कृषि उपज और कतिपय अन्य वस्तुओं के भण्डागारण और उनसे संबंधित या उनके आनुषंगिक विषयों के प्रयोजन के लिए निगमों के निगमन और विनियमन का उपबंध करने के लिए अधिनियम 19 दिसम्बर, 1962 को भारत गणराज्य के तेरहवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हुआ ।
संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ
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(1) |
इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम भण्डागारण निगम अधिनियम, 1962 है। |
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इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है (1962 का 58) |
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यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे। |
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2. |
इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो:- परिभाषाएं (क)
(ख) ‘समुचित सरकार’ से केन्द्रीय भंडारण निगम के संबंध में केन्द्रीय सरकार और राज्य भंडारण निगम के संबंध में राज्य सरकार से अभिप्रेत है;
(ग) ‘केन्द्रीय भंडारण निगम’ से धारा 3 के अधीन स्थापित केन्द्रीय भंडारण निगम से अभिप्रेत है;
(घ) ‘सहकारी समिति’ से सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1912 (1912 का 2) या किसी राज्य में फिलहाल प्रवृत्त सहकारी समितियों, जो कृषि उपज या किन्हीं अनुसूचित वस्तुओं का प्रसंस्करण, विपणन, भंडारण, निर्यात या आयात करती है या बीमा व्यवसाय में हैं और इनमें सहकारी भूमि बंधक बैंक भी शामिल हैं, के संबंध में किसी अन्य कानून के अधीन पंजीकृत समिति या पंजीकृत मानी गई समिति से अभिप्रेत है; (घघ) ‘राष्ट्रीयकृत बैंक’ से बैंककारी कम्पनी (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1970 (1970 का 5) की पहली अनुसूची में निर्दिष्ट किसी तदनुरूपी नए बैंक; या बैंककारी कम्पनी (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1980 की पहली अनुसूची में निर्दिष्ट किसी तदनुरूपी नए बैंक; अभिप्रेत है;
(ड.) ‘अधिसूचित वस्तु’ से किसी वस्तु (कृषि उपज को छोड़कर), जिसे केन्द्रीय सरकार, सरकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के प्रयोजन के लिए अधिसूचित वस्तु घोषित कर सकती है और ऐसी वस्तु जिसके संबंध में संसद को संविधान की सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची में प्रविष्टि 33 द्वारा कानून बनाने की शक्ति है, अभिप्रेत है;
(च) ‘निर्धारित’ से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा निर्धारित अभिप्रेत है;
(छ) ‘मान्यताप्राप्त एसोसिएशन’ से कोई एसोसिएशन, जो अग्रिम संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1952 की धारा 6 के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा फिलहाल मान्यता दी गई है, अभिप्रेत है;
(ज) ‘रिजर्व बैंक’ से भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के अधीन स्थापित भारतीय रिजर्व बैंक अभिप्रेत है;
(झ) ‘अनुसूचित बैंक’ से भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में फिलहाल शामिल बैंक, (जिसमें राष्ट्रीयकृत बैंक शामिल है) अभिप्रेत है;
(ञ) ‘स्टेट बैंक’ से भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955 के अधीन स्थापित भारतीय स्टेट बैंक अभिप्रेत है;
(ट) ‘राज्य भंडारण निगम’ से किसी राज्य के लिए भंडारण निगम, जो इस अधिनियम के अधीन स्थापित की गई या स्थापित मानी गई है, अभिप्रेत है;
(ठ) ‘भंडारण निगम’ से भंडारण निगम, जो इस अधिनियम के अधीन स्थापित की गई या स्थापित मानी गई है, अभिप्रेत है
(ड) ‘वर्ष’ से वित्तीय वर्ष अभिप्रेत है।
2 (क) किसी राज्य में कानून, जो प्रवृत्त नहीं है, या कोई कृत्यकारी, जो अस्तित्व में नहीं है, का इस अधिनियम में दिया गया कोई संदर्भ उस राज्य के संबंध में प्रवृत्त तदनुरूपी कानून या तदनुरूपी कृत्यकारी, जो अस्तित्व में है, के संदर्भ में माना जाएगा।
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(1) किसी ऐसी तारीख से, जो केन्द्रीय सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस संबंध में निर्दिष्ट की जाए, केन्द्रीय सरकार केन्द्रीय भंडारण निगम के नाम से एक निगम स्थापित करेगी जो एक निगमित निकाय होगा, जिसमें स्थायी उत्तराधिकार होगा और सम्पत्ति का अधिग्रहण, उसे रखने और बेचने की शक्ति के साथ एक सील होगी और उक्त नाम से मुकदमा चलाया जा सकता है या उस पर मुकदमा हो सकता है।
(2) केन्द्रीय भंडारण निगम का मुख्यालय नई दिल्ली में होगा [या ऐसे अन्य स्थान पर, जो केन्द्रीय सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निर्दिष्ट करे]
अंश पूंजी और अंशधारी
(1) केन्द्रीय भंडारण निगम की अधिकृत अंश पूंजी एक सौ करोड़ रुपये होगी जो प्रत्येक एक हजार रुपये के अंकित मूल्य के दस सौ हजार शेयरों में विभक्त होगी; जब केन्द्रीय भंडारण निगम उपयुक्त समझे तब कोई शेयर, जो जारी करने से रह गए हैं, परंतु केन्द्रीय सरकार, सरकारी राजपत्र में अधिसूचित आदेश द्वारा, समय-समय पर, केन्द्रीय भंडारण निगम की अधिकृत अंश पूंजी में उस सीमा तक वृद्धि कर सकती है जिस सीमा तक सरकार निर्धारित करे।
(2) केन्द्रीय सरकार, इस प्रयोजन के लिए संसद द्वारा कानून द्वारा उचित विनियोजन के पश्चात् किसी भी समय जारी अंश पूंजी का चालीस प्रतिशत पूर्वक्रीत करेगी और अंश पूंजी का शेष साठ प्रतिशत, ऐसी अवधि के भीतर और ऐसे अनुपात में, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्दिष्ट किया जाए, निम्नलिखित संस्थाओं द्वारा पूर्वक्रीत किया जाएगा, अर्थात्:-
(क) स्टेट बैंक;
(ख) अन्य अनुसूचित बैंक;
(ग) सहकारी समितियां;
(घ) बीमा कम्पनियां, निवेश न्यास और अन्य वित्तीय संस्थाएं;
(ड.) कृषि उपज या किसी अधिसूचित वस्तु से संबंधित कार्य कर रही मान्यताप्राप्त एसोसिएशने और कम्पनियां।
(3) यदि उप-धारा (2) में उल्लिखित अंश पूंजी के साठ प्रतिशत कोई भाग बिना आवंटन के रह जाता है तो वह केन्द्रीय सरकार और स्टेट बैंक द्वारा ऐसे अनुपात में, जिनकी उनमें सहमति हो, पूर्वक्रीत किया जा सकता है और यदि ऐसे करार में चूक होती है तो केन्द्रीय सरकार द्वारा यथानिर्धारित अनुपात में पूर्वक्रीत किया जा सकता है ।
(4) इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय भंडारण निगम द्वारा बनाए गए विनियमों के अनुसरण में, केन्द्रीय भंडारण निगम के अंश केन्द्रीय सरकार [स्टेट बैंक या किसी अन्य अनुसूचित बैंक], किसी बीमा कम्पनी, किसी निवेश न्यास या अन्य वित्तीय संस्था या किसी सहकारी समिति या किसी कृषि उपज या किसी अधिसूचित वस्तु से संबंधित कार्य कर रही मान्यताप्राप्त एसोसिएशने और कम्पनियां। एसोसिएशन या कम्पनी को छोड़कर, अंतरणीय नहीं होंगे।
