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तिल,कपास एवं सूरजमुखी

तिल

बीज उपचार

  • बीज जन्य एवं मृदा जन्य रोगों के बचाव के लिए बोनी थाईरम से 3 ग्राम/कि.ग्रा. बीज दर से या थाईरम 0.15 प्रतिशत बेवीस्टीन 0.05 प्रतिशत 1:1 से बीजोपचार करें।
  • जहां पर जीवाणु पत्ती धब्बा रोब की संभावना है वहां बुआई के पहले बीजों को एग्रीमाईसीन-100 के 0.025 प्रतिशत के विलयन में 30 मिनट पर भिगोएं।

बीज शोधन

बीज दर और बोनी

  • अधिक उपज एवं आसान निदाई गुड़ाई के लिए कतारों में बोनी करनी चाहिए।
  • बोनी हेतु 4-7 कि.ग्रा./हे बीज की मात्रा पर्याप्त है।
  • यदि बोनी हेतु सीड ड्रिल का प्रयोग किया जाता है तो बीज दर घटाकर 2.5-3.0 कि.ग्रा.किया जासकता है।
  • बोनी करते समय बीजों का समान रूप से वितरण करने के लिए बीज को रेत या सूखी मिट्टी या अच्छी तरह से छनी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिलाकर मात्रा बढ़ा लें।
  • कतार से कतार के बीच की दूरी एवं पौधे से पौधे के बीच की दूरी 308.10 से.मी.रखते हुये 2.5 से.मी. गहराई कर बोनी चाहिए।

बीज दर का मान निम्नलिखित सूत्र से भी निकाला जा सकता है।
बोनी के लिए क्षेत्रफल
ग्राम में वजन
------------------------------------ दूरी 8100 पी.पी. जी.पी.
जहां पी.पी.--- शोधन प्रतिशत
जी.पी.--- अंकुरण प्रतिशत

बीज का वास्तविक मान----
शोधन प्रतिशत जी.पी.
----------------------------
100

जहां जी.पी. -- अंकुरण प्रतिशत

कपास

बीज उपचार

  • बोने से पहले दस किलो बीज को एक लीटर गंधक के तीखे तेजाब से उपचारित करें जिससे फफूंद और कीट के अण्डों से बचाव हो।
  • चूसने वाले कीटों से बचाव के लिए बीजों को कार्बोफ्यूरान 4 ग्राम/किलो या इमीडाक्लोप्रिड7ग्राम/किलो की दर से उपचारित करें।
  • विगलन एवं म्लानि रोगों के आक्रमण से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा विर्डी 4 ग्राम/कि.ग्रा. या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम/कि.ग्रा. से उपचारित करें।

बीज शोधन

  • एक किलो बीज का शोधन10 ग्राम एजेटोबैक्टर कल्चर से करें।
  • शोधन के लिए गुड़ का एक लीटर पानी में घोल बनाए।उसमें 5 पैकेट (150 ग्राम प्रत्येक) कल्चर को मिलाएं और 15 से 25 कि.ग्रा. बीज पर छिडक कर मिला दें।
  • अच्छे प्रभाव के लिए बीजों के छोटे समूह बनाकर शोधन करें।
  • तदोपरांत बीजों को छाया में सूखाकर तुरन्त बोनी करें।
  • सूर्य की गर्मी एवं प्रकाश से उपचारित बीज को बचायें।

बीज दर और बोनी

  • किस्मों, पौधे के विकास, मिट्टी की उपजाऊपन के आधार पर बीज दर निर्धारित की जाती है।
  • अमेरिकी कपास के लिए बीज दर 15-25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर और देशी कपास के लिए बीज दर 10-18 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर है।
  • बोनी की चौफली विधि में सामान्य किस्मों के लिए बीज दर 8-10 कि.ग्रा. और संकर किस्मों के लिए बीज दर 2.5 कि.ग्रा. है।
  • सिंचित कपास में कतार की 75-90 से.मी. दूरी रखनी चाहिए।
  • असिंचित कपास में कतार की 45-60 से.मी. दूरी रखनी चाहिए।
  • बोनी की गहराई 2.5 से 3 से.मी. होनी चाहिए।
  • सिंचित अवस्था में कतार से कतार की दूरी 75 से 90 से.मी. होनी चाहिए।
  • असिंचित अवस्था में कतार से कतार की दूरी 45 से 60 से.मी. होनी चाहिए।
  • असिंचित अवस्था में बुआई जून के अंतिम सप्ताह में मानसून के आने पर करनी चाहिए।
  • सिंचित अवस्था में बुआई मई में की जा सकती है।
  • कपास की बुआई चौफली और सरता विधियों द्वारा की जा सकती है।

सूरजमुखी

बीज उपचार

  • बीज को, मिट्टी और बीज से उत्पन्न होने वाले रोगों से बचाने के लिए उपचारित करना चाहिए।
  • बीज उपचार के लिए 55 डि.से. गर्म पानी में 8 से 12 मिनट तक रखें।
  • बीज को उपचारित करने के लिए 1 कि.ग्रा. बीज को 3 ग्राम कैपटन या थाईरम या सेरासन या एग्रोसन या बेसीकोल से उपचारित करना चाहिए।
  • बीज उपचार का कार्य छाया में करना चाहिए।
  • पहले से उपचारित बीजों को फिर से उपचारित करें।

बीज शोधन

  • वर्तमान में सूरजमुखी के बीजों के लिए शोधक नहीं है।

बीज दर और बोनी
बीज दर का मान निम्नलिखित सूत्र से भी निकाला जा सकता है।
बोनी के लिए क्षेत्रफलग्राम में वजन
------------------------------------ दूरी 100 पी.पी. जी.पी.
जहां पी.पी.--- शोधन प्रतिशत
जी.पी.--- अंकुरण प्रतिशत
बीज का वास्तविक मान----
शोधन प्रतिशत जी.पी.
---------------------------- 100
जहां जी.पी. -- अंकुरण प्रतिशत

स्त्रोत : एमपीकृषि,किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग,मध्यप्रदेश सरकार

अंतिम बार संशोधित : 8/3/2019



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