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प्रगतिशील कृषक नरेश कुमार की सफल गाथा

प्रगतिशील कृषक नरेश कुमार की सफल गाथा

परिचय

श्री नरेश कुमार गाँव चौरा जिला करनाल का रहने वाला किसान है। इन्होने मार्च, 1996 में कृषि विज्ञान केंद्र, करनाल से एक सप्ताह का मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया। उसी वर्ष अक्टूबर में 20 मधुक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया। उसी वर्ष अक्टूबर में 20 मधुमक्खी कॉलोनियों के साथ इस कार्य को आरंभ किया। वर्ष 1998 में 4.3 क्विंटल शहद का उत्पादन किया जिसे 40 रु. प्रति कि.ग्रा. की दर से बेचकर 17,200 रु. की आय प्राप्त की। इसके साथ मधुमक्खी कॉलोनियों का विभाजन को बढ़ाने का क्रम जारी था सन 2005 में या संख्या बढ़कर 610 हो गई। इससे कृषक ने 128.1 क्विंटल शहद का उत्पादन किया जिसे 42 रु. प्रति कि. ग्रा. के भाव से बेचकर 5.38 लाख रु. की आय प्राप्त की।

इसके अलावा कृषक ने इस दौरान 190 कॉलोनियों को 720 रु. प्रति कालोनी की दर से बेचकर लगभग 1.37 लाख रु. की आय प्राप्त की।

बढ़िया मधु उत्पादन से बढ़ी आय

इस प्रकार वर्ष 2005 में श्री नरेश कुमार ने शहद तथा मधुमक्खी कॉलोनियों को बेचकर लगभग 6.75 लाख रु. की आय प्राप्त की। इसमें मधुमक्खी कॉलोनियों को दी जाने वाली चीनी, दवाईयां, मजदूरी तथा स्थानान्तरण आदि पर आने वाले कुल खर्च लगभग 2.0 लाख था। इस प्रकार मधुमक्खी पालक ने वर्ष 2005 में सभी खर्च निकालकर लगभग 4.75 लाख रु, की शुद्ध आय प्राप्त की। इससे उसकी आर्थिक दशा में सुधार हुआ है तथा इस आय से गाँव में पक्का मकान भी बनवा लिया है।

कृषि विज्ञान केंद्र, करनाल द्वारा 19.12.2002 को किसान दिवस आयोजित किया गया जिसमें श्री नरेश कुमार को मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया।

जब भी आवश्यकता पड़ती है किसान कृषि विज्ञान केंद्र के सम्पर्क में रहता है जिससे आधुनिक तकनीकी  ज्ञान द्वारा वह अधिक से अधिक शहद का उत्पादन का सके। इसको देखते हुए गाँव के चार अन्य किसानों ने भी मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेकर इस व्यवसाय को अपना लिया है।

स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 12/29/2023



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