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कृषि क्लीनिक और कृषि व्यवसाय केन्द्र योजना

 

केन्द्रीय क्षेत्र योजना-कृषि स्नातकों द्वारा कृषि क्लीनिकों और कृषि व्यवसाय केन्द्रों एसीएबीसी की स्थापना करना।

योजना का परिचय

  • नाबार्ड और राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान के सहयोग से कृषि मंत्रालय, भारत सरकार ने देश भर के किसानों को खेती के बेहतर तरीकों पहुँचान के लिए अनूठी योजना शुरू की गई है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बड़ी संख्या में उपलब्ध कृषि स्नातकों की विशेषज्ञता को उपयोग में लाना है। चाहे आप एक पास हुए स्नातक हैं या नहीं, या आप वर्तमान में कार्यरत हैं या नहीं, आप अपना खुद का एग्रीक्लीनिक या कृषि व्यवसाय केन्द्र की  स्थापना कर सकते हैं और बड़ी संख्या में किसानों को व्यावसायिक विस्तार सेवाओं की पेशकश कर सकते हैं।
  • इस कार्यक्रम के प्रति प्रतिबद्ध दर्शाते हुए सरकार ने भी अब कृषि स्नातकों और या कृषि से संबंद्ध क्षेत्रों बगवानी, रेशम उत्पादन, पशु चिकित्सा विज्ञान, वानिकी, डेयरी, मुर्गीपालन, और मत्स्य पालन आदि में प्रारंभिक प्रशिक्षण देने प्रारंभ किया है । प्रशिक्षण पूरा करने वाले उद्यम के लिए प्रारंभिक ऋण के लिए आवेदन कर सकते है।

योजना प्रारंभ करने के उद्देश्य

कृषि क्लीनिकों और कृषि व्यवसाय केन्द्रों की योजना अप्रैल 2002 में आरम्भ की गई थी जिसका उद्देश्य कृषि स्नातकों को रोजगार देकर आर्थिक रुप से व्यवहार्य उद्योगों के माध्यम से सेवा आधार पर शुल्क देकर सरकारी विस्तार प्रणाली के प्रयासों को बढ़ाना था। इसकी सकारात्मक प्रतिक्रिया हुई और नेशनल इंस्टीट्‌यूट ऑफ एक्सटेंशन मेनेजमेंट मेनेज द्वारा आयोजित सर्वेक्षण में, यह ज्ञात हुआ कि निजी विस्तार सेवाओं के संवर्धन से विस्तार जरुरतों और चुनौतियों के बीच अंतर को कम करने में मदद मिली है। यह सर्व विदित है कि कृषि में निजी विस्तार अपेक्षाकृत नया है और अधिकतर अर्हता प्राप्त कार्मिक ब्याज के भार और दृष्टिगत जोखिम के कारण ऋण लेने और कृषि उद्यमशीलता के प्रति अनिच्छुक है।

इस पृष्ठभूमि में, भारत सरकार ने निर्णय लिया कि कृषि क्लीनिकों और कृषि व्यवसाय केन्द्रों की स्थापना के लिए सब्सिडी आधारित ऋण संबद्ध योजना आरम्भ की जाए। यह योजना बागवानी, पशुपालन, वानिकी, डेयरी, पशु चिकित्सा, मुर्गीपालन और मछलीपालन जैसे कृषि से संबद्ध विषयों के स्नातकों/ कृषि स्नातकों के लिए खुली है।

संक्षेप में इस योजना के उद्देश्य इस प्रकार हैं-

  1. सरकार द्वारा विस्‍तारित प्रणाली के प्रयासों को पूरा करने हेतु
  2. जरूरत मंद किसानों को इनपुट आपूर्ति के पूरक स्रोतों और सेवाओं को उपलब्‍ध कराना
  3. नए विकसित होते कृषि खंड के क्षेत्र में कृषि स्‍नातकों को लाभदायक रोजगार मुहैया कराना ।

संकल्पना एवं परिभाषा

i) कृषि क्लीनिकों के माध्यम से प्रोद्योगिकी, फसल प्रथाएॅ, कीटों और रोगों से सुरक्षा, बाजार रुझान, बाजारों में विभिन्न फसलों के मूल्य और पशु स्वास्थ्य के लिए क्लीनिक सेवायें इत्यादि के बारे में किसानों को विशेषज्ञ की राय और सेवायें प्रदान करने की परिकल्पना की गई है, जिससे फसलों/ पशुओं की उत्पादकता और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

ii) कृषि व्यवसाय केन्द्रों के माध्यम से कृषि उपकरण किराये पर देना, निविष्टियॉ और अन्य सेवाओं की बिक्री की परिकल्पना की गई है। योजना के अन्तर्गत सहायता पूर्णत: संबद्ध होगी तथा आर्थिक व्यवहार्यता और वाणिज्यिक प्रतिफल के आधार पर बैंकों द्वारा परियोजना की मंजूरी के अधीन होगी।

सब्सिडी


प्रत्येक यूनिट को योजना अंतर्गत दो प्रकार की सब्सिडी प्रदान की जाती है।

पूँजी सब्सिडी

अ) बैंक ऋण के माध्यम से निधिक परियोजना की पूँजी लागत के 25% की दर से ऋण संबंध पूँजी सब्सिडी के लिए पात्रता होगी। यह सब्सिडी अ जा, अ ज जा, महिलाओं और अन्य लाभ से वांछित वर्गो और पूर्वोत्तर एवं पर्वतीय क्षेत्रों से संबंधित अभ्यार्थियों के बारें में 33.33% होगी।
ब) एकल परियोजनाओं के परियोजना लागत की उच्चतम सीमा सीलिंग रु- 10.00 लाख होगी। समूह परियोजनाओं के लिए परियोजना लागत की उच्चतम सीमा रुपये 50.00 लाख की समग्र उच्चतम सीमा सीलिंग के अधीन, प्रति प्रशिक्षित स्नातक के लिए रु-10.00 लाख होगी। पॉच व्यक्तियों वाले समूहों के मामलें में, जिनमें से एक गैर-कृषि स्नातक है, ऐसे समूह परियोजनाओं की उच्चतम सीमा भी रु- 50.00 लाख होगी।
स) जिन मामलों में परियोजना लागत 5.00 लाख रुपये से अधिक है तथा प्रार्थी मार्जिन मनी जमा कराने में असमर्थ है उन मामलों में प्रार्थियों को बैंकों द्वारा निर्धारित मार्जिन रकम का अधिकतम 50% नाबार्ड द्वारा उधारकर्ता के अंशदान में कमी को पूरा करने के लिए दिया जा सकता है, यदि बैंक संतुष्ट है कि उधारकर्ता मार्जिन रकम अपेक्षाओं को पूरा करने में असमर्थ है। नाबार्ड द्वारा बैंकों को ऐसी सहायता बिना किसी ब्याज के होगी। तथापि, बैंक उधारकर्ताओं से 2% प्रति वर्ष तक सेवा प्रभार ले सकते है।
द) सावधि ऋण की प्रकृति संमिश्र कंपोजिट होगी और प्रतिभागी बैंक परियोजना लागत के अनुसार बैंक ऋण प्रदान करेंगे, जिसमें पात्र सब्सिडी रकम शामिल होगी क्योंकि पूँजी सब्सिडी अंत में दी जाएगी बैक-एंडेड परंतु इसमें नियत की गई मार्जिन रकम शामिल नहीं है।

ब्याज सब्सिडी

बैंक ऋण के भाग पर ब्याज सब्सिडी कृषि उद्यमियों के खाते में जमा करने के लिए बैंकों को वार्षिक आधार पर प्रदान की जाएगी। बैंक ऋण के भाग पर ब्याज सब्सिडी कृषि उद्यमियों के खाते में जमा करने के लिए बैंकों को वार्षिक आधार पर  इस प्रयोजन के लिए, वित्तीय वर्ष अप्रेल-मार्च ब्याज की गणना के लिए मानी जाएगी। ब्याज सब्सिडी, निर्गमित शुद्ध पूँजी सब्सिडी, ऋण की मूल रकम के समक्ष खाते में बकाया शेष पर बैंकों को जारी की जाएगी। पहले वर्ष के लिए एक वर्ष पूरा होने पर और दूसरे वर्ष के लिए 2 वर्ष पूरे होने के बाद, इसके लिए दावा किया जाएगा।

परियोजना अवधि

सब्सिडी का लाभ एक प्रार्थी को एक ही बार प्रदान किया जायेगा। अनुदान मंजूर करना और जारी करना भारत सरकार द्वारा इस बारें में समय-समय पर जारी किए गये अनुदेशों के पालन तथा निधियों की उपलब्धता के अधीन है।

पात्रता

योजना निम्नलिखित श्रेणी के उम्मीदवारों को अामंत्रित करती है:

  • कृषि और संबंद्ध विषयों में राज्य कृषि विश्वविद्यालयों/केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालयों/ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद/यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से स्नातक की डिग्री प्राप्त। कृषि और संबद्ध विषयों में कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा प्राप्त अन्य एजेंसियों द्वारा दी गई डिग्री और भारत सरकार की सिफारिश पर  के राज्य सरकार के अधीन आने वाले संस्थानों के डिग्रीधारी ।
  • राज्य कृषि विश्वविद्यालयों से कृषि और संबंद्ध विषयों में डिप्लोमा(कम से कम 50% अंकों के साथ)/पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमाधारकों और कृषि और संबद्ध विषयों में कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा प्राप्त अन्य एजेंसियों द्वारा दी गई डिग्री और भारत सरकार की सिफारिश पर  के राज्य सरकार के अधीन आने वाले संस्थानों के डिग्रीधारी ।
  • जैव विज्ञान में स्नातक तथा कृषि तथा संबद्ध विषयों में स्नातकोत्तर की उपाधि।
  • यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त 60 प्रतिशत से अधिक विषय सामग्री से युक्त कृषि और संबद्ध विषयों में पास डिग्रीधारी।
  • 60 प्रतिशत से अधिक विषय सामग्री से युक्त कृषि और संबद्ध विषयों में बीएससी जीव विज्ञान के साथ, मान्यता प्राप्त कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से करने वाले डिग्रीधारी।
  • इंटरमीडिएट स्तर(यानी प्लस दो) तक कृषि से संबंधित पाठ्यक्रम कम से कम 55% अंकों के साथ पूरा करने वाले।

उम्मीदवारों का चयन के लिए अन्य जानकारी

उधारकर्ताओं का चयन एवं प्रोजेक्ट के स्थान का चयन राज्य के कृषि विभाग/केवीके, कृषि विश्वविद्यालयों के परामर्श से बैंकों द्वारा किया जाता है। इसके अलावा, उन कृषि स्नातकों का नाम एवं पता जिन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा कर लिया है,  भारतीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान,हैदराबाद की वेबसाइट से पूरी जानकारी ली जा सकती है।

प्रोजेक्ट गतिविधियाँ

कार्यकलापों की एक विस्‍तृत सूची
  • मिट्टी एवं पानी की गुणवत्ता सहित इनपुट जॉंच प्रयोगशाला (आटोमिक ऐब्‍जार्बशन स्‍पेक्‍ट्रोफोटो मीटर्स )
  • कीटक निगरानी, निदानशास्‍त्र एवं नियंत्रण सेवा
  • कृषि उपकरणों एवं मशीनों जिसमें लघु सिंचाई प्रणाली भी ( छिड़कावक एवं ड्रिप) शामिल है, के रखरखाव , मरम्‍मत एवं प्रथागत किराए पर लेना ।
  • उक्‍त संदर्भित तीनों क्रिया कलापों सहित कृषि सेवा केन्‍द्र( सामूहिकक्रियाकलाप )
  • बीज संसाधन इकाइयॉं
  • कठोरीकरण इकाइयों और टीश्‍यू कल्‍चर प्रयोगशाला संयंत्रों के ज़रिए सूक्ष्‍म प्रचारण
  • केंचुआपालन इकाइयों, जीव उर्वरकों का उत्‍पादन, जीव कीटनाशकों, जीव नियंत्रक कारकों की स्‍थापना
  • मधुपालन, मधु एवं मधुमक्‍खी उत्‍पादनों की संसाधन इकाइयों कीस्‍थापना हेतु
  • परामर्श सेवा विस्‍तार के प्रावधान हेतु
  • उत्‍पत्ति शालाओं एवं मत्‍स्‍यपालन उंगली जैसी छोटी मछली की उत्‍पत्ति हेतु
  • पशुस्‍वास्‍थ्‍य संरक्षण, पशुचिकित्‍सालय एवं फ्रोजन वीर्य बैंक व तरल नाइट्रोजन आपूर्ति सहित सेवा का प्रावधान
  • ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्‍न कृषि विषयक प्रवेशों की पहुँच के लिए सूचना प्रौद्योगिकी संबंधित कियोस्क स्‍थापित करने हेतु
  • चारा संसाधन एवं परीक्षण इकाइयों हेतु •मूल्‍यवर्धन केन्‍द्र
  • कृषि स्‍तर से आगे के लिए "कूल चेन " की स्‍थापना हेतु ( समूह क्रिया कलाप )
  • संसाधित कृषि उत्‍पादनों के लिए रिटेल विपणन व्‍यापार हेतु केन्‍द्र
  • कृषिभूमि इनपुट और आउटपुट की ( ग्रामीण विपणन ) डीलरशिप

स्त्रोत: पोर्टल विषय सामग्री टीम,राजस्थान राज्य सरकारी भूमि विकास बैंक लि. और बैंक ऑफ इंडिया

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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