केन्द्रीय सरकार और न्यास अथवा अनुमोदित प्रतिभूतियों द्वारा अंशों की गारंटी
(1) केन्द्रीय भंडारण निगम के अंशों पर केन्द्रीय सरकार द्वारा मूलधन को वापस करने और ऐसी न्यूनतम दर पर, जो केन्द्रीय सरकार, अंशों के जारी होने के समय सरकारी राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा निर्धारित करे, वार्षिक लाभांश का भुगतान करने की गारंटी दी जाएगी।
(2) इस उप-धारा में उल्लिखित अधिनियम में निहित किसी बात के होते हुए भी, केन्द्रीय भंडारण निगम के अंश भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 (1882 का 2) की धारा 20 में निर्दिष्ट प्रतिभूतियों में, और बीमा अधिनियम, 1938 (1938 का 4) तथा बैंककारी कम्पनी अधिनियम, 1949 (1949 का 10) के प्रयोजन के लिए अनुमोदित प्रतिभूतियों में शामिल मानी जाएंगी।
केन्द्रीय भंडारण निगम का प्रबंधन
(1) केन्द्रीय भंडारण निगम के कार्यों और व्यवसाय का सामान्य पर्यवेक्षण और प्रबंधन निदेशक मंडल में निहित होगा जो एक कार्यकारी समिति तथा एक प्रबंध निदेशक की सहायता से सभी शक्तियों का प्रयोग कर सकता है और सभी कार्यों का निपटान कर सकता है जो इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय भंडारण निगम द्वारा किए जा सकते हैं।
(2) निदेशक मंडल जन हित को ध्यान में रखते हुए व्यवसाय के सिद्धांतों पर कार्य करेगा और केन्द्रीय सरकार द्वारा उन्हें दिए गए नीतिगत प्रश्नों पर अनुदेशों द्वारा उनका मार्गदर्शन किया जाएगा।
(3) यदि यह संदेह उत्पन्न होता है कि कोई प्रश्न नीतिगत प्रश्न है या नहीं, तो केन्द्रीय सरकार का निर्णय अंतिम होगा।
निदेशक मंडल
(1) धारा 6 में उल्लिखित निदेशक मंडल में निम्नलिखित शामिल होंगे, अर्थात्:-
(क) केन्द्रीय सरकार द्वारा नामित किए जाने वाले छ: निदेशक;
(ख) लोप किया गया।
(ग) स्टेट बैंक द्वारा नामित किया जाने वाला एक निदेशक;
(घ) अन्य अनुसूचित बैंकों द्वारा चुना जाने वाला एक निदेशक;
(ड.) सहकारी समितियों द्वारा चुना जाने वाला एक निदेशक;
(च) बीमा कम्पनियों, निवेश न्यासों और अन्य वित्तीय संस्थाओं, मान्यताप्राप्त एसोसिएशनों और कम्पनियों, जो कृषि उपज या अधिसूचित वस्तुओं के संबंध में कार्य करते हैं, द्वारा चुना जाने वाला एक निदेशक; (च- क ) केन्द्रीय सरकार द्वारा तीन निदेशक नियुक्त किए जाएंगे।
(छ) केन्द्रीय सरकार द्वारा खंड (क) से (च) में उल्लिखित निदेशकों के साथ परामर्श करके नियुक्त किया गया प्रबंध निदेशक:
परंतु यह कि निदेशक मंडल के प्रथम गठन के लिए खंड (घ), (ड.) और (च) के अधीन चुने जाने वाले तीन निदेशक केन्द्रीय सरकार द्वारा इस तरीके से नामित किए जाएंगे कि इन खंडों में उल्लिखित संस्थानों (चाहे वे निगम के अंशधारी बन गए हों या नहीं) की प्रत्येक श्रेणी को प्रतिनिधित्व मिले, लेकिन इस प्रकार नामित किया गया निदेशक तब तक अपने पद पर रहेगा जब तक चुना गया निदेशक उसके स्थान पर नहीं आ जाता है, जैसाकि इस खंड में व्यवस्था की गई है, और इस प्रकार चुना गया निदेशक तब तक अपने पद पर रहेगा जब तक पुराना निदेशक, यदि उसके स्थान पर चुना गया निदेशक नहीं नियुक्त होता, अपने पद पर बना रहता।
(2) उप-धारा के खंड (घ), (ड.) और (च) में निर्दिष्ट निदेशक निर्धारित विधि से चुने जाएंगे।
