समाज के सभी वर्गों में सम्पत्ति के सृजन से लेकर जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी को राष्ट्र के विकास के मूल उत्तोलक/प्रभावकारी तत्व के रूप में पहचाना गया है। सूचना प्रौद्योगिकी तथा इलेक्ट्रानिक्स विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत बैठता है। सूचना प्रौद्योगिकी/इलेक्ट्रानिक्स समूचे विश्व में न केवल सबसे तेज वृद्घि वाला उद्योग है अपितु उसका प्रभाव अन्य उद्योगों पर भी उत्पादन बढाने में, लागत के ढांचे में परिवर्तन आदि के रूप में पड़ने के साथ-साथ हमारी जीवन एवं कार्यशैली पर महत्वपूर्ण रूप से पड़ रहा है।
भारतवर्ष में 1991 में व्यापक आर्थिक सुधार कार्यक्रम आरम्भ किये गए। त्वरित एवं मौलिक रूप से आर्थिक वृद्धि कर भारत का विश्व अर्थतंत्र से एकीकरण करना इस कार्यक्रम का लक्ष्य था। नवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान, औद्योगिक अनुमोदन, विदेशी पूंजी निवेश, आयात-निर्यात तथा राजकोषिय नीतियों में अग्रसर उदारीकरण की प्रक्रिया, आर्थिक सुधार तथा नीतियों का सरलीकरण तथा उद्योगों की आवश्यकताओं के प्रति उनको जवाबदेह बनाने की प्रक्रियाएं, क्षेत्रों मे त्वरित प्रौद्योगिकी विकास, व्यापार के समय चक्र को कम किया जाना, ठीक समय पर तथा समय से बाजार तक पहुंचाना, वे बाते हैं जो उद्योगों तथा सेवाओं को आधारभूत सहायता एवं मजबूती प्रदान करती है।
उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रानिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 1999 के दौरान कई नीतिगत उपाय किये गए थे। सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रानिक्स नीति, 1999 केबिनेट के अनुमोदन के पश्चात घोषित की गई थी। इस नीति का लक्ष्य उत्तर प्रदेश को नए ज्ञान-अर्थतंत्र की देहलीज तक ले जाना तथा घरेलू उद्योगों को संवेदनात्मक बल प्रदान करना था।
उत्तर प्रदेश ने लगभग 25 प्रतिशत की वृद्घि दर के साथ स्वयं को राष्ट्रीय वृद्घि दर के समीप बनाए रखने का प्रयास किया है (वर्ष 2001-2002 के दौरान लगभग 2000 करोड़ रूपये का निर्यात विक्रय धन तथा वर्ष 2002-2003 के दौरान (2500 करोड़ रूपये)। सूचना प्रौद्योगिकी के निर्यात में वृद्घि मुख्यतय: साफ्टवेयर निर्यात धाराओं से होने वाले निर्यात में वृद्घि के कारण से हुई है।
भारतीय इलेक्ट्रानिक्स/सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर क्षेत्र में वर्ष 1991-2002 के दौरान 11.6 प्रतिशत की सी०ए०जी० दर से वृद्घि हुई है जो कि वर्ष 2002-2003 के दौरान बढकर 37,000 करोड़ रूपये के उत्पादन तक पहुंच गई है। आठवीं योजना (1992-1997) तथा नौवीं योजना (1997-2002) के दौरान उत्पादन में यह वृद्धि क्रमशः 15 प्रतिशत तथा 10.3 प्रतिशत रही। वर्तमान में 1200 बिलियन 2001 यू०एस० डालर के विश्व इलेक्ट्रानिक्स/सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर उत्पादन में भारत का योगदान लगभग 0.6 प्रतिशत रहा है। दसवीं योजना के प्रक्षेपानुसार (वास्तविक परिदृश्य) सीमान्त वर्ष (2006-2007) में इलेक्ट्रानिक्स/सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर उत्पादन का लक्ष्य 69,000 करोड़ रूपये (सी०ए०जी०आर०-15 प्रतिशत) का है।
उत्तर प्रदेश में आर्थिक विकास के साधन के रूप में तथा जीवन की उच्चतर गुणवत्ता के साथ उच्च स्तरीय प्रौद्योगिकी सम्पन्न समाज का सृजन करने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करना|
सूचना प्रौद्योगिकी नीति-2004 में सूचना प्रौद्योगिकी की परिभाषा मोटे तौर पर भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार होगी। परिभाषा में संगणक (कम्प्यूटर), अलग रूप से केन्द्रीय प्रसंस्करण इकाई, संगणको के विर्निमाण में र्निर्माणशाला में ही उपयोग होने वाले पुर्जे, सेल्यूलर हैन्डसेट तथा साफ्टवेयर भी सम्मिलित होंगे। इस परिभाषा को इस नीति के अधीन गठित उच्च स्तरीय प्राधिकार समिति द्वारा समय-समय पर राज्य की आवश्यकताओं के अनुकूल यथेष्ट रूप से परिवर्तित भी किया जा सकता है।
साफ्टवेयर, हार्डवेयर तथा सेवापरक उद्योगों की वृद्घि क्षमता के सापेक्ष संगत नही रही है। अतः इस नीति के अन्तर्गत सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग/विनिर्माण के समर्थन संवर्धन मे नीति के उद्देश्य निम्न प्रकार होंगें-
(क) सूचना प्रौद्योगिकी को लोगो तक पहुंचाना।
(ख) स्कूलों, विद्यालयों तथा शैक्षिक संस्थाओं में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग को गति प्रदान करना/बढाना।
(ग) साफ्टवेयर, हार्डवेयर एवं सेवाओं की घरेलू मांग को तेज करना।
(घ) साफ्टवेयर, इलेक्ट्रानिक्स/सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर और आई०टी०एस०/ आई०टी०ई०एस० क्षेत्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाना और इसके द्वारा निर्यात आशय में वृद्घि करना।
(ड़) विश्व बाजार में प्रतिभागिता हेतु /प्रभावी उपस्थिति बनाने के लिय उद्योगों को सुविधाएं प्रदान करना।
(च) उद्योंगों की वृद्घि के लिये मूल्य परक संवर्धन के निर्मित्त सुविधाएं प्रदान करना।
(छ) सम्पत्ति सृजन के लिये व्यवसायों को अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग करने में सहायता देना।
सूचना प्रौद्योगिकी नीति-2004 की रणनीति यह है कि उद्योगों को सुविधाएं देकर, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा उद्योंगों के विकास के माध्यम से आर्थिक वृद्घि प्राप्त की जाये और उनमें आत्मविशवास जगाकर, समर्पण की भावना प्रेरित कर तथा उद्देश्य प्रदान कर ऐसे उत्तम वातावरण का माहौल प्रदान किया जाये, जिसमे निवेश फल-फूल सके।
1 सूचना प्रौद्योगिकी के क्रिया-कलापों के लिए बजट
प्रदेश शासन का प्रत्येक विभाग सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोजनों के लिये अपने बजट का 5 प्रतिशत (या जैसा भारत सरकार द्वारा समय-समय पर संस्तुत किया जाय) चिन्हित करेगा। इसमें से 50 प्रतिशत व्यय सामान्यतया साफ्टवेयर विकास तथा प्रशिक्षण पर किया जायेगा। साफ्टवेयर विकास कार्यों के लिय राज्य में स्थित इकाईयों को वरीयता दी जायेगी।
2 ई-शासन (त्वरित शासन) हेतु संगमित निधि
त्वरित शासन हेतु सरकार, लाभ अर्जित करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों, सहकारी संस्थाओं तथा अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के सहयोग/अंशदान से एक संगमित निधि की स्थापना की जाएगी। इस संगमित निधि का उपयोग, त्वरित शासन के प्रतिकूल योग्य तथा पुनःउपयोगी माडलों को विकसित करने के लिए, प्रशासन में सूचना प्रौद्योगिकी आविष्कार, सूचना प्रौद्योगिकी सहायित संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग, निर्णय समर्थन प्रणालियों, एम०आई०एस०, इन्ट्रानेट तथा अन्य प्रयोज्य-सक्षम तकनीकियों के लिये किया जाएगा। इस निधि की प्रारम्भिक पूँजी पांच करोड़ रूपये होगी और इसका प्रशासन औद्योगिक विकास आयुक्त, उ०प्र० सरकार के नेतृत्व में एक भाषी निकाय द्वारा किया जाएगा। अन्य विभागों, परिषदों, निगमों में उनका आत्मविश्वास बनाने के लिये इस निधि में से अवधारण-प्रमाणक अनुप्रयोगों के रूप में कुछ नेतृत्वपरक (अग्रणी) अनुप्रयोगों को विकसित किया जा सकता है इन नेतृत्वपरक अनुप्रयोगों का अन्तिम रूप उसे विनिश्चय आई०टी० विजन ग्रुप द्वारा किया जाएगा।
3 व्यापक क्षेत्रीय नेटवर्क
आवाज, आंकड़े तथा दृश्य परीक्षण और प्रसारण के लिये राज्य द्वारा एक आधारित कार्यक्षेत्र (बैकबोन नेटवर्क) ''उ०प्र० व्यापक क्षेत्रीय कार्यक्षेत्र'' (यूपी स्टेट वाईड एरिया नेटवर्क) स्थापित किया जाएगा। इस कार्यतंत्र का उपयोग अन्तर्विभागीय सम्बद्धता, बहु-प्रयोक्ता एवं बहुसेवी सुविधा, वीडियो सम्मेलन, फाइल-अन्तरण सुविधा, ई-मेल, संघ अनुप्रयोग प्रसंस्करण (आन-लाईन एप्लीकेशन, प्रोसेसिंग), जिज्ञासा-समाधान जैसे कार्यों के लिए किया जाएगा। यूपीनेट के द्वारा बेहतर सूचना वितरण संभव हो सकेगा जिससे लोग अधिक प्रभावाशाली तरीके से कार्य कर सकेंगे और परिणामतः समरस प्रशासन संभव हो सकेगा। यूपीनेट का विस्तार सभी सरकारी विभागों, राज्य सचिवालय, मंडलों जनपदों, तहसीलों एवं विकास खण्ड मुख्यालयों तक होगा। यूपीनेट द्वारा आप्टिकल फाईबर केबिल प्रचालकों से प्राप्त निःशुल्क बैन्डविड्थ का प्रयोग करते हुए लागत प्रभावी (किफायती) तकनीकियों तथा संसाधन-समेकन का उपयोग किया जाएगा। यूपीनेट बहुप्रयोक्ता सहबहुसेवी सुविधा उपलब्ध कराने के साथ विंद्यमान एन०आई०सी० अवसंरचना तथा इन्ट्रानेट को और सुदृढ बनायेगा।
4 इण्टरनेट सम्बद्धता
उत्तर प्रदेश राज्य में इंटरनेट की व्यापकता को बढाने के लिये एक बहुसंख्यक आधारिक इण्टरनेट अवसंरचना उपलब्ध कराने के लिय उपाय किये जाएंगे। केन्द्र सरकार तथा निजी व्यापारियों, के सहयोजन से सरकार राज्य के सभी जनपदों, नगरों एवं गांवों तक इण्टरनेट के कार्यतंत्र का विस्तारण करेंगी। इस प्रयोजनार्थ टेलीकाम लाइसेंसियों/सेल्युलर सेवा प्रचालकों को माइक्रोवेव लिंक एवं बी०एस०ए०टी० सुविधाओं के साथ सहभागी रूप में प्रभावाशाली रूप से नियोजित किया जाएगा।
5 तीव्रगति टेलीकाम लिंक
राष्ट्रीय टेलीकाम आधार तंत्र की समतुल्यता वाले तीव्र गति टेलीकाम आधार तंत्र के सृजन के लिए राज्य हर सम्भव प्रयास करेगा। इसके लिये अन्य राष्ट्रीय संगठनों की पहले से विद्यमान सुविधाओ को अनुकूलतम रूप से नियोजित किया जाएगा। राज्य मुख्यालय तथा जिला मुख्यालयों, उप-मण्डलों एवं विकास खण्डों के मध्य एक विश्वसनीय एवं सस्ते संचार सम्पर्क के सृजन के लिये प्रोत्साहन दिया जाएगा।
6 ग्रामीण टेलीफोनी
राज्य के 1 लाख 12 हजार गांवों को सम्पर्क सुविधा उपलब्ध कराने के लिये निजी/संयुक्त क्षेत्र में समुचित टेलीकाम अवसरंचना का सृजन किया जाएगा।
7 सूचना प्रौद्योगिकी नगर
नोयडा, आगरा, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद तथा वृहत्तर नोयडा को सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं के लिये विशिष्ट सुविधाओं सूचना प्रौद्योगिकी नगरों के रूप में विकसित किया जाना प्रस्तावित है।
8 सूचना प्रौद्योगिकी पार्कों की स्थापना
नोयडा, आगरा, लखनऊ, कानपुर, तथा इलाहाबाद में दि साफ्टवेयर टेक्नालोजी पार्क आफ इण्डिया लि०, भारत सरकार का संगठन, के साथ सहयोगी रूप से साफ्टवेयर टेक्नोलोजी पार्क बनाए जायंगे। उ०प्र० सरकार इसके लिये भूमि तथा पूंजी के रूप में 2 करोड़ रूपये उपलब्ध करायेगी। इण्टरनेट के गेटवे की व्यवस्था एस०टी०पी०आई० द्वारा की जाएगी।
9 एन.आई.सी. अवसंरचना
पहले से विद्यमान एन.आई.सी. की आई.टी. अवसंरचना का अनुकूलता से प्रयोग होना चाहिये। एन.आई.सी. उच्च बैन्ड विड्थ पर आधारित वी.एस.ई.टी. लिंक जारी करने होंगे जिससे कि सरकारी व्यवसाय ऑनलाइन किया जा सके। बोर्ड को कम्प्यूटर एजूकेशन के द्वारा निजी संस्थानों का आई.टी. शिक्षा और प्रशिक्षण में पूँजी निवेश के लिये प्रोत्साहित करना।
10 सूचना प्रौद्योगिकी संसाधनों का मानकीकरण
प्रणालियों का अंतः प्रचालन, राज्य में सृजित संसाधनों की संवहनीयता तथा एकीकरण को सुनिचित करने के लिए हार्डवेयर, साफ्टवेयर तथा कार्यतंत्र उपकरण आदि की उत्पत्ति, सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रानिक्स विभाग की तकनीकी समिति द्वारा बताए गए मानकों एवं विनिर्देशों के अनुरूप की जाएगी। तकनीकी समिति सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रानिक्स विभाग द्वारा गठित की जाएगी तथा यूपीडेस्को उसके सचिवालय तथा संसाधन केन्द्र के रूप में सेवाएं अर्पित करेगा।
11 बौद्धिक सम्पदा अधिकार (इन्टेलैक्च्युअल प्रापर्टी राइट्स)
राज्य इस बात के लिय लक्ष्य रूप से प्रयास करेगा कि वह अपहरण कृति चोरी (पायरेसी) मुक्त राज्य के रूप में विकसित हो और वह केन्द्र सरकार को इस दिशा में अपना सक्रिय सहयोग प्रदान करेगा। निगमित विभागों तथा प्रयोगाशालाओं को आई०पी०आर० अधिकारों के प्रवर्तन उपलब्ध कराकर राज्य उनके अनुसंधान एवं विकास/अभिकल्पना की पहल को प्रोत्साहित करेगा।
12 हार्डवेयर उद्योग का संवर्धन
राज्य नोयडा/वृहत्तर नोयडा, आगरा, कानपुर, इलाहाबाद तथा लखनऊ नगरों में विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी इलेक्ट्रानिक्स हार्डवेयर उद्योग का पूर्ण समर्थन प्रदान करेगा। सूचना प्रौद्योगिकी समर्थकृत आई०टी०ई०एस० उद्योग तथा सॉफ्टवेयर उद्योग को उपलब्ध कराये गए सभी प्रोत्साहन सूचना प्रौद्योगिकी एव इलेक्ट्रानिक्स हार्डवेयर उद्योग को भी उपलब्ध कराये जायेंगे।
राज्य के मानव संसाधन विकासात्मक प्रयासों के दो मुख्य उद्देश्य होगे, जिसमे सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र को उसकी वृद्घि के लिय आवश्यक मानव शक्ति उपलब्ध कराना तथा सूचना प्रौद्योगिकी में प्रदेश के निवासियों की सेवायोजन क्षमता मे सुधार करना शामिल है। जिन क्षेत्रों में बल दिया जाएगा वे निम्न प्रकार हैं :-
(क) राज्य के युवकों को सूचना प्रौद्योगिकी का ज्ञान और आवश्यक कौशल अर्जित करने योग्य बनाने के लिये स्कूलों, विद्यालयों तथा राज्य के शैक्षणिक संस्थाओं में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग को प्रोत्साहित करना तथा गतिमान बनाना, जिससे कि युवकों की नियोजन क्षमता का विकास हो। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र को इस प्रकार विकसित किया जाएगा, जिससे कि उसमें अधिकाधिक सेवायोजन के अवसर उपलब्ध हों।
(ख) सरकार सभी शैक्षणिक संस्थाओं में छात्रों के लिये इंण्टरनेट क्लबों की स्थापना को प्रोत्साहित करेंगी।
(ग) अभियन्त्रण तथा गैर अभियंत्रण उपाधि एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रमों मे सूचना प्रौद्योगिकी के मापांक (माड्यूल) को प्रस्तावित किया जाना।
(घ) प्रौद्योगिकी संस्थाओं में सूचना प्रौद्योगिकी में छात्रों के परिमाण को आगामी तीन वर्षों में तिगुना किया जाना जिससे कि बाजार की बढती हुई मांग को पूरा किया जा सकें।
(ङ) दूरस्थ शिक्षा संवर्धन इलेक्ट्रानिक्स माध्यम की कक्षाओं के प्रयोग द्वारा दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने की पहल की जाएगी जिससे कि विद्यार्थियों को ''कहीं भी, कभी भी'' के आधार पर शिक्षण केन्द्रों तक पहुंच सुलभ हो सके। विश्वविद्यालयों, अन्य शैक्षणिक संस्थाओं, व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्रों तथा तकनीकी शिक्षा केन्द्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये राज्य में उपयुक्त अवसरंचना का सृजन सम्भव हो सके। निजी क्षेत्र की सहभागिता तथा स्थानीय पहल को सम्मिलित करते हुए निवेश के अन्य निर्वाह योग्य स्रोतों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
(च) ज्ञान-केन्द्रों का कार्यतंत्र बनाना-राज्य सरकार सभी विश्वविद्यालयों तथा अनुसंधान एवं शिक्षण के अन्य केन्द्रों के तंत्रजाल को स्थापित करने में प्रोत्साहित करेगी।
(छ) नगरीय केन्द्रों में सभी शैक्षणिक संस्थाओं में आगामी तीन वर्षों में कम्प्यूटर शिक्षण सुविधा स्थापित करने में सहायता प्रदान करना।
(ज) आगामी पांच वर्षों में प्रत्येक विकास खण्ड में एक माध्यमिक विद्यालय/महाविद्यालय में कम-से-कम एक कम्प्यूटर शिक्षण केन्द्र खोलना तथा उसी खण्ड के दूसरें न्याय पंचायत क्षेत्र के माध्यमिक विद्यालय में एक अतिरिक्त कम्प्यूटर शिक्षण केन्द्र खोलना जिससे कि ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी के अधिकाधिक प्रवेश को बढ़ावा दिया जा सके।
(झ) कम्प्यूटर प्रशिक्षण में अध्यापकों को प्रशिक्षण देने के लिये राज्य एवं मंडलीय स्तर के प्रशिक्षण संस्थाओं का खोला जाना।
(ञ) विभिन्न कक्षाओं की आवश्यकतानुसार हिन्दी भाषा मे समुचित पाठ्य सामग्री का विकास करना।
(ट) कानपुर में इण्डियन इंन्स्टीटयूट आफ इन्फार्मेशन टेक्नालोजी (आई०आई०आई०टी०) की स्थापना।
(ठ) राज्य के विश्वविद्यालयों में बी०ए०/बी०एस०सी०/बी०काम० स्तरीय पाठ्यक्रमों के लिये सूचना प्रौद्योगिकी की पाठ्य सामग्री/अध्यापकों के प्रशिक्षण आदि को विकसित करने के लिए प्राथमिक संस्थानों यथा आई०आई०टी० कानपुर,आई०आई०एम० लखनऊ को नोडल एजेन्सियों के रूप में कार्य करने के लिए सम्मिलित करना।
(ड) सभी विद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों, महाविद्यालयों अभियन्त्रण विद्यालयों, अनुसंधान संगठनों को परस्पर योजित करने के लिये एन०आई०सी०/निजी वी०एस०ए०टी० नेटवर्क/केबिल टी०वी० नेटवर्क/वायरलेस नेटवर्क/इन्टरनेट/आई०एन०ई०टी०/एस०ए०टी०/ई०आर०एन०ई०टी० के नेटवर्कों (कार्यतंत्रों) का उपयोग सुनिश्चित किया जाना।
(ढ़) बोर्ड ऑफ कम्प्यूटर एजूकेशन के द्वारा निजी संस्थानों को आई.टी. शिक्षा और प्रशिक्षण में पूँजी निवेश के लिये प्रोत्साहित करना।
(ण) सूचना प्रौद्योगिकी शिक्षा के लिए ख्यातिलब्ध विदेशी विश्वविद्यालयों के यथार्थ परिसरों की स्थापना को प्रोत्साहित करना तथा राज्य विश्वविद्यालयों और प्रख्यात विदेशी संस्थाओं/विश्वविद्यालयों के मध्य उपयुक्त कड़ी की स्थापना करना।
1 सरकारी सूचना का अंकीयकरण (डिजिटाइजेशन)
सार्वजनिक क्षेत्राधिकार की सभी सूचनाएं यथा सरकारी गजट, अधिसूचनाएं अधिनियमों, निमय, नियमावली, परिपत्रों, नीतियों तथा कार्यक्रम दस्तावेजों को अंकीकृत किया जाएगा और वेब पर इलेक्ट्रानिक्स पहुंच के लिये उपलब्ध कराया जाएगा। यह प्रक्रिया 2006 तक पूर्ण कर ली जाने थी । सूचना प्रौद्योगिकी बूथ स्थापित किये जाएंगे जिससे कि सार्वजनिक क्षेत्रीय सूचनाएं बिना किसी तकलीफ के उपलब्ध हो सकें। ये बूथ (गुमटियां) कष्ट निवारणार्थ अनुश्रवण प्रणाली हेतु ई-मेल पहुंच उपलब्ध कराने का भी कार्य करेंगे।
2 सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं का प्रदाय
