समूहों से बायबैक पद्धति से कराया जाना ।
- मत्स्यबीज संवर्धन पश्चात शासन की दरों पर मत्स्यबीज क्रय मत्स्यबीज संचित किया जाना ।
- नदियों में मत्स्य संरक्षण के प्रति मछुआरों को जागृत करना।
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
- नदियों में मत्स्य सम्पदा समृद्धि के लिए जनभागीदारी सुनिश्चित करना ।
- स्थानीय स्तर पर एक समिति गठित कर उनके समक्ष मत्स्य बीज संचयन का कार्य कराया जाना ।
- संचित मत्स्यबीज की सुरक्षा हेतु ग्रा सभा जैसे आयोजन में मत्स्य विभाग के कर्मचारी उपस्थित होकर ग्रामीण जनों को नदी में मत्स्य सम्पदा संरक्षण हेतु जानकारी देना एवं प्रेरित करना ।
- आवश्यकयतानुसार नदीय सुरक्षा समिति गठित कर जैव विविधता का कार्य सौंपा जाना ।
हितग्राही की अर्हताएं
नदियों किनारे निवास करने वाले अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के व्यकित
प्रशिक्षण अवधि: 10 दिवस
अनुदान राशि
विभाग द्वारा रूपये 500 प्रति हजार मत्स्य अंगुलिका उत्पादन एवं परिवहन व्यय |
अन्य जानकारी
प्रदेश में नदियों से मत्स्याखेट नि:शुल्क है ।
नदियों में मध्यप्रदेश फिशरीज एक्ट, 1948 के नियमों का पालन अनिवार्य है ।
मत्स्यबीज उत्पादन योजना
योजना का उद्देश्य
पालने योग्य मछलियों का मत्स्यबीज उत्पादन, कर प्रदेश के मत्स्यपालकों को निर्धारित शासकीय दर पर मत्स्यबीज उपलब्ध कराना , विभागीय जलाशयों एवं नदियों में मत्स्यबीज संचयन हेतु उपलब्ध कराना ।
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
सम्पूर्ण प्रदेश
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
विभागीय मत्स्यबीज उत्पादन इकार्इयों व्दारा अधुनिक तकनीक से मिश्रित एवं सुदृढ कतला मत्स्यबीज उत्पादित करना इस कार्य हेतु व्यय राज्य बजट से सामान्य योजना,अनुसूचित जाति विशेष घटक योजना तथा आदिवासी उपयोजना मदों से प्राप्त होता है । विक्रय किये गये मत्स्य बीज सें प्राप्त आय विभागीय मद में जमा की जाती है । मत्स्य बीज की दरें संलग्न है । निजी क्षेत्र में मत्स्य बीज उत्पादन को प्रोत्साहित करने हेतु बैंक से ऋण प्राप्त कर हैचरी कम्पोनेन्ट निर्माण पर अधिकतम रूपये 1.00 लाख की सहायता उपलब्ध करार्इ जाति है ।
हितग्राही की अर्हताएं
सभी वर्ग के मत्स्य कृषक ।
अनुदान राशि
निजी क्षेत्र में मत्स्य बीज उत्पादन को प्रोत्साहित करने हेतु बैंक से ऋण प्राप्त कर हैचरी कम्पोनेन्ट के निर्माण पर अधिकतम रूपये 1.00 लाख की सहायता उपलब्ध करार्इ जाती है ।
ग्रामीण तालाब/नगर निकाय के तालाबो के मत्स्य पालको को अनुदान सहायता
योजना का उद्देश्य
ग्रामीण तालाब/नगर निकाय के तालाबो के मत्स्यपालको को मत्स्यपालन के विभिन्न कार्यो के लिये आर्थिक सहायता दे कर एवं उत्पादकता में वृद्धि कर मछुआरों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति के सुधार के उद्देश्य से योजना प्रस्तावित है,
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
योजना का कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण प्रदेश में रहेगा,
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
- विभागीय जिला अधिकारी एवं विभागीय मैदानी अधिकारी योजना का व्यापक प्रचार प्रसार करेगे तथा बैठक आदि आयोजित कर योजना के बारे में विस्तृत जानकारी देगे।
- मत्स्यपालक हितग्राही निर्धारित प्रारूप में योजना के तहत आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र विभागीय जिला अधिकारी को देगे |
