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जनवरी से जून माह में पशुओं की देखभाल

जनवरी पौष

  • पशुओं को शीत लहर (सर्दी) से बचाएं ।
  • खुरपका मुंहपका का टीका अवश्य लगाएं
  • बाँझ संतति  का विशेष ध्यान रखें।
  • नवजात पशुओं का विशेष ध्यान रखें।
  • वाह्य परजीवी से बचाव के लिए दवा से नहलाएं
  • दुहान से पहले आयन को धो लें।

फरवरी माघ

  • खुरपका मुंहपका का टीका अवय लगाये।
  • जिन पशुओं में जुलाई अगस्त में टीका लग चूका है उन्हें पुनः लगवाएं।
  • बाह्य परजीवी तथा अन्तः परजीवी रोगों की दवा लगायें।
  • त्रिम गर्भाधान कराएं
  • बांझपन चिकित्सका एवं गर्भ परीक्षण कराएं
  • बरसीम का बीज तैयार करें।
  • पशुओं को ठण्ड से बचाने का प्रबंध करें।

मार्च फाल्गुन

  • पशुशाला की साफ सफाई तथा पुताई कराएँ
  • बधियाकरण कराएं
  • खेत में सूडान चरी तथा लोविया की बुआई करें
  • मौसम में परिवर्तन से पशु का बचाव करें।

अप्रैल चैत्र

  • खुरपका मुंहपका रोग से बचाव का टीका लगवाएं
  • जायद  के हरे चारे की युवाई करें, बरसीम चारा बीज उत्पाद हेतु कटाई  कार्य करें।
  • अधिक आय के लिए स्वच्छ दुग्ध उत्पादन करें
  • अन्तः एवं बाह्य परजीवी का बचाव द्वापान से करें।

मई बैसाख

  • गलघोटू तथा लगड़िया बुखार का टीका सभी पशुओं में लगवाएं
  • पशुओं को हरा चारा पर्याप्त मात्रा में खिलाएं ।
  • पशु का स्वच्छ  पानी पिलवाएं
  • पशु को सुबह एवं सायं नहलाएं
  • पशु को लू एवं गर्मी से बचाने को व्यवस्था करें।
  • पशुओं में परजीवी का उपचार कराएं।
  • बांझपन की चिकित्सा करवाएं तथा गर्भ परिक्षण कराएँ ।
  • परजीवी पशुओं को नमक नमक का सेवन कराएं।

जून ज्येष्ठ

  • गलघोटू तथा लगड़िया बुखार का टीका सभी पशुओं में लगवाएं
  • पशु को लू से बचाएं
  • हरा चारा पर्याप्त मात्रा में दें।
  • परजीवी की दवा पशुओं को पिलावें
  • खरीफ के चारे मक्का लोबिया के ली खेत की तैयारी करें।
  • बाँझ पशु का उपचार कराए।
  • सूखे खेत को चरी न खिलाएं अन्यथा जहर फैलने का डर रहेगा।

लेखन : हंसराम मीणा

स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

 

अंतिम बार संशोधित : 1/24/2023



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