एक कृषि उपज का मानकीकरण और ग्रेडिंग उपभोक्ता के लिए एक बाजार चैनल में उसकी यात्रा के लिए मूल्य-श्रृंखलाओं में पहला कदम है। एक उत्पाद की कीमत का आकलन उसकी गुणवत्ता के अनुरूप होना चाहिए, जो ग्रेडिंग और मानकीकरण की एक संवेदनशील प्रणाली पर निर्भर है। इसलिए, किसान स्तर पर विभिन्न वस्तुओं की ग्रेडिंग को बढ़ावा देना और क्रेता-विक्रेता में उचित संपर्क स्थापित कर गुणवत्ता से मूल्य को जोड़ने की सुविधा का संवर्द्धन विस्तार कार्यकर्ताओं पर निर्भर है। समय और क्षेत्रों के साथ किसानों द्वारा बाजार में लाई जाने वाली कृषि उपज की गुणवत्ता में भिन्नता के कारण, ग्रेड और गुणवत्ता में भिन्नता को उपज की कीमत से जोड़ने के लिए वैज्ञानिक तर्ज पर उत्पादन का वर्गीकरण आवश्यक है। वैज्ञानिक ग्रेडिंग गुणवत्ता के पहलुओं के मूल्यांकन के आधार पर की जानी चाहिए जिससे विक्रेता उन वस्तुओं की गुणवत्ता का वर्णन करने में सक्षम हो सकें जिन्हें वे दे रहे हैं और खरीदार समझ सके बाजार में उन्हें क्या पेश किया जा रहा है। इसे देखते हुए, कृषि उपज के अधिनियमन(ग्रेडिंग और अंकन) अधिनियम, 1937 के लागू होने के बाद कृषि जिंसों के विपणन को वैज्ञानिक तर्ज पर व्यवस्थित किया गया है। यह अधिनियम केन्द्र सरकार को कृषि जिंसों और पशुधन उत्पादों के लिए ग्रेड मानक निर्धारित करने और ग्रेड मानकों के उपयोग को नियंत्रित करने तथा ग्रेडिंग के लिए प्रक्रिया स्थापित करने का अधिकार देता है। वर्तमान में, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत विपणन और निरीक्षण निदेशालय (डीएमआई) द्वारा 213 कृषि जिंसों के लिए ग्रेड मानक तैयार किए गए हैं। वर्गीकृत कृषि उपज पर एगमार्क लेबल लगा होता है। डीएमआई द्वारा प्रोन्नत ग्रेडिंग की विभिन्न श्रेणियों को इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-
जिंसों के समूह |
अधिसूचित जिंसों की संख्या |
1.खाद्य अनाज तथा उससे संबद्ध उत्पाद |
30 |
2. फल और सब्जियाँ |
51 |
3. मसाले और बघार |
27 |
4. खाद्य गिरियां |
8 |
5. तिलहन |
17 |
6. वनस्पति तेल और वसा |
19 |
7. तेल की खली |
8 |
8. आवश्यक तेल |
8 |
9. रेशेदार फसलें |
5 |
10. पशुधन, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद |
10 |
11. अन्य उत्पाद |
30 |
कुल
|
213 |
• कृषि जिंसों की घरेलू खपत,
• कृषि जिंसों के निर्यात, और
• निर्माता स्तर पर एगमार्क लगाना
डीएमआई के अलावा, विभिन्न प्रयोजनों के लिए मानकीकरण का कार्य अन्य एजेंसियों को सौंपा गया है, जो निम्न तालिका में प्रस्तुत है-
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग |
सार्वजनिक वितरण के लिए कृषि जिंसों की खरीद के लिए उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) मानक |
पीएफए/खाद्य सुरक्षा और |
भोजन की वस्तुओं के पैकेजिंग और लेबलिंग के लिए दिशा निर्देश प्रदान करता है। पीएफए मानक गुणवत्ता के लिए न्यूनतम सीमा के साथ-साथ सुरक्षा मानक (अनिवार्य) निर्धारित करते हैं। |
डीएमआई (एपी (जी एवं एम) अधिनियम, 1937) |
अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत निर्धारित विभिन्न कृषि जिंसों के मानकों को साधारण तौर पर एगमार्क मानकों के रूप में जाना जाता है। एगमार्क मानक पीएफए/एफएसएसए में निर्धारित गुणवत्ता और सुरक्षा के न्यूनतम मानकों का अनुपालन करता है। हाल ही में, जैविक कृषि उत्पाद ग्रेडिंग और अंकन नियम, 2009 अधिसूचित किया गया है, जो अधिनियम के अंतर्गत अनुसूची में शामिल जैविक कृषि जिंसों को प्रमाणीकरण प्रदान करता है। |
भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 1986 |
यह अधिनियम संसाधित वस्तुओं और प्रक्रियाओं के लिए उत्पादों के मानकों को तय करने का प्रावधान करता है। अधिनियम स्वैच्छिक प्रकृति का है। |
कमोडिटी एक्सचेंज |
बाजार सहभागियों को जिंस संजातों (कृषि और गैर-कृषि जिंसों) के एक व्यापक परिदृश्य में व्यापार करने के लिए मंच प्रदान करता है। व्यापार की सुविधा के लिए प्रत्येक वस्तु के साथ गुणवत्ता मानकों में छूट की सीमा निर्धारित की गई है। |
ग्रेडिंग और मानकीकरण एक विपणन कार्य है, जो एक चैनल से गुजरने के दौरान उपज में मूल्य जोड़ता है। मानकीकरण के बिना भ्रम और अनौचित्य बना रहता है। मानकीकरण शब्द का प्रयोग एक व्यापक अर्थ में किया जाता है। पहले वस्तुओं के लिए ग्रेड मानक निर्धारित किए जाते हैं और फिर स्वीकृत मानकों(गुणवत्ता विनिर्देशों) के अनुसार वस्तुओं को वर्गीकृत किया जाता है। लेकिन अगर को अलग-अलग विक्रेताओं के लिए इन गुणवत्ता मानकों में भिन्नता हो, तो इसके ग्रेड के बारे में अत्यधिक भ्रम की स्थिति बनी रहेगी। एक विक्रेता के शीर्ष ग्रेड दूसरे के लिए दूसरे दर्जे का हो सकता है। ऐसा होने पर खरीदार ग्रेडिंग में विश्वास खो देते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए, यह आवश्यक है कि ऐसे ग्रेड मानक निश्चित किए जाएं जिन्हें सार्वभौमिक रूप से सब के द्वारा स्वीकार किया जाए और हर व्यापार में इनका पालन किया जाए।
मानकीकरण अलग-अलग वस्तुओं के लिए स्थापित किये जाने वाले मानकों का निर्धारण है। मानकीकरण को ग्रेड या मॉडल प्रक्रियाओं और उत्पादन से निपटने और माल और सेवाओं की बिक्री के तरीकों की बुनियादी सीमा के निर्धारण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इस प्रकार, मानकीकरण स्थान और समय से ऊपर खरीदार और विक्रेता के बीच एक समान ग्रेड के गुणवत्ता मानकों को स्थापित करना है।
वजन, आकार, रंग, रूप, बनावट, नमी की मात्रा, बाहरी वस्तुओं की प्रधान लंबाई की मात्रा, पकने, मिठास, स्वाद, रासायनिक सामग्री आदि कुछ विशेषताओं के आधार पर स्थापित मानकों को ग्रेड मानक कहा जाता है। इस प्रकार, मानकीकरण का मतलब सभी स्थान और समय के खरीदार और विक्रेताओं के बीच एक समान ग्रेड के गुणवत्ता मानक स्थापित करना है। ग्रेडिंग को निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुसार विभिन्न प्रकार की उपज की अलग-अलग वर्गों में छंटाई के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। जहाँ तक गुणवत्ता का संबंध है प्रत्येक वर्ग में काफी हद तक समान विशेषताएं होती है। यह उत्पादों को पूर्व निर्धारित मानकों के अनुसार कुछ समूहों में वर्गों में विभाजित करने की एक विधि है। ग्रेडिंग मानकीकरण का पालन करता है। यह मानकीकरण का एक उप-कार्य है।
क. निर्धारित ग्रेडिंग/अनिवार्य ग्रेडिंग-(निर्धारित आकार, गुणवत्ता और अन्य विशेषताओं के अनुसार छंटाई)
ख. काल्पनिक/विकेन्द्रित ग्रेडिंग-पैकर या तो अपने मानक निर्धारित करता है या अनुमोदित प्रयोगशालाओं में वर्गीकृत माल लेता है।
ग. उत्पादकों के स्तर पर ग्रेडिंग - इस कार्यक्रम के अंतर्गत किसानों को बिक्री के लिए प्रस्तुत करने से पहले उपज छँटाई के लिए निरूशुल्क ग्रेडिंग सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
घ. निर्यात के लिए ग्रेडिंग।
मानकों की पर्याप्तता निर्धारित करने वाले मापदंड इस प्रकार हैं-
ग्रेडिंग अपनाने की वजह से उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध लाभ निम्नलिखित हैं-
ग्रेडिंग एक किसान के लिए इन्हें संभव बनाता है-
भारत सरकार द्वारा निर्धारित ग्रेड विनिर्देशों को अपनाकर अपने क्षेत्र के लिए प्रासंगिक वस्तुओं की ग्रेडिंग को बढ़ावा देना।
क्रेता-विक्रेता में उचित संपर्क के माध्यम से किसानों की उपज के लिए गुणवत्ता के अनुरूप मूल्य सुनिश्चित करना।
अपने क्षेत्र में विकसित वस्तुओं की ग्रेड विशिष्टताओं का व्यापक रूप से प्रसार।
स्रोत: राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय,भारत सरकार का संगठन
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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