राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड सदैव गरीब एवं सीमांत किसानों के उत्थान के लिए कार्यरत रहा है, जो कि देश के दुग्ध उत्पादकों का प्रमुख हिस्सा है। इन किसानों की आजीविका मुख्य रूप से इनके द्वारा दिए गए एक या दो पशुओं के दूध से अर्जित आय पर निर्भर है। लाभकारी डेरी व्यवसाय में स्वस्थ पशु की भूमिका किसी से छुपी नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ने दुग्ध उत्पादन की अच्छी विधियाँ नाम से एक लघु पुस्तिका विकसित की है जो कि पशु स्वस्थ्य, प्रजनन, आहार, चारा उत्पादन एवं संरक्षण से संबंधित समस्त मूलभूत जानकारियों से परिपूर्ण है।
डेरी किसानों को दुग्ध उत्पादन की वैज्ञानिक जानकारी होने के साथ - साथ यह भी आवश्यक है कि वो पशुओं द्वारा समय समय पर दिए जाने वाले संकेतों को भी समझे, क्योंकि पशु संकेतों की सही समझ पशु के स्वास्थय, प्रबंधन, आहार, साफ - सफाई एवं पशु को हो रही असुविधा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकती है। लघु पुस्तिका अपने पशुओं को समझे इस उद्देश्य के साथ तैयार की गई है कि हम पशुओं द्वारा दिए गए संकेतों को आसानी से समझें, ताकि उचित सुधारात्मक कदम उठाकर भविष्य में होने वाली हानि को टाला जा सके।
एक पशु बहुत से संकेतों द्वारा अपनी सेहत के बारे में जानकारी व्यक्त कर सकता है जिसे कि पशुपालक चेतन अवचेतन में अच्छे या बुरे रूप में परिभाषित करता है।
इस संकेतों को समझना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकी ये संकेत समय के साथ खरे उतरे है और इनको मापा जा सकता है, साथ ही ये पशुपालक की अपने पशु स्वास्थय एवं सेहत से संबंधित एक आंतरिक अनुभूति भी विकसित करते हैं जिससे वह पशु की अवस्था के बारे में सही - सही अनुमान लगा सकता है।
विविध प्रकार के संकेत पशु प्रबंधन के विभिन्न आयामों जैसे कि आहार, आवास, जगह की उपलब्धता, दिनचर्या में बदलाव, स्वास्थय, साफ सफाई एवं सामान्य क्रियाविधि को प्रतिबिम्बित करते हैं और इनमें कोई भी बदलाव दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
इन सभी संकेतों का सार एवं उनकी प्रांसगिकता नीचे सारणी में दर्शाई गयी है –
क्रम संख्या |
संकेत |
प्रासंगिकता |
1 |
स्वास्थ्य |
आहार और रख – रखाव के तरीकों को दर्शाता है। |
2 |
शरीर क्रिया |
सामान्य स्वास्थय, आहार आदतें, रोग, चयापचय की स्थिति, गर्मी/ठंड से तनाव, दिनचर्या में परिवर्तन, पोषक तत्वों की कमी, आवास, कीट समस्या आदि को दर्शाता है। |
3 |
शरीर की दशा |
सामान्य स्वास्थय, ब्यात की अवस्था, आहार आदतें, चयापचय रोगों की संभावना या ब्याने के बाद प्रजनन संबंधी समस्याएँ। |
4 |
ब्याना/प्रसव |
ऐसे असामान्य संकेत जिनके मिलने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। |
5 |
नवजात |
ऐसे असामान्य संकेत जिनके मिलने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। |
6 |
पैर एवं चाल |
यह आहार, खुरों के रख – रखाव, फर्श, आवास दर्शाता है। |
7 |
प्रथम आमाशय का भराव/तुष्टि |
बीमारियों, अप्रयाप्त आहार आदि को इंगित करता है। |
8 |
आहार एवं निष्ठा |
आहार निर्माण, चयापचय रोगों आदि को इंगित करता है। |
9 |
स्वच्छता |
पशुशाला में साफ – सफाई को इंगित करता है। |
10 |
स्तनाग्र |
दूध दुहने की आदतों को दर्शाता है। |
11 |
गर्मी से तनाव |
गर्मी के कारण तनाव के स्तर को दर्शाता है। |
12 |
आवास |
फर्श, वायु- संचालन स्थान की आवश्यकता, आवास में नाद एवं रेलिंग की स्थिति, कचरे के निष्पादन, कीट समस्या आदि को इंगित करता है। |
13 |
तनाव और दर्द में उत्पन्न स्वर |
मनोवैज्ञानिक स्थिति, बीमारी की हालत और दर्द के स्रोत को इंगित करता है। |
एक स्वस्थ पशु स्वास्थ्य संकेतों माध्यम से अपनी तंदुरूस्ती जता सकता है, जिसे किसान आसानी से समझ सकता है।
पशु का थूथन हमेशा ठंडा और नम होना चाहिए।
स्वास्थ्य संकेतों संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है।
विवरण |
स्वास्थ्य संकेत |
थूथन |
ठंडा एवं नम, साथ ही पशु द्वारा बार – बार चाटा जाना |
आंखे |
चमकदार, साफ बिना किसी स्राव, परत और रक्तिम निशान के |
साँस लेना |
नियमित, बिना किसी अतिरिक्त प्रयत्न के |
चमड़ी |
चमकदार, साफ एवं मुलायम, चिचड़ी/ जूँ, अन्य परजीवी या फोड़े से रहित। त्वचा का बदरंग होना खनिज लवणों की कमी का एक संकेत है। रूखी/ खुरदरी त्वचा कीड़ों के प्रकोप का एक संकेत है |
आकार/रंग – रूप |
पशु का वजन उसकी नस्ल के औसत के अनुसार होना चाहिए एवं पशु बहुत कमजोर या दुर्बल नहीं होना |
चाल |
चाल सामान्य एवं स्वच्छंद होनी चाहिए, चाल धीमी अथवा असामान्य नहीं हो, स्थ ही पशु के बैठते समय लचक नहीं होनी चाहिए। पशु को बैठी हुए अवस्था से खड़े होने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए, सामान्य पशु चलते मय अपने पिछले पैरों को ठीक उस जगह रखता है जहाँ उसका अगला पैर पड़ा था, लंगड़े पशु का पैर इससे पीछे या आगे पड़ सकता है |
थन |
थन का आकार मात्र, अच्छे थन की निशानी नहीं है, इसमें दुग्ध शिराएँ उभरी हुई हों और यह मजबूती से पशु के शरीर जुडा हो। यह बहुत शिथिल और बहुत माँसल नहीं होना चाहिए। पशु के चलते समय थन बगलों में बहुत झूलना नहीं चाहिए। |
व्यवहार |
पशु जिज्ञासु, सतर्क और संतुष्ट दिखना चाहिए। पशु झुंड से अलग खड़ा नहीं होना चाहिए और उदासीन या गुस्से में नहीं होना चाहिए। |
शरीर अवस्था गुणाक |
यह पशुओं के स्वास्थय का एक महत्वपूर्ण सूचक है। एक स्वस्थ पशु का शारीरिक गुणांक 2-3 के बीच होना चाहिए (ब्यांत और गर्भावस्था स्थिति पर आधारित ) |
सुझाव - जानवर के वजन का आकलन
एक पशु के शरीर का वजन निम्न सूत्र द्वारा नापा जा सकता है।
शरीर का वजन (किग्रा) = सीने का घेरा (इंच)2 x शरीर की लंबाई (एबी) (इंच)
शारीरिक क्रिया संकेत
शारीरिक संकेत पशुओं में होने वाली सामान्य शारीरिक प्रक्रियाओं को प्रतिबिंबित करते हैं। सामान्य परिणाम से पशु के स्वस्थ होने का संकेत मिलता है। शारीरिक क्रिया असामान्य होने पर पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
तापमान, श्वसन और जुगाली हमेशा सामान्य दर पर होने चाहिए।
शारीरिक संकेत संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है।
तापमान |
क्या जानना है |
क्या असामान्य है |
संभावित कारण |
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श्वसन दर |
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सुझाव - डिजिटल थर्ममीटर द्वारा मलाशय से तापमान लेना।
सुझाव - श्वसन दर अवलोकन के समय –
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क्या जानना है |
क्या असामान्य है |
संभावित कारण |
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आहार |
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पानी |
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उपयोगी बातें
1. मुट्ठी बंद कर पशु के बाएँ पार्श्व में आमाशय गड्ढे में रखें।
2. मुट्ठी को थोड़ा दबाएँ और करीब एक मिनट के लिए दबाकर रखें।
3. प्रथम आमाशय के संकुचन से आप मुट्ठी पर दबाव महसूस करेंगे।
मल-त्याग |
क्या जानना है |
क्या असामान्य है |
संभावित कारण |
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क्या जानना है |
क्या असामान्य है |
संभावित कारण |
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मूत्र की मात्रा में कमी |
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क्या जानना है |
क्या असामान्य है |
संभावित कारण |
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क्या आप जानते हैं ?