(3) यदि इस संबंध में निर्धारित अवधि के भीतर, या ऐसी और अवधि के भीतर, जिसकी केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुमति दी जाए, उप-धारा (1) के खंड (घ) या खंड (ड.) या खंड (च) में संस्थान निदेशक का चुनाव करने में विफल रहते हैं तो केन्द्रीय सरकार रिक्ति को भरने के लिए निदेशक नामित कर सकती है ।
(4) निदेशक मंडल का एक अध्यक्ष होगा केन्द्रीय सरकार द्वारा निदेशकों में से नियुक्त किया जाएगा।
उप-धारा (1) के खंड (चच) के अधीन नियुक्त किए गए निदेशक ऐसे वेतन और भत्ते प्राप्त करने के पात्र होंगे जो केन्द्रीय भंडारण निगम द्वारा केन्द्रीय सरकार के अनुमोदन से निर्धारित किए जाएंगे।
(5) प्रबंध निदेशक -
(5)(क) ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा और ऐसे कर्तव्यों का निर्वाह करेगा जो निदेशक मंडल या केन्द्रीय भंडारण निगम उसे सौंपेगा या प्रत्यायोजित करेगा; और
(ख) ऐसे वेतन और भत्ते प्राप्त करेगा जो केन्द्रीय भंडारण निगम द्वारा केन्द्रीय सरकार के अनुमोदन से निर्धारित किए जाएंगे।
(6) प्रबंध निदेशक को छोड़कर केन्द्रीय भंडारण निगम के निदेशक पारिश्रमिक के रूप में ऐसी धनराशि प्राप्त करने के पात्र होंगे जो केन्द्रीय भंडारण निगम द्वारा केन्द्रीय सरकार के अनुमोदन से निर्धारित किए जाएंगे।
परंतु कोई भी सरकारी निदेशक उसकी सेवा शर्तों को विनियमित करने वाले नियमों के अधीन उसे अनुमेय भत्तों, यदि कोई हों, को छोड़कर कोई पारिश्रमिक प्राप्त करने का पात्र नहीं होगा।
(7) निदेशकों का कार्यकाल और उनमें से आकस्मिक रिक्तियों को भरने की विधि वह होगी, जो निर्धारित की जाएगी।
केन्द्रीय भंडारण निगम के निदेशक के पद के लिए अयोग्यता
(1) यदि वह पागल पाया जाता है या विक्षिप्त हो जाता है; या
(2) वह किसी भी समय दिवालिया करार किया गया है या उसने अपने ऋणों का भुगतान रोक दिया है या अपने ऋणदाताओं के साथ समझौता कर लिया है; या
(3) यदि वह/उसने कोई अपराध करता है/किया है जिसमें भ्रष्टाचार लिप्त है और उसे इस अपराध के लिए छ: महीने की कैद की सजा मिली है, तो वह तब तक अयोग्य होगा जब तक सजा के समाप्त होने की तारीख से पांच वर्ष की अवधि व्यपगत न हो गई हो; या
(4) यदि उसे सरकार या सरकार के अपने या सरकार द्वारा नियंत्रित निगम की सेवा से हटा दिया गया है या बरखास्त कर दिया गया है; या
(5) धारा 7 की उप-धारा (1) के खंड (चच) के अधीन नियुक्त निदेशक और प्रबंध निदेशक के मामले को छोड़कर, यदि वह केन्द्रीय भंडारण निगम या किसी राज्य भंडारण निगम का वेतनभोगी अधिकारी है; या
(6) उस स्थिति को छोड़कर जब कम्पनी अधिनियम, 1956 में यथापरिभाषित किसी सरकारी कम्पनी में एक अंशधारी (निदेशक को छोड़कर) है उसकी व्यक्तिगत रूप से केन्द्रीय भंडारण निगम के साथ की गई किसी अस्तित्व युक्त संविदा या केन्द्रीय भंडारण निगम के लिए किए जा रहे किसी कार्य में रुचि है:
(6)परंतु यह कि जहां ऐसा कोई व्यक्ति अंशधारी है, तब वह ऐसी कम्पनी में उसके द्वारा रखे गए शेयरों की किस्म और मात्रा के संबंध में केन्द्रीय भंडारण निगम को सूचित करेगा।
निदेशकों को पद से हटाना
(1) केन्द्रीय सरकार केन्द्रीय भंडारण निगम के परामर्श से, किसी भी समय, प्रबंध निदेशक को प्रस्तावित बरखास्तगी के प्रति सफाई देने का उचित अवसर देने के बाद उसे बरखास्त कर सकती है।
(2) निदेशक मंडल किसी निदेशक को पद से हटा सकता है-
(क) जो धारा 8 में उल्लिखित किसी अयोग्यताओं के अनुसार अयोग्य है या अयोग्य बन गया है; या
