यदि भूमिका पी एच 5.5 से नीचे हो अधिक पैदावार हेतु प्रबन्धन आवश्यकता होती है| हिमाचल प्रदेश में लगभग 1 लाख हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि की पी एच 5.5 से नीचे है| अम्लीय भूमि से पैदावार लेने के लिए अम्लीयता को उदासीन करना तथा विभिन्न पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाना आवश्यक होता है| इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मृदा में चूने का प्रयोग किया जाता है जो पैदावार वृद्धि में भी सहायक होता है| बाजार में मिलने वाले चुने का प्रयोग बगीचों तथा खेतों में किया जाता है| इसके अलावा बेसिक स्लैग, ब्लास्ट फर्नेस स्लैग, पेपर मिल से प्राप्त लाइम स्लज, चीनी मिल के कर्बोनेशन प्लांट से प्राप्त प्रेस मड और चूना पत्थर जैसे औद्योगिक बेकार पदार्थों का प्रयोग भी लाभकर सिद्ध होता है|
अम्लीय मिट्टियों में जिंक के प्रयोग से फसलोत्पादन में सार्थक वृद्धि देखी गई है| मिट्टी में जिंक की कमी होने पर, जिक सल्फेट 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर करने के लिए सोडियम मोलिबडेट 250-500 ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से डालने की सिफारिश की जाती अहि| पर्णीय छिड़काव (0.05 से 0.1% सांद्रता के घोल) द्वारा भी मोलिबडेनम की की कमी दूर की जा सकती है| हल्के गठन वाली अम्लीय मिट्टियों में बोरोन की भी कमी पाई जाती है जिसे दूर करने के लिए बोरेक्स (10 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से) की भूमि में डालें या 0.1 से 0.2% सान्द्र घोल का पर्णीय छिड़काव करने की संस्तुति की जाती है|
चूना हाइड्रोजन की मात्रा कम करके मृदा का पी. एच मान बढ़ाता है| चूने का अधिक मात्रा में प्रयोग, मृदा में हानिकारक प्रभाव रखते हुए लोहा, मैगनीज, कॉपर, जिंक, फास्फोरस इत्यादि पोषक तत्वों की कमी कर देता है| बोरोन का पौधों द्वारा अवशोषण भी कम हो जाता है|
चूना की सही मात्रा एवं डालने की विधि
अम्लीय भूमि को अच्छा बनाने के लिए चूना की मात्रा का निर्धारण चूने की मांग पर निर्भर करता है| साधारणतया अम्लीय भूमि का पी.एच मान उदासीन स्तर पर पहुँचाने के लिए प्रति हैक्टेयर 30-40 क्विंटल चूना की आवश्कता पड़ती है| अम्लीय भूमि का पी.एच मान बढ़ाने के लिए चूना की वांछनीय मात्रा सारणी -1 में दर्शाया गया है|
सारणी -1: की वांछनीय पी.एच मान के लिए चूना की मात्रा
पी.एच मान |
चूना की मात्रा (टन/हैक्टेयर) |
|
|
वांछित पी.एच मान |
|
|
6.8 |
6.4 |
6.6 |
2.0 |
1.5 |
6.5 |
3.5 |
3.0 |
6.4 |
3.5 |
3.0 |
6.3 |
4.5 |
4.0 |
6.2 |
5.0 |
4.5 |
6.1 |
6.5 |
6.0 |
6.0 |
7.5 |
6.5 |
5.9 |
8.5 |
7.5 |
5.8 |
9.0 |
8.0 |
5.7 |
10.0 |
8.5 |
5.6 |
10.5 |
9.5 |
5.5 |
11.5 |
10.0 |
5.4 |
12.5 |
10.5 |
5.3 |
13.0 |
11.5 |
5.2 |
14.0 |
11.5 |
5.1 |
14.5 |
12.0 |
5.0 |
15.5 |
13.5 |
चूना की वांछनीय मात्र को फसल की बुआई से पूर्व छिटककर खेत में अच्छी तरह मिलाया जाता अहि| इसका प्रभाव मिट्टी में 4-5 वर्ष तक रहता है| अतः जहाँ पर चूना का प्रयोग मांग के अनुरूप किया गया हो वहां पर लगभग 4-5 वर्ष चूना डालने की आवश्यकता नहीं होती है| शोध कार्यों से ज्ञात हुआ है कि फसल की बुआई करते समय पंक्तियों में 3-4 किवंटल चूना प्रति हैक्टेयर की दर प्रयोग करके पैदावार में आशातीत वृद्धि की जा सकती है| बगीचों में चूना मांग के अनुसार पौधों की तौलियों में अच्छी तरह मिलाया जाता है| चूना की घुलनशीलता क होने के कारण इसे बारीक़ पाउडर के रूप में बीज के नीचे लाइनों में प्रयोग करना लाभप्रद रहता है| वांछित सामान्य पी. एच. मान (6.5) प्राप्त होने तक चूने का प्रयोग करते रहना चाहिये|
स्रोत: मृदा एवं जल प्रबंधन विभाग, औद्यानिकी एवं वानिकी विश्विद्यालय; सोलन
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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