অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

मृदा स्वास्थ्य कार्ड, भूमि संरक्षण एवं सूक्ष्म पोषक तत्त्व

मृदा स्वास्थ्य कार्ड, भूमि संरक्षण एवं सूक्ष्म पोषक तत्त्व

परिचय (क्या करें ?)

  • मिट्टी की जाँच के आधार पर हमेशा उचित मात्रा में उर्वरक का उपयोग करें।
  • मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बरकरार रखने के लिए जैविक खाद का उपयोग करें।
  • उर्वरकों का पूर्ण लाभ पाने हेतु उर्वरक को छिड़कने की बजाय जड़ों के पास डालें।
  • फास्फेटिक उर्वरकों का विवेकपूर्ण और प्रभावी प्रयोग सुनिश्चित करें ताकि जड़ों/तनों का समुचित विकास हो तथा फसल समय पर पके, विशेष रूप से फलीदार फसलें, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए वायुमंडलीय नाइट्रोजन का उपयोग करती है।
  • सहभागी जैविक गारंटी व्यवस्था (पी.जी.एस. इंडिया) प्रमाणीकरण अपनाने के इच्छुक किसान अपने आस – पास के गाँव में कम से कम पांच किसानों का एक समूह बनाकर इसका पंजीकरण निकटतम जैविक खेती के क्षेत्रीय केंद्र में कराएँ।

मृदा स्वास्थय कार्ड: मृदा स्वास्थय कार्ड, 19 फरवरी, 2015 को मृदा स्वास्थय कार्ड योजना के  अंतर्गत शुरू हुई। मृदा स्वास्थय कार्ड सभी जोत धारकों को हर दो वर्ष के अंतराल के बाद दिए जाएंगे ताकि वे फसल पैदावार लेने के लिए सिफारिश किए गए पोषक तत्व डाले ताकि मृदा स्वास्थ्य में सुधार हो और भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़े।

क्या पायें ?

मिट्टी सुधार के लिए सहायता

क्र. सं.

सहायता के प्रकार

सहायता का मापदंड/अधिकतम सीमा

स्कीम/घटक

1.

सूक्ष्म तत्वों तथा भूमि सुधार तत्वों का वितरण

रू. 2500/- प्रति हेक्टेयर

मृदा स्वास्थय कार्ड योजना

1 क.

जिप्सम/चूना/डोलोमाइट /पाइराईट की आपूर्ति

लागत का 50% + परिवहन, कुल रू. 750/- प्रति हेक्टेयर तक सीमित।

तिलहन एव ऑइल पाम राष्ट्रीय मिशन

2.

पौध संरक्षण रसायन

कीटनाशकों, फफूंदीनाशकों, जैव घटकों, सूक्ष्म पोषक तत्वों, जैव उर्वरक आदि लागत के 50%की दर से रू. 500/- प्रति हेक्टेयर तक सीमित।

तिलहन एवं ऑइल पाम राष्ट्रीय मिशन

3.

जैविक खेती अपनाने के लिए

रू. 10000/- प्रति हेक्टेयर

राष्ट्रीय बागवानी मिशन/पूर्वोत्तर एवं हिमालयन राज्यों के लिए बागवानी मिशन समेकित बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत उपयोजना

4.

वर्मी कंपोस्ट इकाई

रू. प्रति इकाई (जिसका परिमाप 30’X8’X2.5’ अथवा अनुपातिक आधार पर 600 वर्ग फुट)

राष्ट्रीय बागवानी मिशन/पूर्वोत्तर एवं हिमालयन राज्यों के लिए बागवानी मिशन। एमआईडीएच की सहायक योजना।

5.

अच्छी मोटाई वाली पालीथीन वर्मी बेड

रू. 8000/- प्रति इकाई (जिसका परिमाप 12’ X4’ X 2’ अथवा अनुपातिक आधार पर 96 क्यूबिक फुट

राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम्)/ पूर्वोत्तर  एवं हिमालयन राज्यों के लिए बागवानी मिशन/एम्आईडीएच की सहायक योजना।

6.

समेकित पोषक तत्व प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन

रू. 1200/- प्रति हेक्टेयर (4 हेक्टेयर तक)

राष्ट्रीय बागवानी मिशन/पूर्वोत्तर एवं हिमालयन राज्यों के लिए बागवानी मिशन। एमआई डीएच की सहायक योजना।

7.

जिप्सम फास्फोजिप्सम/बेन्तोनाईट सल्फर की आपूर्ति

लागत का 50% जो रू. 750/- प्रति हेक्टेयर तक सीमित।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं बीजीआरईआई

8.

सूक्ष्मपोषक तत्व

लागत का 50% जो रू. 500/- हेक्टेयर तक सीमित।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं बीजीआरईआई

9.

चूना/चूनायुक्त सामग्री

लागत का 50% जो रू. 1000/ हेक्टेयर तक सीमित।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं बीजीआरईआई

10.

जैव उर्वरक (राइजोबियम/ पीएसबी)

लागत का 50% जो रू. 300/ हेक्टेयर तक सीमित।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं बीजीआरईआई

11.

नई मोबाइल/अचल मृदा जाँच प्रयोगशालाओं (एमएसटीएल/एसएसटीएल) की स्थापना

प्रति वर्ष 10,000 नमूनों का विश्लेषण के लिए नाबार्ड  के माध्यम  से व्यक्तिगत एवं निजी एजेंसियों के लिए लागत का 33% या तक 25 लाख तक सीमित/प्रयोगशाला है।

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

12.

सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रोत्साहन एवं वितरण

लागत का 50%, जो रू. 500/- प्रति इकाई तक सीमित होगा और/ अथवा प्रति लाभार्थी रू. 1000/-

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

13.

जैव उर्वरक/जैव कीटनाशी आधारित लिक्विड इकाईयों की स्थापना

200 टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता की पूँजीगत निवेश के रूप में नाबार्ड के जरिए व्यक्तिगत/निजी एजेंसियों के लिए लागत का 25% जो प्रति इकाई रू. 40 लाख तक सीमित।

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

14.

फल एवं सब्जियों  बाजारी कचरा/कृषि कचरे से कंपोस्ट उत्पदान इकाई लगाने के लिए

3000 टन प्रतिवर्ष उत्पादन क्षमता वाले व्यक्तिगत/निजी एजेंसियों हेतु नाबार्ड के माध्यम से लागत का 33%, परंतु रू 63 लाख प्रति इकाई तक सीमित।

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

15.

किसानों के खेत पर जैविक निविष्ठ को प्रोत्साहन (खाद, वर्मी कंपोस्ट, जैव उर्वरक,द्रव/ठोस कचरा

लागत का 50% जो रू.

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

16.

सहभागिता प्रोत्साहन पद्धति प्रमाणीकरण (पीजीएस) के अंतर्गत समूह बनाकर जैविक खेती को अपनाना

रू. 20000/- प्रति हेक्टेयर जो 3 वर्ष की अवधि के लिए लाभार्थी अधिकतम रू. 40000/- तक सीमित

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

17.

ऑन – लाइन डाटा प्रबंधन और अवशेष के पीजीएस पद्धति को सहायता

रू. 200/- प्रति किसान जो प्रति समूह/वर्ष अधिकतम रू. 5000/- होगा और प्रति क्षेत्रीय परिषद रू. 1.00 लाख तक सीमित। अवशेष विश्लेषण एनएबीएल प्रयोगशाला में किया जाएगा।

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

18.

खाद प्रबंधन और जैविक नत्रजन दोहन के लिए गाँव का अंगीकरण

सामेकित खाद प्रबंधन का अंगीकरण, मेड़ों पर उर्वरक पेड़ उगाने ओर समूहों/स्वसहायता समूहों इत्यादि के माध्यम से अंतरफसलीय रूप में फलीदार फसलों को प्रोत्साहन के लिए प्रति गाँव रू.  10 लाख (प्रतिवर्ष/राज्य अधिकतम 10 गांवों को सहायता दी जाएगी)।

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

19.

जैविक खेती का प्रदर्शन

50 अधिक प्रतिभागियों के समूह के लिए प्रति प्रदर्शन रू. 20000/-

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

20

समस्या ग्रस्त मृदा का सुधार

क्षारीय/लवणीय मिट्टी लागत का 50% जो रू. 25000/- प्रति हेक्टेयर तक होता और अथवा रू. 50000/- प्रति लाभार्थी तक समिति।

अम्लीय मृदा लागत का 50%, परंतु रू. 3000/- प्रति हेक्टेयर और/ अथवा रू. 6000/- रू. प्रति लाभार्थी तक सीमित।

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

21.

आईसीएआर प्रौद्योगिकी द्वारा विकसित माइक्रो मृदा परिक्षण प्रयोगशाला स्थापित करना

नाबार्ड के माध्यम से प्रति वर्ष 3000 नमूने प्रशिक्षण करने के लिए प्रति व्यक्ति. निजी क्षेत्रों के लिए लागत का 44%या रू. 44.00 प्रति लैब

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

22.

गांव के स्तर पर मृदा परिक्षण परियोजना की स्थापना करना

लागत का 40% या रू. 4,00,000 तक जो भी कम है

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

किससे संपर्क करें?

जिला कृषि अधिकारी/जिला बागवानी अधिकारी/परियोजना निदेशक (आत्मा)

 

स्त्रोत: कृषि,सहकारिता और किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate