टपक या बूंद-बूंद सिंचाई एक ऐसी सिंचाई विधि है जिसमें पानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में, कम अन्तराल पर सीधा पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जाता है| टपक सिंचाई के बढ़ते उपयोग के साथ यह जानना जरुरी हो जाता है कि कौन-कौन सी रासायनिक खादों का प्रयोग किस प्रकार इस विधि द्वारा किया जाना चाहिए|
टपक सिंचाई में जिस तरह पौधों को ड्रिपर्स के जरिये पानी दिया जाता है, उसी तरह रासायनिक खाद की कम-कम मात्रा को (10-12 बार) पानी में घोल कर वेचुरी या उर्वरक टैंक/पम्प की सहायता से ड्रिपर्स द्वारा सीधा पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जाता है| ऐसा करने से महंगे भाव वाले खाद का नुकसान नहीं हो पाटा यानि खाद के खर्चे में बचत होती है| इस विधि द्वारा जहाँ फसल को नियमित रूप से आवश्यक मात्रा में खाद मिलती है, वहीं पौधों के स्वास्थ्य विकास के साथ-साथ पैदवार में भी सहरानीय बढ़ोतरी होती है|
टपक सिंचाई द्वारा प्रयोग किये जाने वाला उर्वरक पानी में पूर्णतः घुलनशील होना चाहिये व इसकी टपक सिंचाई यंत्र से कोई भी रासायनिक क्रिया नहीं होनी चाहिए| टपक सिंचाई द्वारा पानी में घुलनशील व तरल उर्वरकों का प्रयोग अधिक लाभकारी रहता है|
1) नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक: अमोनियम सल्फेट, अमोनियम क्लोराइड, कैल्शियम, नाइट्रेट, डाईअमोनियम फास्फेट, पोटाशियम नाइट्रेट, यूरिया आदि नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक हैं जो पानी में आसानी से घुल जाते हैं| पौधे नाइट्रोजन को खासकर नाइट्रेट रूप में चूसते हैं और पोषण प्राप्त करते हैं| अमोनियम सल्फेट तथा अमोनियम क्लोराइड में से नाइट्रेट का रूपान्तर अत्यंत तीव्रता से होता है, इसलिए ये फसलों के लिए ज्यादा अनुकूल रहता अहि| नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों में ‘यूरिया’ का प्रयोग श्रेष्ठ सिद्ध हुआ है| यूरिया पानी में पुर्णतः घुलनशील है तथा इसमें समाविष्ट नाइट्रोजन का 90-96% तक का हिस्सा फसल ग्रहण कर लेती है| परन्तु दूसरी ओर एक कठिनाई यह है कि अगर ड्रिपर्स या लेटरल्स में युरियायुक्त पानी का थोड़ा भी हिस्सा रह जाये तो वहीं सूक्ष्म कीटाणु पैदा होने लगते हैं जिससे ड्रिपर्स के छिद्र भर जाते हैं| इसके उपचार हेतु खाद देने के तुरंत बाद, कम से कम 30 से 45 मिनट तक पानी चालू रखना चहिये| इससे यूरिया युक्त पानी के ठरहने का सवाल रहेगा ही नहीं|
2) फास्फोरसयुक्त खाद: फास्फोरसयुक्त खाद मुख्यतः चार प्रकार की होती है: 1) सुपरफास्फेट 2) डी.ए.पी 3) बोनमील 4) रॉकफास्फेट
इनमें से बोनमील व रॉकफास्फेट पानी में घुलनशील नहीं है अतः इनका प्रयोग टपक सिंचाई में संभव नहीं डी.ए.पी पानी में घुल जाता है फिर भी इसके उपयोग में काफी सावधानी रखनी पड़ती है| सुपरफास्फेट उर्वरक का उपयोग टपक सिंचाई में किया जा सकता है परन्तु सुपरफास्फेट की परेशानी यह है कि ये पानी में अत्यंत धीमे-धीमे घुलता है इसलिए टपक सिंचाई देते समय काफी मुशिकल रहती है| डी.ए.पी व सुपरफास्फेट को बाहर ही पानी में घोलकर उर्वरक टैंक इमं डालें ताकि न घुलने वाले मोटे कण बाहर ही छन जाएं | टपक सिंचाई फस्फोरिक एसिड का भी प्रयोग किया जा सकता है| मोनोअमोनियम फास्फेट पानी में पूर्णतः घुलनशील है| इसका प्रयोग टपक सिंचाई द्वारा किया जा सकता है|
3) पोटाशयुक्त खाद: बाजार में उपलब्ध म्यूरेट ऑफ़ पोटाश तथा पोटाशियम सल्फेट खाद पानी में पुर्णतः घुलनशील है| इसलिए इनका इस्तेमाल टपक सिंचाई में आसानी से किया जा सकता है|
4) घुलनशील उर्वरक: फर्टिगेशन में उपयोग होने वाले उर्वरक