- संबंधित विभागीय क्षेत्रीय अधिकारी प्रस्ताव का कंडिका क्र. 4 एवं 6 अनुसार परीक्षण कर उचित पाये जाने पर अनुशंसा सहित प्रस्ताव विभागीय जिला कार्यालय में प्रस्तुत करेगें|
- विभागीय जिला अधिकारी, हितग्राही का आवेदन योजना प्रावधानो के तहत उचित पाये जाने पर, कंडिका क्र. 6 अनुसार निर्धारित मापदण्डों के आधार पर गणना कर, 15 दिवस की समयावधि में अनुदान राशि का निर्धारण करेंगे, तथा उचित पाए गए समस्त आवेदन पत्रो को सूचीबद्ध कर प्रस्ताव स्वीकृति हेतु जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति को प्रस्तुत करेगें|
- विभागीय जिला अधिकारी, वित्तीय वर्ष के लिये घटकवार (सामान्य श्रेणी, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति) आवंटित धन राशि की जानकारी कृषि स्थाई समिति को देगे तथा आवंटित धन राशि की सीमा तक घटकवार हितग्राहियो को सूचीबद्ध कर अनुदान प्रदाय हेतु अनुमोदन प्राप्त करेगें।
- जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति द्वारा यदि 45 दिवस में प्रस्ताव का अनुमोदन नही करती है, तो जिले के कलेक्टर अधिकृत होगें, कि वे विभागीय जिला अधिकारी द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव का अनुमोदन कर अग्रिम कार्यवाही करावें।
- विभागीय जिला अधिकारी, कृषि स्थाई समिति के अनुमोदन उपरान्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत से स्वीकृति प्राप्त कर योजना अनुसार भुगतान की कार्यवाही करेंगे ।
- किसी भी दशा में किसी भी संस्था, ऐजेन्सी, व्यक्ति को नगद भुगतान पूर्णतः वर्जित है । भुगतान बैंक खाते या बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से किया जाना अनिवार्य होगा|
हितग्राही की अर्हताएं
- जाति का बंधन नही है सभी जातियों के मत्स्यपालक योजना का लाभ प्राप्त कर सकते है ।
- वे ही हितग्राही, जिन्होने मछुआ नीति 2008 के तहत ग्राम पंचायत/नगर निकाय के तालाबो को नियमानुसार पट्टे पर प्राप्त कर मछली पालन का कार्य कर रहे हो, योजना हेतु पात्र होगें|
- तालाब पट्टा अनुबंध की शर्ते, एवं मत्स्यपालन नीति 2008 के तहत दोषी/बकायादार मत्स्यपालक, योजना हेतु पात्र नही होगें|
प्रशिक्षण अवधि
विभागीय मछुआ प्रशिक्षण योजना के तहत हितग्राहियो को 15 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाता है जिनमें योजना के तहत लाभांवित हितग्राहियो को प्रशिक्षण के लिये चयनित कर प्रशिक्षित किया जायेगा |
अनुदान राशि
- मत्स्यपालक हितग्राही को 10 वर्षीय पट्टा अवधि में योजना प्रावधानो के तहत लगातार 10 वर्षो तक पात्रता अनुसार अनुदान प्रदाय किया जायेगा ।
- अनुदान की सीमा 1 हेक्टेयर जलक्षेत्र हेतु निम्न तालिका अनुसार निर्धारित है। तालाब के जलक्षेत्र के मान से अनुदान की गणना की जाकर अनुदान स्वीकृत किया जायेगा |
- अनुदान राशि एक अप्रेल से प्रारंभ होने वाले तथा 31 मार्च को समाप्त होने वाले एक वित्तीय वर्ष की अवधि में किये गए वास्तविक व्यय पर आधारित होगी।
- मछुआ हितग्राही को तालाब की पट्टा राशि, मछली बीज, नाव , जाल एवं मत्स्य खादय, उर्वरक, खाद, दवा, क्रय की कार्यवाही, हितग्राही को स्वयं करनी होगी|
- पंचायतों/निकायों में तालाब की जमा पट्टा राशि की रसीद, प्रदेश के मत्स्यबीज उत्पादकों से मत्स्यबीज तथा अधिकृत विक्रेताओं से क्रय किए गए नाव एवं जाल एवं मत्स्य खादय, उर्वरक, खाद, दवा, क्रय की रसीद प्रस्तुत करने पर विभागीय जिला अधिकारी द्वारा कण्डिका क्रमांक 6.6 से 6.9 के तहत परीक्षण उपरांत उचित पाए जाने पर पात्रता अनुसार अनुदान का भुगतान हितग्राही के बैंक खाते में किया जायेगा ।
- तालाब की पट्टा राशि मत्स्यपालन नीति वर्ष 2008 की कंडिका 1.5 के निर्धारित प्रावधानो के तहत ही मान्य होगी, किसी भी दशा में निर्धारित दर से अधिक पट्टा राशि स्वीकृत नही की जाये ।
- तालाब में मत्स्यबीज संचयन दस हजार फ्राई प्रति हेक्टेयर के मान से, विभाग द्वारा मत्स्यबीज के निर्धारित दर अनुसार गणना कर, राशि स्वीकृत की जाये । किसी भी दशा में निर्धारित मान तथा दर से अधिक राशि स्वीकृत नही की जाये ।
- नाव, जाल हेतु प्रस्तावित कुल अनुदान की सीमा का अधिकतम 50 प्रतिशत, द्वितीय वर्ष अधिकतम 25 प्रतिशत तथा तृतीय वर्ष अधिकतम 25 प्रतिशत या जो भी जलक्षेत्र के गणना के मान से कम हो स्वीकृत की जाये ।
- मत्स्य खादय, उर्वरक, खाद एवं दवा आदि हेतु प्रस्तावित कुल अनुदान की सीमा का प्रथम वर्ष अधिकतम 33 प्रतिशत, द्वितीय वर्ष अधिकतम 25 प्रतिशत एवं तृतीय वर्ष अधिकतम 25 प्रतिशत, चतुर्थ वर्ष शेष राशि या जो भी जलक्षेत्र के गणना के मान से कम हो स्वीकृत की जाये ।
- हितग्राही को प्रथम वर्ष यदि अनुदान का लाभ दिया गया है तो उसे आगामी वर्षो में भी योजना के प्रावधानो के तहत लाभांवित किया जाना अनिवार्य है ।
- मत्स्यपालको को द्वितीय एवं आगामी वर्षो में अनुदान की पात्रता पूर्व वर्षो की स्वीकृत अनुदान के सदुपयोग किये जाने की दशा में पंचायत एवं विभाग के मार्गदर्शन अनुसार नवीन मत्स्यपालन तकनीक अपनाने एवं मूल्यांकन हेतु नियमित जानकारी देते रहने की दशा में हो सकेगी|
- योजनान्तर्गत लाभार्थी को किसी दशा में अन्य योजनाओं में मछलीपालन के लिये अनुदान की पात्रता नही होगी ।
- पूर्व स्वीकृत एवं संचालित योजना के तहत् लाभांवित सतत् मत्स्यपालक पूनरीक्षित दर पर शेष सहायता के लिये पात्र रहेगें ।
वित्तीय व्यवस्था
योजना के तहत सामान्य जाति, (पिछड़ा वर्ग सहित) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मत्स्यपालक हितग्राहियो को अनुदान सहायता राज्य आयोजना मद से प्रदान की जायेगी । विकासात्मक गतिविधियों के परिपेक्ष्य में उक्त योजना की वित्तीय व्यवस्था अन्य योजनाओं से भी की जा सकेगी ।
अन्य जानकारी
मॉनिटरिंग एवं रिर्पोटिग :
जिले के मछली पालन विभाग के जिला अधिकारी शत प्रतिशत कार्यो की गुणवत्ता व समय क्रियान्वन की नियमित मानिटरिग करेगे|
योजना की प्रगति की मासिक, त्रैमासिक जानकारी विकास खण्ड प्रभारी सहायक मत्स्य अधिकारी या मत्स्य निरीक्षक द्वारा विभाग के जिला अधिकारी के माध्यम से संचालनालय को नियमित रूप से निर्धारित प्रपत्र पर प्रेषित की जायेगी ।
संभागीय अधिकारी उक्त योजना नोडल अधिकारी होगे।
केन्द्रक प्रवर्तित योजनाएं
स्वयं की भूमि में नवीन तालाब निर्माण,तालाब पुनर्रूद्वार
मत्स्य कृषक विकास अभिकरण अन्तर्गत स्वयं की भूमि में नवीन तालाब निर्माण,तालाब पुनर्रूद्वार/सुधार, इन्पुटस् लागत ।
योजना का उद्देश्य
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को ग्रामीण तालाब 10 वर्षीय पट्टे पर उपलब्ध कराकर मछली पालन के स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराकर उनकी आर्थिक तथा सामाजिक उन्नति करना, तालाब की मरम्मत तथा मत्स्य पालन व्यवसाय प्रारंभ करने के लिये प्रथम वर्ष की पूजी के लिये बैंक से लंबी अवधि का ऋण तथा शासकीय अनुदान उपलब्ध कराना ।
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
सम्पूर्ण म0प्र0
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
ग्रामीण तालाब पट्टे पर लेकर मत्स्य पालन का व्यवसाय करना , स्वंय की भूमि में तालाब निर्माण कर मत्स्य पालन का व्यवसाय करना
हितग्राही की अर्हताएं
- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग, जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे है को हितग्राही वनाया जाता हैं। इस संबंध में प्राथमिकतायें निम्नानुसार निर्धारित हैं
- वंशानुगत मछुआ जाति /अनुसूचित जनजाति /अनु सूचित जाति /पिछड़ावर्ग / सामान्यवर्ग की पंजीकृत मछुआ सहकारी समिति ।,
- वंशानुगत मछुआ जाति /अनुसूचित जनजाति /अनु सूचित जाति /पिछड़ावर्ग / सामान्यवर्ग के स्व सहायता समूह /मछुआ समूह
- वंशानुगत मछुआ जाति /अनुसूचित जनजाति /अनु सूचित जाति /पिछड़ावर्ग / सामान्यवर्ग का व्यक्ति विशेष ।
अनुदान राशि
योजनान्तर्गत मत्स्य पालको को निम्नानुसार सहायता/ अनुदान उपलब्ध करायी जाती है:
- स्वंय की भूमी में नवीन तालाब निर्माण की योजनान्तर्गत राशि रू. 3.00 लाख प्रति हेक्टेयर लागत का सामान्य वर्ग के हितग्राहियों को 20 प्रतिशत (अधिकतम सीमा रू. 60,000/) प्रति हेक्टेयर एवं अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियो को लागत का 25 प्रतिशत (अधिकतम सीमा रू. 75,000/) प्रति हेक्टेयर अनुदान देने का प्रावधान हैं। (अधिकतम 5 हेक्ट. तक अनुदान देने का प्रावधान है)
- पटटे पर आवंटित ग्रामीण तालाबों के पुनरूद्वार/सुधार योजनान्तर्गत राशि रू. 75000/ प्रति हेक्टेयर लागत का सामान्य वर्ग के हितग्राहियों को 20 प्रतिशत (अधिकतम सीमा रू. 15,000/) प्रति हेक्टेयर एवं अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियो को लागत का 25 प्रतिशत (अधिकतम सीमा रू. 18750/) प्रति हेक्टेयर अनुदान देने का प्रावधान हैं। (अधिकतम 5 हेक्ट. तक अनुदान देने का प्रावधान है)
- पटटे पर आवंटित ग्रामीण तालाबों को प्रथम वर्ष इनपुट पर राशि रू. 50,000/ प्रति हेक्टेयर लागत का सामान्य वर्ग के हितग्राहियों को 20 प्रतिशत (अधिकतम सीमा रू. 10,000/) प्रति हेक्टेयर एवं अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियो को लागत का 25 प्रतिशत (अधिकतम सीमा रू. 12500/) प्रति हेक्टेयर अनुदान देने का प्रावधान हैं। (अधिकतम 5 हेक्ट. तक अनुदान देने का प्रावधान है)
मछुआ आवास योजना
योजना का उद्देश्य
प्रदेश की अधिकांश मछुआ आबादी, नदी, नालों, तालाबों, एवं जलाशयों के किनारे ग्रामीण/नगर निकाय क्षेत्रों में निवास करती है जिनके आवास प्रायः कच्चे तथा जीर्ण-शीर्ण अवस्था में होते हैं। मध्य प्रदेश के ग्रामीण/निकाय क्षेत्रों के ऐसे मछुआ परिवार जो मछली पालन के व्यवसाय से जुड़े हैं को मूलभूत सुविधाएं जैसे सुरक्षित आवास, शुद्ध पेयजल, सामुदायिक भवन आदि उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मछुआ आवास योजना क्रियान्वित है ।
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
- योजना का क्रियान्वयन प्रदेश के जिलों में किया जायेगा । ग्रामीण/नगर निकाय क्षेत्रों में निवासरत क्रियाशील मछुआरों का प्रारंभिक चयन मत्स्योद्योग विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा किया जाकर ग्राम पंचायत/नगर निकाय की अनुशंसा एंव प्रमाणीकरण पश्चात् प्रकरण जिला स्तरीय चयन समिति को हितग्राहियो के चयन हेतु प्रस्तुत किए जायेगे ।
- एक मछुआ आवास की न्यूनतम लागत रूपये 50,000/ (पच्चास हजार रूपये मात्र) निर्धारित है, जो हितग्राही को शतप्रतिशत अनुदान के रूप में देय होगी । शासन की अनुदान राशि रूपये 50,000/ में केन्द्रांश एवं राज्यांश 50:50 है ।
- मछुआ आवास हेतु प्रस्तावित रूपये 50,000/ की लागत से संलग्न प्लान/प्राक्कलन अनुसार न्यूनतम 35 वर्गमीटर के आवास का निर्माण किया जायेगा ।
