उत्तरः मानसून पर खेती की निर्भरता कम करने के उद्देश्य से सरकार ने हर खेत को पानी पहुँचाने के लिए प्रधानमंत्री कृषिसिंचाई योजना स्वीकृत की है। इस योजना में तीन मंत्रालयों, नामतः जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुर्नउद्धार मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा कृषि मंत्रालय की विभिन्न जल संरक्षण, संचयन एवं भूमिजल संर्वधन तथा जल वितरण संबंधित कार्यों को समेकित किया गया है।इस योजना के लिए अगले पाँच वर्षों के लिए 50000 करोड़ आबंटित किया गया है तथा चालू वित्त वर्ष (2015-16) के लिए इस योजना में 5300 करोड़ रुपये का आबंटन किया गया है। राज्यों द्वारा धनराशि के प्रयोग तथा उनकी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वर्षवार उपयोग तथा कुल आबंटित धनराशि भी इस कार्यक्रम के लिए बढ़ाई जा सकती है जिससे कि हर खेत को पानी तथा प्रति बूंद, अधिक फसल उत्पादन के साथ-साथ पूरे देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो जाए।
उत्तर: विगत कई दशकों के प्रयास के बावजूद कृषि योग्य भूमि का अधिकांश भाग वर्षा आधारित है। वर्षा के अभाव में किसानों को विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। इसी समस्या को ध्यान में रखकर “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” स्वीकृत की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य उपजिला /जिला स्तर तथा राज्य स्तर पर सिंचाई योजना तैयार कर, खेतों तक जल पहुँचाना, कृषि योग्य भूमि का विस्तार करना, सुनिश्चित सिंचाई का प्रबधन, जलाशय पुर्नाभरण, सतत् जल संरक्षण प्रणाली प्रचलनों के साथ-साथ भूमि जल सूजन, पानी के बहाव को रोककर उपयोग में लाना तथा जल उपलब्धि के अनुसार फसलो का चयन एवं आधुनिक सिंचाई प्रणाली, ड्रिप एवं स्प्रीकलर कार्यक्रम को लागू करना है।
उत्तरः योजना के उद्देश्यों की उपलब्धि के लिए मुख्यतः तीन मंत्रालयों नामतः जल मंत्रालय के सहभागिता दवारा विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाएगे।
ग्रामीण विकास मंत्रालय मुख्य रूप से मृदा एवं जल संरक्षण हेतु छोटे तालाब, जल संचयन संरचना के साथ-साथ छोटे बांधों तथा सम्मोच्च मेढ निर्माण आदि कायों का क्रियान्वयन राज्य सरकार के माध्यम से समेकित पनधरा प्रबंधन कार्यक्रम के तहत करेगा। जिसके लिए वर्ष 2015-16 में 1500 करोड़ रुपये आबंटित है।
जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुर्नउद्धार मंत्रालय संरक्षित जल को खेत तक पहुँचाने के लिए नाली इत्यादि विकास के साथ-साथ त्वरित सिंचाई लाभ संबंधी कार्यक्रम समयबद्ध तरीके से पूर्ण करेगा। इसके अंतर्गत निम्न स्तर पर जल निकाय सूजन, नदियों में लिफ्ट सिंचाई योजना, जल वितरण नेटवर्क तथा उपलब्ध जल स्रोतों के मरम्मत, पुर्नभंडारण तथा सूजन का कार्य मुख्य रूप से किया जाएगा। इन कार्यों के लिए वर्ष 2015-16 के लिए 2000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करायी गई है।
कृषि मंत्रालय, कृषि एवं सहकारिता विभाग, वर्षा जल संरक्षण, जल बहाव नियत्रंण कार्य, जल उपलब्धता के अनुसार फसल उत्पादन, कृषि वानिकी, चारागाह विकास के साथ-साथ कृषि जीविकोपार्जन के विभिन्न कार्यक्रमों को भी चलाएगी।
जल प्रयोग क्षमता बढ़ाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई योजना (ड्रिप, स्प्रीकलर, रेनगन आदि) का उपयोग विभिन्न फसलों की सिंचाई के लिए किया जाएगा। इस सभी कार्यक्रमों को चलाने के लिए वर्ष 2015-16 के लिए 1800 करोड़ रुपये की राशि आबंटित की गई है।
उत्तर: जिला सिंचाई योजना तैयार करते समय माननीय ससंद सदस्य, स्थानीय विधायक के सुझाव लिए जाएगें और जिला सिंचाई परियोजना में सम्मिलित किया जाएगा। इस जिला स्तरीय परियोजना को अंतिम रूप देते समय स्थानीय संसद सदस्य के उपयोगी सुझावों को प्राथमिकता दी जाएगी।
उत्तरः आर्थिक मामलों समिति दवारा वर्तमान वर्ष (2015-16) के लिए कुल 5300 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए है। इस धनराशि को ध्यान में रखते हुए लगभग 134 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई करने लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके अंतर्गत ए.आई.बी.पी. से 12 लाख हेक्टेयर, लघु सिंचाई से 0.3 लाख हेक्टेयर, सी.ए.डी से 2.0 लाख हेक्टेयर, भूमि गत योजना से 0.3 लाख हेक्टेयर, तलाबों के पुर्नउद्धार कर 0.2 लाख हेक्टेयर, सूक्ष्म सिंचाई योजना से 5.0 लाख हेक्टेयर तथा आई.डब्लू.एम.पी से 4.4 लाख हेक्टेयर निर्धारित किया गया है।
उत्तरः विभिन्न मंत्रालयों के आवंटित कार्यसूची को ध्यान में रखते हुए, मुख्य रूप से तीन मंत्रालयो, कृषि, जल संसाधन एवं ग्रामीण विकास मंत्रालयों को उनके सुनिश्चित कार्यक्रम के कार्यन्वयन के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग धनराशि उपलब्ध कराई गई है। इन मंत्रालयो के तकनीकी जानकारी एवं कार्यक्रम के अनुसार राज्य सरकारों को यह राशि प्रदान की जाएगी।
योजना को समयबद्ध एवं सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए ब्लॉक /जिला स्तर सिचाई परियोजना बनाते समय सामाजिक, आर्थिक एवं स्थान विशेष आवश्यकता आधारित कार्यकलापों को प्राथमिकता देते हुए कृषि क्षेत्र के उपलब्ध और संभावित जल संसाधन तथा जल आवश्यकता के आधार को ध्यान में रखना है| जिला स्तरीय सिंचाई परियोजनाओं को समेकित कर राज्य स्तरीय सिंचाई योजनाएं बनाई जाएगी । इस योजना को विस्तृत तथा व्यवहारिक बनाने के लिए जिला अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जिसमें जिला स्तर के सभी कृषि विकास से संबंधित अधिकारी मेंमबर होंगें और जिला वन अधिकारियों और लीड बैंक अधिकारी भी सदस्य होंगें। इसी तरह राज्य स्तर पर इस योजना के सुचारू रूप से कार्यन्वयन के लिए राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय संस्तुति समिति (एस.एल.एस.सी) गठित की गई है। इस समिति का मुख्य उद्देश्य कार्य योजना का अनुमोदन, निगरानी एवं समीक्षा तथा अन्य चल रही योजनाओं के साथ अभिसरण को सुनिश्चित करना होगा।
इस योजना में संसाधन के आवंटन, मंत्रालीय समन्वयन, मॉनीटरिंग, प्रशासनिक मुद्दों के समाधान हेतु नीति आयोग के उपाध्यक्ष के अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय कार्यकारी समिति का गठन किया गया है।
उपरोक्त के अलावा कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने, दिशा निर्देश जारी करने तथा मूल्याकन आदि के लिए राष्ट्रीय स्तर पर माननीय प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में संबंधित मंत्रालयों के मंत्री को सम्मिलित करते हुए अंर्तमंत्रालीय राष्ट्रीय कार्यकारी समिति का गठन भी किया गया है।
योजना की मार्गदर्शिका माननीय कृषि मंत्री विभिन्न विभागों/ मंत्रालयों से गहन विचार-विर्मश के बाद जारी किया जाएगा जिससे कि राज्यों दवारा इस योजना का प्रभावी तरह से कार्यान्वयन हो सके।
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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