खड़े पानी की मछली के लिए ऐसी भूमि का चुनाव करें जिसमें पानी का रिसाव कम हो। पानी की स्थाई आपूर्ति का विकल्प उपलब्ध हो, या भूमि दलदली हो।
ट्राउट मछली पालन के लिए चलते एवं कार्प मछली के लिए खड़े पानी की जरुरत होती है ।
हाँ, मिट्टी का 250 ग्राम तक का नमूना एक मीटर की गहराई तक 3 या 4 स्थानों से इकट्ठा करके इसमें थोड़ा पानी मिला कर हथेली के बीच रखकर दबाएँ यदि यह बन्ध जाता है तो मिटटी में पानी को खड़ा रखने की क्षमता है ।
पानी एवं मिट्टी का रसायनिक विश्लेषण से इसमें उपस्थित पोषक तत्व और लवणों का ज्ञान तथा विभिन्न अवयवों की कमी की प्रतिपूर्ति का भी पता चलता है । इन कमियों को दूर करने की व्यवस्था कर मछली उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
मिश्रित मत्स्य पालन में तालाब की गहराई कम से कम 6 फुट होनी चाहिए । जिसमें पानी का स्तर 5-1/2' तक रखा जाता है।
तालाब में पानी का स्तर 4.5 से 5 फुट होना चाहिए क्योंकि इससे कम पानी होने पर ऊपरी सतह की मछली की वृद्धि पर असर पड़ेगा। पानी का तापमान बढेगा व घुलनशील आक्सीजन का स्तर नीचे गिरेगा जो मछली पालन के लिए उचित नहीं।
हाँ परन्तु इससे आर्थिक लाभ नहीं मिल सकता । आर्थिक लाभ की दृष्टि से कम से कम 300 वर्ग मीटर का तालाब उपयुक्त पाया गया है । परन्तु ट्राउट मछली पालन का कार्य 15 x 2 x1.5 मी० को यूनिट में करके एक टन/ वार्षिक पैदावार ली जा सकती है बशर्ते पानी का तापमान 18 डिग्री सेंटीग्रेड से कम व आपूर्ति दर 20 लीटर/सेकंड हो ।
मछली पालन के लिए पी. एच. 6.5 से 8.5 होना चाहिए। इसकी प्राप्ति हेतु तालाब में चूने का प्रयोग किया जाता है।
तालाब की तैयारी मछली का बीज डालने से 14 या 15 दिन पहले कर लेनी चाहिए जैसे कि तालाब से कीचड़ निकालना, खरपतवार, जीव-जंतु, कीटों का उन्मूलन एवं चूना और गोबर का उपचार ।
चूने का उपचार हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करने, मिट्टी को उपजाऊ बनाने, मिट्टी को क्षारीय बनाने तथा मछली को कैल्शियम प्रदान करने के लिए करते हैं । इसका उपचार तेज धूप में करना चाहिए ।
तालाब में गोबर की अधिकतर मात्रा उर्वरक का काम करती है और मछली के प्राकृतिक भोजन की पैदावार बढाने के लिए उपयुक्त होता है और इसे समय समय पर डालते रहना चाहिए । हाँ यदि पुराने गले सड़े गोबर में पेड़ पौधों की पत्तियां हो तो उसे कामन कार्प मछली भोजन के रूप में प्रयोग कर लेती है ।
मछली का चयन स्थान की ऊंचाई से संबंधित है । 1000 से 1500 मीटर तक की ऊँचाई वाले क्षेत्र में विदेशी कार्प की तीन किस्मों को एवं निचले क्षेत्र में कार्प प्रजाति की छ: किस्मों को एक साथ पाला जा सकता है।
मछली का बीज तालाब में मार्च महीने में डालना ज्यादा उचित होता है। मछली बीज संग्रहण से पूर्व तालाब में उपलब्ध मछली के प्राकृतिक भोजन की मात्रा की जाँच कर लेनी चाहिए ।
तालाब में मछली के बीज के रूप में अंगुलिका या शिशु मछली डालनी चाहिए न कि जीरा तथा इनकी संख्या तालाब के क्षेत्रफल का डेढ़ गुना होना चाहिए ।
हाँ, क्योंकि इसकी दो प्रजाति ग्रास एवं सिल्वर कार्प स्वयं प्रजनन नहीं करती एवं मिरर कार्प जो स्वयं प्रजनन करती है उसके बीज को भी दो साल के बदद बदल देना चाहिए।
हाँ, क्योंकि अर्ध सघन स्तर पर मछली कि खेती में मछली कि संख्या ज्यादा तथा प्राकृतिक भोजन कम होता है। अतः अच्छी पैदावार के लिए अतिरिक्त भोजन देना आवश्यक है।
मछली को अतिरिक्त आहार के रूप में मूंगफली/सरसों/ अलसी का खली एवं चोकर बराबर मात्रा में मिलाकर मछली के कुल वजन का 2 या 3 प्रतिशत देना चाहिए।
हाँ परन्तु तेलयुक्त पदार्थ का इस्तेमाल न करें ।
पानी के सतह पर अकेले रहना, भोजन न लेना, शरीर को तालाब की दीवारों से रगड़ना, ठीक ढंग से न तैरना, रंग फीका पड़ना तथा श्लक गिरने लगना आदि ।
यदि मछली बीमार हो तो तालाब में ताजा पानी छोड़ दें अतिरिक्त भोजन देना बंद कर दें।
स्त्रोत: कृषि विभाग, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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