उन्नत प्रभेद: अगात (100-105 दिन): ए.के. 12-14 स्पेनिस, मध्य अगात (112-120 दिन) बिरसा मूंगफली-2, बिरसा मूंगफली-3, वर्जिनिया, बिरसा बोल्ड-1(बी.ए.यू.-13) ।
बुआई का समय: 15 जून से 10 जुलाई (अगात किस्मों के लिए) 15 जून से 30 जून (अन्य किस्मों के लिए) ।
बीज दर: 75-80 किलो दाने प्रति हें. (अगात किस्मों के लिए) । 80-90 किलो दाने प्रति हें. (मध्य अगात किस्मों के लिए) । 120-125 किलो दाने प्रति हें. (विशेष प्रभेद बिरसा बोल्ड-1 के लिए) ।
बुआई की दूरी: अगात किस्मों के लिए कतारों के बीच की दूरी-30 सें.मी. पौधों के बीच की दूरी-10 सें.मी. । अन्य किस्मों के लिए कतारों के बीच की दूरी-40 सें.मी., पौधों के बीच की दूरी-15 सें.मी. ।
खाद एवं उर्वरक: 25:50:25 किलो एन.पी.के तथा 10 किलो बोरेक्स प्रति हेक्टेयर। गोबर खाद 2-4 टन प्रति हें. बुआई के 10-15 दिन पहले। बुआई के समय 12 किलो यूरिया, 112 किलो डी.ए.पी., 34 किलो म्युरियेट ऑफ़ पोटाश। चूने का महीन चूर्ण 3 से 4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के समय कतारों में डालकर मिट्टी को पैर से मिला दें। उसके बाद उर्वरकों का प्रयोग एवं बीज की बुआई करें। फ़ॉस्फोरस को एस.एस.पी. के रूप में व्यवहार करना उत्तम होगा क्योंकि इसमें गंधक की मात्रा भी होती है, जो तेलहनी फसलों के लिए आवश्यक है।
मिट्टी उपचार: दीमक के प्रकोप से बचने के लिए लिन्डेन 25 किग्रा. प्रति हें. आखिरी जुताई के समय।
बीजोपचार: बीज द्वारा फैलनेवाली बीमारियों के रोकथाम के लिए केप्टान या थीरम या बैविस्टीन (2 ग्राम प्रति किलो) से बीजोपचार कर लेना वांछनीय है।
निकाई-गुड़ाई: बुआई के 1-2 दिन के अंदर तृण-नाशक दवा “टोक-ई-25” 4 किलो दवा का प्रति हें. की दर से छिड़काव करने से 3-4 सप्ताह तक खरपतवारों का प्रकोप रुका रहता है। तीन-चार पत्ती का पौधा हो जाने पर 15 दिनों के अंतर पर 2 कोड़नी पर्याप्त है।
पौधा संरक्षण: पौधा संरक्षण अनुच्छेद देखें।
कटनी एवं भंडारण: 100-105 दिनों के अगात किस्में तथा 112-115 दिनों में बिरसा मूंगफली-3 एवं 125-130 दिनों में बिरसा बोल्ड-1 तैयार हो जाती है। फलियों को तोड़ने के बाद 8-10 दिनों तक धूप में सुखाने के बाद ही बोरों में बंद कर भंडारण करें।
उपज: 15-17 क्विंटल प्रति हें.-ए.के. 12-24 तथा फूले प्रगति। 20-22 क्विंटल/हें.
- बिरसा मूंगफली-1, जी.जी.-2, तथा टी.जी.-22। 22-24 क्विंटल/हें.
- बिरसा मूंगफली-2 तथा बिरसा मूंगफली-3 एवं 25-30 क्विंटल/हें.
- बिरसा बोल्ड-11
उन्नत किस्में: बिरसा सोयाबीन-1, जे.एस.-335, बिरसा सफेद सोयाबीन-2
बीज दर: 75-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।
कतार से कतार की दूरी: 45 सें.मी.
बुआई का समय: 20 जून से 10 जुलाई तक। मानसून की वर्षा के शीघ्र बाद, परन्तु खेत में पानी की मात्रा बीज उगाने के उपयुक्त होनी चाहिए।
बीज उपचार: बीज में 2.5-3 ग्राम थीरम या केप्टान अथवा बैविस्टीन प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से मिला दें। ऐसा करने से बीज द्वारा आनेवाली बीमारियाँ नष्ट हो जाती है।
खाद एवं उर्वरक: 20-80-40 किग्रा. एन.पी.के. प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें। जिस खेत में सोयाबीन पहली बार बोई जा रही हो, वहां बीज को जीवाणु खाद (राईजोबियम कल्चर) से उपचारित करने से अच्छी उपज होती है। जीवाणु खाद बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से प्राप्त की जा सकती है। अधिक उपज प्राप्त करने के लिए 5 टन कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर डालकर 175 किलोग्राम डी.ए.पी. तथा 72 किलोग्राम मयुरियट ऑफ़ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बीज बोने वाली लाइनों में डालकर मिट्टी में मिला दें। साथ ही 25 किलोग्राम 10 प्रतिशत लिन्डेन की धूल भी मिला दें, जिससे खेत से दीमक आदि कीड़े नष्ट हो जाये।
मिट्टी उपचार: पानी के अच्छे निकास वाली हल्की दोमट मिट्टी, जिसका पी.एच.6.5 या अधिक हो, सोयाबीन की खेती के लिए उत्तम है। पठारी अम्लिक भूमि से मिट्टी परीक्षण के अनुसार चूना 3-4 क्विं./हें. बोने के समय ही नालियों में डाल दें।
कटनी और भंडारण: जब सभी पत्तियाँ पीली हो कर झड़ जायें तो कटनी कर लेनी चाहिए। कटे हुए पौधों को दो-तीन दिनों तक सुखाने के बाद डंडे से पीटकर बीज निकालें। बीजों को अच्छी तरह सुखा कर ही भंडारण करें।
उन्नत प्रभेद: 1. बिरसा नाइजर-1, अवधि-100-105 दिन, उपज-6-7 क्विं./हें., तेल 42 प्रतिशत।
2. बी.एन.-2, अवधि-95-100 दिन, उपज-5 क्विं./हें., तेल 40 प्रतिशत।
बुआई की दूरी: कतार से कतार 30 सें.मी. एवं पौधा से पौधा की दूरी 15 सें.मी. तथा 10 सें.मी. क्रमश: अगात (अगस्त) पिछात (सितम्बर) बुआई के लिए।
पौधा संरक्षण: दीमक के लिए लिन्डेन धूल 25 किग्रा/हें. का भुरकाव बुआई के पहले तथा बिहार हेयरी कैटरपिलर के लिए तीन सी.सी. नुवान, इंडोसल्फान 35 ई.सी. आठ सौ लीटर पानी में घोलकर प्रति हें., की दर से 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें।
उर्वरक: 20:20:20 किग्रा. एन.पी.के. प्रति हेक्टेयर (25 किग्रा. यूरिया, 45 किग्रा. डी.ए.पी. तथा 34 किग्रा. मयुरियट ऑफ़ पोटाश प्रति हें.) बुआई के समय ही व्यवहार करें।
फसल पद्धति: गोड़ा धान अथवा उड़द की कटाई के बाद दूसरी फसल के रूप में उपजाना लाभप्रद है।
उन्नत प्रभेद: काँके सफेद तथा कृष्णा।
बुआई: वर्षा आरम्भ होने पर जून माह से मध्य जुलाई तक।
कतारों की दूरी: 30 सें.मी. हल के पीछे।
पौधों की दूरी: 10 सें.मी.
बीज दर: 5-6 किलोग्राम प्रति हें. ।
उर्वरक: 40:40:20 किग्रा. एन.पी.के. प्रति हें. (10 किलोग्राम यूरिया, 88 किग्रा. डी.ए.पी. एवं 34 किलोग्राम मयुरियट ऑफ़ पोटाश प्रति हें.) ।
पौधा संरक्षण: पौधा संरक्षण अनुच्छेद देखें।
उपज: 3-4 क्विं./हें. तेल की मात्रा: 47 से 50 प्रतिशत।
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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