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मृदा स्वास्थ्य कार्ड, भूमि संरक्षण एवं सूक्ष्म पोषक तत्व

मृदा स्वास्थ्य कार्ड, भूमि संरक्षण एवं सूक्ष्म पोषक तत्व

क्या करें

  • मिट्टी की जांच के आधार पर हमेशा उचित मात्रा में उर्वरक का उपयोग करें।
  • मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बरकरार रखने के लिए जैविक खाद का उपयोग करें।
  • उर्वरकों का पूर्ण लाभ पाने हेतु उर्वरक को छिड़कने की बजाय जड़ों के पास डालें।
  • फास्फेटिक उर्वरकों का विवेकपूर्ण और प्रभावी प्रयोग सुनिश्चित करें ताकि जड़ों/तनों का समुचित विकास हो तथा फसल समय पर पके, विशेष रुप से फलीदार फसलें, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए वायुमंडलीय नाइट्रोजन का उपयोग करती है।
  • सहभागी जैविक गारन्टी व्यवस्था (पी.जी.एस. इंण्डिया) प्रमाणीकरण अपनाने के इच्छुक किसान अपने आस-पास के गांव में कम से कम पांच किसानों का एक समूह बनाकर इसका पंजीकरण निकटतम जैविक खेती के क्षेत्रीय केन्द्र में करायें।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड

मृदा स्वास्थ्य कार्ड, 19 फरवरी, 2015 को मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अंतर्गत शुरू हुई। मृदा स्वास्थ्य कार्ड सभी जोत धारकों को हर दो वर्ष के अंतराल के बाद दिये जाएंगे ताकि वे फसल पैदावार लेने के लिए सिफारिश किए गये पोषक तत्व डाले ताकि मृदा स्वास्थ्य में सुधार हो और भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़े।

क्या पाये

मिट्टी सुधार के लिए सहायता

क्र.सं.

सहायता का प्रकार

सहायता का मापदण्ड/अधिकतम सीमा

स्कीम/घटक

1.

सूक्ष्म तत्वों तथा भूमि सुधार तत्वों का वितरण ।

रु. 2500/- प्रति हेक्टेयर

 

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना

 

1. क

जिप्सम/पाईराइट/चूना/डोलोमाइट की आपूर्ति

 

लागत का 50% + परिवहन, कुल रु. 750/- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन प्रति हेक्टेयर तक सीमित।

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन(तिलहन एवं ऑयल पॉम)

2.

जिप्सम फास्फोजिप्सम/ बेन्टोनाइट सल्फर की आपूर्ति (गेहूँ एवं दालें)

लागत का 50 %, जो रु. 750/- प्रति हेक्टेयर तक सीमित।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन

(एनएफएसएम) एवं बीजीआरईआई

3.

सूक्ष्मपोषक तत्व (धान, गेहूँ, दालें एवं न्यूटी–सिरियल)

लागत का 50 %, जो रु. 500/- हेक्टेयर तक सीमित ।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) एवं बीजीआरईआई

4.

चूना/चूनायुक्त सामग्री (धान/ दालें)

सामग्री की लागत का 50 %, जो रु. 1000/-प्रति प्रति हेक्टेयर तक सीमित।

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन(एनएफएसएम) एवं बीजीआरईआई

5.

जैव उर्वरक (दालें एवं न्यूटी–सिरियल)

लागत का 50 %, जो रु.300/- प्रति हेक्टेयर तक सीमित।

बीजीआरईआई/राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन।

6.

जैविक खेती अपनाने के लिए

रु. 10,000 प्रति हेक्टेयर अधिकतम 4 हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए प्रति हेक्टेयर की सहायता से 3 साल के लिए सहायता। पहले वर्ष में रु.4000 और दूसरे और तीसरे वर्ष में रु. 3000 ।

 

राष्ट्रीय बागवानी मिशन/पूर्वोत्तर एवं हिमालयन राज्यों के लिए बागवानी मिशन समेकित बागवानी विकास मिशन के अन्तर्गत उप योजना।

 

7.

वर्मी कम्पोस्ट इकाई (स्थायी संरचना का आयाम पर प्रशासित किया जाना चाहिए)

रु. 50000/- प्रति इकाई (जिसका परिमाप 30'X8X2.5' अथवा अनुपातिक आधार पर 600 एवं वर्ग फुट)

राष्ट्रीय बागवानी मिशन/पूर्वोत्तर हिमालयन राज्यों के लिए बागवानी मिशन। एमआईडीएच की सहायक योजना।

 

8.

अच्छी मोटाई वाली पोलीथीन वर्मी बेड

रु. 8000/- प्रति इकाई (जिसका परिमाप 12'X4X2' अथवा अनुपातिक आधार पर 96 क्यूबिक फुट और 15907: 2010 को किया जाना है)

 

राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) /पूर्वोत्तर एवं हिमालयन राज्यों प्रशासित के लिए बागवानी मिशन/ एमआईडीएच की सहायक योजना।

9.

समेकित पोषक तत्व प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन

रु.1200/- प्रति हेक्टेयर (4 हेक्टेयर तक) ।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन/पूर्वोत्तर एवं हिमालयन राज्यों के लिए बागवानी मिशन। एमआईडीएच की सहायक योजना।

10.

नई मोबाइल/अचल मृदा जांच प्रयोगशालाओं (एमएसटीएल/ एसएसटीएल) की स्थापना

 

प्रति वर्ष 10,000 नमूनों का विश्लेषण करने की एनएमएसए क्षमता के लिए नाबार्ड के माध्यम से व्यक्तिगत एवं निजी एजेंसियों के लिए लागत का 33% या 25 लाख तक सीमित/प्रयोगशाला है।

 

एनएमएसए

11.

आईसीएआर प्रौद्योगिकी द्वारा विकसित मिनी मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करना ।

नाबार्ड के माध्यम से प्रति वर्ष 3000 नमूने मृदा स्वास्थ्य कार्ड विश्लेषण करने के लिए प्रति व्यक्ति/निजी क्षेत्रों के लिए लागत का 44% या रु. 44,000 प्रति लैब

मृदा स्वास्थ्य कार्ड

12.

 

गांव के स्तर पर मृदा परीक्षण

परियोजना की स्थापना करना

लागत का 70% या रु. 3,75,000 तक जो भी कम है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड

13.

समस्या ग्रस्त मृदा का सुधार

क्षारीय/लवणीय मिटटी -

रु. 60,000/- प्रति हेक्टेयर अम्लीय मृदा -

रु. 15,000/- प्रति हेक्टेयर

  • 90:10 केन्द्र व उत्तर पूर्वी व हिमालय क्षेत्रों के लिए।
  • 60:40 केन्द्र व दूसरे उत्तर पूर्वी राज्यों के अलावा हिमालयी राज्यों के लिए

आरकेवीवाई उपयोजना

समस्या ग्रस्त मृदा का सुधार (आरपीएस)

 

14.

 

पौध संरक्षण रसायन

 

कीटनाशकों, फफूदीनाशकों, खरपतवारनाशी, जैव कीटनाशकों,जैव घटकों, सूक्ष्म पोषक तत्वों, जैव उर्वरक आदि लागत के 50 % की दर से जो 500/-प्रति हेक्टेयर तक सीमित

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन एवं ऑयल पॉम) एवं  एनएफएसएम/ बीजीआरईआई।

 

किससे संपर्क करें

जिला कृषि अधिकारी/जिला बागवानी अधिकारी/ परियोजना निदेशक (आत्मा)

 

स्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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