অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

केले की खेती में पौध संरक्षण

पौध संरक्षण

लू से बचाव

गर्मी के दिनो में लू से बचाव के लिए खेत के चारो तरफ बागड वायु अवरोधक के रूप मे लगाना चाहिए, इसके लिए उत्तर एवं पश्चिम दिशा मे ढैंचा की दो कतार लगाते है। जिससे फसल को अधिक तापमान एवं लू से बचाया जा सकता है।

कीट

  • तना छेदक कीट (ओडोपोरस लांगिकोल्लिस
  • पत्ती खाने वाला केटर पिलर (इल्ली)
  • महू (एफिड)

बीमारी

  • सिगाटोका लीफ स्पाट (करपा)
  • पत्ती गुच्छा रोग (बंची टॉप)
  • जड़ गलन
  • एन्थ्रेकनोज

कीट प्रबंधन

क्र.सं कीट के नाम लक्षण एवं नुकसान प्रबंधन
1. तना छेदक कीट केले के तना छेदक कीट का प्रकोप 4-5 माह पुराने पौधो में होता है। शुरूआत में पत्तियॉ पीली पड़ती है तत्पश्चात गोदीय पदार्थ निकालना शुरू हो जाता है। वयस्क कीट पर्णवृत के आधार पर दिखाई देते है। तने मे लंबी सुरंग बन जाती है। जो बाद मे सड़कर दुर्गन्ध पैदा करता है।
  • प्रभावित एवं सुखी पत्तियों को काटकर जला देना चाहिए।
  • नयी पत्तियों को समय - समय पर निकालते रहना चाहिए।
  • घड काटने के बाद पौधो को जमीन की सतह से काट कर उनके उपर कीटनाशक दवाओं जैसे - इमिडाक्लोरोपिड (1 मिली./लिटर पानी) के घोल का छिड़काव कर अण्डों एवं वयस्क कीटों को नष्ट करें।
  • पौध लगाने के पाचवे महीने मे क्लोरोपायरीफॉस (0.1 प्रतिशत) का तने पर लपे करके कीड़ों का नियंत्रण किया जा सकता है।
2. पत्ती खाने वाला केटर पिलर यह कीट नये छोटे पौधों के उपर प्रकोप करता है लर्वा बिना फैली पत्तियों में गोल छेद बनाता है।
  • अण्डों को पत्ती से बाहर निकाल कर नष्ट करें
  • नव पतंगों को पकड़ने हेतु 8-10 फेरामोन ट्रेप/हेक्टयेर लगायें।
  • कीट नियंत्रण हेतु ट्राइजोफॉस 2.5 मि.ली./लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें एवं साथ में चिपचिपा पदार्थ अवश्य मिलाऐं।
3. सिगाटोका लीफ स्पाट यह केले में लगने वाली एक प्रमुख बीमारी है इसके प्रकोप से पत्ती के साथ साथ घेर के वजन एवं गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। शुरू में पत्ती के उपरी सतह पर पीले धब्बे बनना शुरू होते है जो बाद में बड़े भूरे परिपक्व धब्बों में बदल जाते है।
  • रापाई के 4-5 महीने के बाद से ही ग्रसित पत्तियों को लगातार काटकर खेत से बाहर जला दें।
  • जल भराव की स्थिति में जल निकास की उचित व्यवस्था करे।
  • खेत को खरपतवार से मुक्त रखें।
  • पहला छिड़काव फफूंदनी काबेन्डाजिम 1 ग्राम + 7 से 8 मि. ली. बनोल आयल का छिड़काव करे। दूसरा प्रोपीकोनाजोल 1 मि.ली. + 7 से 8 मि. ली. बनोल आयल का छिड़काव करे एवं तीसरा ट्राइडमार्फ 1 ग्राम + 7 से 8 .मि. ली. बनोल आयल का छिड़काव करे।
4. पत्ती गुच्छा रोग यह एक वायरस जनित बीमारी है पत्तियों का आकार बहुत ही छोटा होकर गच्छे के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
  • ग्रसित पौधों को अविलबं उखाड़ कर मिट्‌टी में दबा दें या जला दें फसल चक्र अपनायें।
  • कन्द को संक्रमण मुक्त खेत से लें।
  • रोगवाहक कीट के नियेत्रण हेतु इमीडाक्लोप्रिड 1 मिली./पानी में घोल बनाकर छिड़काव करे।
5. जड़ गलन इस बीमारी के अंतर्गत पौधे की जड़े गल कर सड़ जाती है एवं बरसात एवं तेज हवा के कारण गिर जाती है।
  • खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था करें।
  • रोपार्इ्र के पहले कन्द को फफॅूदनी कार्बन्डाजिम 2 ग्राम/लीटर पानी के घाले से उपचारित करे।
  • रोकथाम के लिये कॉपर आक्सीक्लोराइड 3 ग्राम +0.2 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन/लीटर पानी की दर से पौधे में ड्रेचिग करे।

