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बागवानी हेतु माहवार कृषि कार्य-बरेली जिला

जनवरी

  • पापलर के कलोनल पौधों की रोपाई 4*4, 3*4 मी. दूरी पर करें।
  • आलू, टमाटर, मिर्च की फसल को पाले से बचाव के लिए शाम के समय सिंचाई करें।
  • टमाटर की फसल में खरपतवार निकाल कर 5.00 किलो एन.पी. के. खाद प्रति है खाद देकर जड़ों पर मिट्टी चढ़ा दें।
  • मेंथा की नवीन प्रजातियां सिम सरयु व सिम क्रांति की जड़ों की 25 कि./बीघा रोपाई करें।
  • बैगन की फसल में टहनीमार रोग की रोकथाम के लिए थायोफिनेट मिथाईल की 2.. ग्रा. दवा प्रति ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • खीरा, लौकी, तरोई, टिंडा की अगेती फसल लेने के लिए पालीथीन की थेलियों में बीजो की बुवाई करें।
  • खरबूज एवं तरबूज के बीजों की बुवाई 2.5 फिट आकार के थावले में करें।आम, अमरूद के बागों में खरपतवार नियंत्रण करें व हल्की जुताई कर खरपतवार नियंत्रण करें।

फरवरी

  • आम के पेड़ों में 22 किलो यूरिया थावले में प्रयोग करें।
  • हल्दी की फसल की खुदाई करे व जड़ों को साफ कर, उबालकर धूप में सुखायें।
  • गुलाब व गेंदा की फसल में खर्रा रोग की रोकथाम के लिए 4-5 किलो सल्फर पाउडर का बुरकाव करें।
  • फूल गोभी की खड़ी फसल में २ किलो यूरिया/एकड़ की टाप ड्रेसिंग करें।
  • केले की फसल में गहरों को गिरने से बचाने के लिए लकड़ी या बॉस से पौधे को सहारा दें ।
  • मसाले के लिए बोई गयी धनिया की फसल मे डाईथेन एम. 45 का 2.5 ग्रा. दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

मार्च

  • लौकी, तरोई, खीरा, काषीफल की गर्मी वाली फसल के बीजो की बुवाई थावला विधि से करें।
  • आडू की फसल में फल गलन से बचाव के लिए 2 प्रतिषत बोरेक्स का स्प्रे करें।
  • मौन गृहों से शहद का निष्कासन करें व माईट से बचाव के लिए सल्फर का बुरकाव करें।
  • आम के बागों में रस चूसने वाले कीटों व खर्रा से बचाव के लिए क्वानालफॉस दवा का 1.5 मिली. व कार्वेडाजिम का 1.ग्राम/ ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • गुलाब के खेत में निराई गुड़ाई कर 5. किलो डी.ए.पी. व 8-1. किलो फेरस सल्फेट प्रति एकड़ खेत में प्रयोग करें।

अप्रैल

  • आम के बागों में नमी बनाये रखे व पुराने पेड़ों से फल गिरने से बचाने कि लिए एन.ए.ए. हामोंन की 1. पी.पी.एम. घोल का स्प्रे करें।
  • करेला व पेठा लगाने के लिए 2ग 1.5 मी. की दूरी पर थावलों में बीज का शोधन कर बुवाई करें।
  • धनिया (मसाला) की फसल की कटाई मड़ाई कर बीज को कट्टों में भरकर बिक्री की व्यवस्था करें।
    अमरूद के पेड़ों में 36. नत्रजन 28. ग्रा. फास्फोरस व 18. ग्रा. पोटाष उर्वरक तत्व के रूप में प्रयोगकरें।
  • अरबी की फसल में खरपतवार नियंत्रण कर जड़ो पर मिट्टी चढ़ा दें।
  • हल्दी एवं अदरक के कंदों की रोपाई करें।
  • सतावर के बीजों को 5-6 दिन पानी में भिगोने के बाद पौधशाला में बीजाई करें।
  • लहसुन व प्याज की फसल की खुदाई करें।