- आवास में एक कमरा, रसोई का स्थान, बरामदा एवं शौचालय/स्नानगाह का स्थान रहेगा|
- मछुआ हितग्राही यदि चाहे तो आवश्यकता अनुसार स्वंय की योगदान राशि बढ़ाकर स्वंय के व्यय से आवास निर्माण कर सकेगा।
- मछुआ हितग्राही, आवास का निर्माण पृथक रूप से स्वंय की भूमि पर निर्धारित अभिन्यास के अनुसार करेगा ।
- मछुआ आवास निर्माण क्लस्टर में होने पर, एक समान अभिन्यास के अनुसार निर्माण किया जायेगा तथा बाहरी आवरण एवं रंगरोगन निर्धारित योजना अनुसार किया जाना अनिवार्य होगा ।
- 10 से 20 आवासों के निर्माण पर एक ट्यूबवेल लागत रूपये 30,000/ एवं 75 आवास निर्माण पर 1 कम्यूनिटी हॉल लागत रूपये 1,75,000 का निर्माण किया जायेगा |
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
- संबंधित विकास खण्ड के मत्स्योद्योग विभाग के अधिकारी मत्स्य पालन / मत्स्याखेट / मत्स्य विक्रय / मत्स्यबीज उत्पादन आदि कार्यों में संलग्न क्रियाशील मछुआरों से निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन मय भूमि के नक्शा/खसरा (यदि हो तो) सहित प्राप्त करेंगे ।
- मछुआ हितग्राही जहां मछुआ आवास का निर्माण करना चाहता हैं उस संबंधित ग्राम पंचायत/निकाय का निर्धारित आवेदन पत्र में अनुशंसा एवं प्रमाणीकरण अनिवार्य होगा ।
- आवेदन पत्र प्राप्त होने पर संबंधित विकास खण्ड के मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी, हितग्राही की पात्रता जैसे वह मछुआ है उसकी आजीविका का प्रमुख आधार मत्स्य पालन /मत्स्याखेट/मत्स्य विक्रय/मत्स्यबीज उत्पादन है, हितग्राही के पास आवास हेतु भूमि उपलब्ध है हितग्राही को गरीबी रेखा सर्वे क्रमांक आवंटित है वह समिति/ समूह का सदस्य है अथवा नहीं, संबंधी सत्यापन करेंगे तथा प्रमाण पत्र अंकित करेंगे ।
- विभाग के सहायक यंत्री / उपयंत्री स्थल का निरीक्षण कर उपयुक्तता प्रमाण पत्र देगें एवं सतत् निरीक्षण कर निर्धारित प्लान/प्राक्कलन अनुसार कार्य कराए जाने हेतु जिम्मेदार होंगे।
- जिला स्तर पर, प्राप्त समस्त आवेदन पत्रों का परीक्षण संबंधित जिले के सहायक संचालक मत्स्योद्योग द्वारा किया जायेगा । आवेदन उपयुक्त पाए जाने पर आवेदन पत्र पर अपनी सहमति अंकित कर अग्रिम कार्यवाही करेंगे ।
- मछुआ आवास हेतु प्राप्त आवेदन पत्र पर उपरोक्त कण्डिका क्र0 3.1 से 3.5 अनुसार कार्यवाही पूर्ण करने की अवधि 30 दिवस निर्धारित है। सम्बन्धित विभागीय जिला अधिकारी निर्धारित समयावधि में कार्यवाही पूर्ण करना सुनिश्चित करेंगें।
- जिला स्तर पर उपयुक्त पाए गए समस्त आवेदकों का चयन ‘‘जिला स्तरीय चयन कमें टी'' द्वारा किया जायेगा ।
- ‘‘जिला स्तरीय चयन कमें टी'' में जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति के अध्यक्ष, पदेन अध्यक्ष होंगे । मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत या उनके द्वारा नामांकित अधिकारी एवं जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति द्वारा नामांकित एक अशासकीय सदस्य, सदस्य होंगे । जिले के सहायक संचालक मत्स्योद्योग पदेन सचिव होंगे ।
- जिला स्तरीय चयन कमें टी 15 दिवस में हितग्राहियों का चयन करेगी। निर्धारित समय अवधि में चयन न होने की स्थिति में जिले के कलेक्टर अधिकृत होगें, कि वे स्वयं के निर्णय से 07 दिवस में हितग्राहियों का चयन पूर्ण कर अग्रिम कार्यवाही करावें।
- चयनित सूची का अनुमोदन जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति से कराया जाना होगा।
- जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति द्वारा यदि 45 दिवस में हितग्राहियों की चयनित सूची का अनुमोदन नही करती है, तो जिले के कलेक्टर अधिकृत होगें, कि वे हितग्राहियों की चयनित सूची का अनुमोदन कर अग्रिम कार्यवाही करावें।
- हितग्राहियों की चयनित सूची का प्रदर्शन एवं वाचन सम्बन्धित ग्राम सभा में किया जायेगा ।
- या कच्चा स्ट्रक्चर हितग्राही की अर्हताएं
- मत्स्य पालन विभाग द्वारा चिन्हित मत्स्य पालन / मत्स्याखेट / मत्स्य विक्रय / मत्स्यबीज उत्पादन आदि कार्यों में संलग्न क्रियाशील मछुए ।
- गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले एवं भूमि विहीन, आवास विहीन मछुआ को प्राथमिकता ।
- मछुआ जिसकी स्वयं की भूमि हो वो भी आवास हेतु मान्य ।
- एक मछुआ परिवार को एक आवास की पात्रता होगी ।
अनुदान राशि
आवास निर्माण की लागत रूपये 50,000/ का भुगतान निम्नानुसार चार कि़स्तों में हितग्राही को, बैंक खाते के माध्यम से किया जायेगा ।
आवास निर्माण की किस्त, अनुदान राशि, कराये जाने वाले कार्य का विवरण निम्न तालिका अनुसार निर्धारित है ।
कि़स्त अनुदान राशि रू. कार्य विवरण
- 10000/राशि नीव की खुदाई, कुर्सी भराई,
- 15000/ राशि छत स्तर तक पक्की दीवारों का निर्माण,खड़की, दरवाजे लगाना आदि
- 15000/ राशि अन्दर, बाहर सीमेंट प्लास्टर, छत निर्माण पुताई सहित समस्त कार्य,
- 10000/ राशि आवास से जुडे साधन जैसे रोड, नाली, बिजली की व्यवस्था तथा स्वच्छता से जुडे कार्य आदि|
हितग्राही को प्रथम किस्त का भुगतान अग्रिम किया जायेगा ।
- उक्त तालिका अनुसार कार्य कराये जाने पर नियमानुसार कार्य के मूल्यांकन पश्चात् क्रमशः अग्रिम किस्त का भुगतान बैंक के माध्यम से किया जायेगा ।
- कार्य प्रारंभ करने के पूर्व कार्य स्थल का, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ किस्त जारी करने के पूर्व किये गये कार्यों के तथा कार्य पूर्ण होने पर आवास के फोटोग्राफ लिये जाये तथा रिकार्ड संधारित किया जाये ।
- किस्तों का भुगतान कंडिका 4.2 अनुसार कार्य पूर्ण होने पर तथा हितग्राही के आवेदन पर संबंधित मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी तथा सहायक यंत्री /उप यंत्री के स्थल निरीक्षण, मूल्यांकन, प्रस्तुती उपरांत अनुशंसा पर बैंक के माध्यम से प्रदाय की जायेगी |
- हितग्राही के कार्य पूर्ण होने संबंधि आवेदन पत्र प्राप्त होने के दिनांक से 15 दिवस की अवधि में उक्त कण्डिका 4.5 अनुसार कार्यवाही पूर्ण कर, किस्तों का भुगतान बैंक के माध्यम से तत्काल किया जाना अनिवार्य होगा।
- मछुआ हितग्राही कच्चा/अर्द्ध पक्के आवास के स्थान पर योजनान्तर्गत् न्यूनतम 35 वर्गमीटर का निर्माण कर सकेगा|
- हितग्राही अपने स्वामित्व के खाते की भूमि पर भी इन आवासों को बनाने के लिये पात्र होंगे ।
- स्वंय का भूखण्ड उपलब्ध नहीं होने के स्थिति में ग्राम पंचायत / तहसीलदार से प्राप्त भूखण्ड के पट्टे पर आवास का निर्माण किया जा सकेगा ।
- भूमिहीन/आवासहीन मछुआ हितग्राहियों को नियमानुसार आवंटित, शासकीय भूमि में सामूहिक रूप से आवास निर्माण का कार्य भी कराया जा सकेगा ।
- आवास निर्माण का कार्य, निर्माण सामग्री की व्यवस्था, हितग्राही स्वंय करेगा ।
- यदि किसी ग्राम में 10 से 20 से अधिक मछुआ आवास का निर्माण होने के स्थिति में आवासों के मध्य 1 ट्यूबवेल खनन किया जाकर पम्प को संधारित किया जायेगा । जिसका संधारण ग्राम पंचायत / लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कराया जायेगा|
- 75 मछुआ आवासो के मछुआ ग्राम में, मछुआ हितग्राहियों के सामाजिक कार्यों हेतु 200 वर्ग मीटर का सामुदायिक भवन लागत राशि रूपये 1.75 लाख से कराया जायेगा ।
