अन्य जीवधारियों की तरह पालतू पशुओं को भी जीवन प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है। पालतू पशु मुख्यतः शाकाहारी होते हैं एवं चारा ही इनका मुख्य भोजन है।
पशुओं द्वारा भूख को शांत करने के लिए एक समय में जो भोजन खाया जाता है उसे खुराक कहते हैं।
भोजन की वह आवश्यक मात्रा जिसे पशु 24 घंटे के दौरान खाते हैं, आहार कहलाती है।
ऐसा आहार जो पशु को आवश्यक पोषक तत्वों प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, खनिज, लवण विटामिनुद्ध का उचित अनुपात एवं मात्रा में प्रदान करें, जिससे कि पशु की एक दिन की बढ़वार, स्वास्थ्य, दुग्ध उत्पादन, प्रजनन आदि बनाये रखें, संतुलित पशु आहार कहलाता है।
पशु का शरीर 75%, जल 20% प्रोटीन, 5% खनिज पदार्थों एवं 1% से भी कम कार्बोहैड्रेड का बना होता है। शरीर की संरचना पर आयु व पोषण का बहुत प्रभाव होता है, बढ़ती उम्र के साथ जल की मात्रा में कमी परन्तु वसा में वृद्धि होती है।
ग्रास्लैंड में किए गये अनुसंधानों के अनुसार पशुओं को संतुलित आहार खिलाने से पशु उत्पादन क्षमता में 30-35% तक की वृद्धि होती है।
कार्बोहाईडेट |
प्रोटीन |
वसा |
खनिज लवण |
विटामिन |
पानी |
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घुलनशील |
शुद्ध प्रोटीन |
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वृहत तत्व |
वसा युक्त |
शर्करा, मोर्ड |
अप्रोटीन |
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बिरल युक्त |
जल युक्त |
हेमीस्ल्युलोज |
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सेल्युलोज |
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ये हाड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बनते हैं। कार्बोहाइड्रेट दो तरह के होते हैं। इसमें शर्करा, मॉड, हेमीसेल्युलोज ज्यादा पाचनशील तथा सेल्युलोज और सेल्युलोज से जुड़ा हैमिसेल्युलोज कम पाचनशील होता है।
यह नत्रजन, कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के मिलने से बनते हैं। प्रोटीन बहुत से अमीनों अम्ल एक मिलने से बनते हैं।
कार्य - पशु शरीर में मोस बनाना, शरीर वृद्धि रोगों के विरुद्ध प्रतिकारक शक्ति, प्रजनन शक्ति, एंजाइम एंव हारमोंस की समान्य क्रिया एवं दुग्ध उत्पादन
स्रोत - दो दाल वाली फसलें जैसे: बरसीम, लुर्सन, लोबिया ग्वार, सोयाबीन, खली आदि
वसा पानी में अघुलनशील तथा इथर, एल्कोहल, कार्बनडाई सल्फाइड में घुलनशील होती है। इससे कार्बन हैड्रोजन एवं ऑक्सीजन तत्व पशु को प्राप्त होते हैं।
कार्य - उर्जा निर्माण, जोड़ों की हलचल त्वचा चमकाना, शक्ति प्रदान करना।
स्रोत - सभी प्रकार की खली, बिनौले, सोयाबीन आदि।
जो तत्व शरीर में ज्यादा इस्तेमाल होते है, वृहत खनिज तत्व तथा जिन तत्वों की पशु शरीर में आवश्कता कमी होती है विरल तत्व होते हैं। जैसे: लोहा कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम पोटाशियम, मैग्नीशियम, सल्फर तथा क्लोरिन
जैसे - लोहा आयोडीन, मैगनीज, बॉबा, कोबाल्ट, जस्ता, सैलिनियम, मोलिब्डेनम, क्रोमियम आदि।
कार्य - हड्डी मजबूत बनाना, रोग प्रतिरोधक क्षमता, भोजन पचाने में, रक्त को ऑक्सीजन पहुंचाना, शरीर क्रियाओं में संतुलन रखना।
स्रोत - हरा चारा, खल, खनिज मिश्रण
विटामिन ए.डी. तथा ई ये वसा में घुलनशील होते हैं तथा विटामिन बी एवं सी पानी में घुलनशील होते हैं। विटामिन की कमी से बीमारियों के लक्षण पशु में जाते हैं।
कार्य - शरीर की सामान्य वृद्धि, पशु को स्वास्थ्य रखना, पाचन शक्ति एवं भूख में वृद्धि रकना, प्रजनन क्षमता बनाये रखना, रोग रोधक शक्ति पैदा करना।
स्रोत - हरा चारा, दाना, खलियाँ इत्यादि।
पशु शरीर में लगभग 75% पानी होता है, एक सामान्य पशु के लिए 35-40 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
कार्य - दूध बनाना, पोषक तत्वों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना, रक्त निर्माण, शरीर का तापक्रम, पाचन शक्ति बढ़ाना।
स्रोत - हरा चारा एवं स्वच्छ पानी
अतः पशुओं को स्वास्थ्य रखें के लिए सम्पूर्ण तत्वों युक्त भोजन एक निशिचत अनुपात एवं मात्रा में खिलाएं। विभिन्न प्रकार के पशुओं के लिए अलग-अलग प्रकार का आहार देना चाहिए।
पशु आहार का वर्गीकरण उनमें पाए जाने वाले तत्वों के आधार पर निम्न प्रकार से किया जाता है।
संतुलित पशु आहार न केवल पशु की जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि यह दुग्ध उत्पादन की लागत को भी कम करता है। दूध देने वाले पशुओं को पोषण कि जरूरत तीन कारकों के लिए होती है:
अतः पशु का आहार इन तीन जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाना चाहिए, जिससे पशु स्वस्थ्य रहे, अधिक उत्पादन दे तथा अगली पीढ़ी के लिए स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दे।
रेशेदार चारा |
दाना मिश्रण |
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सुखा |
हरा |
शाकीपूरक |
प्रत्याभीन पूरक |
भूसा, कड़वी |
हरे चारे |
दाने, खली |
वनस्पति उत्पन्न |
सखी घास |
साइलेज |
मूल जड़े |
जैविक स्रोत |
हे |
चारागाह |
दाना/दाल छिलका |
समुद्री स्रोत |
गाय एवं भैसों के पाचन तंत्र के सामान्य रूप से काम करने के लिए चारे की न्यूनतम मात्रा आवश्यक है। हमारे देश में चारे की अधिक मात्रा खिलानी चाहिए जिससे राबित, दाना मिश्रणद्ध की कम मात्रा खिलानी पड़े। उत्तम चारे जैसे बरसीम, लुर्सन, मक्का आदि भरपेट देने से दाना मिश्रण की मात्रा कम की जा सकती है। कल बरसीम या उसके साथ 1-2 किलो भूसा खिलाने से 8-10 लीटर दूध का उत्पादन प्रतिदिन ले सकते हैं।
दाना मिश्रण बनाते समय यह ध्यान रखें कि तैयार दाना मिश्रण में प्रोटीन 14-16% तथा कुल पाच्य तत्व कम से कम 65-68% हो अतः निम्न अनुपात में ही दाना मिश्रण बनाएं।
खली |
25-35% |
मोटे अनाज |
25-35% |
चोकर, चुन्नी, भूसी |
10-30% |
खनिज लवण |
2% साधारण नमक |
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1% |
लेखन : डॉ. बी.एस. मीणा
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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