गैलार्डिया की दो प्रमुख जातियां है।
इसमें बड़े आकार के सिंगल फूल आते है।
इसमें फूल चटकदार पंखुड़ियों वाले, विखंडित कोरो व एक ही फूल में कई आकर्षित रंगों के डबल फूल आते है। लोरोंजियाना की प्रमुख किस्में सनसाइनस्ट्रान और गेटी डबल मिक्सड है। एक अन्य संकर किस्म ट्रेटा पिक्ता हाल ही में विकसित की गई है। इसमें फूल डबल आकार में बड़े और पंखुड़ियों चटकदार चमकीली लाल रंग की पीले किनारों वाली होती है।
गैलार्डिया की अच्छी उपज के लिए खुली व धूपवार जलवायु उत्तम है।
प्रति एकड़ की रोपाई के लिए 300 ग्राम बीजों की आवश्यकता होती है। बीज बोने के लिए नर्सरी अलग तैयार की जाती है। समतल या ऊँची उठी हुई (लगभग 15 से.मी. ऊंची) क्यारियां जिनकी चौड़ाई 3 फीट और लंबाई 10 फीट होती है। एज एकड़ के लिए ऐसी 4 क्यारियों की आवश्यकता होती है। प्रत्येक क्यारियों में 30 किलो (लगभग 6 धमेला/ टोकनी/तगारी) गोबर खाद मिला दें। क्यारियों के चारों और कीटनाशक पाउडर चीटियों की रोकथाम के लिए डालना चाहिए। बीज बोने के पूर्व किसी फफूंदनाशक दवा जैसे थाइरम. बैविस्टीन आदि से उपचारित करना चाहिए। बीज की बोआई लाईन से करनी चाहिए। बोवाई के बाद उपर से हल्की मिट्टी व गोबर खाद से से ढक देना चाहिए। जब बीज जमना शुरू न कर दें हजारे से ही पानी देना चाहिए। बीज जमने के बाद खुला पानी दिया जा सकता है।
गैलार्डिया गर्मी, बरसात व सर्दी तीनों ही मौसमों से आसानी से उगाया जा सकता है। फ़रवरी, मार्च ने बुवाई करने में फूल गर्मियों में, मई में बुवाई करने पर बरसात में और सिंतबर – अक्टूबर में बुवाई करने पर सर्दियों में फूल आते हैं।
खेत में गहरी जुताई मोल्ड बोल्ड से कर, फिर हैरो और अंत में रोटोवेटर चलाकर खेत को भुरभुरा बना लिया जाना चाहिए। रोटोवेयर चलाने से पहले खेत में 4 ट्रैकर ट्राली प्रति एकड़ गोबर खाद में मिला देना चाहिए।
गोबर खाद |
8 टन/एकड़ |
यूरिया |
80 किलो/एकड़ |
सुपर फास्फेट |
160 किलो/एकड़ |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश |
40 किलो/एकड़ |
फास्फोरस एवं पोटाश को जुताई के समय खेत में दे देना चाहिए। गोबर की खाद सुपर फास्फेट व म्यूरेट ऑफ़ पोटाश की संपूर्ण मात्रा व यूरिया की आधी मात्रा रोपाई के पूर्व डाले व यूरिया की शेष आधी मात्रा 45 दिन पश्चात खड़ी फसल में देवें। यूरिया डालने के बाद सिंचाई करें। पौधा प्राय: 28-30 दिन में जब पौधा 3-4 पत्तियां हो तब मुख्य खेत में पौध लगाने योग्य हो जाते हैं। पौध की रोपाई 60 सेमी लाईन और 45 सेमी पौधे से पौधे की दूरी रखकर करनी चाहिए।
गैलार्डिया में सही समय पर सिंचाई करने पर फूल बड़े तथा अधिक मात्रा में मिलते हैं। सर्दियों में 12 से 15 दिन बाद व गर्मियों में 4 से 7 दिन बाद सिंचाई करते रहने चाहिए।
निंदाई – गुड़ाई – सी फसल में 2-3 बार गुड़ाई कर खरपतवार को निकाल देना चाहिए। गुड़ाई करते समय पौधे के चारों और मिट्टी चढ़ा देना चाहिए।
तुड़ाई – पौधों की रोपाई से 3-4 महीने बाद फूल खिलने शुरू होते हैं। फूलों की तुड़ाई समय पर करते रहना चाहिए। हर चौथे रोज फूलों की तुड़ाई करें। जिससे आगे निरंतर फूल बनते रहे।
नर्सरी की क्यारियों में बीज पास – पास लगाने और अत्यधिक पानी भरे रहने से पौध नीचे से गलने लगती है। बीज की बोआई के पूर्व बीजोपचार व क्यारियों को फार्मेलिन के घोल से स्टरलाइज्ड कर दिया जाय तो इस रोग से बचा जा सकता है।
पत्तियों पर भूरे रंग का गोल धब्बे दिखाई देते हैं इनके उपचार के लिए डायथेन एम – 45 दवा का 2.5 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोलकर 15 -15 दिन के अंतर पर छिड़काव करें।
सफेद पाउडर के समान पत्तियों पर धब्बे दिखाई देते हैं। केराथेन फफूंदनाशक 1 मिली प्रति लिटर पानी में घोलकर 15–15 दिन के अंतर पर छिड़काव करें।
अंतिम बार संशोधित : 12/17/2019
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