फसल की कटाई एवं कटाई उपरांत शस्य प्रबंधन

भण्डारण :कटाई उपरांत केला की गुणवत्ता मे काफी क्षति होती है क्योकि केला उत्पादनस्थल पर भंडारण की समाप्ति व्यवस्था एवं कूल चेंम्बर की व्यवस्था नही होती है। कूल चेम्बर मे 10-12 0 c तापक्रम रहने से केला के भार व गुणवत्ता मे हराश नही होता एवं बाजार भाव अच्छा मिलता है। इस विधि मे बहते हुए पानी मे 1 घंटे तक केले को रखा जाता है। भंण्डारण मे केले को दबाकर अथवा ढककर नही रखना चाहिए अन्यथा अधिक गर्मी से फल का रंग खराब हो जाता है। भंडार कक्ष में तापमाकन 10-12 ब और सापेक्ष आर्द्रता 70 प्रतिशत से अधिक ही होनी चाहिए।

निर्यात के लिए डिहेडिंग वाशिंग एवं फंफूदनाशक दवाओं से उपचार

प्रायरू स्थानिय बाजार मे विक्रय के लिए गुच्छा परिवहन किया जाता है, परन्तु निर्यात के लिए हैण्ड को बंच से पृथक करते है, क्योकि इसमे सं क्षतिग्रस्त एवं अविकसित फल को प्रथक कर दिया जाता है। चयनित बडे़ हैण्डस को 10 पीपीएम क्लारीन के घोल में धोया जाता है फिर 500 पीपीएम बेनोमिल घोल में 2 मिनट तक उपचारित किया जाताहै।

पैकिंग एवं परिवहन

निर्यात हेतु प्रत्येक हैण्ड को एच.एम.एच, डीपीआई बैग में पैककर सीएफबी 13-20 किलो प्रति बाक्स की दर से भरकर रखा जाता है। ट्रक अथवा वेन्टिीलेटेड रेल बैगन मे 150ब तापक्रम पर परिवहन किया जाता है। जिससे फल की गुणवत्ता खराब नही होती है।

उपज

जून जुलाई रोपण वाली फसल की उपज 70-75 टन प्रति हेक्टेयर एवं अक्टूबर से नवम्बर में रोपित फसल की औसत उपज 50 से 55 टन प्रति हेक्टेयर होती है।

केला प्रसंस्करण

केले के फल से प्रसंस्करित पदार्थ जैसे केला चिप्स, पापड़, अचार, आटा, सिरका, जूस, जैम इल्यादि बना सकते है। इसके अलावा केले के तने से अच्छे किस्म के रेशे द्वारा साड़ियॉ, बैग, रस्सी एवं हस्त सिल्क के माध्यम से रोजगार सृजन किया जा सकता है।

आय व्यय तालिका (मुख्य फसल ) प्रति एकड़

क्र.सं विवरण परंपरागत विधि टिशू कल्चर
1. दूरी (मीटर में) पंक्ति से पंक्ति पौध से पौध 1.5 1.5 1.6 1.6
2. पौध संख्या (प्रति एकड़) 1742 1550
3. लागत रूपये में (प्रति पौधा) 22 33
4. लागत रूपये में (प्रति एकड़) 38324 51150
5. फसल अवधि (महीने में) 18 12-13
6. उपज (औसतन गुच्छे का वनज किलोग्राम/पौधा) गैर फलन पौध संखया लगभग 10 प्रति”ात 15 174 23 23 0 35.65
7. विक्रय मूल्य रूपये में (प्रति मैट्रिक टन) 6000 6000
8. कुल आय (रूपये में) 1,41,120 2,13,900
9. शुद्ध आय (रूपये में) 1,02,796 1,62,750

केले की खेती के मुख्य बिन्दु

  • संतुलित उर्वरक प्रबंधन एवं फर्टिगेशन द्वारा उर्वरक देने को बढ़ावा देना
  • केले के पौध/प्रकंद को उपचारित करके रोपाई करना
  • केले के साथ अंर्तवर्ती फसल को बढ़ावा देना
  • हरी खाद फसल को फसल चक्र में शामिल करना एवं जुलाई रोपण को
  • बढ़ावा देना
  • पानी की बचत एवं खरपतवार प्रबंधन हेतु प्लास्टिक मल्चिंग को बढ़ावा देना
  • प्रमुख कीट एवं बीमारी प्रबंधन हेतु समेकित कीट प्रबंधन को अपनाना फसल को तेज/गर्म हवा या लू से बचाने हेतु खेत के चारो ओर वायु
  • टिशू कल्चर केले की खेती को बढ़ावा देना

केले की फसल में होने वाले सम-सामयिक कार्य

स्त्रोत: मध्यप्रदेश कृषि,किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग,मध्यप्रदेश

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate