बिहार के नालंदा जिला के चंडी प्रखंड अंतर्गत गाँव की रहने वाली अनीता अपने गाँव में प्रतिदिन 100 किलो मशरुम बीज उत्पादन कर रही है। उनकी प्रेरणा से 5,000 महिला एवं पुरुष किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। मशरुम का उत्पादन कर स्वाबलंबी बनकर अपने जरूरतों को पुरा कर रही हैं। समेकित कृषि प्रणाली के अन्तर्गत अनीता ने अपने परिवारों की स्थिति ही बदल दी। आज अनीता बदहाली की जिंदगी से निकलकर खुशहाली की जीवन-यापन कर रही है।
उन्होंने बताया कि मैं बीए (गृह विज्ञान) पास कुशल गृहणी थी। मेरे पति संजय कुमार बीए पास करने के बाद नौकरी के तलाश में भटके जब नौकरी नहीं मिल पाया तो खेती करने लगे। मेरे पास कृषि योग्य तीन एकड़ तेईस डिसीमल जमीन था। मेरे परिवारों में सदस्यों की संख्या सात थी, माता-पिता, एक बच्ची, दो बच्चे। पति के साथ मेहनत करने के बाद किसी तरह जीविकोपार्जन कर गुजारा करती थी। मैं सोचती थी किस प्रकार से बच्चों की अच्छी एवं उच्च शिक्षा दिया जाए। इसी समस्या को लेकर मैं कृषि विज्ञान केन्द्र हरनौत आई। वहां के कार्यक्रम संचालक महोदय से मुलाकात हुई और उन्होंने मशरुम उद्योग की सलाह दी। मुझे लगा कि मैं इस कार्य से जुड़कर अपने पैर पर खड़ी हो सकूंगी। इससे जो कमाई होगा उससे बच्चों को उच्चतम तामिला दिला सकूंगी और संचालक महोदय ने मुझे कृषि तकनीकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के माध्यम से सबसे पहले रांची के कृषि विश्वविद्यालय गयी। वहां उसने मशरुम उत्पादन के तौर तरीके, इसके फायदे आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की।
अनीता बताती है कि मशरुम का बिजनेस एक ऐसा व्यापार है जो की कम पूंजी, कम जगह और कम समय में अच्छा मुनाफा दे सकता है। मशरुम की खेती कैसे करे। कोई रॉकेट साइंस नहीं है। आप थोड़ी सी मेहनत और लगन से मशरुम के बिजनेस को ऊँचाई तक ले जा सकते हैं और खुद अनीता मशरुम उत्पादन, मशरुम बीज उत्पादन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, फल उत्पादन एवं अन्य फसलों की कर रही है।
इनके द्वारा बनाया गया उत्पाद जैसे की केला चीप्स, शहद, जाता सत्तु, मशरुम अचार, मशरुम बड़ी, मशरुम पाउडर, सुखा मशरुम, मशरुम पापड़ ये सारे उत्पाद बनाया जा रहा है। यह सामग्री बिहार के कई जिलों के अलावा नेपाल में भी बिकता है। मशरुम में कई ऐसे महत्वपूर्ण तत्त्व है जो शरीर के लिए फायदेमंद है। यह एक शुद्ध शकाहारी भोजन हैं।
मधुमक्खी के 50 से अधिक बक्से से अनिता को प्रतिवर्ष 14 क्विंटल शहद प्राप्त हो रहा है। इससे करीब लगभग लाख रुपये प्रतिवर्ष की आमदनी हो जा रही है।
अनिता के कार्य को अब तवज्जो मिल रही है। 2012 में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर द्वारा नवाचार कृषक पुरस्कार से नवाजा गया। 2015 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार से नवाजा गया है। इन सम्मानों से नवाजे जाने पर अनीता कहती है कि यह काम का पुरस्कार है। यह पुरस्कार मिलने से नया जोश व उत्साह पैदा हुआ है और भविष्य में और बेहतर करने की प्रेरणा मिली है। इसके लिए अनीता को और कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
2017 में पटना के गांधी मैदान में आयोजित सरस मेला में इनके सामग्रियों को हजारों लोगों ने सराहा। वहीं नालंदा में लॉयन्स क्लब की ओर से आयोजित महिला सशक्तिकरण दिवस पर नालंदा जिला के आरक्षी अधिक्षक ने अनीता को सम्मानित किया। बिहार दिवस 2017 को पटना के गांधी मैदान में तीन दिवसीय कार्यक्रम में इनके ओर से उत्पादित सामग्रियों व महिलाओं व पुरुषों को रोजगार आदि कार्यों के लिए विशिष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अनीता का कहना है कि यदि केन्द्र व राज्य सरकार सहयोग करें तो इस कंपनी को नई उंचाईयों तक लेकर जा सकते हैं।
लेखन : संदीप कुमार, स्वतंत्र पत्रकार
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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