(ख) यदि निदेशक मंडल की राय में उसकी अनुपस्थिति का कारण पर्याप्त नहीं है और वह मंडल की अनुमति के बिना अनुपस्थित रहता है या मंडल की लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहता है।
अधिकारियों आदि की नियुक्ति और उनकी सेवा की शर्तें
(1) केन्द्रीय भंडारण निगम अपने कार्यों को कुशलतापूर्वक करने के लिए ऐसे अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों, जो वह आवश्यक समझे, की नियुक्ति कर सकता है।
(2) केन्द्रीय भंडारण निगम द्वारा इस अधिनियम के अधीन नियुक्त किया गया प्रत्येक व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन सेवा शर्तों के अध्यधीन होगा और वह ऐसे पारिश्रमिक के लिए पात्र हो जो केन्द्रीय भंडारण निगम द्वारा इस अधिनियम के अधीन निर्धारित किया जाएगा।
केन्द्रीय भंडारण निगम के कार्य
इस अधिनियम के उपबंधों के अध्यधीन, केन्द्रीय भंडारण निगम –
(1) भारत में या विदेश में ऐसे स्थानों पर, जैसा यह उपयुक्त समझे, गोदामों और भांडागारों का अधिग्रहण और निर्माण कर सकता है;
(2) व्यक्ति विशेष, सहकारी समितियों और अन्य संस्थानों द्वारा पेशकश की गई कृषि उपज, बीजों, खाद, उर्वरकों, कृषि औजारों और अधिसूचित वस्तुओं का भंडारण करने के लिए भांडागारों का प्रचालन कर सकता है;
(3) भांडागारों से और भांडागारों तक कृषि उपज, बीजों, खाद, उर्वरकों, कृषि औजारों और अधिसूचित वस्तुओं की ढुलाई के लिए सुविधाओं की व्यवस्था कर सकता है;
(4) राज्य भंडारण निगमों की अंश पूंजी में पूर्वक्रीत कर सकता है;
(5) कृषि उपज, बीजों, खाद, उर्वरकों, कृषि औजारों और अधिसूचित वस्तुओं की खरीद, बिक्री, भंडारण और वितरण के प्रयोजन के लिए सरकार के एजेंट के रूप में कार्य करना;
(क.) केन्द्रीय सरकार के पूर्व के अनुमोदन से किसी केन्द्रीय अधिनियम या किसी राज्य अधिनियम द्वारा या उसके अधीन या कम्पनी अधिनियम, 1956 के अधीन बनाई गई या स्थापित किसी निगम या पंजीकृत किसी कम्पनी, जिसमें विदेशी कम्पनी या इसकी समनुषंगी कम्पनियों की जरिये, शामिल हैं, के साथ संयुक्त उद्यम के साथ इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए करार कर सकता है।
स्पष्टीकरण – इस खंड के प्रयोजन के लिए, अभिव्यक्त शब्द ‘विदेशी कम्पनी’ का अभिप्राय आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2 के खंड (23क) के अधीन दिया गया अर्थ होगा।
(ख) स्थापित सहायक कम्पनियां; और
यथानिर्धारित ऐसे अन्य कार्य कर सकता है।
कार्यकारी समिति
(1) केन्द्रीय भंडारण निगम की एक कार्यकारी समिति होगी, जिसमेंनि शामिल होंगे:- (क) निदेशक मंडल का अध्यक्ष; |
(ख) प्रबंध निदेशक; और (ग) निगम द्वारा निर्धारित विधि से दो अन्य निदेशकों का चयन। |
(2) निदेशक मंडल का अध्यक्ष कार्यकारी समिति का अध्यक्ष होगा। (3) निदेशक मंडल के सामान्य नियंत्रण, निर्देश और पर्यवेक्षण के अध्यधीन, कार्यकारी समिति केन्द्रीय भंडारण निगम की सक्षमता के अंदर किसी भी मामले में कार्रवाई करने के लिए सक्षम होगी। |
निगम की बैठक
(1) केन्द्रीय भंडारण निगम की वार्षिक आम सभा (जिसे इसके बाद वार्षिक आम सभा कहा गया है) प्रत्येक वर्ष या तो निगम के मुख्यालय में या इसके किसी अन्य कार्यालय में वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के छ: महीने के भीतर होगी, और कोई अन्य साधारण बैठक निदेशक मंडल द्वारा किसी अन्य समय बुलाई जा सकती है।
