क- किसानों को ऋण सुविधा
क्र.सं. |
ऋण सुविधा |
सहायता का पैमाना |
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ब्याज सहायता समर्थक/प्रतिभूति की आवश्यकता रहित ऋण |
प्रतिशत7 % ब्याज की दर से रुपये 3 लाख रुपये तक फसल ऋण। सही समय पर ऋण चुकता करने पर किसानों के ब्याज पर आर्थिक सहायता के रुप में 4 % से 3 % तक ब्याज पर छूट। एक लाख रुपये रुपये तक के कृषि ऋण के लिए किसी समर्थक प्रतिभूति की आवश्यकता नहीं है |
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किसान क्रेडिट कार्ड |
किसान फसल ऋण सुविधा किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ले सकते हैं। ऋण सीमा किसान द्वारा जोती गई जमीन और बोई फसल पर निर्धारित की जाती है। किसान क्रेडिट कार्ड 3 से 5 साल के लिए वैध होता है। किसानों की दुर्घटना में मृत्यु/अशक्तता को कवर किया जाता है। फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल ऋण को भी कवरेज दिया जाता है। |
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निवेश ऋण |
सिंचाई, कृषि मशीनीकरण, भूमि विकास, रोपण, बागवानी एवं कटाई उपरांत प्रबंधन इत्यादि में निवेश के लिए भी किसानों को ऋण की सुविधा उपलब्ध है। |
कृषि जिंसों के लिए मूल्य नीति-न्यूनतम सहायता मूल्य(एमएसपी) के अंतर्गत तिलहनों दलहनों एवं कपास की खरीद के लिए मूल्य सहायता योजना(पीएसएस)
स्कीम का नाम |
उद्देश्य |
लाभार्थी |
क्रियान्वयन एजेंसी |
स्कीम के अंतर्गत कवर होने वाले उपज |
उत्पादकों को होने वाले लाभ |
सहायता का पैमाना |
मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस)
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प्रति वर्ष रबी एवं खरीफ दोनों फसल मौसम में भारत सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे मूल्य गिरने की स्थिति में तिलहन, दलहन एवं कपास उत्पादकों को लाभकारी / सुनिश्चित मूल्य उपलब्ध कराना। |
देश के सभी तिलहन, दलहन एवं कपास उत्पादक |
(i) केन्द्रीय एजेंसियां : नैफेड एवं लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी) (ii) राज्य एजेंसियां : राज्य सहकारी विपणन/उपज संघ और केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा राज्य स्तर पर नियुक्त कोई अन्य संगठन (iii) प्राथमिक एजेंसियां : ग्रामीण स्तर पर सहकारी विपणन समितियां, किसान उत्पादक संगठन (iv)किसान उत्पादक कंपनियां (एफपीसी). |
अरहर (तुवर) मूंग, उड़द, कपास, मूंगफली छिलकेवाली, सूरजमुखी बीज, सोयाबीन,तिल, तिल्लीबीज, चना, मसूर (लेटिंल) रेपसीड/सरसों, कुसुम, तोरिया, कोपरा |
मूल्य समर्थन योजना के प्रचालन से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किसी उपज विच्चेष का बाजार मूल्य, न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे गिरने की स्थिति में किसान को न्यूनतम गारंटी मूल्य मिल सके। |
(i) किसान : किसी उपज विशेष का मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होने पर किसानों को पूरा न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान। (ii) केन्द्रीय एजेंसियां : केन्द्रीय एजेंसियों को हुई हानि की भरपाई भारत सरकार द्वारा की जाती हैं। इसके अलावा कोपरा की खरीद पर 2.5% की दर से और तिलहन, दलहनों एवं कपास के लिए 1.5% की दर से सेवा शुल्क का भुगतान भी केन्द्रीय एजेंसियों को किया जाता है।(iii) राज्य एवं प्राथमिक एजेंसियां : स्टोर से भण्डारण तक हुए सभी व्यय मिलाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य और प्रचलित मूल्य में हुए अंतर का भी भुगतान राज्य एजेंसिंयों को भारत सरकार/केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा किया जाता है। इसके अलावा गोदाम के बाहर 1% सेवा शुल्क का भी भुगतान किया जाताहै। |
1. संयुक्त सचिव (सहकारिता), कृषि एवं सहकारिता विभाग, कृषि भवन, नई दिल्ली -1.
2. राज्य की राजधानियों में स्थित नैफेड/एसएफएसी के क्षेत्रीय कार्यालय।
3. सहकारी विपणन/उत्पाद संघ के जिला स्तर के कार्यालय।
4. तहसील स्तर पर सहकारी विपणन समितियों और ब्लाक स्तर पर एफपीओ/एफपीसी।
कब संपर्क करें :- तिलहन/दलहन और कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य भारत सरकार द्वारा जून और अक्टूबर माह में (वर्ष में दो बार) रबी और खरीफ फसल की
बुआई के पूर्व घोषित किए जाते हैं। जिससे किसान इन फसलों की बुआई के लिए अच्छी तरह निर्णय ले सकें। कटाई के समय किसान, क्षेत्र में प्रचलित बाजार
मूल्य की तुलना भारत सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ कर सकते हैं। यदि बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम हो तो वह खरीद प्रक्रिया से संबंधित उपरोक्त प्राधिकारियों से तुरंत संपर्क कर सकते हैं।
स्त्रोत : किसान पोर्टल,भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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