मई

  • लीची के बागों में थॉवला विधि से नियमित सिंचाई करें।
    लौकी तरोई की बेलों में मृदुरोमिल आशिता से बचाव के लिए डायइथेन एम 45 की दवा 2.00 ग्रा./ली. पानी के घोल का छिड़काव करें।
  • ग्लेडियोलस के कंदों की खुदाई करें व रजनीगंधा के कंदों का रोपण करें।
  • आम के बागों में नियमित नमी बनाये रखें। आडू की अगेती किस्मों की तुड़ाई कर बिक्री करें
  • हरी मिर्च की फसल में पट्टागलन व टहनीमार रोग की रोकथाम के लिए थायोफिनेट मिथाईल का 0.15 प्रतिशत घोल का स्प्रे करें।
  • खीरे के स्वस्थ फलों को तोड़कर फल छेदक कीट की रोकथाम के लिए रिनाक्सीपायर दवा का 60 मिली/एकड़ का स्प्रे करें।
  • गमलों में लगे गुलाब के पौधों में डाईबैक से बचाव के लिए बोर्डो मिक्चर का स्प्रे करें।

जून

  • बेलदार सब्जियों में पहले से तैयार मचानों पर सेम की खेती के लिए बीजों की बुवाई करें।
  • सतावर की फसल में खरपतवार नियंत्रण कर नियमित सिंचाई करें।
  • मेंथा की 90-100 दिन की फसल की कटाई कर तेल निश्कासन करें।
  • आम की तुड़ाई कर इथेफाम से पकाकर, डिब्बों में भरकर बाजार बिक्री हेतु भेजें व बागों में पेड़ों के थावलों में नमी बनाये रखें।
  • बैगन की फसल में कलगी बेधक व फलछेदक कीट की रोकथाम करें।
  • फलों के नये बाग लगाने के लिए रेखांकन कर गड्ढ़ों की खुदाई करें।
  • मौनवंषो को स्वस्थ बनाये रखने के लिए कृत्रिम आहार दें ।
  • करेले में भंगरा कीट की रोकथाम के लिए प्रोफेनोफास का 0.2 प्रतिशत के घोल का स्प्रे करें।
  • गेंदा की खड़ी फसल में 35 किलो यूरिया/एकड़ की टापड़ेसिंग करे।
  • बरसात में बोई जाने वाली सब्जियां बैंगन, टमाटर, मिर्च फूलगोभी के बीजों की बुवाई पौधशाला में करें।

जुलाई

  • हल्दी एवं अदरक के खेत में खरपतवार निकालकर कुंड़ बनाकर मिट्टी चढ़ा दें।
  • शिमलामिर्च व हरी मिर्च के बीजों की बुवाई कार्बडाजिम से शोधन उपरान्त 1 मी.चौड़ी, 8–10 मी. लम्बी व 15 से.मी. जमीन से ऊपर उठी हुई क्यारियों में करें।
  • बैंगन, टमाटर, भिंडी, ग्वार, खीरा, करेला आदि में फल छेदक कीट की रोकथाम के लिए रिनाक्सीपायर दवा 50-80 मिली/एकड़ छिड़काव करें।
  • मिर्च व बैंगन की पुरानी फसल में माईट के नियंत्रण के लिए डायकोफाल दवा का 2 मिली0 / ली0 पानी की दर से छिड़काव करें।
  • आम के बागों में फल तोड़ने के उपरान्त 4.6 किग्रा0 सिंगिल सुपर फास्फेट, 3.6 किग्रा म्यूरेट आफ पोटाश, 250 ग्रा कापर सल्फेट, 250 ग्रा जिंक सल्फेट व 125 ग्रा बोरान थावले में दे।
  • गेंदे के बीजो की बुवाई 1.5 कि./है. की दर से करें।
  • अरबी की फसल में लीफ स्पाट बीमारी की रोकथाम ।

अगस्त

  • आम, अमरूद, कटहल, लीची, बेल, ऑवला आदि को पौधों का रोपण करें।
  • भिंडी की बरसात वाली फसल लेने के लिए 15-18 कि.ग्रा. बीज/है. की दर से बीज शोधन कर बुवाई करें।
  • गुलाब की फसल में पत्ती खाने वाले व रस चूसने वाले कीटो की रोकथाम के लिए प्रोफेनोफास दवा का 2 ग्रा./ ली. पानी की दर से छिड़काव करें।
  • कम वर्षा की स्थिति में बीजो की बुवाई रातभर बीजों को भिगोकर करें।
    खेतों में क्यारी विधि से सांय के समय सिंचाई करें।
  • अमरूद की फसल में फल मक्खी की रोकथाम के लिए फल मक्खी ट्रेप (5ट्रेप/एकड़) प्रयोग करें।
  • पापलर की फसल में तना छेदक कीट की रोकथाम के लिए कार्बोफ्यूरान 10-15 ग्रा0/वृक्ष थाँवले में प्रयोग करे व थावले में नमी बनाये रखें।
  • मेंथा की आगामी फसल के लिए नर्सरी की रोपाई करें।

सितम्बर

  • मौन गृहों में बरों की रोकथाम के लिए मौन गृह का मुँह छोटा कर दें।
  • बर्र ट्रेप का प्रयोग करें।
  • मौनवंषों में कृत्रिम आहार देने के लिए 4.6. अनुपात में चीनी का घोल रखें।
  • आम के पेड़ो में पत्ती खाने वाले कीट की रोकथाम के लिए क्यूनालफॉस दवा का 1.5 मिली/ली. पानी की दर से छिड़काव करें।
  • गाजर की फसल के लिए बीजों की बुवाई करें।
  • भिन्डी की फसल में 35 किलो यूरिया/एकड़ कुंडों में प्रयोग करें।
  • सफेद बटन मशरूम की खेती के लिए कम्पोस्ट का निर्माण करें।
  • ग्लेडियेलस की अगेती फसल की रोपाई करें।

अक्टूबर

  • शीत ऋतु की सब्जियां पालक, मेथी, धनियां, सौंफ, मटर, आदि की बुवाई करें।
  • आलू की फसल की बुवाई बीज शोधन उपरान्त करें। हाईब्रिड टमाटर की फसल के लिए बीजों की बुवाई कीट अवरोधी नेट हाउस में करें।
  • फूल गोभी व पत्ता गोभी की तैयार पौध की रोपाई करें।
  • गेंदे की फसल में खरपतवार नियंत्रण कर पौधों को सीधा कर जड़ों पर मिट्टी चढ़ा दें।
  • आम के पेड़ों में गुम्मा रोग(Malformation)के नियंत्रण के लिए 2. पी.पी.एम., एन.ए.ए. हार्मोन का प्रयोग करें।
  • मशरूम की 28 दिन बाद तैयार कम्पोस्ट में बीजाई करें।
  • गेंदे के फूलों को तोड़कर टोकरी में रखकर बाजार में बिक्री की व्यवस्था करें।

नवम्बर

  • गन्ने के साथ सहफसली खेती के रूप में धनिया, फूलगोभी, पत्तागोभी, मटर, आदि की बुवाई / रोपाई करें।
  • अकरकरों के बीजों की बुवाई 4 कि./है. की दर से करें।
  • मटर की अगेती फसल में फूल आने से पहले स्प्रिंकलर से सिंचाई करें।
  • सतावर की खड़ी फसल से खरपतवार नियंत्रण कर पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढ़ा दें।
  • आलू की फसल में कूड़ों में मिट्टी चढ़ा दें व नियमित सिंचाई करें।
  • लौकी की शरदकालीन फसल में 2. ग्रा. सल्फर/थाँवला प्रयोग करें।
  • बागों में हल्की जुताई करें व बागों के मेंढ़ों पर लगी फसलों जैसे पापलर यूकेलिप्टस की टहनियाँ की छटाई कर दें।

दिसम्बर

  • पापलर के वृक्षों की छटाई करें व तना छेदक कीट की रोकथाम करें।
  • आम में गुजिया कीट की रोकथाम के लिए पेड़ों के तनों पर २०० गज मोटी पालीथीन शीट लपेट दें व थावले में कार्वराईल का प्रयोग करें।
  • 5 प्याज की फसल की रोपाई करें व लहसुन की फसल मे लाईनों में जड़ों पर मिट्टी चढ़ा दें।
  • सतावर की 18–24 महीने की फसल की खुदाई करें।
  • आलू व टमाटर में झुलसा रोग के नियत्रण के लिए दवा डाईथेन एम 45 दवा का प्रयोग करें।
  • आडू की प्रजातियां, फलोरडासन, सहारनपुर प्रभात व षरबती आदि के पौधों का रोपण 5.5 मी. की दूरी पर करें।
  • केले की फसल को ठण्ड से बचाने के लिए 25 ग्रा. सल्फर/पौधा प्रयोग करें।

स्त्रोत: कृषि विज्ञान केंद्र,आईसीएआर,भारतीय पशुचिकित्सा शोध संस्थान,बरेली,उ.प्र.।

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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