वर्तमान में फर्टिलाइजर कंट्रोल आर्डर में पुर्णतः घुलनशील उर्वरकों के 12 ग्रेड सूचीबद्ध किये गये हैं:
उर्वरक अनुकूलता
जब फर्टिगेशन के लिए उर्वरकों को मिलाकर मिश्रित घोल तैयार किया जाता है उस समय उर्वरक अनुकूलता का विशेष ध्यान रखना चाहिए| उदाहरण के लिए जब अमोनियम सल्फेट को पोटाशियम क्लोराइड के साथ मिलाया जाता है तो पोटाशियम सल्फेट बनता है जो कि पानी में पूर्णरूप से घुलनशील नहीं है| इस कारण अमोनियम सल्फेट तथा पोटाशियम क्लोराइड के घोल को एक साथ फर्टिगेशन के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है| इसी प्रकार कैल्शियम नाइट्रेट एवं फास्फेट/सल्फेट, मैग्नीशियम सल्फेट एवं डाइ और मोनो अमोनियम फास्फेट, फास्फोरिक अम्ल एवं लोहा/जस्ता/तम्बा/मैगनीज सल्फेट का एक साथ उपयोग भी वर्जित है|
क्रम सं |
उर्वरक का नाम |
पोषक तत्वों की मात्रा (%) |
|
||||
|
|
नत्रजन |
फास्फोरस |
पोटाश |
सल्फेट |
कैल्शियम |
मैग्नीशियम |
1 |
पोटाशियम नाइट्रेट(14-0-45) |
13 |
0 |
45 |
|
|
|
2 |
मोनो पोटाशियम फास्फेट(0-52-34) |
0 |
52 |
34 |
|
|
|
3 |
कैल्शियम नाइट्रेट |
15.5 |
|
|
|
18.8 |
|
4 |
एन.पी. के. 13:40:13 |
13 |
40 |
13 |
|
|
|
5 |
एन.पी. के. 18:18:18: |
18 |
18 |
18 |
|
|
|
6 |
एन.पी. के. 13:5:26 |
13 |
5 |
26 |
|
|
|
7 |
एन.पी. के. 6:12:36 |
6 |
12 |
36 |
|
|
|
8 |
एन.पी. के. 20:20:20 |
20 |
20 |
20 |
|
|
|
9 |
पोटाशियम मैग्नीशियम सल्फेट |
|
|
22 |
20 |
|
18 |
10 |
एन.पी. के 19:19:19 |
19 |
19 |
19 |
|
|
|
11 |
मोनो अमोनियम फास्फेट12:61:0 |
12 |
61 |
|
|
|
|
12 |
यूरिया फास्फेट 17:44:0 |
16 |
44 |
|
|
|
|
13 |
यूरिया |
46 |
|
|
|
|
|
विभिन्न उर्वरकों की अनुकूलता
उर्वरक |
यूरिया |
अमोनियम नाइट्रेट |
अमोनियम सल्फेट |
कैल्शियम नाइट्रेट |
मोनो अमोनियम फास्फेट |
मोनो पोटाशियम फास्फेट |
पोटाशियम नाइट्रेट |
यूरिया |
|
हाँ |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
अमोनियम नाइट्रेट |
हाँ |
|
|
हाँ |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
अमोनियम सल्फेट |
हाँ |
हाँ |
|
सिमित |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
कैल्शियम नाइट्रेट |
हाँ |
हाँ |
सिमित |
|
नहीं |
नहीं |
हाँ |
मोनो अमोनियम फास्फेट |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
नहीं |
|
हाँ |
हाँ |
मोनो पोटाशियम फास्फेट |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
नहीं |
हाँ |
|
हाँ |
पोटाशियम नाइट्रेट |
हाँ |
हाँ |
सिमित |
हाँ |
हाँ |
हाँ |
|
3) तरल उर्वरक: घुलनशील उर्वरकों के अतिरिक्त बाजार में कुछ तरल उर्वरक भी उपलब्ध हैं, जिनका प्रयोग टपक सिंचाई द्वारा किया जा सकता है| तरल फोस्फोरस युक्त अमोनियम पोलिफास्फेट (16:32:0) भी उपलब्ध है| इसका विशेष लाभ यह है इसके प्रयोग के 2-3 साल बाद भी फास्फोरस पौधे को उपलब्ध रहता है|
पौधों को संतुलित मात्रा में विभिन्न पोषक तत्व उपलब्ध करवाने के लिए मिश्रित तरल उर्वरकों को आवश्यकता रहती है|
टपक सिंचाई द्वारा उर्वरक प्रयोग विधि
टपक सिंचाई द्वारा उर्वरकों को मुख्यतः तीन विधियों द्वारा दिया जा सकता है:
टपक सिंचाई द्वारा दिए गए रासायनिक उर्वरक के लाभ
इस दिशा में हुए अनुसन्धान ये स्पष्ट बताते हैं कि टपक सिंचाई द्वारा दिए गए उर्वरक जहाँ पैदावार व फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं वहीं उर्वरकों की खपत में भी कमी करते हैं|
स्रोत: मृदा एवं जल प्रबंधन विभाग, औद्यानिकी एवं वानिकी विश्विद्यालय; सोलन
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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