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आलू के छिलके से खाद्य रेशे का निष्कर्षण और उपयोग

आलू प्रसंस्करण

गेहूं, चावल, मक्का जैसी प्रधान फसलों के साथ-साथ आलू भी मानव उपभोग के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। आलू प्रसंस्करण के दौरान आम तौर पर छीला जाता है। छीलना आलू प्रसंस्करण उद्योग का प्रमुख भाग है जिसमें छिलके का निपटान एक समस्या भी हो सकती है। आलू का छिलका खाद्य रेशे और एन्टीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है।

उपयोगिता

खाद्य रेशे खाद्य पदार्थों का वह हिस्सा होता है जिसका हमारे शरीर में पाचन नहीं होता है। घुलनशील और अघुलनशील रेशे मिल कर खाद्य रेशों के दो बुनियादी श्रेणियों को बनाते हैं, जिसमें सेल्लुलोज, पेक्टिन, लिग्निन आदि शामिल होते हैं। अनाज, फल और सब्जियों में खाद्य रेशे की अच्छी मात्रा पाई जाती है। अनाज खाद्य रेशों का मुख्य स्रोत्र है, जो रेशों के सेवन का 50 प्रतिशत का योगदान देता है, लगभग 30-40 प्रतिशत रेशे सब्जियों से आते हैं। लगभग 16 प्रतिशत फलों से बाकी के 3 प्रतिशत अन्य स्रोत्रों से जिनके सेवन से स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और कई रोगों के होने की संभावना भी कम होती है जैसे कि डाइबटीज, ब्लड प्रेशर, दिल के रोग, कैंसर, कब्ज आदि। प्रायः स्वस्थ्य वयस्कों को 20 से 35 ग्रा. के बीच खाद्य रेशे प्रतिदिन खाने का सुझाव दिया जाता है। रेशायुक्त आहार की ऊर्जा घनत्व कम होती है, वसा भी प्रायः कम होता है, और सूक्ष्मपोषक तत्व में प्रचुर होता है। खाद्य रेशे कई विभिन्न उत्पादों में इस्तेमाल किये जा सकते हैं जैसे कि बेकरी, डेयरी, मांस आदि। खाद्य रेशों के महत्व के कारण खाद्य रेशे सम्पन्न उत्पादों के बड़े और क्षमतावान बाजार की स्थापना हुई है।

आलू के छिलके से खाद्य रेशे का निष्कर्षण

आलू में 3 से 5 प्रतिशत की मात्रा में छिलका पाया जाता है। विभिन्न फलों और सब्जियों में, आलू के छिलके को खाद्य रेशों से भरपूर माना जाता है, जिसका अन्य उत्पादों में उपयोग किया जा सकता है। आलू के छिलके से खाद्य रेशे के निष्कर्षण के लिए एन्जाइम-रसायनिक विधि का उपयोग किया गया है। इस विधि में सबसे पहले आलू के छिलके की फॉस्फेट बफर घोल में डालते हैं और उसका पी एच मापते हैं। इसके बाद पदार्थ में एन्जाइम (एल्फा एमाइलेज) डालते हैं और 90 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 30 मिनट के लिये गरम करते हैं। जिससे कि छिलके में उपस्थित स्टार्च की मात्रा कम हो जाती है। इसके बाद पदार्थ से फॉस्फेट बफर अलग कर देते हैं, और उसमें 1 प्रतिशत सल्फ्यूरिक अम्ल डालकर 60 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 30 मिनट के लिये गरम करते हैं। गरम करने के बाद इसका पी.एच. 7.0 तक लाते हैं और आलू के छिलके को गरम पानी से धोते हैं ताकि छिलके में एसिड उपस्थित न रहे। इसके बाद आलू के छिलके को 3 प्रतिशत हाइड्रोजन परॉक्साइड के साथ 60 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 30 मिनट के लिये ब्लीच करते हैं। ताकि छिलके का रंग सफेद हो जाये। इस तरह से प्राप्त रेशे को किसी भी रंग के पदार्थ के साथ आसानी से डाल सकते हैं। ब्लीचिंग के बाद खाद्य रेशों को 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर ड्रायर में सुखाते हैं और फिर इसको पीस लेते हैं। पीसे हुए खाद्य रेशों को किसी भी पदार्थ जैसे बिस्कुट, चपाती, नगेट्स आदि में डालकर खाद्य रेशों से भरपूर उत्पाद बना सकते हैं।

Fruits And Vegetable

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आलू के छिलके और खाद्य रेशे में उपस्थित पोषक तत्व (प्रतिशत)

पोषक तत्व आलू आलू के का छिलका आलू के छिलके से प्राप्त खाद्य रेशों
नमी 7.86 7,13
प्रोटीन 10.94 1.61
बसा 5.85 1.40
खनिज लबण 4.90 9.70
कुल खाद्य रेशे 70.41 79.59
घुलनशील खाद्य रेशे 2.79 2.01
अघुलनशील खाद्य रेशे 67.62 77.58

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आलू के छिलके से प्राप्त खाद्य रेशे युक्त बिस्कुट में उपस्थित पोषक तत्व और भौतिक लक्षण

पोषक तत्व /भौतिक लक्षण 5 प्रतिशत खाद्य रेशे युक्त बिस्कुट 10 प्रतिशत खाद्य रेशे युक्त बिस्कुट 15 प्रतिशत खाद्य रेशे युक्त बिस्कुट
नमी 5.51 5.38 5.46
बसा 20.75 19.5 19.0
प्रोटीन 7.91 6.88 6.0
खनिज लवण 1.26 1.36 1.38
कार्बोहाइड्रेट्स (प्रतिशत) 72.28 74.81 75.79
चौड़ाई/व्यास (मि.मी.) 55 54.3 53.6
मोटाई (मि.मी.) 10.83 11.06 11.27
कठोरता (कि ग्रा.) 1.96 2.38 3.83

आलू के छिलके से प्राप्त रेशों का बिस्कुट में उपयोग

आलू के छिलके से प्राप्त रेशे को विभिन्न मात्रा (5, 10, 15 - प्रतिशत) में बिस्कुट बनाने में उपयोग किया गया। 10 और 15 प्रतिशत खाद्य रेशों से बने बिस्कुट की तुलना में 5 प्रतिशत खाद्य रेशों से बने बिस्कुट सर्वोत्तम पाए गए। जिससे यह निष्कर्ष निकलता है कि आलू के छिलकों को 5 प्रतिशत तक बेकरी उत्पादों में सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता हैं।

स्त्रोत : सीफेट न्यूजलेटर, लुधियाना( मोना माईकल, संगीता चोपड़ा, हृदेश राजपूत, देविन्द्र ढींगरा' एवं दीपक राज राय तकनीकी हस्तांतरण प्रभाग, सीफेट लुधियाना 'कृषि अभियांत्रिकी प्रभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली)

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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