राज्य सरकार अपने विभागों/परिषदों/निगमों में उत्कृष्ट तकनीकी का प्रयोग करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र में इलेक्ट्रानिक्स प्रदाय सेवाओं की स्थापना करेंगी। ऐसी सेवाएं, प्रयोगकर्ताओं से वसूल की जाने वाली कारोबारी शुल्क आधार पर उपलब्ध करायी जाएगी। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आधारिक गुणवत्ता मानक नियत किये जाएंगे और विभागों को आंकड़ों आदि की जटिलता तथा आकार के आधार पर कारोबारी शुल्क नियत करने की शिथिलता होगी।
3 हिन्दी प्रयोग
राज्य सरकार सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी के प्रयोग को बढावा देगी जिससे कि सामान्य जन तक उसकी पहुंच बन सकें इस प्रयोजन हेतु कम्प्यूटरों तथा वेब के प्रयोग में देवनागरी लिपि के प्रयोग के लिये विशेष उपाय किये जाएंगे। उ०प्र० सरकार की सभी वेब-साइटें हिन्दी में अनुवादित करायी जाएंगी तथा सभी वेबसाइटें द्विभाषी रूप में होगी।
4 राजकीय वेब प्रवेश द्वार (पोर्टल)
प्रत्येक विभाग और संगठन की वेबसाइटों को परस्पर श्रंखलाबद्ध करते हुए एन०आई०सी० यू०पी० द्वारा राज्य का एक वेब पोर्टल (प्रवेश द्वार) स्थापित किया जाएगा, यह विभाग और संगठन बाद में अपनी खुद की वेंबसाइटें विकसित कर लेंगे। एन०आई०सी० द्वारा विकसित किये गए पोर्टल (प्रवेश द्वार) को प्राविधिक उद्योगों के अग्रणियों की सहायता एवं परामर्श से उच्चीकृत किया जाएगा और इस प्रकार बनाया जाएगा कि वह गतिमान रूप से अद्यावधिक बना रहे। समस्त सरकारी निविदाएं, रोजगार समाचार, सार्वजनिक क्षेत्रीय सूचनाएं एवं नोटिसें जो कि जन-सामान्य के लिये सरकार द्वारा जारी की जाती है, विभागीय वेबसाइटों की कड़ियों के माध्यम से इस वेबसाईट पर प्रकाशित की जाएंगी।
5 केन्द्रीय आंकड़ा कोश (सेन्ट्रल डेटा रिपाजिटरी)
राज्य सरकार के विभाग स्थानीय नेटवर्क तथा विभागीय इन्टरनेट स्थापित करेंगे ताकि चौबीसों घंटें/सातों दिन (24 घंटे 7 दिन) के उपयोगार्थ सार्वजनिक क्षेत्रीय सूचना का एक केन्द्रीय आंकड़ा कोश (सेंटल डटा रिपोजिटरी) के आधार शिला रखी जा सकेगी। स्मार्ट सिटी परियोजनाएं भी इस भंडार (रिपोजिटरी) का एक अंग होगी और इस भंडार से क्षेत्रीय सूचनाएं निकाल सकेंगी।
6 ग्राम्य सूचना नेटवर्क
राज्य सरकार एक ग्राम्य सूचना नेटवर्क भी स्थापित करेंगी जिसमें ग्रामीणों की क्षेत्रीय रूचियों की सूचनाओं का सजीव प्रदर्शन किया जाएगा सूचना तथा प्रदर्शन प्रविधियों के लिए समुचित प्रारूप (माडलों) को सार्वजनिक- निजी सहभागिता माडल पर अभिकल्पित किया जाएगा।
राज्य सरकार यह मानती है कि राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी के समुचित एवं त्वरित विकास के लिए सरकारी एवं निजी क्षेत्र के बीच भागीदारी के दृढ बंधन को विकसित करने की आवश्यकता है। इस संबंध में नीति बनाने तथा प्रोत्साहनों की अभिकल्पना में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योंगों के प्रतिनिधियों को समुचित प्रतिनिधित्व उपलब्ध कराया जाएगा। राज्य में निवेशक अनुकूल माहौल तैयार करने के लिए, सरकार सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं, सूचना प्रौद्योगिकी समर्थकृत सेवाओं तथा सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को प्रोत्साहन प्रदान किया जाना सुनिश्चित करेगी।
1 सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थकृत सेवाओं को प्रोत्साहन
सूचना प्रौद्योगिकी सेवा उद्योग के वृहद सेवा योजन सृजन की सम्भावनाओं को अमली जामा पहनाने के लिये राज्य सरकार सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं (हार्डवेयर/साफ्टवेयर आधारित इत्यादि) तथा सूचना प्रौद्योगिकी समर्थकृत सेवाओं (काल सेन्टर, मेडिकल ट्रान्सक्रिपश्न, वी०पी०ओ० इत्यादि) को प्रदान करने के लिये इकाईयों की स्थापना को सक्रियता के साथ प्रोत्साहन देगी। चूँकि इन इकाईयों में वृहद सेवायोजन सृजन की संभाव्यता है, अतः तकनीकी ज्ञान अवस्थापना और विपणन समर्थन तथा वित्तीय सहायता की व्यवस्था राज्य सरकार संगठनों द्वारा इन इकाइयों को स्थापित करने के लिये की जायेगी। लखनऊ-कानपुर मार्ग को एक सूचना प्रौद्योगिकी सेवा आई०टी०एस० और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थकृत सेवा आई०टी०ई०एस० गंतव्य के रूप में विकसित किया जायेगा, जिसमें इन्डियन इन्स्टीटयूट ऑफ टेक्नालोजी, कानपुर, इन्डियन इन्स्टीटयूट ऑफ मैनेजमेन्ट, लखनऊ तथा इन्डियन इन्स्टीटयूट ऑफ इन्फार्मेशन टेक्नालोजी, इलाहाबाद की उत्कृष्ट प्रौद्योगिक/मानव शक्ति केन्द्र के रूप में भूमिका होगी। तथा भूमि (लैण्ड) बैंक को उसी तरह शक्ति प्राप्त होगी जैसे राज्य सरकार द्वारा विकसित नोयडा/ग्रेटर नोयडा है जिनमें आई०टी०एस० और आई०टी०ई०एस० उद्योग के लिये आवश्यक सभी सुविधायें उपलब्ध है। निजी और संस्थागत सहयोग के लिये भी इस हेतु अनुरोध किया जायेगा।
2 सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को प्रोत्साहन
उत्तर प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग ने सतत् रूप से देश में उद्योग की वृद्धि के समानान्तर वृद्धि को प्रदर्शित किया है। साफ्टवेयर निर्यात और घरेलू साफ्टवेयर बिक्री ने बराबर राज्य की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दिया है। उद्योग पर और अधिक बल देने के लिये आवश्यकता को मानते हुए राज्य सरकार इस सेक्टर में निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिये कठोर प्रयास करेगी, जिसके लिये विनियोगकर्ता हितैषी वातावरण का सृजन किया जायेगा। सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग उद्यमियों को विश्वसनीय अवस्थापना एकल खिड़की त्वरित अनुज्ञा तथा स्कार्ट सेवायें प्रदान की जायेगी। इस सूचना प्रौद्योगिकी नीति के अन्तर्गत एक विशेष प्रोत्साहन पैकेज को सूचना प्रौद्योगिकी सेक्टर में मेगा प्रोजेक्टों के लिए तैयार किया जायेगा।
1 भूमि के आवंटन में वरीयता
राज्य में नोयडा/ग्रेटर नोयडा, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यू०पी०एस०ई०डी०सी०)/विकास प्राधिकरणों द्वारा भूमि का आवंटन वरीयता के आधार पर किया जायेगा।
2 निबंधन शुल्क और स्टैम्प ड्यूटी से मुक्ति
निबंधन शुल्क और स्टैम्प ड्यूटी के भुगतान से सूचना प्रौद्योगिकी इकाइयों और कालसेन्टरों को 100 प्रतिशत छूट दी जायेगी।
3 निर्बाध विद्युत
सूचना प्रौद्योगिकी उद्योगों के लिये विद्युत आपूर्ति लगातार और बाधा रहित रहेगी, यह विद्युत आपूर्ति विच्छेदन (पावरकट) से भी बिना किसी सीमा के मुक्त रहेगी।
4 कैप्टिव विद्युत उत्पादन
सूचना प्रौद्योगिकी स्थानों पर कैप्टिव पावर उत्पादन को प्रोत्साहन/ 5 के०वी०ए० ऊर्जा की आवश्यकता वाली सूचना प्रौद्योगिकी इकाईयां कही भी स्थापित कर सकती है और उन पर मास्टर प्लान और भूमि उपयोग वर्गीकरण लागू नही होगा।
5 सूचना प्रौद्योगिकी स्थितियों से जुड़ी हुई सामाजिक अवस्थापना
विद्यालय, आवास, स्वास्थ्य और मनोरंजन/खाली समय के लिये सुविधाओ जैसी उच्च गुणवत्ता युक्त सामाजिक अवस्थापना को विकसित करने के लिये विशेष प्रयास किये जायेंगे जिसका उच्च स्तरीय परिवेश सूचना प्रौद्योगिकी स्थानों में होगा।
6 वृहद (मेगा) विनियोग इकाईयों को प्रोत्साहन
राज्य में 50 करोड़ रूपये अथवा उससे अधिक के विनियोग वाली स्थापित सूचना प्रौद्योगिकी अथवा इलेक्ट्रानिक इकाईयों को वृहद विनियोग इकाइयों के रूप में वर्गीकृत किया जायेगा। वृहद विनियोग इकाईयों कोः-
(i) 15 वर्ष की अवधि के लिये बिक्री/व्यापार कर दायित्व की धनराशि के बराबर अथवा इकाई के कुल विक्रय राशि के 10 प्रतिशत जो भी कम हो, उसके बराबर ब्याज मुक्त ऋण दिया जायेगा।
(ii) भूमि आवंटन में वरीयता दी जायेगी।
(iii) विकास प्राधिकरणों, औद्योगिक विकास प्राधिकरणों, आवास विकास परिषद द्वारा सेक्टर मूल्य से कम से कम 24 प्रतिशत की कम दर पर भूमि उपलब्ध करायी जायेगी।
(iv) मौड्वेट की सुविधा प्रदान की जायेगी।
(v) प्रारूप 3-ख पर लिये माल के लिये व्यापार कर दायित्य 2.5 प्रतिशत के स्थगन की अनुमति होगी जिसको अन्तिम रूप से तैयार उत्पाद/माल के अन्तिम मूल्य के विरूद्ध समायोजित किया जायेगा।
(vi) 0.5 प्रतिशत की दर से अथवा भारत सरकार द्वारा दी गयी निम्नतर दर से केन्द्रीय विक्रय कर की अनुमति होगी।
(vii) उत्पादन के लिये आवश्यक समस्त सामग्री पर व्यापार कर को मुक्त किया जायेगा, जिसमें अन्य कच्चा माल, प्रसंस्करण सामग्री, माशीनें, संयत्र उपकरण, उपभोग्य भण्डार, खाली पुर्जे, एक्सेस्रीज कम्पोनेन्ट, सब-असेम्बली, ईधन, स्नेहक (ल्यूबरीकेन्ट) और पैक करने वाली सामग्री इत्यादि सम्मिलिल होगी।
(viii) सभी कच्चा माल, संयत्र उपकरण और मशीनरी जिसकी आवश्यकता उत्पादन के लिये होगी तथा उद्योग इकाई के तैयार माल/उत्पाद पर प्रवेश कर अधिनियम की धारा-4 ख के अधीन प्रवेश कर के भुगतान से छूट दी जायेगी।
(ix) जिस आपूर्तिकर्ता या ठेकेदारों, व्यापारियों से माल खरीदा जाता है और तैयार माल/उत्पाद के वितरक जो ऐसे उद्योग के लिये काम करते हैं, के कर दायित्व को ऊपर लेने की अनुमति दी जायेगी।
(x) सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग साफ्टवेयर तथा हार्डवेयर के माल/उत्पादों के उपयोग के अधिकार के अंतरण पर कर की दर ऐसे उत्पाद/माल की सीधी बिक्री पर लागू अधिकतम दर से अधिक नही होगी।
(xi) समय की एक निर्धारित अवधि के लिये उद्योग के निगमन के दिनांक को लागू दरों पर कर से भुगतान की सुविधा केवल नई इकाइयों पर प्रत्येक मामले के आधार पर तब भी दी जायेगी जबकि कर की दर बाद की तारीख को बढ़ा भी दी जाती है यद्यपि उसकी दरे यदि घटा भी जाती है
तो वे सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग पर लागू होगीं।
(xii) टैक्सी के वार्षिक डिफीजमेन्ट की अनुमति होगी।
(xiii) मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में उच्च शक्ति प्राप्त समिति के माध्यम से एकल खिड़की निकासी अनुज्ञा दी जायेगी।
7 उद्योग को प्रोत्साहन
(क) नई औद्योगिक इकाईयों के लिये दी गयी सुविधायें यदि यह विशेष रूप से केवल नई इकाइयों के लिये ही उल्लेखित नही हैं तो वे पुरानी विद्यमान इकाइयों के विविधीकरण और विस्तार पर भी लागू होगी।
(ख) व्यापार प्रक्रिया स्रोत अभिकरण अथवा काल सेन्टर जिनमें 100 या उससे अधिक कर्मचारी सेवायोजन में है, उन्हें उद्योग घोषित कर दिया जायेगा और जो विशेष छूट उ०प्र० सामान्य औद्योगिक नीति में बिक्री पर यथा कर ऐसे अभिकरणों को अनुमन्य होगी, उनको दिया जायेगा।
(ग) नये सूचना प्रौद्योगिकी उद्योगों को अपने परिसर को पट्टे पर देने की अनुमति होगी।
(घ) राज्य द्वारा अन्य उद्योगों को सामान्य रूप से दिये जाने वाले समस्त प्रोत्साहन और जो समय-समय पर यथा पुनरीक्षित हों, सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रानिक्स इकाईयों को भी उपलब्ध होंगें।
(ङ) नवीन औद्योगिक और विनियोग नीति के अधीन प्रथम सूचना प्रौद्योगिक और इलेक्ट्रानिक्स इकाई जो 10 करोड़ या उससे अधिक विनियोग के साथ किसी जनपद में स्थापित की जाती है तो उसे पथ-प्रदर्शक इकाई (पायनियर यूनिट) के रूप में घोषित किया जायेगा और औद्योगिक विनियोग प्रोन्नयन योजना के अन्तर्गत 10 वर्षों के स्थान पर 15 वर्षों के लिये ब्याज मुक्त ऋण दिया जायेगा जैसी कि पहले परिकल्पना है।
(च) नई औद्योगिक और विनियोग नीति के अन्तर्गत 10 करोड़ या उससे अधिक का विनियोग करने वाली सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रानिक्स इकाइयों को वे सब लाभ दिये जायेंगे जो आई०टी०/बी०टी० इकाइयों को सामान्य औद्योगिक नीति के अन्तर्गत उपलब्ध है।
(छ) रू० 250 करोड़ से अधिक विनियोग वाली सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रानिक्स इकाइयों को अलग-अलग प्रकरणों के अनुसार मंत्रिमंडल के अनुमोदन के पश्चात विशेष प्रोत्साहन दिये जायेगें।
(ज) सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रानिक्स इकाइयों को नोयडा/ग्रेटर नोयडा, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम यू०पी०एस०आई०डी०सी० और विकास प्राधिकरणों द्वारा वरीयता के आधार पर भूमि आवंटित की जायेगी।
8 जोखिम पूंजी निधि
राज्य सरकार /पिकप/उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यू०पी०एस०आई०डी०सी०), यूपीएफसी, निजी उद्यम, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (एसआईडीबीआई) और अन्य के साथ सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए जोखिम पूंजी निधि का सृजन।
9 विशेष वित्त पोषण पैकेज
उद्योग से सम्बद्ध विशेष वित्त पोषण पैकेजों की अनोखी आवश्यकताओं को समझते हुए उनको सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की अनोखी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्य वित्तीय अभिकरणों द्वारा विकसित किया जायेगा।
10 मुख्य व्यक्ति बीमा/स्वेट इक्वीटी
भारत सरकार/भारतीय रिजर्व बैंक/अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं/बैंको द्वारा विकसित मुख्य व्यक्ति बीमा की पर्सनल बीमा/स्वेट इक्वीटी को राज्य स्तरीय संस्थाओं द्वारा मान्यता दी जायेगी।
11 गुणवत्ता प्रमाणीकरण केन्द्र
आईएसओ-9000 और साफ्टवेयर इंजीनियरिंग प्रमाणीकरण को प्राप्त करने के लिये उद्योग और अकादमियों की सहायता से गुणवत्ता प्रमाणीकरण केन्द्र की स्थापना करने में राज्य सहायता करेगा।
12 एस्कोर्ट सेवायें
विभन्न सरकारी विभागों से सरलतापूर्वक निकासी और अनुमोदन को प्राप्त करने के लिये एस्कोर्ट सेवायें प्रदान की जायेंगी। यह एस्कोर्ट सेवायें पिकप और उद्योग बन्धु द्वारा उपलब्ध करायी जायेंगी।
13 व्यापार कर में छूट
निर्यात के लिये प्रयोग किये गये कच्चे माल पर कोई व्यापार कर नही।
शेष सुविधायें राज्य सरकार की नीति के अनुसार।
