गर्भ विज्ञान विभाग, राँची पशुचिकित्सा महाविद्यालय ने सूकर में ऐच्छिक प्रसव के लिए एक नई तकनीक विकसित की है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मान्यता प्रदान की हैं इसमें कुछ हारमोन के प्रयोग से एक निर्धारित समय में प्रसव कराया जा सकता है। दिन में प्रसव होने से सूकर के बच्चों में मृत्यु दर काफी कम हो जाती है, जिससे सूकर पालकों को काफी फायदा हुआ है।
सूकरों का आहार जन्म के एक पखवारे बाद से शुरू ही जाता है। माँ के दूध के साथ-साथ छौनी (पिगलेट) को सूखा ठोस आहार दिया जाता है, जिसे क्रिप राशन कहते हैं। दो महीने के बाद बढ़ते हुए सूकरों को ग्रोअर राशन एवं वयस्क सूकरों को फिनिशर राशन दिया जाता है। अलग-अलग किस्म के राशन को तैयार करने के लिए निम्नलिखित दाना मिश्रण का इस्तेमाल करें:
|
क्रिप राशन |
ग्रोअर राशन |
फिनिशर राशन |
मकई |
60 भाग |
64 भाग |
60 भाग |
बादाम खली |
20 भाग |
15 भाग |
10 भाग |
चोकर |
10 भाग |
12.5 भाग |
24.5 भाग |
मछली चूर्ण |
8 भाग |
6 भाग |
3 भाग |
लवण मिश्रण |
1.5 भाग |
2.5 भाग |
2.5 भाग |
नमक |
0.5 भाग |
- |
- |
कुल |
100 भाग |
100 भाग |
100 भाग |
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रोविमिक्स |
रोभिवी और रोविमिक्स |
रोविमिक्स |
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200 ग्राम/ 100 किलो दाना मिश्रण |
20 ग्राम/ 100 किलो दाना मिश्रण |
10 ग्राम/ 100 किलो दाना मिश्रण |
(1)ग्रोअर पिग (वजन 12 से 25 किलो तक) : प्रतिदिन शरीर वजन का 6 प्रतिशत अथवा 1 से 1.5 किग्रा. दाना मिश्रण। (2) ग्रोअर पिग (26 से 45 किलो तक): प्रतिदिन शरीर वजन का 4 प्रतिशत अथवा 1.5 से 2.0 किलो दाना मिश्रण। (3) फिनिशर पिग: 2.5 किलो प्रतिदिन दाना मिश्रण। (4) प्रजनन हेतु नर सूकर: 3.0 किलो। (5) गाभिन सूकरी: 3.0 किलो। (6) दुधारू सूकरी 3.0 किलो और दूध पीने वाले प्रति बच्चे 200 ग्राम की दर से अतिरिक्त दाना मिश्रण। अधिकतम 5.0 किलो।
दाना मिश्रण को सुबह और अपराह्न में दो बराबर हिस्से में बाँट कर खिलायें।
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखंड सरकार
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