(2) वार्षिक आम सभा में उपस्थित अंशधारी वार्षिक लेखों, आलोच्य वर्ष के दौरान निगम के कार्यकरण पर निदेशक मंडल की रिपोर्ट और वार्षिक तुलन-पत्र तथा लेखों पर लेखापरीक्षक की रिपोर्ट पर चर्चा करने के पात्र होंगे।
(3) केन्द्रीय भंडारण निगम के एक-तिहाई अंशधारियों की मांग पर केन्द्रीय भंडारण निगम का निदेशक मंडल निगम की एक विशेष बैठक बुलाएगा।
(4) उप-धारा (3) के अधीन विशेष बैठक के लिए मांग में बैठक बुलाने के उद्देश्य का उल्लेख होगा और उस पर मांगकर्ताओं के हस्ताक्षर होंगे और वह मांग-पत्र निगम के मुख्यालय के जमा कराया जाएगा और इसमें प्रत्येक फार्म पर एक या अधिक मांगकर्ताओं के हस्ताक्षर होंगे।
(5) यदि केन्द्रीय भंडारण निगम का निदेशक मंडल जमा कराई गई ऐसी मांग की तारीख से इक्कीस दिन के भीतर बुलाई जाने वाली बैठक के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं करता है तो मांगकर्ता या उनका बहुमत स्वयं बैठक बुला सकते हैं, लेकिन बुलाई गई बैठक मांग के जमा होने की तारीख से तीन महीने के भीतर आयोजित की जाएगी।
(6) केन्द्रीय भंडारण निगम अपने कार्य और बैठकों (बैठकों में गणपूर्ति सहित) के संबंध में कार्यविधि के ऐसे नियमों का अनुपालन करेगा जैसाकि इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय भंडारण निगम द्वारा बनाए गए विनियमों के व्यवस्था की गई है।
केन्द्रीय भंडारण निगम द्वारा रखी जाने वाली धनराशि के प्रयोजन
(1) केन्द्रीय सरकार, इस संबंध में कानून द्वारा संसद द्वारा उचित विनियोजन करने के पश्चात्, केन्द्रीय भंडारण निगम द्वारा रखी जाने वाली धनराशि के प्रयोजन के लिए निगम को धनराशि का भुगतान करेगी।
क. अनुदानों के माध्यम से, ऐसी धनराशि जो केन्द्रीय सरकार आवश्यक समझे; और
ख. ऋणों के माध्यम से, ऐसी शर्तों और निबंधनों पर ऐसी धनराशि, जो केन्द्रीय सरकार निर्धारित कर सकती है।
(2) उप-धारा (1) के अधीन भुगतान करते समय, केन्द्रीय सरकार उस प्रयोजन के लिए निधि निर्दिष्ट करेगी जिसके लिए भुगतान किया जाता है।
निगम दो प्रकार की निधियां रखेगा
केन्द्रीय भंडारण निगम दो पृथक निधियां रखेगा, अर्थात्:-
(क) केन्द्रीय भण्डागारण निधि (जिसे इसके बाद भण्डागारण निधि कहा गया है); और
(ख) सामान्य निधि।
भण्डागारण निधि
(धारा 36 देखें)
मैं, ................................................. ।
घोषणा करता हूं कि मैं ईमानदारी, सच्चाई और अपने विवेक के अनुसार, दक्षता और योग्यता से उन कर्तव्यों को निष्पादित करुंगा जो मेरे लिए भंडारण निगम के निदेशक, अधिकारी, कर्मचारी या लेखापरीक्षक (जैसा भी मामला हो) के रूप में करने अपेक्षित हैं और जो उक्त निगम के कार्यालय या उसमें मेरे द्वारा धारित पद से समुचित रूप से संबंधित हैं।
मैं यह भी घोषणा करता हूं कि मैं ऐसे किसी व्यक्ति को, जो इसके लिए विधिक रूप से पात्र नहीं होगा, उक्त निगम के कार्यों के संबंध में कोई सूचना नहीं दूंगा या देने की अनुमति नहीं दूंगा और न ही मैं ऐसे किसी व्यक्ति को निगम से संबंधित या निगम के व्यवसाय से संबंधित या उसके कब्जे में रखी किन्हीं बहियों और दस्तावेजों का निरीक्षण करने या उपलब्ध करने की अनुमति दूंगा
स्रोत: खाद्य व सार्वजनिक वितरण विभाग।
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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