एक लीटर दुग्ध उत्पादन के लिए पशु के थन में 500 लीटर रक्त का प्रवाह आवश्यक है।
मद/हीट के लक्षण
क्या जानना है |
क्या असामान्य है |
संभावित कारण |
यौवन की औसत उम्र
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लार श्रवण
क्या जानना है |
क्या असामान्य है |
संभावित कारण |
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क्या आप जानते हैं ? अप्रत्यक्ष अम्लता
शरीर में कम लार बनने से पशु में अप्रत्यक्ष अम्लता उत्पन्न होती है, जिससे उसके खाने में गिरावट, वजन में कमी, दुस्त तथा थकान होती है इससे पशु में लंगड़ापन आ सकता है।
क्या आप जानते हैं ? मद को जांचने के तरीके
एक पशु जो की मद महीन, वह अपनी पीठ सहलाने पर कमर को झूका लेती है और अपनी पूँछ को उठाकर एक ओर कर लेती है।
पशुओं के गतिविधि चक्र के बारे में जानकारी से पशु के आराम के स्तर के बारे में जाना जा सकता है। एक पशु जो कि आराम से है, वह सामान्य गतिविधियाँ जाहिर करता है। गतिविधियों में कोई असामान्य परिवर्तन दिखाई देने पर गंभीरता से उसका निदान करना चाहिए।
पशुओं को उनकी सामान्य गतिविधियाँ प्रकट करने देना चाहिए।
पशुओं का एक दिन का सामान्य गतिविधि चक्र निम्नानुसार होता है –
क्या आप जानते है?
जब पशु बैठता है तो उसके थनों में रक्त प्रवाह 30% तक बढ़ जाता है और दूध उत्पादन व थनों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। पशुओं को उनकी सामान्य गतिविधियाँ प्रकट करने देना चाहिए।
क्या असामान्य है |
संभावित कारण |
अति उत्तेजना |
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ब्याने के संकेतों को समझने से पशुपालक को या जानने में मदद मिलती है कि पशु चिकित्सा सहायता की कब आवश्यकता होगी। ब्याने के संकेतों को मूल रूप से 3 अवस्थाओं में बाँटा जा सकता है। (1) ब्याने से पहले के संकेत (ब्याने से 24 घंटे पहले) (2) ब्याना (3) गर्भनाल/जेर का निष्कासन।
(iii) प्रथम चरण - ब्याने से पहले के संकेत (ब्याने से 24 घंटे पहले)
योनि द्वारा से स्वच्छ श्लेष्मा का रिसाव और थनों का दूध से भर जाना ही ब्याने की शूरूआत के आसन्न लक्षण हैं।
अन्य लक्षण
उपयोगी बात - ब्याने के दिन का पता लगाना
क्या आप जानते है?
गाय का औसत गर्भकाल 280-290 दिन एवं भैंस 305 – 318 दिन।
(ii) द्वितीय चरण: ब्याने के संकेत (ब्याने के 30 मिनट पहले से लेकर 4 घंटे तक)
सामान्य रूप से ब्याते समय बछड़े के आगे के पैर और सिर सबसे पहले दिखाई देते हैं।
ध्यान दें
यदि पशु को प्रसव पीड़ा शुरु हुए एक से ज्यादा समय हो जाएँ और पानी का थैला दिखाई न दे तो तुरंत पशु चिकित्सा सहायता बुलानी चाहिए।
(iii) तृतीय चरण: गर्भनाल/जेर का निष्कासन (ब्याने के 3-8 घंटे बाद)
ध्यान दें
कभी भी रुकी हुई गर्भनाल को ताकत लगाकर नहीं खींचे, इससे तीव्र रक्तस्राव हो सकता है और कभी-कभी पशु की मौत भी हो सकती है।
किसी भी पशुपालक को स्वस्थ नवजात बछड़े के संकेतों के बारे में जानना अत्यावश्यक है ताकि जरूरत पड़ने पर आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
स्वस्थ बछड़ा पैदा होने के बाद कुछ ही मिनटों में अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है और 1-2 घंटे में दूध पीना शुरू कर देता है।
ख़राब सेहत के संकेत |
संभावत कारण |
लंबे आराम के बाद जब पशु उठता है तो अंगड़ाई नहीं लेता। |
सामान्यतया ख़राब सेहत का प्रथम लक्षण हैं। |
पीछे के पैरों से पेट पर लात मारना |
पशु के पेट में दर्द |
कराहना |
निमोनिया/दस्त/आफ़रा जो कि गंभीर रूप से चुके हैं। |
खड़े होने में असमर्थता |
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धंसी हुई आंखे एवं त्वचा में लचीलेपन का अभाव |
निर्जलीकरण (विशेषकर दस्त के कारण) |
फूला हुआ पेट एवं खुरदरी त्वचा |
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दूध पीने के बाद का आफ़रा |
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सूखी थूथन, लटके हुए कान। |
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पैर फैलाकर व गर्दन लंबी कर खड़े होना। |
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दस्त/अतिसार |
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क्या आप जानते हैं? नवजात बछड़े के स्वस्थ जीवन के 3 प्रमुख स्तंभ
1. जन्म के तुरंत बाद नाभि नाल को उचित कीटाणुनाशक घोल में डुबोएँ।
2. समय पर पर्याप्त मात्रा में खीस पिलाएं।
3. उचित कृमिनाशक सारणी का अनुसरण।
क्या आप जानते हैं ? ग्रासनाल खांच
इसे रेटीकुलर खांच भी कहते हैं, जो कि ग्रासनाल के निचले हिस्से में एक मांसल संरचना होती है। यह जब बंद रहती है तो एक नलिका जैसी रचना बनाती है जो कि दूध को बिना रूमेन में गए सीधा अबोमेसम (आमाशय) में ले जाती है। यह बछड़ों में दूध को रूमेन की किण्वित होने से बचाता हा।
पैर एवं संचालन संकेत
ये संकेत फर्श की दशा, जगह की उपलब्धता एवं आहार व्यवस्था के बारे में इंगित करता है।
पशु का संचलन गुणांक एक एवं पैरों का गुणांक होना चाहिए।
क्या जाने |
क्या असामान्य है |
संभावित कारण |
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आहार संकेत आहार प्रबंधन को प्रदर्शित करते हैं, जिनकी समझ किसान को उचित मुनाफ़ा दिलाने में मदद करती है। क्योंकी डेरी व्यवसाय में 70% खर्च पशु आहार पर होता है।
शरीर की अवस्था, विष्ठा संगठन एवं विष्ठा पाच्यता गुणांक, ब्यांत की स्थिति के अनुसार उपयुक्त होना चाहिए।
क्या जानना चाहिए |
क्या असामान्य है |
संभावित कारण |
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ब्यांत की अवस्था के अनुसार उचित प्रथम आमाशय तुष्टि गुणांक न होना |
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क्या आप जानते हैं? शरीर अवस्था गुणांक 3 से ज्यादा नहीं होना चाहिए
उच्च शरीर अवस्था गुणांक (3 से ज्यादा) पशु के शरीर में चयापचय से संबंधित बीमारियाँ जैसे कीटोसीस, फेटी लिवर सिंड्रोम, गर्भनाल का रूकव या अन्य प्रजनन से संबंधित बीमारियाँ की ओर इंगित करता है।
आरोग्यता एवं स्तन स्वास्थय को मापने से हमें पशुशाला में साफ - सफाई के स्तर एवं दूध दूहने के तरीकें के बारे में जानने में मदद मिलती है।
क्या जाने |
क्या असामान्य है |
संभावित कारण |
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पशु के हांफने के गुणांक से गर्मी से तनाव के स्तर का पाता लगाया जा सकता है।
पशु के हांफने का गुणांक कभी भी 2 से अधिक नहीं होना चाहिए।
हांफने का गुणांक |
स्वसन दर/मिनट |
पशु की अवस्था |
0 |
40 से कम |
सामान्य |
1 |
40 -70 |
हल्का हांफना, लार नहीं गिरती तथा सीने में हलचल नहीं होती। |
2 |
70-120 |
तेजी से हांफना, लार गिरती है लेकिन मुंह बंद रहता है। |
2.5 |
70-120 |
गुणांक 2 के सामान लेकीन मुंह खुला लेकिन जीभ बाहर नहीं निकलती। |
3 |
120-160 |
मुंह खुला होता है, लार गिरती है। गर्दन लंबी एवं सिर ऊपर रहता है। |
3.5 |
120-160 |
गुणांक 3 की तरह लिकं जीभ कुछ बाहर निकलती है और कभी कभी पूरी बाहर आती है, साथ ही बहुत अधिक लार गिरती है। |
4 |
>160 |
मुंह खुला, साथ ही जीभ लंबे समय तक पूरी बाहर निकली हुई, अत्यधिक लार गिरती है। |
आवास से संबंधित कुछ संकेत पशु के आराम से सीधे संबंधित होते हैं।
विवरण |
क्या जानें |
महत्व |
पशुशाला की स्थिति |
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पशुशाला का अभिविन्यास |
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पशुशाला की दीवारें |
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वायु संचार |
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रोशनी |
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फर्श |
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अपवाही (तरल कचरा) प्रबंधन |
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जगह की आवश्यकता |
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नांद एवं रेलिंग |
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तनाव या दर्द के समय पशु द्वारा उत्पन्न स्वर
वयस्क पशु केवल आहार खाते समय, दूध देते समय, मद/हीट में या उसके बछड़े अथवा बछड़े की मौत होने पर ही आवाज निकलते हैं। सामान्य आवाजों और दर्द या तनाव के समय उत्पन्न आवाजों में अंतर समझना बहुत जरूरी है जिससे कि समस्या की गंभीरता को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें। दर्द के समय उत्पन्न कुछ आवाजें निम्न प्रकार से होती है:
उत्पन्न आवाज |
जुड़ी हुई परिस्थितियाँ |
महत्व |
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स्त्रोत: राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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