- यदि चयनित हितग्राही योजना अनुसार निर्माण कार्य नहीं करता है तथा राशि का दुरूपयोग करता है तो उसके प्रस्ताव को निरस्त कर, समस्त विभागीय योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया जायेगा तथा भविष्य में किसी भी विभागीय योजना का लाभ नहीं दिया जायेगा ।
मत्स्य जीवियों का दुर्घटना बीमा योजना
योजना का उद्देश्य
मत्स्य पालन करते समय दुर्घटना की स्थिति निर्मित होने पर मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग द्वारा मछुओं को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने हेतु निःशुल्क बीमा सुरक्षा प्रदान की जाती है ।
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
योजना का कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण प्रदेश में रहेगा|
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
मध्य प्रदेश शासन मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विभाग/ मध्य प्रदेश मत्स्य महासंघ (सह) मर्यादित/मत्स्य कृषक विकास अभिकरण के माध्यम से निर्धारित प्रपत्र पर प्रस्ताव प्राप्त होने पर विभाग द्वारा एक वर्ष के लिए मछुआरों को बीमा सुरक्षा राष्ट्रीय मत्स्यजीवि सहकारी संघ मर्यादित नई दिल्ली के माध्यम से प्रदान की जाती है ।
हितग्राही की अर्हताएं
1870 वर्ष की आयु वर्ग के सदस्य जो मछली पालन से संबंधित समस्त कार्यो में सक्रिय रूप से संलग्न पंजीकृत मछुआ सहकारी समिति/समूह/व्यक्ति योजना का लाभ ले सकते हैं ।
अनुदान राशि
मछुआरों को योजना अंतर्गत बीमा प्रीमियम की राशि केन्द्र एवं राज्य के परस्पर सहयोग (केन्द्रांश रूपये 14.50 एवं राज्यांश 14.50 इस प्रकार कुल रूपये 29/ प्रति मछुआ) बीमा कम्पनी राष्ट्रीय मत्स्यजीवि सहकारी संघ मर्यादित नई दिल्ली को दिया जाता है योजना अंतर्गत मछुआरों को आंशिक अपंगता होने पर रूपये 50,000/ एवं स्थाई अपंगता तथा मृत्यु होने पर रूपये 1.00 लाख की आर्थिक सहायता शत्प्रतिशत अनुदान के रूप में प्रदान की जाती है ।
केन्द्र क्षेत्र योजना
अन्तर्देशीय मत्स्योद्योग सांख्यिकीय का विकास योजना
योजना का उद्देश्य
केन्द्रीय अंर्तस्थलीय मात्स्यिकीय अनुसंधान योजना अंतर्गत मत्स्यबीज संचय मत्स्य उत्पादन के आंकड़े एकत्रीकरण एवं स्रोत निर्धारण सर्वेक्षण हेतु कार्य योजना ।
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
प्रदेश के 14 जिले जिनमें यह योजना क्रियान्वित है वह निम्नानुसार हैः
1.बालाघाट
2.शहडोल
3.कटनी
4.बैतूल
5.सिवनी
6.सीहोर
7.टीकमगढ़
8.मंडला
9.विदिशा
10.धार
11.रायसेन
12.मुरैना
13.देवास
14.शाजापुर
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
मध्यप्रदेश राज्य को कृषि जलवायु क्षेत्र के आधार पर तीन भागों में विभक्त किया गया है नमूना सर्वेक्षण हेतु चयनित 14 जिलों को तीन स्टेट्रम में विभक्त कर प्रत्येक स्टेट्रम अन्तर्गत चयनित 20 ग्रामों के 4 कलस्टर बनाए गए प्रत्येक कलस्टर में एक मुख्य ग्राम एवं उसके आसपास के 4 अधीन ग्राम रखे जाते है। उक्त चयनित ग्रामों में स्थित सिंचाई ग्रामीण तालाबों की जानकारी निर्धारित प्रपत्र में प्राप्त की जाती है। केन्द्र शासन को भेजी जाती है। यह योजना वर्ष 2003-04 से क्रियान्वित है।
विश्व बैंक पोषित योजना
मध्य प्रदेश वाटर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना
योजना का उद्देश्य
राज्य के 5 नदी कछार के पूर्व निर्मित जलाशयों एवं उनके कमाण्ड क्षेत्र में स्थित तालाबों में मत्स्य पालन का विकास, मत्स्योत्पादकता में वृद्धि एवं हितग्राहियों की भागीदारी ।
