गेहूँ एवं कुसुम के बीज का उपचार
गेहूँ
बीज उपचार
- 3 ग्राम थाईरम या एग्रोसन जी.एन. या कैपटन या विटावेक्स प्रति किलो बीज से उपचार किया जा सकता है।
- बीज को फंफूदनाशक के साथ अच्छी तरह मिला लें ।
- बीज उपचारित करने के बाद उन्हें छाया में रख दें जिससे फफूदनाशक का असर रहे।
- अगर उपचारित बीज का उपयोग कर रहे हो, तो उन्हें उपचारित न करें।
- बोनी के लिए प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करना चाहिए जो कि प्राय:उपचारित रहते हैं।
सूर्यकिरणों से उपचार
- बीजों को ठन्डे पानी में भिगोकर गर्मी के महीनों में सुबह के समय 8 से 12 बजे तक रखे और दोपहर बाद सुखाएं।
- ऐसा करने पर फंफूदनाशक के उपयोग बिना रोग नियंत्रण किया जा सकता है।
- सुखाते समय सावधानियां लेना चाहिए जिससे बीज की अकुंरण क्षमता बनी रहे।
- उगने के बाद रोग के लक्षण दिखने पर ऐसे पौधों को उखाड़ देना चाहिए।
बीज शोधन
- एजोटोबेकटर्स या एजोस्पाईरिलम से बीजों का उपचार कर सकते हैं।
- गुड़ का एक लीटर का घोल बनाकर उसमें 150 ग्राम के 5 पैकेट एजोटोबेकटर्स या एजोस्पाईरिलम को अच्छी तरह मिला लें।
- 80-100 कि.ग्रा. बीजों पर छिड़कें।
- कम मात्रा में बीजों को लें जिससे अच्छी तरह मिल जाए।
- हवा में छाया में सुखाए फिर तुरन्त बोनी कर दें।
- निवेशक की मात्रा बीज दर के अनुसार ही लें।
- निवेशक बीज को सूर्य की रोशनी और ताप से बचायें।
बीज दर
- पंक्ति बोनी के लिए बीज दर 90-100 कि.ग्रा./हेक्टेयर है।
- केरा पोरा विघि या ड्रील से बोनी के लिए 80-100 कि. प्रति हेक्टेयर है।
- गडढ़े बनाकर बोनी के लिए बीज दर 25-30 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर है।
- असिंचित किस्मों के लिए उपयुक्त बीज दर 100 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर है।
- असिंचित देर से बोई किस्मों के लिए उपयुक्त बीज दर 125 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर है।
- सिंचित किस्मों के लिए उपयुक्त बीज दर 100 कि.ग्रा प्रति हेक्टेयर है।
कुसुम
बीज उपचार
- बीज को, मिट्टी और बीज से उत्पन्न होने वाले रेगों से बचाने के लिए उपचारित करना चाहिए।
- बीज उपचार थाईरम या बोसीकॉल 3 ग्राम/ कि.ग्रा. बीज की दर से करें।
- प्रमाणित बीजों को उपचारित करें।
- बीज को फंफूदनाशक के साथ अच्छी तरह मिला लें ।
- बीज उपचारित करने के बाद उन्हें छाया में रख दें जिससे फफूदनाशक का असर रहे।
- अगर उपचारित बीज का उपयोग कर रहे हो, तो उन्हें उपचारित न करें।
- बोनी के पहले बीजों को पानी में 24 घंटे के लिए भिगाकर रखे जिससे अच्छा अकुंरण हो।
बीज शोधन
- एग्रोबेक्टेरिम रेडियोबेक्टर और एसपरजिल्लस आवामुरी 25 ग्राम/ कि.ग्रा. बीज की दर से शोधन करें।
बीज दर और बोनी
- असिंचित अवस्था में बोनी सिंतबर के आखिरी सप्ताह से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक करें।
- देर से बोनी से उपज में काफी कमी आती है।
- जिन क्षेत्रों में दो फसलों ली जाती है उनमें बोनी 25 अक्टूबर तक करें।
- बीज दर नमी की मात्रा और कृषि जलवायु क्षेत्र के आधार पर निर्धारित की जाती है।
- अनुमोदित बीज दर 20 कि.ग्रा./हे है।
- बोनी की गहराई 4 से 5 से.मी. के करीब होनी चाहिए जिससे अच्छा अकुंरण हो।
- कतार से कतार की दूरी 45 से.मी. होनी चाहिए परन्तू असिंचित स्थितियों में 60 से.मी. की दूरी रहना चाहिए। पौध से पौध की दूरी 20 से.मी. होनी चाहिए।
बीज दर का मान निम्नलिखित सूत्र से भी निकाला जा सकता है।
बोनी के लिए क्षेत्रफलग्राम में वजन ------------------------------------ दूरी 100 पी.पी. जी.पी.
जहां पी.पी.--- शोधन प्रतिशत
जी.पी.--- अंकुरण प्रतिशत
बीज का वास्तविक मान----
शोधन प्रतिशत जी.पी. ---------------------------- 100
जहां जी.पी. -- अंकुरण प्रतिशत
स्त्रोत : एमपीकृषि,किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग,मध्यप्रदेश सरकार
अंतिम बार संशोधित : 12/11/2019
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