बिहार के गोपालगंज जिला के महम्मदपुर बेकारी को खत्म करने के लिए जब खेतों की ओर कदम बढ़ा तो खेती ने विकास की ऐसी राह दिखायी की किसान का बेटा आज अमेरिका में इंजीनियर है। बेटा तो इंजीनियर बन गया, लेकिन किसान का खेती से लगाव कम न हुआ। विकास की यह हकीकत है परशुराम राय की, जो क्षेत्र में खेती कि सानी ही नहीं बल्कि बच्चों को उच्च शिक्षा देने की नजीर बन गये हैं। वर्तमान में भी परशुराम राय की आय सालाना पांच लाख रुपये है। स्वयं तो मेहनत करते ही हैं, प्रतिदिन तीन मजदूर इनके यहां काम करके अपनी बेरोजगारी दूर कर रहे हैं। ज़िन्दगी में कई उतार-चढ़ाव देख चुके परशुराम राय बेटे के अच्छे पद पर पहुंचने के बाद भी खेती से नाता नहीं तोड़े हैं।
सिधविलया प्रखंड के शेर गांव के परशुराम राय 1970 में मैट्रिक पास कर नौकरी की तलाश में लग गये, लेकिन नौकरी नहीं मिली। इनके पास खेत तो थे, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर थी। कुछ वर्ष भटकने के बाद आखिरकार इन्होंने खेतों में कदम बढ़ाया और खैनी की खेती की शुरुआत की। इनकी मेहनत और लगन ने रंग लाया और दिनों दिन इनके हालात सुधरते गये। आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ ही इन्होंने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दिया। इस बार भी ये तीन बीघा खेत में खैनी बोये हैं। तीन मजदूर और स्वयं अपने भी इसमें काम करते हैं।
खेती पर लागत सवा से डेढ़ लाख रुपये हैं तो आय पांच लाख रुपये है। बड़ा बेटा इंजीनियर, तो छोटा लैब टेक्निशियन है। परशुराम राय ने खेती से आमदनी कर उसका सर्वाधिक हिस्सा बच्चों की पढ़ाई पर खर्च किया। बड़ा बेटे नीरज कुमार ने बीआइटी मेसरा से इंजीनियरिंग पास किया। वर्तमान में वह पांच वर्षों से अमेरिका के अटलांटा प्रांत में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, वहीं छोटा बेटा धर्मदेव इंटर कॉलेज में लैब टेक्निशियन है।
उत्तम खेती मध्यम बान, कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं दीनानाथ। सब्जी की खेती से दीनानाथ न सिर्फ अपनी जिंदगी संवार रहे हैं, बल्कि बच्चों को मुकाम दिलाने का संकल्प भी लिये हैं। फिलहाल इनकी आय तीन लाख रुपये सालाना है। बिहार के सिधविलया प्रखंड के मटौली गांव के दीनानाथ तिवारी वर्ष 1986 में गरीबी की मार ङोलने के बाद खेतों में कदम रखा। इन्होंने आलू की खेती कर अपने कैरियर की शुरुआत की। पहले साल हुई आमदनी को देख इनके हौसले बुलंद होते चले गये और ये लगातार खेती का विस्तार करने लगे। वर्तमान में दीनानाथ पांच बीघा जमीन में लहसुन के साथ-साथ आलू, बैंगन, कद्दु, टमाटर, गोभी और अन्य मौसम सब्जी की खेती करते हैं। सब्जी की खेती से प्रति वर्ष इनकी आमदनी ढाई से तीन लाख होती है। सब्जी की खेती से हुई आय से न सिर्फ घर द्वार ठीक कर लिये हैं, बल्कि बेटी की शादी भी की है। प्रति दिन इनके खेतों में सब्जी खरीदार व्यापारियों की भीड़ लगी रहती है और स्थानीय बाजारों के अलावा सीवान तक के व्यापारी आकर इनसे सब्जी खरीदते हैं।
दीनानाथ को चार लड़के हैं। तीन लड़के साधारण डिग्री लेकर परदेश में रोजगार में लगे हैं। वे बताते हैं कि उस समय आय कम थी। अब स्थिति सुधर गयी है। चौथा बेटा मंजीत कुमार तिवारी 12वीं का छात्र है।
लेखन : संदीप कुमार, स्वतंत्र पत्रकार
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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