योजना का स्वरूप एवं आच्छादन
- मत्स्योद्योग विकास हेतु राज्य की पांच नदी कछार यथा चम्बल, सिंध, बेतवा, केन, टोंस के जलाशय एवं उनके कमाण्ड क्षेत्र में स्थित तालाबों में मत्स्योद्योग विकास
- बडे़ आकार के मत्स्य बीजों का उपयोग।
- मत्स्य खाद्य की गुणवत्ता में सुधार
- उपभोगकर्ताओं का आर्थिक उन्नयन।
- मत्स्य सहकारी समितियों का सुदृढ़ीकरण करना, मत्स्याखेट के उपकरण नाव, जाल उपलब्ध कराना
- पोस्ट हारर्वेस्टिंग सुविधाएं जैसे लेंडिंग सेन्टर, इन्सुलेटेड बाक्स आदि की व्यवस्था करना
- उन्नत तकनीक से मत्स्य पालन हेतु हितग्राहियों को प्रशिक्षित करना ।
- जलाशयों में मत्स्योद्योग विकास
- कम अवधि के मौसमी तालाबों का मत्स्य पालन उपयोग।
- दीर्घ अवधि के मौसमी तालाबों का मत्स्य पालन उपयोग।
- बारहमासी तालाबों का मौसमी तालाबों का मत्स्य पालन उपयोग।
- प्रदर्शन तालाबों में उच्च तकनीकी से मत्स्य पालन कार्य।
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया
चयनित जिले के नदी कछार के जलाशय एवं कमाण्ड एरिया के तालाबों में मत्स्योद्योग का विकास करना जिसके लिए मत्स्यपालन कार्य में संलग्न मत्स्य कृषक (सहकारी समिति/समुदाय/कृषक) संबंधित विकासखंड तहसील स्तर पर पदस्थ सहायक मत्स्य अधिकारी /मत्स्य निरीक्षक तथा संबंधित जिले के सहायक संचालक मत्स्योद्योग से सम्पर्क कर परियोजना का निम्नानुसार लाभ ले सकते हैं:
- प्रत्येक 100 हैक्टेयर जलक्षेत्र पर एक लेंडिंग सेंटर, 3040 हैक्टेयर पर एक नाव तथा एक नाव में 40 किलो मत्स्याखेट हेतु जाल का प्रावधान
- जलाशय के कमाण्ड क्षेत्र में, कम अवधि एवं दीर्घ अवधि के मौसमी एवं बारहमासी तालाबों में भारतीय प्रमुख सफर एवं कामनकार्प मत्स्य बीज संचयन के साथ खाद एवं पूरक आहर का उपयोग के फलस्वरूप 2250 से 2500 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर मत्स्योत्पादन संभावित।
- प्रदर्शन तालाब अंतर्गत उच्च तकनीकी से मत्स्य पालन करना ।
- मत्स्यबीज हैचरी एवं संवर्धन क्षेत्र का विकास तथा निर्मित अधोसंरचना का सुदृढ़ीकरण
- अल्प एवं दीर्घ अवधि के मौसमी तालाबों से स्टेण्डर्ड मत्स्यबीज का उत्पादन
- मत्स्यबीज की आवश्यकता की पूर्ति हेतु हैचरी का निर्माण
- संस्था का सुदृढ़ीकरण
- योजना अंतर्गत तकनीकी विशेषज्ञों तथा तकनीकी सहायकों का प्रावधान
- जल एवं मिट्टी परीक्षण का प्रावधान
- प्रशिक्षण अंतर्गत मछुआ सहकारी समिति, समुदाय को स्थानीय शहर तथा प्रदेश में प्रशिक्षण परियोजना में संलग्न मत्स्य कर्मियों को रिफ्रेशर प्रशिक्षण देश तथा विदेश में कम्प्युटर तथा साफ्टवेयर का प्रशिक्षण भी सम्मिलित है।
- स्थानीय कार्यशाला एवं अध्ययन भ्रमण ।
हितग्राही की अर्हताएं
परियोजना अंतर्गत जिलों के चयनित जलाशयों एवं कमाण्ड एरिया में मत्स्यपालन कार्य में संलग्न मत्स्य सहकारी समितियां/मछुआ समूह/मत्स्य कृषक जिनके पास मत्स्य पालन हेतु जलाशय/तालाब पट्टे पर आवंटित है
प्रशिक्षण अवधि:07 से 10 दिवस
अनुदान राशि
शत प्रतिशत अनुदान पर उक्त परियोजना क्रियान्वित की जा रही है।
अन्य जानकारी
उक्त परियोजना वर्ष 2005 से लागू है तथा मध्यप्रदेश के 27 जिलों (नीमच, मंदसौर, शाजापुर, राजगढ, मुरैना, शिवपुरी, श्योपुर, ग्वालियर, दतिया, गुना, विदिशा, टीकमगढ, छतरपुर,रीवा, पन्ना, दमोह, अशोकनगर, भोपाल, सीहोर, सतना, कटनी, रायसेन, सागर, देवास, धार, रतलाम, और उज्जैन) में संचालित है।
स्रोत: मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग, मध्यप्रदेश सरकार