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गोभी की खेती से प्राप्त की सफलता

गोभी की खेती से प्राप्त की सफलता

परिचय

श्री सतीश कुमार सुपुत्र, श्री गजेन्द्र सिंह गाँव दहा ने वर्ष 2004 तक अपने सीमान्त संसाधनों से धान-गेहूँ फसल चक्र से खेती करता था। उसे कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा इस फसल चक्र को बदलने के लिए मई, 2005 में भारतीय कृषि अनुंसधान संस्थान, पूसा नई दिल्ली द्वारा विकसित फूल गोभी का बीज किस्म पूसा-मेघना अपने खेतों में लगाने हेतु दिया गया।

गोभी की खेती कर पाई सफलता

श्री सतीश ने एक एकड़ जमीन के लिए दिए गए बीज से पौध तैयार कर 2 जुलाई, 2005 को इसकी रोपाई कर दी तथा 65 दिन के बाद इस गोभी किस्म में तैयारी फूलों की सितम्बर के पहले सप्ताह से  लेकर अक्तूबर के अंत तक बेचा।

उसने एक एकड़ भूमि में लगाई गई गोभी की लगभग 200 टोकरी पैदा की तथा एक टोकरी में 12 किलो गोभी लगभग आई। इन महीनों में गोभी की उपलब्धता न होने के कारण प्रति किलो लगभग 24 रू. का भाव रहा जिसके चलते श्री सतीश कुमार के अनुसार सारे खर्चे निकाल कर उसे लगभग 40,000 रु, का लाभ जो कि एक एकड़ में धान की उत्पादकता तुलना में 7 गुना अधिक लाभ रहा।

श्री सतीश कुमार एवं इस गाँव के अन्य किसान कृषि विज्ञान केंद्र के सम्पर्क में है और माह मई, जून-2006 में गोभी की खेती करने के लिए तैयार हैं।

स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 3/13/2023



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