14 विद्युत शुल्क
सूचना प्रौद्योगिकी पार्कों में सूचना प्रौद्योगिकी इकाइयां तथा साफ्टवेयर टेक्नोलोजी पार्क (एस०टी०पी०) से उसी दर से विद्युत शुल्क लिया जायेगा जो लघु औद्योगिक इकाइयों पर लागू हैं।
15 प्रदूषण नियंत्रण प्राविधानों से छूट
वायु और जल प्रदूषण दोनों के लिये प्रदूषण नियंञण अधिनियम के प्राविधानों से साफ्टवेयर उद्योग को पूरी छूट मिलेंगी।
16 नैत्यिक निरीक्षणों से छूट
सूचना प्रौद्योगिकी साफ्टवेयर और सूचना प्रौद्योगिकी सेवा कम्पनियां ज्ञान उद्योग का घटक होने के कारण निरीक्षकों द्वारा उस प्रकार के निरीक्षणों से मुक्त रहेंगे जो फैक्ट्री/ ब्वायलर, इक्साइज, श्रम प्रदूषण/पर्यावरण इत्यादि के लिये होते हैं।
17 शिथिलीकरण
चिन्हत क्षेत्रों/सूचना प्रौद्योगिकी पार्कों (एस०टी०पी०) में 50 प्रतिशत या उससे अधिक फार (एफएआर) की अनुमित होगी।
18 निजी क्षेत्र साफ्टवेयर टेक्नोलोजी पार्क
निजी क्षेत्र साफ्टवेयर टेक्नोलोजी पार्कों में स्थित इकाइयों को वही रियायतें मिलेगी जो सरकारी साफ्टवेयर टेक्नोलोजी पार्कों में स्थित इकाइयों को प्राप्त होती है।
1 सरकार में सूचना प्रौद्योगिकी साक्षरता
सरकार 2007 तक सूचना प्रौद्योगिकी में सरकारी कर्मचारियों की 100 प्रतिशत साक्षरता के लिये सरकार सूचना प्रौद्योगिकी साक्षरता वृद्धि कार्यक्रम का क्रियान्वयन होना था। सूचना प्रौद्योगिकी साक्षरता में न्यूनतम स्तर की पारिभाषित दक्षता अपेक्षित होगी जिसमें शब्द प्रसंस्करण, ई-मेल, डेटा इन्ट्री और इक्साइज इत्यादि सरकारीसेवकों के लिये अपेक्षित दक्षता स्तर को प्राप्त करने के लिये उपयुक्त इन्सेंटिव/डिस्इन्सेंटिव तैयार किये जायेंगे।
2 स्मार्ट कार्ड
वर्ष 2005 तक निजी क्षेत्र के साथ मिलकर स्मार्ट कार्ड लागू किये जाने थे जो नागरिक परिचय पत्र (आई०डी०) पर आधारित होगें जिनके द्वारा नागरिक सेवाओ को भुगतान करने में मतदाता आई०डी० का कार्य करने, राशन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेन्स और वाहन निबन्धन का कार्य करने में सहायता होगी।
3 योजना और प्रबन्धन को सबल बनाने के लिये भौगोलिक सूचना तंत्र-जियोग्राफिकल इन्फार्रमेशन सिस्टम (जी०आई०एस०) प्रौद्योगिकी का उपयोग
राज्य द्वारा जी०आई०एस० का प्रयोग स्थानीय योजना पर्यावरणीय सुरक्षा, उपयोगिता प्रबन्धन, यातायात नियमन इत्यादि के लिये विभिन्न प्रकार के डेटा के एकीकरण विश्लेषण कल्पना करने में विस्तृत उपयोग किया जायेगा। उत्तर प्रदेश के जनपदों के डिजिटलीकृत आधार मानचित्र पहले से ही विभिन्न विभागों जैसे-आर०एस०ए०सी०यू०पी०, भूमि सुधार निगम, भूमि उपयोग परिषद कृषि इत्यादि में उपलब्ध है और उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रानिक विभाग के अधीन एक स्थान पर एकत्र किया जायेगा। इनका उपयोग उपयोगकर्ता को जी०आई०एस० आधारित सेवायें उपलब्ध कराने में किया जायेगा। डिजिटल आधारित मानचित्रों को वृद्घि एवं परिवर्द्धन आवश्यकतानुसार किये जायेगे। उत्तर प्रदेश स्थानिक निर्णय समर्थन प्रणाली परियोजना (यू०पी०स्पेशियल डिसीजन सपोर्ट सिस्टम) का विस्तार करके सभी जिलो को इससे आच्छादित किया जायेगा। भूमि अभिलेख प्रबन्धन, जल घटक प्रबन्धन मास्टर प्लान की तैयारी,राजस्व संग्रह, दस्तावेजों का निबन्धन, पर्यटन सुविधा प्रबन्धन, कृषि निवेश प्रबन्धन, अस्पताल प्रशासन इत्यादि के क्षेत्र में विश्व स्तर के जी०आई०एस० हल जहां कहीं भी उपलब्ध होंगे, उन्हे प्राप्त किया जायेगा और उन्हें राज्य सरकार के विभागों में लागू किया जायेगा।
4 स्मार्ट नगर
नोयडा/ग्रेटर नोयडा और गाजियाबाद, कानपुर और लखनऊ को वर्ष 2005 तक स्मार्ट नगर के रूप में विकसित करते हुए 2009 तक इलाहाबाद अलीगढ बरेली और आगरा को स्मार्ट नगर बनाया जाना था और वाराणसी को वर्ष 2008 में स्मार्ट नगर के रूप में विकसित की जानी थी शेष मण्डलीय मुख्यालयों को 2010 तक स्मार्ट नगर बनाने का प्रयास किया जाना था।
5 कम्प्यूटर प्रवेश में वृद्धि
उत्तर प्रदेश डेवलपमेन्ट सिस्टम् कार्पोरेशन (यूपडेस्को) और अन्य उपयुक्त अभिकरण जैसे एन०आई०सी० तथा अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के निगम की सक्रिय सहायता सरकारी विभागों में कम्प्यूटर के उपयोग को बढ़ाने में ली जायेगी।
स्रोत: सूचना व प्रौद्योगिकी विभाग, राज्य सरकार|
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
डिजिटल इंडिया की परिकल्पना को बताया गया है|
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