অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

मुनाफे की राह पर ले जाये डेयरी उद्योग

परिचय

पशुपालन हमारे देश में ग्रामीणों के लिए सिर्फ शौक ही नहीं, बल्कि आमदनी का जरिया भी रहा है, लेकिन सही जानकारी के अभाव में अकसर लोग पशुपालन का पूरा फायदा नहीं उठा पाते| इस काम से संबंधित थोड़ा-सा ज्ञान और सही दिशा में की गयी प्लानिंग आपको बेहतरीन मुनाफा कमाने का रास्ता दिखा सकती है|

डेयरी उद्योग में दुधारू पशुओं को पाला जाता है| इस उद्योग के तहत भारत में गाय और भैंस  पालन को ज्यादा महत्व दिया जाता है, क्योंकि इनकी अपेक्षा बकरी कम दूध देती है| इस उद्योग में मुनाफे की संभावना को बढ़ाने के लिए पाली जानेवाली गायों और भैंसों की नस्ल, उनकी देखभाल व रख-रखाव की बारीकियों को समझना पड़ता है|

शैक्षिक योग्यता

आप चाहें तो डेयरी उद्योग की बारीकियों को समझने के लिए प्रशिक्षण भी ले सकते हैं| ऐसे कई संस्थान हैं, जो डेयरी उद्योग का प्रशिक्षण देते हैं| प्रशिक्षण लेने के लिए कोई निश्चित शैक्षिक योग्यता या आयु सीमा निर्धारित नहीं है| डेयरी उद्योग को स्वरोजगार के रूप में अपनाने की ख्वाहिश रखनेवाले इन संस्थानों में दाखिला ले सकते हैं| हां, मगर डेयरी प्रोडक्शन के पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लेने के लिए उम्मीदवार का 60 प्रतिशत अंकों के साथ बीएससी पास होना आवश्यक है|

फायदेमंद प्रजातियां

भारत में 32 तरह की गायें पायी जाती हैं| गायों की प्रजातियों को तीन रूप में जाना जाता है, ड्रोड ब्रीड, डेयरी ब्रीड और ड्यूअल ब्रीड| इनमें से डेयरी ब्रीड को ही इस उद्योग के लिए चुना जाता है| दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से भारत में तीन तरह की भैंसें मिलती हैं, जिनमें मुर्रा, मेहसाणा और सुरती प्रमुख हैं| मुर्रा भैंसों की प्रमुख ब्रीड मानी जाती है| यह ज्यादातर हरियाणा और पंजाब में पायी जाती है| मेहसाणा मिक्सब्रीड है| यह गुजरात और महाराष्ट्र में पायी जाती है| इस नस्ल की भैंस एक महीने में 1,200 से 3,500 लीटर दूध देती हैं| सुरती छोटी नस्ल की भैंस होती है, जो गुजरात में पायी जाती है| यह एक महीने में 1,600 से 1,800 लीटर दूध देती है| अकसर डेयरी उद्योग चलानेवाले इन नस्लों की उचित जानकारी न होने के चलते व्यापार में भरपूर मुनाफा नहीं कमा पाते| डेयरी उद्योग की शुरुआत पांच से 10 गायों या भैंसों के साथ की जा सकती है| मुनाफा कमाने के बाद पशुओं की संख्या बढ़ायी जा सकती है|

देखभाल पर जोर देना जरूरी

पाली गयी गायों व भैंसों से उचित मात्र में दुग्ध का उत्पादन करने के लिए उनके स्वास्थ संबंधी हर छोटी-बड़ी बात का ख्याल रखना जरूरी होता है| पशु जितने स्वस्थ होते हैं, उनसे उतने ही दूध की प्राप्ति होती है और कारोबार अच्छा चलता है| जानवरों को रखने के लिए एक खास जगह तैयार करनी होती है| जहां हवा के आवागमन की उचित व्यवस्था हो| साथ ही, सर्दी के मौसम में जानवर ठंड से बचे रहें| रख-रखाव के बाद बारी आती है पशुओं के आहार की| इसके लिए गायों या भैंसों को निर्धारित समय पर भोजन देना जरूरी होता है| इन्हें रोजाना दो वक्त खली में चारा मिला कर दिया जाता है| इसके अलावा बरसीम, ज्वार व बाजरे का चारा दिया जाता है| दूध की मात्र बढ़ाने के लिए भोजन में बिनौले का इस्तेमाल करना अच्छा रहता है| डेयरी मालिक के लिए इस बात का ख्याल रखना भी जरूरी होता है कि पशुओं को दिया जानेवाला आहार बारीक, साफ-सुथरा हो, ताकि जानवर भरपूर मात्र में भोजन करें| वहीं चारे के साथ पानी की मात्र पर ध्यान देना भी जरूरी है| गाय व भैंस एक दिन में 30 लीटर पानी पी सकती हैं| इसके अलावा डेयरी मालिक को पशुओं की बीमारियों व कुछ दवाओं की समझ भी होनी चाहिए|

ले सकते हैं सरकारी मदद

आज कई सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाएं डेयरी उद्योग के लिए 10 लाख रुपये तक की लोन सुविधा उपलब्ध कराती हैं| इसके लिए डेयरी मालिक को तमाम कागज जैसे एनओसी, एसडीएम का प्रमाणपत्र, बिजली का बिल, आधार कार्ड, डेयरी का नवीनतम फोटो आदि जमा करना होता है| वेरीफिकेशन के बाद अगर संबंधित प्राधिकरण संतुष्ट हो जाता है, तो डेयरी मालिक को डेरी और पशुओं की संख्या के हिसाब से पांच से 10 लाख रुपये तक की राशि मुहैया करायी जाती है| डेयरी मालिक को यह राशि किस्तों में जमा करनी होती है| निश्चित समय पर किस्तों का भुगतान करने पर कुछ किस्तें माफ भी कर दी जाती हैं|

शुरू करें अपना डेरी फार्म

स्त्रोत: दैनिक समाचारपत्र

अंतिम बार संशोधित : 10/25/2019



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate