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सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं की नीति

परिचय

अनेक सामाजिक-आर्थिक विषमताओं वाले राज्य छत्तीसगढ़ में इस समय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्रांति आकार ले रही है| छत्तीसगढ़ सरकार ने “विकास मूल मंत्र, आधार लोकतंत्र”   का दृष्टिकोण अपनाया है और राज्य में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) को एक महत्वपूर्ण माध्यम माना है, जिसके जरिये राज्य की आम जनता तक पहुंचा जा सकता है तथा उनकी आजीविका को बेहतर बनाया जा सकता है|

राज्य के कुल क्षेत्रफल का 44% भाग वन का क्षेत्र  हैं यहाँ की अनुसूचित जनजाति की आबादी, सामान्य तौर पर आधुनिक विकास से वंचित रही है, इस आबादी का एक बड़ा हिस्सा बुनियादी आजीविका के लिए कृषि और वनों पर निर्भर है बाजार से सम्बन्धित सूचनाओं, मानसून की भविष्वाणी, सरकारी योजनाओं, खेती के आधुनिक तरीकों आदि से सम्बन्धित सूचनाओं तक राज्य की आबादी के इस हिस्से की पहुँच बहुत सिमित है|

यह आवश्यक जानकारियां प्राप्त करने के मार्ग में आने वाली ढेरों बाधाओं के बावजूद, राज्य क आमदनी में अच्छा-खासा योगदान खेती और वनों का है| इस योगदान में भारी वृद्धि करने की क्षमता आईसीटी में है ऐसा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी का सकारात्मक  वातावरण बनाना चाहती है, जिससे सूचना प्रौद्योगिकी में न सिर्फ निवेश को प्रोत्साहित किया जाए, बल्कि व्यापक सक्रियता से वांछित परिणाम प्राप्त किये जाये|

इस निति का उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से आम जनता के लिए राज्य सरकार की सेवाओं, नागरिकों और कारोबारियों से राज्य के लेन-देन और राज्य सरकार के आंतरिक परिचालनों/काम-काज में गुणवत्ता और उत्कृष्टता की अपेक्षाएं तय करना, तथा सूचना व संचार प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित अवसरों पर लगातार ध्यान रखना है, इस निति का उद्देश्य राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के लक्ष्य तय करना भी है इसके तहत उन कामों को आगे बढ़ाया जाएगा जो निजी क्षेत्र और सरकारी संगठनों द्वारा अभी तक सीमित दायरे की किये जा रहे हैं साथ ही उनकी रणनीतिक सोच का उपयोग राज्य के लिए उपयुक्त व चुनौतीपूर्ण लक्ष्य सुझाने के लिए भी किया जायेगा|

दृष्टिकोण

छत्तीसगढ़ शासन,  सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की महत्ता को (अपने आर्थिक विकास अरु जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में) स्वीकार करता है, तदनुसार, सूचना समाज बनाने का ध्यान इस सूचना प्रौद्योगिकी नीति में रखा गया है जिसमें नागरिक और अधिक जानकार, सक्रिय और जिम्मेदार बन सकेंगें, जो सच्चे लोकतंत्र की बुनियादी जरूरत है, इससे सरकारी सेवाओं तक राज्य के सभी नागरिकों को उनकी स्थानीय भाषा में विस्तृत और आसान पहुँच उपलब्ध हो सकेगी, जो मौजूदा डिजिटल अंतर को प्रभावी ढंग से पाटेगी और उद्यमियों को आगे बढ़ाएगी|

राज्य की सूचना प्रोद्योगिकी नीति को इस तरह डिज़ाइन किया गया है  कि वह सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप ऐसा ई-एनेवल्ड समाज तैयार करे जो पूरे राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में प्रभावी योगदान दे, राज्य सरकार एक ऐसा ज्ञानवान समाज बनाना चाहती है जहाँ सभी चाहने वालों एवं उपयोगकर्ताओं तक सूचना और ज्ञान, की समुचित पहुँच हो, सभी नागरिकों के आईटी के जरिये सीधे या सार्वजानिक- निजी साझेदारी के जरिये सूचना हासिल करने में आसानी होनी चाहिए|

उद्देश्य

सूचना प्रौद्योगिकी नीति  में अपने दृष्टिकोण को अमल में लाने के लिए व्यापक सूचना प्रौद्योगिकी अधोसंरचना तैयार करने पर प्रर्याप्त बल दिया गया है, यह, न केवल पहुँच बढ़ाने में मदद करेगी बल्कि यह सामाजिक विकास, त्वरित आर्थिक सुधार, दूरस्थ शिक्षा उपलब्ध कराने, शिक्षा के स्टार में सुचार और निवेश को आकर्षित करने में भी सहायक होगी, इस सूचना प्रौद्योगिकी नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्नानुसार है

  1. “रोजगार चाहने वालों” की अपेक्षा “ रोजगार देने वाले” तैयार करना
  2. सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश के लिए छत्तीसगढ़ को अग्रणी गंतव्य के रूप में स्थापित करना|
  3. राज्य में ऐसा अनुकूल वातावरण तैयार जो सूचना प्रौद्योगिकी उद्योगों के विकास के लिए आवश्यक हो|
  4. अंतिम व्यक्ति की आवश्यकता की पूर्ति हेतु अंतिम छोर तक की पंहुच बनाना|
  5. नागरिकों को सशक्त करना और सरकार उनका विश्वास बढ़ाना
  6. शासन तंत्र में सुधार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करना\
  7. भविष्य की सूचना प्रौद्योगिकी की आवश्यकता के लिए योजना निर्माण एंव निवेश
  8. इंटरनेट सुविधा को जन सामान्य तक पहुचना जिससे कि सूचना की पहुँच सुदृढ़ हो सके|
  9. ऐसा अनुकूल वातावरण तैयार करना जिससे सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग गैर सूचना प्रौद्योगिकी उद्योगों के विकास में भी हो सके|

सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए घोषित दृष्टिकोण के अनुरूप हुई प्रगति के आकलन हेतु राज्य शासन ने अपने निम्नलिखित महत्वाकांक्षी लक्ष्य तक किये है-

  • कभी भी, कहीं भी, कनेविक्टविटी सुनिश्चित करना जिससे सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग का प्रतिस्पर्धा वातावरण बन सके, इस सोच से अतिरिक्त रोजगार पैदा होने के अलावा आय भी बढ़ेगी, जिससे उत्पादकता बढ़ेगी और अन्य क्षेत्रों में बेहतर सेवा मिलेगी|
  • पूरे राज्य में एकीकृत सेवा प्रदाय केन्द्रों की स्थापना करके सभी नागरिकों को वाजिब कीमत पर स्थानीय भाषा में सरकारी सेवाओं तक विस्तृत और आसान पंहुच की उपलब्धता|
  • सभी स्कूलों में चरणबद्ध रूप से सभी हाईस्कूलों और कॉलेजों में 100% सूचना प्रौद्योगिकी साक्षरता
  • चरणबद्ध रूप से स्कूलों में 6वीं से ऊपर की कक्षाओं में 100% सूचना प्रौद्योगिकी साक्षरता
  • उद्यमियों को आगे बढ़ाना, निवेश और रोजगार में वृद्धि करना तथा भारत के सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों में छत्तीसगढ़ राज्य का महत्वपूर्ण योगदान दर्ज करना|

 

विकास की रणनीति

 

अपनी नीति में घोषित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु राज्य शासन तीन प्रमुख रणनीतियों पर चलेगा|

I.  प्रौद्योगिकी आधारित शासन

सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग की शुरुआत करने के लिए, सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों के बाजार के विकास और अच्छा शासन उपलब्ध कराने के लिए सरकार अपनी सभी प्रक्रियाओं में प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करेगी, ऐसा करने हेतु जहाँ आवश्यक हो, वहाँ सरकार प्रक्रियाओं की पुर्नरचना को प्रोत्साहित किया जायेगा, इलेक्ट्रॉनिक सरकार (ई-सरकार) हेतु सर्वश्रेष्ठ प्रशासन के मानदंड स्थापित करने के लिए प्रौद्योगिकीय  साधनों का बेहतर उपयोग किया जायेगा, सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग प्रशासन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, प्रक्रियाओं को आसान बनाने, उनमें नवीनता लाने और स्व-चालित करने के लिए किया जायेगा|

II. अधोसंरचना और मानव संसाधन विकास

सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं (आईटीएस) के विकास के लिए उच्च गुणवत्ता की अधोसंरचना और दक्ष मानव संसाधन की भूमिका अहम है छत्तीसगढ़ का मानव संसाधन, राज्य के भविष्य और संपन्नता की कुंजी है| राज्य की अर्थव्यवस्था में यहाँ के परिश्रमी और लगनशील लोगों का योगदान बढ़ाने के लिए हर क्षेत्र में अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे| समाज के सभी वर्गों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करके ही छत्तीसगढ़ अपनी पूरी संभावनाओं को साकार कर सकता है| राज्य में उच्च श्रेणी की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा दी जाएगी, प्रशिक्षण की सुविधाएँ होंगी और शोध एवं विकास कार्य की संरचना ऐसी होगी, जो यहाँ के नागरिकों को आवश्यक सुविधाओं से सज्जित कर सके, राज्य में अधोसंरचना के विकास के लिए सूचना प्रौद्योगिकी पार्क्स बनाये जायेंगे, कनेक्टिविटी का विस्तार किया जायेगा, निवेश को बढाया जाकर निजी क्षेत्र में अधोसंरचनात्मक कार्य कराये जायेंगे, मानव संसाधन विकास के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय प्रारंभ किया जायेगा|

III. सूचना प्रौद्योगिकी विकास के लिए सरकारी सहायता

छत्तीसगढ़ में सूचना प्रौद्योगिकी को उच्च प्राथमिकता दी गई है, औद्योगिक नीति में सूचना प्रौद्योगिकी की पहचान थ्रस्ट उद्योग के रूप में की गई है, राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी से सम्बद्ध उद्योगों के विस्तार की प्रबल संभावना है, राज्य में ऑफशोर सोफ्टवेयर डेवलपमेंट सेंटर, बीपीओ सेंटर, कॉल सेंटर की स्थापना को प्रोत्साहन दिया जायेगा, राज्य में तनावमुक्त औद्योगिक माहौल है और इसके साथ ही साथ उत्कृष्ट कार्य संस्कृति व बेहतर श्रम सम्बन्ध इस तरह के उद्योगों के द्रुत विकास के लिए अनुकूल हैं राज्य का दृढ़ विश्वास है कि प्रौद्योगिकी को बड़े पैमाने पर स्वीकार किये जाने और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित अनुप्रयोगों के उपयोग से प्रौद्योगिकी की लागत युक्तियुत हो जाएगी| इस दिशा में राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर उद्योग के उद्यमियों और उपक्रमों को यथोचित वित्तीय व परिचालन सम्बन्धी सहायता दी जाए,

कार्य योजना

 

प्रौद्योगिकी समर्थित शासन

राज्य शासन, सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग के बढ़ावा देने के शासन तंत्र के अंदर और बाहर बड़े पैमाने पर निवेश करने का लक्ष्य रखता है, ऐसा न सिर्फ सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं की मांग बढ़ाने के लिए किया जायेगा, बल्कि सरकार के कामकाज में कार्यकुशलता और पारदर्शिता लाने के लिए भी किया जायेगा|

मददगार संस्थागत संरचना –चिप्स

राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी के विकास को गति देने और सम्पूर्ण सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए छत्तीसगढ़ एम्फोटेक एंड बायोटेक प्रोमोशन सोसाइटी चिप्स की स्थापना की गई है|

सूचना प्रौद्योगिकी के लाभ सभी को उपलब्ध कराने हेतु चिप्स द्वारा शीर्ष स्तर पर संस्थागत समन्वय किया जाता है, यह राज्य सरकार द्वारा निर्मित की गई एक पंजीकृत सोसाइटी है और एक नोडल एजेंसी के रूप में काम करती है, यह संस्था राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी तथा बायोटेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने तथा इसमें गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्यमंत्री, चिप्स की उच्चधिकार प्राप्त शासी परिषद के प्रमुख हैं इस परिषद में शिक्षा/ज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के सुप्रसिद्ध लोगों के साथ-साथ भारत सरकार, राष्ट्रीय एजेंसियों तथा राज्य सरकार के प्रमुख विभागों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं|

बेहतर सेवा प्रदान कराने की क्षमता के लिए विभागीय कम्प्युटरीकरण

विभागों में कम्प्युटरीकरण  का काम पूरा कराने के लिए प्रत्येक विभाग में एक सूचना प्रौद्योगिकी कार्यदल, एक मुख्य सूचना अधिकारी (सीओओ) तथा चिप्स का एक प्रतिनिधि होगा, अन्य विभागों अथवा एजेंसियों से सूचना प्रौद्योगिकी व्यवसायी को स्वेच्छा से अथवा संविदा आधार पर भी सदस्य के रूप में नामांकित किया जा सकेगा, प्रत्येक विभाग में सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े मामलों के लिए एक नोडल अधिकारी भी होगा, विभागों के कम्प्युटरीकरण में खास जोर यह सुनिश्चित करने पर होगा कि कम्प्युटरीकरण में निवेश सरकारी विभागों की सेवा देने की क्षमता को बेहतर बनाने के लिए हो, इस सिलसिले में सरकार एकीकृत सरकारी सेवा डिलीवरी पोर्टल बनाएगी और जो सभी सरकारी सेवाएं एक पते पर मुहैया कराएगी एक साझा डिलीवरी पोर्टल बनाकर सरकार विभिन्न विभागीय अनुप्रयोगों के बीच संचालन की व्यवस्था से सम्बन्धित मुद्दों को प्रभावी ढंग से निपटाना चाहती है|

सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सूचना प्रौद्योगिकी प्रस्तावों में प्रत्येक निवेश से पहले प्रचलित और लक्षित सेवा स्तर के एक स्पष्ट परिभाषा तय हो, राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सूचना प्रौद्योगिकी पहल की मुख्य धुरी “नागरिक” ही रहे|

शासकीय प्रक्रिया में नवीनता किसी भी स्व-चलित प्रक्रिया का बुनियादी आधार है, प्रदर्शन के अहम क्षेत्रों में जिसमें कि लागत, गुणवत्ता, सेवा और सम्मिलित है, महत्वपूर्ण सुधार प्राप्त करना आवश्यक है प्रत्येक विभागीय पहल के मामले में यह आवश्यक होगा कि प्रचलित प्रक्रिया में नवीनता लाने के प्रस्ताव को स्पष्ट बताया जाए|

इस दिशा में सरकार द्वारा की गई कुछ प्रमुख पहलों का उल्लेख नीचे किया गया है-

i. छत्तीसगढ़ ऑनलाइन इंफोर्मेशन फॉर सिटीजन इम्पावरमेंट – यह परियोजना लागू होने की स्थिति में है, यह नागरिकों की सभी आवश्यकताओं के लिए कभी भी, कहीं भी आधार पर सुरक्षित सेवाओं के लिए ‘एकल खिड़की निदान’ उपलब्ध कराती है| चॉइस नागरिकों को सरकारी कार्यालयों से पूरी सहूलियत के साथ सेवाएं प्राप्त करने के लिए बेहतर विकल्प प्रदान करती है, चॉइस सेवा केन्द्रों से विविध नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, जिनमें ई-गवर्नेन्स ई-कामर्स इत्यादि शामिल हैं, इस परियोजना में नागरिकों और सरकार के बीच परस्पर सम्पर्क की सम्पूर्ण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी|

ii.  भौगोलिक सूचना प्रणाली- राज्य शासन ने 37 लेयर्स वाली बहुत ही व्यापक भौगोलिक सूचना प्रणाली का विकास किया है, सैटेलाइट डाटा का उपयोग कर प्राकृतिक संसाधनों को नक्शाबद्ध (नेचुरल रिसोर्स मेपिंग) करने का कार्य 1:50,000 मापमान में सैटेलाइट इमेजरी और डिजिटल प्रोसेसिंग के आधार पर किया गया है, विशेष डाटा अधोसंरचना में प्राकृतिक के नक्शे, डिजिटल डाटाबेस, नेचुरल रिसोर्स असेसमेंट एंड मैनेजमेंट एवं इस आधार पर विभिन्न बिभागों के लिए एक ‘निर्णय सहायता प्रणाली’ विकसित की गई है, भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग राज्य के विकास की दीर्घकालीन योजनाओं के लिए किया जायेगा|

iii. ई-ग्राम सुराज- पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के लिए विशेष तौर पर उपयोगी ‘सिम्प्यूटर’ का वितरण कुछ विकासखंडों के सरपंचों को किया जा रहा है, हाथ में रखा जा सकने वाला यह उपकरण पूरी तरह स्वदेशी है, ग्रामीण स्तर पर जनता के प्रतिनिधि ‘सरपंच’ सिम्प्यूटर के माध्यम से राज्य पर उपलब्ध डाटाबेस का लाभ विभिन्न क्षेत्रों जैसे ज्ञान, स्वास्थ्य, आजीविका, सामाजिक न्याय और सांस्कृतिक, प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग, राज्य शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन, अपनी तथा पंचायत की कार्यदक्षता में सुधार आदि कार्यों में ले सकेंगे|

iv. भुइयां’ (भू-अभिलेख प्रणाली) –राज्य में भू-अभिलेखों के कम्प्युटरीकरण और इनके वितरण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है वर्तमान में बी-1 और खसरे से सम्बन्धित विवरण, तहसील स्तर पर स्व-चलित प्रणाली में उपलब्ध है और शीघ्र ही इसका विस्तार विकासखंड स्तर पर हो जायेगा, राज्य में दूर-दराज के स्थानों से नामांतरण को शामिल करने के लिए यथोचित सूचना प्रौद्योगिकी समाधान का विकास किया जा रहा है निकट भविष्य में  कम्प्युटरीकृत नक्शों का वितरण भी इन केन्द्रों से करने हेतु राज्य सरकार संकल्पबद्ध है|

v. ज्ञान विनिमय और ई-कक्षा – छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जहाँ शासकीय इंजीनियरिंग कॉलोजों के लिए अत्याधुनिक वर्चुअल क्लासरूम बनाये गए हैं| रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज को आईआईटी कानपुर से जोड़ने की सुविधा स्थापित की जा चुकी है| इस सुविधा का विस्तार निजी क्षेत्र की संस्थाओं में भी किया जायेगा| छत्तीसगढ़ में इंजीनियरिंग कॉलेजों को सिमित संसाधनों में उन्नत करने तथा यहाँ के छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की शिक्षण सुविधाएँ उपलब्ध कराने में ई-कक्षा का महत्वपूर्ण सहयोग मिल रहा है|

vi. स्थानीय भाषा में कार्य के स्तर में सुधार- राज्य सरकार, स्थानीय भाषा में कार्य के मानदंडों को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है| इस प्रयोजन के लिए राज्य शासन शोध एवं विकास हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने हेतु तत्पर है|

vii. स्मार्ट कार्ड- छत्तीसगढ़ राज्य के परिवहन विभाग द्वारा स्मार्ट कार्ड आधारित परिवहन पंजीकरण और ड्राइविंग लायसेंस प्रणाली लागू करने में चिप्स द्वारा सम्पूर्ण प्रौद्योगिकी मदद उपलब्ध कराई जा रही है| निर्माण-स्वामित्व-संचालन हस्तांतरण (बूट) मॉडल पर आधारित स्मार्ट कार्ड परिवहन प्रबंध सूचना प्रणाली की निविदा शीघ्र जारी की जाएगी, तत्पश्चात पंजीकरण पुस्तकों और वर्तमान नौ कार्यालयों के लाइसेंसों को डिजिटल स्वरुप दिया जायेगा|

viii. स्वान (स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क) – इस परियोजना के तहत राज्य की संचार अधोसंरचना के लिए अंतविभागीय संचार और डाटा को साझा करने की योजना बनाई गई है, राज्य में इस समय ई-पंचायत नामक एक कार्यक्रम के तहत वी सेट के जरिये डाटा और वीडियो संचार समेत विकासखंड स्तर तक ले लिए कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई गई है| राज्य शासन ग्राम स्तर तक उच्च स्तरीय बैंडविड्थ उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है|

ix. ई-प्रोक्योरमेंट- राज्य शासन के सभी विभागों में सम्पूर्ण क्रय प्रक्रिया को स्व-चलित करने हेतु ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली लागू करने हेतु प्रोत्साहन दिया जा रहा है, राज्य के पांच विभागों यथा छत्तीसगढ़ राज्य अधोसंरचना विकास निगम (सीएसआईडीसी) स्वास्थ्य विभाग, लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग और छत्तीसगढ़ राज्य बिजली बोर्ड (सीएसईबी) में ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली को लागू करने का कार्य इस समय प्रथम चरण में है, आशा है कि इसे लागू करने से निविदा प्रक्रिया में तेजी एवं पारदर्शिता आयेगी| जवाबदेही का बेहतर निर्धारण हो सकेगा और सरकार के आवर्ती व्यय में कमी आएगी|

x. ग्राउंडवाटर मॉडलिंग सिस्टम एंड वाटरशेड मॉडलिंग सिस्टम- भूमिगत जल के अनुरूपण के प्रत्येक चरण के लिए ग्राउंडवाटर मॉडलिंग सिस्टम (जीएमएस) वाटरशेड मॉडलिंग सिस्टम(डब्लूएमएस) साधन उपलब्ध कराता है इसमें स्थल का वर्गीकरण, मॉडल विकास, पोस्ट प्रोसेसिंग, कैलिब्रेशन और विजुअलाइजेशन शामिल है|

xi. छत्तीसगढ़ के कोषालयों का ऑनलाइन कम्प्युटरीकरण – राज्य के सभी कार्यालयों एवं उप कोषालयों को एक वाइड एरिया नेटवर्क के तहत जोड़ने के लिए ई-कोष परियोजना पर काम चल रहा है| इसके बाद कोषालयों का काम-काज ऑनलाइन हो जायेगा और इससे नगद राशि ( तरलता) प्रबंधन में सुधार आएगा और एक उच्च स्तरीय राज्यव्यापी नेटवर्क तैयार होगा, जिससे दैनिक आधार और बजट नियंत्रण सम्भव होगा, इससे शासन के व्ययभार में कमी आएगी|

xii.छत्तीसगढ़ वाणिज्यिक कर विभाग के लिए सूचना प्रणाली- वाणिज्यिक कर विभाग में राजस्व वसूली के बेहतर प्रबंधन और बजटीय नियंत्रण के लिए के व्यापक प्रबंधन सूचना प्रणाली का विकास किया गया है| इस प्रणाली में राज्य के विभिन्न कार्यालयों के बीच नेटवर्किंग और केद्रीयकृत प्रबंधन वाले डाटा सेंटर के लिए प्रबंधन सूचना प्रणाली शामिल है, इससे विभाग की कार्य पद्धति में गति और सुदृढ़ता आएगी|

xiii. वीडियो कांफ्रेसिंग- राज्य के सभी 16 जिलों एवं राज्य मंत्रालय को वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से जोड़ दिया गया है| इस नेटवर्क से राज्य की राजधानी को आवासीय आयुक्त कार्यालय नई दिल्ली से भी सम्बद्ध कर दिया गया है| इस प्रणाली का उपयोग जन-सामान्य की समस्याओं से रूबरू होने, उनका त्वरित निराकरण करने तथा शासकीय विभागों के द्वारा जिलों से समन्यव स्थापित करने में किया जाता है इस प्रणाली का अधिकाधिक एंव युक्तियुक्त उपयोग सुनिश्चित किया जायेगा|

xiv. टेलीमेडिसिन- एक व्यापक टेलीमेडिसिन नेटवर्क बनाया जायेगा, जो राज्यव्यापी एरिया नेटवर्क पर भी सफलता से कार्य कर सकेगा| स्टेट टेलीमेडिसिन नेट का उद्देश्य राज्य के नागरिकों से तत्काल चिकित्सा सलाह और सुविधाएँ उपलब्ध कराना होगा, इस सेवा का विस्तार दूर-दराज, आदिवासी तथा पिछड़े क्षेत्रों तक होगा|

xv. राज्य की क्षमता बढ़ाने के लिए मिशन सोच- सरकार में सूचना प्रोद्योगिकी प्रारंभ करने का एक उद्देश्य यह भी है कि राज्य के स्थापना व्यय में कमी आये| सभी सरकारी कर्मचारियों को कम्प्युटर पर काम करने योग्य बनाने के लिए प्रोत्साहन देने वाली एक योजना प्रारंभ की जाएगी| इसके अलावा हार्डवेयर की आपूर्ति हेतु किये जाने वाले अनुबंध में एक आवश्यक शर्त रखी जा रही है कि प्रदायकर्ता, कर्मचारियों को इस हार्डवेयर पर कार्य करने का प्रशिक्षण प्रदान करेगा| एनआईएसजी ( नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्मार्ट गवर्नेस) और अन्य अग्रणी संस्थाओं की पहचान, ऐसे संगठनों के रूप में की गई है जो ‘प्रशिक्षक को प्रशिक्षण’ देंगे इससे ई-शासन की पहल के लिए राज्य में स्वयं के मानव संसाधन तैयार होंगे जो कि शासन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इस विधा में दक्ष करेंगे| राज्य के क्षमता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया है| इस रणनीति के एक हिस्से के रूप में क्षमता विकास की पहल प्रशासनिक मशीनरी के सबसे ऊपरी हिस्से अर्थात् राजनैतिक कार्यपालिकों से लेकर चतुर्थ श्रेणी के कमर्चारियों तक की जा रही है| एक अत्यंत महत्वाकांक्षी प्रशिक्षण कार्यक्रम में राजनैतिक कार्यपालिका सहित सम्पूर्ण सरकारी मशीनरी, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के अधिकारियों/कर्मचारियों को कम्प्युटर प्रशिक्षण दिया जा रहा है|

महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ई-कक्षा बनाई गई है, स्कूली बच्चों के लाभ के लिए महत्वाकांक्षी कार्यक्रम लागू किया जायेगा, जिसकी तयारी अंतिम चरणों में है, इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक जिले में ‘उत्कृष्टता केंद्र’ बनाये जायेंगे, यह केंद्र स्कूली बच्चों को सूचना प्रौद्योगिकी शिक्षा देने के लिए 60 सीट वाली अनूठी प्रयोगशाला बनेगें|

फोकस ऑन कन्टेन्ट (सामग्री पर ध्यान)

सूचना एंव संचार प्रौद्योगिकी में निवेश का लाभ सभी नागरिकों को प्रदान करने हेतु राज्य में ऐसा सकारात्मक वातावरण बनाया जायेगा, जिसमें प्रत्येक नागरिक प्रौद्योगिकी समर्थित साधनों के जरिए सूचनाएं हिंदी में भी उपलब्ध कराई जाएँगी, इससे सूचना प्रौद्योगिकी के लिए उत्तर भारत के बाजारों में छत्तीसगढ़, हिंदी भाषा के पठनीय एवं उच्च स्तरीय सामग्री का विकास करने वाल्व अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित होगा, नागरिक सेवाओं, यथा-वाहन पंजीयन, भू-अभिलेख, जन्म एवं मृत्यु पंजीयन, रोजगार सम्बन्धी सेवाओं, एक्साईज शुल्क का भुगतान, विक्रय कर एवं स्थानीय कर आदि की जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध होगी|

एकीकृत सेवा प्रदान की व्यवस्था

डिजिटल अंतर की समस्या हल करने वाली एक एक प्रभावी सेवा प्रणाली डिजायन करने और उसे लागू करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी| एक किफायती और एकीकृत सेवा मॉडल का विकास किया जायेगा| ‘सामान्य सेवा केंद्र’ की स्थापना की जाएगी| जिसके लिए आवश्यक कोष प्रदान कर इसका प्रबंधन किया जायेगा| इसमें सामुदायिक भागीदारी, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी और सरकार का प्रत्यक्ष समर्थन सम्मिलित होगा| सूचना तक पंहुंच, सूचना प्राप्त करने के साधन के स्वामित्व से ज्यादा महत्वपूर्ण है| प्रत्येक गाँव में मौके की जगह पर स्थित ‘सामान्य सेवा केंद्र’ सुनिश्चित करेंगे कि सुदूर क्षेत्रों को इस सुविधा से जोड़ा जा सके|

  1. शोध, विकास एवं ओपन सोर्स/फ्री –सॉफ्टवेयर का उपयोग
  2. राज्य शासन की मान्यता है कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मालिकाना हक एंव उपयोग पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए| अतः राज्य में  ओपन सोर्स/फ्री –सॉफ्टवेयर को बढ़ावा दिया जायेगा| पूर्व से उपलब्ध स्वामित्व वाले सॉफ्टवेयर में अनुप्रयोग की गुणवत्ता को विकसित किया जायेगा| प्रयास किया जायेगा कि गुणवत्ता से समझौता न करते हुए सूचना प्रोद्योगिकी के खर्च में कमी हो शासन ओपन सोर्स/फ्री –सॉफ्टवेयर में अनुसंधान एंव विकास  की सुविधा सभी क्षेत्रों में विकसित करेगा, जिससे वास्तव में सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित समाज विकसित हो|

 

अधोसंरचना और मानव संसाधन विकास

दीर्घ अवधि तक सूचना प्रौद्योगिकी के निरंतर विकास को सुनिश्चित करने के लिए राज्य शासन दो प्रमुख आव्स्यक्ताओं को मान्यता देता है- गुणवत्तापूर्ण अधोसंरचना और प्रशिक्षित मानव संसाधन इन दोनों से सम्बन्धित विषयों पर राज्य शासन की रणनीति इस तरह होगी|

बुनियादी अधोसंरचना का विकास

टेलीफोन कनेविक्टविटी का घनत्व बढ़कर उसे कम से कम राष्ट्रीय औसत के करीब लाना सुनिश्चित किया जायेगा| इस बुनियादी आवश्यकता के आलावा माइक्रोवेव लिंक, वी-सेट आदि सुविधाएँ नियोजित तरीके से स्थापित की जायगी| राज्य में अभी फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क उपलब्ध है ज्यादा बैंडविड्थ हासिल करने के लिए राज्य एक आकर्षक और आथिक रूप से व्यवहारिक मॉडल भी डिज़ाइन करेगा| इस सिलसिले में  राज्य सरकार, भारत सरकार की योजना के अनुसार पहल करेगी| प्रस्तावित राष्ट्रीय ई-शासन योजना के तहत इसमें स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क, स्टेट सेंटर और ग्रामीण क्षेत्र के लिए सामान्य सेवा केंद्र शामिल हैं सभी विकासखंड मुख्यालयों में कम से कम 2 एमबीपीएस कनेविक्टविटी लाने का प्रारंम्भिक लक्ष्य होगा, ‘वाई मैक्स’ जैसी प्रौद्योगिकी के उपयोग से गाँवों में विस्तृत कनेविक्टविटी मुहैया होगी| डाटा बैंक तक पूर्ण पंहुच (एक्सेस) होने से विभागों के लिए सम्मिलित संसाधनों और अनुभवों से काम करना सम्भव होगा और काम-काज तथा सेवाओं के दुहराव से बचा जा सकेगा|

सोफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क और आईटी सिटी का विकास

भिलाई में एक अन्तराष्ट्रीय गेटवे हब और सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एसटीपी) शुरू होने से उत्पन्न अवसरों का व्यापक लाभ लिया जायेगा| सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाएं, एम, कॉमर्स, सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सह-सेवाएं इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा| औद्योगिक क्षेत्रों में कम्प्युटर, दूरसंचार उपकरण, मनोरंजन, इलेक्ट्रोनिक्स और सम्बद्ध सहायक निर्माण इकाईयों को प्रोत्साहन और समर्थन दिया जायेगा| निजी हार्डवेयर एंव सोफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्कों को भी प्रोन्नत किया जाये|

राज्य सरकार एकल खिड़की प्रणाली की सुविधा दे रही ही जो उपक्रमों को निर्बाध रूप से अपनी गतिविधियाँ संचालित करने की अनुमति प्रदान करती है| राज्य में, आवासीय परिसरों में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग लगाने की अनुमति है जैसे कंटेंट डेवलोपमेंट और रिमोट सेवाओं से सम्बन्धित इकाईयाँ, 15 केवीए तक विद्युत संयोजन भार वाले सूचना प्रौद्योगिकी उद्योगों को किसी भी क्षेत्र में स्थापित किया जा सकेगा| श्रमिक, फैक्ट्री, दुकानें और अन्य स्थापनाओं से सम्बन्धित प्रचलित नियामक नियमों का युक्तियुक्तकरण किया गया है|

दीर्घकालिक सूचना प्रौद्योगिकी विकास रणनीति के तहत भिलाई, रायपुर, विलासपुर, कोरबा, रायगढ़, जगदलपुर और अंबिकापुर शहरों का विकास सूचना प्रौद्योगिकी शहरों के उप में किया जायेगा, इन शहरों में निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए भू-आबंटन के नियमों को आकर्षक बनाया जायेगा|

अच्छी शिक्षण संस्थाओं और प्रशिक्षण केन्दों की स्थापना

सूचना प्रौद्योगिकी शिक्षा की गुणवत्ता और मान्यता पर राज्य सरकार सकारात्मक ढंग से कार्य करेगी| मान्यता प्राप्त सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवरों की संख्या में हर साल वृद्धि का एक सुपरिभाषित लक्ष्य रखा जायेगा, मौजूदा इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलीटिक्निक, आईटीआई और अन्य विशिष्ट संस्थाओं के सूचना प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में ज्यादा छात्रों को प्रवेश लेने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा|

विश्व श्रेणों की आईआईआईटी की स्थापना की दिशा में प्रयास किया जायेगा, सरकार स्कूलों में नेटवर्क से जुडी कम्प्युटर प्रयोगशालाएं उपलब्ध कराई जाएगी| निजी क्षेत्र की भागीदारी से राज्य और जिला स्तर के प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की जाएगी, कॉलोजों और viswविश्वविद्यालयों के लिए एक व्यापक आईटी नेटवर्क की स्थापना की जाएगी, शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का एक कार्यक्रम बनाया जायेगा, जिससे यह सुनिश्चित हो कि शिक्षक इन क्षेत्रों के नित नये ज्ञान से परिचित रहें|

राष्ट्रीय एंव अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों को राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थपाना के लिए आमंत्रित किया जायेगा| नेटवर्क प्रयोगशाला, शैक्षिक संस्थाओं आदि द्वारा तैयार ज्ञान की सम्पदा लोगों को इलेक्ट्रॉनिक फ़ॉर्मेट(सीडीरोम) में दी जायगी और यह सुनिश्चित किया जायेगा कि यह उन लोगों तक पहुंचे जिनके पास नेटवर्क सेवाओं की सिमित पहुँच है|

स्कूलों और कॉलेजों में कम्पयूटर शिक्षा को चरणबद्ध रूप से अनिवार्य किया जायेगा| स्कूली शिक्षा में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग दो पृथक वर्गों में किया जाएगा|

कमप्यूटर साक्षरता और सूचना प्रौद्योगिकी कौशल विकास

  • अन्य विषयों के शिक्षण को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग

इसके अलावा, शिक्षा विभाग सूचना प्रौद्योगिकी शिक्षा को कक्षा छः से आवश्यक बनाएगी, जिसके अंतर्गत चरणबद्ध रूप से कक्षा छः से स्नातक स्तर के विद्यार्थीयों को सम्मिलित किया जायेगा|

सूचना प्रौद्योगिकी सम्बन्धी विषयों पर शासकीय अधिकारियों एंव कर्मचारियों को दक्ष करने के लिए राज्य प्रशासन अकादमी की क्षमता विकसित की जाएगी, शासकीय अधिकारियों  एंव कर्मचारियों को कम्पयूटर प्रशिक्षण प्रदान करने की व्यवस्था की जायगी|

सूचना प्रौद्योगिकी साक्षरता को सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ श्रेणियों में भर्ती के लिए चरणबद्ध रूप से अनिवार्य बनाया जायेगा|

कार्ययोजना का विस्तार-विस्तारित सरकारी समर्थन

उच्च गुणवत्ता वाली अधोसंरचना उपलब्ध कराने और मानव संसाधन के विकास के अलावा सरकार और भी अनेक पहल करेगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि 2010 तक देश के सूचना प्रौद्योगिकी उत्पाद में छत्तीसगढ़ का अच्छा-खासा योगदान रहे| इससे राज्य के आर्थिक विकास में सूचना प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण योगदान सुनिश्चित होगा| रोजगार के अवसर तैयार होंगे तथा राज्य के निवासियों को अपना जीवन स्तर उठाने में मदद मिलेगी| इस पहल में निम्न भी शामिल है-

सूचना प्रौद्योगिकी-थ्रस्ट उद्योग के रूप में

छत्तीसगढ़ शासन ने सूचना प्रौद्योगिकी की पहचान थ्रस्ट उद्योग के रूप में की है., इसके लिए राज्य की औद्योगिक नीति के अनुरूप कई आकर्षक प्रोत्साहन उपलब्ध कराए जायेगे. सभी सोफ्टवेयर उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सेवा और प्रशिक्षण संस्थाओं सहित ‘उद्योग’ का दर्जा पाने के हक़दार होंगे, ऐसी इकाईयों को उद्योगों में मिलने वाली सभी छुट एंव प्रोत्साहन प्राप्त करने की पात्रता होगी| मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण संस्थाएं भी उद्योग का दर्जा प्राप्त करने की हक़दार होंगी इसके लिए उद्योगों को मानकों एंव नियमों का पालन करना होगा| इन संस्थाओं को औद्योगिक दर पर ऋण एंव बैंक से वित्तीय सहयोग प्राप्त करने की पात्रता रखेंगी|

सूचना प्रौद्योगिकी संवर्धन एंजेसी

उद्यमिता को प्रोन्नत करने एवं स्थानीय पहल को आधार देने हेतु एक संस्थागत व्यवस्था तैयार करने के लिए चिप्स एक उच्च स्तरीय सूचना प्रौद्योगिकी संवर्धन एंजेसी के रूप में कार्य करेगी| यह राज्य के अनुसन्धान और विकास के प्रयासों को मजबूती करने की रणनीति बनाएगी और स्थानीय उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी| एक उद्योग संगठन का गठन किया जायेगा और इसमें राज्य सरकार, अनिवासी भारतीयों, अग्रणी औद्योगिक घरानों, सोफ्टवेयर कम्पनियों और वेंचर कम्पनियों की सक्रिय भागीदारी रहेगी ताकि सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं और बैंक ऑफिस सेवा द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले अवसरों का लाभ उठाया जा सके| राज्य में एक ईंक्युबेशन सेंटर का विकास किया जायेगा, जो स्थानीय उद्यमियों को कार्य करने की अधोसंरचना उपलब्ध करायेगा|

सूचना प्रौद्योगिकी एवं  सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं के लिए उयोग मित्र के रूप में वातावरण निर्माण करने का प्यास करेगी| राज्य शासन ने उद्योग नीति में सूचना प्रौद्योगिकी, बायो-प्रौद्योगिकी एंव अग्रणी प्रद्योगिकी वाले उद्योगों को विशेष थ्रस्ट उद्योग को श्रेणी में रखा है| राज्य की औद्योगिक नीति में उल्लिखित विभिन्न श्रेणी के उद्योगों के लिए जो प्रत्यक्ष एंव अप्रत्यक्ष सुविधाएँ दी गई हैं वे समान श्रेणी के सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं वाली इकाईयों पर भी लागू होंगे| विशेष थ्रस्ट उद्योग के रूप में विभिन्न इकाईयों के प्राप्त होने वाली सुविधाएँ परिशिष्ट “क” में दर्शाई गई है| इनमें से कुछ प्रोत्साहन इस प्रकार है –

  • लघु तथा मध्यम-वृहद उद्योगों लो सावधि ऋण व कार्यशील पूंजी पर ब्याज अनुदान दिया जायेगा|
  • लघु तथा मध्यम-वृहद तथा मेगा उद्योगों को अधोसंरचना लागत/स्थायी पूंजी निवेश अनुदान दिया जायेगा|
  • नवीन उद्योगों को विद्युत शुल्क भुगतान से छुट दी जाएगी
  • स्टाम्प शुल्क से छूट
  • उद्योगों को प्रवेश कर के भुगतान से छूट दी जाएगी
  • निवेशकों को औद्योगिक क्षेत्रों में भू-आवंटन में भू-प्रीमियम पर छूट दी जाएगी
  • नवीन उद्योगों को परियोजना प्रतिवेंदन पर किये गए व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु उद्योग स्थापना उपरांत अनुदान दिया जायेगा|
  • विद्यमान औद्योगिक इकाईयों को वित्तीय संस्थाओं से तकनीकी प्रोन्नति हेतु लिए गे सविधि ऋण व कार्यशील पूंजी पर “प्रोद्योगिकी प्रोन्नति कोष” से ब्याज अनुदान दिया जायेगा|
  • नवीन लघु उद्योगों को भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क से अधिकतम 5 एकड़ भूमि के लिए छूट दी जाएगी|
  • उद्योगों के लिए औद्योगिक क्षेत्रों के बाहर अर्जित निजी भूमि/शासकीय भूमि आवंटन शुल्क को कम किया जायेगा|
  • एन आर आई/एफ डी आई निवेशकों को सामान्य निवेशकों से 5% अतिरिक्त प्रोत्साहन की पात्रता होगी|
  • आई एस ओ या अन्य समतुल्य राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए प्रदत्त शुल्क की 50% राशि की प्रतिपूर्ति-अधिकतम रु. 75,000 तक|
  • पेटेंट प्राप्त करने के लिए किये गये व्यय की 50%, अधिकतम रु, 5 लाख तक की प्रतिपूर्ति|

इसके अतिरिक्त राज्य शासन सूचना प्रौद्योगिकी उद्योगों को निम्नलिखित सहायता भी प्रदान कर रहा है-

  • उच्च स्तरीय समिति द्वारा एकल खिड़की प्रणाली से अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करना|
  • दुकान एंव स्थापना नियम के अंतर्गत कार्य अवधि, कर्यपाली एंव महिलाओं की नियुक्ति पर छूट|
  • विशेष आर्थिक क्षेत्र सहित राज्य में स्थापित सूचना प्रौद्योगिकी एंव सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित इकाईयों को औद्योगिक परिवाद नियम तथा ठेका श्रमिक नियम से सम्पूर्ण छूट
  • सूचना प्रौद्योगिकी एंव सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित इकाईयां सतत प्रक्रिया इकाई के  रूप में अधिसूचित|
  • सूचना प्रौद्योगिकी एंव सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित इकाईयों में कार्यरत महिलाकर्मियों को रात्रिकाल में परिवहन के लिए विशेष वाहन पास उपलब्ध कराना|
  • सूचना प्रौद्योगिकी एंव सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित इकाईयों में कार्य करने वाले स्थानीय निवासियों को दो वर्ष की निश्चित अवधि के लिए रोजगार देने पर इकाइयों को प्रशिक्षण के लिए बगैर ब्याज पर वित्तीय सहायता हेतु ई-समर्थ्य योजना |
  • शासकीय नियमों एंव कानूनों आदि को सुविधानुसार संशोधन करना ताकि विभिन्न रिपोर्ट/जानकारी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में भेजी जा सके|
  • सूचना प्रौद्योगिकी एंव सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित उद्योगों को स्व-प्रमाणित रिपोर्ट एवं जानकारी भेजने की अनुमति
  • प्रदुषण नियंत्रण से एकमुश्त छूट

सूचना प्रौद्योगिकी दिवस

राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी एंव सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित उद्योग की उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए प्रतिवर्ष एक दिवसीय ‘छत्तीसगढ़ सूचना प्रौद्योगिकी दिवस’ मनाया जायेगा| इस अवसर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली सूचना प्रौद्योगिकी एंव सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित एकाईयों को राज्य शासन द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा|

ई-शासन के लिए सरकारी और निजी साझेदारी

ई-शासन को लागू करने में राज्य शासन सरकारी और निजी क्षेत्र की साझेदारी की महत्ता को स्वीकार करता है, ई-गवर्नेस सेवाओं के लिए सरकार और निजी साझेदारी के दिशा-निर्देशों में निम्नलिखित तथ्य होंगे.-

  • ई-शासन सेवाएं पुर्णतः ‘गैर-एकाधिकार’आधार पर उपलब्ध कराई जाएगी ई-शासन सेवा उपलब्ध कराने वाला निजी साझेदारी किसी क्षेत्र विशेष या किसी विशिष्टता पर अपना एकाधिकार नहीं रख सकेगा|
  • सभी ई-शासन सेवाओं के लिए शासन की पूर्वानुमति से उपयोगकर्ता शुल्क लगाया जा सकेगा इस तरह के उपयोगकर्ता शुल्क में शासन की विनिदिष्ट हिस्सेदारी होगी|

क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण

इस नीति के क्रियान्वयन एंव इसके पर्यवेक्षक के लिए एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया जायेगा यह समिति  समय-समय पर पूर्ण उत्पादों और सेवाओं की सूची की समीक्षा कर सकेगी, जो सूचना प्रौद्योगिकी एंव सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं की श्रेणी में आएंगे और समय-समय पर आवश्यकतानुसार ऐसी सूची को संशोधित कर सकेगी| चिप्स इस अधिकार प्राप्त समिति के सचिवालय के रूप में काम करेगा| आवश्यक हुआ तो उच्चाधिकार प्राप्त समिति नैसकोम, एसटीपीआई, निजी आईटी पार्क और अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधियों से सम्पर्क करेगी या उन्हें अपनी बैठकों में आमत्रित करगी|

औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन हेतु छूट/रियायतें

1.ब्याज अनुदान

लघु तथा मध्यम वृहद उद्योगों को सावधि ऋण कार्यशील पूंजी पर निम्नलिखित विवरण अनुसार ब्याज अनुदान दिया जायेगा ब्याज अनुदान मेगा उयोगों को उपलब्ध नहीं होगा

क लघु उद्योग

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

5 वर्ष तक कुल भुगतान किये गए ब्याज का 75%अधिकतम सीमा रु० 10 लाख वार्षिक

अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग द्वारा स्थापित उद्योग को 10% वार्षिक की दर से 5 वर्ष तक बिना किसी अधिकतम सीमा के, बशर्तें निवेशक न्यूनतम 1प्रतिशत वार्षिक ब्याज वहन करें|

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

 

 

 

बाहुल्य क्षेत्र

7 वर्ष तक कुल भुगतान के लिए ब्याज का 75%-अधिकतम अधिकतम सीमा रु० 10 लाख वार्षिक

 

अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग द्वारा स्थापित उद्योग को 10% वार्षिक की दर से 7 वर्ष तक बिना किसी अधिकतम सीमा के, बशर्तें निवेशक न्यूनतम 1प्रतिशत वार्षिक ब्याज वहन करें|

 

 

ख- मध्यम वृहद उद्योग

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

5 वर्ष तक कुल भुगतान किये गए ब्याज का 75%अधिकतम सीमा रु० 20 लाख वार्षिक

 

अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग द्वारा स्थापित उद्योग को 10% वार्षिक की दर से 5 वर्ष तक बिना किसी अधिकतम सीमा रु० 30 लाख वार्षिक, बशर्तें निवेशक न्यूनतम 1प्रतिशत वार्षिक ब्याज वहन करें|

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

 

बाहुल्य क्षेत्र

7 वर्ष तक कुल भुगतान के लिए ब्याज का 75%-अधिकतम अधिकतम सीमा रु० 10 लाख वार्षिक

 

अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग द्वारा स्थापित उद्योग को 10% वार्षिक की दर से 7 वर्ष तक बिना किसी अधिकतम सीमा रु० 50 लाख वार्षिक, बशर्तें निवेशक न्यूनतम 1प्रतिशत वार्षिक ब्याज वहन करें|

2. अधोसंरचना लागत/स्थायी पूंजी निवेश अनुदान

लघु तथा मध्यम वृहद उद्योगों को निम्नलिखित  विवरण अनुसार अधोसंरचना    लागत/स्थायी पूंजी निवेश अनुदान दिया जायेगा|

क लघु उद्योग

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

सफल पूंजी निवेश का 25% अधिकतम रु. 25 लाख

अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के  मामलों में पूंजी निवेश का 25%  अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग की महिला निवेशकों को सफल पूंजी निवेश का 35% बिना किसी अधिकतम सीमा के

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

 

बाहुल्य क्षेत्र

सफल पूंजी निवेश का 25% अधिकतम रु. 25 लाख

 

अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के निवेशकों को  सकल पूंजी निवेश का 25%  अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग की महिला निवेशकों को सफल पूंजी निवेश का 35% बिना किसी अधिकतम सीमा के

 

ख- मध्यम वृहद उद्योग

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

सफल पूंजी निवेश का 35% अधिकतम राज्य में भुगतान किये गए 7 वर्ष के वाणिज्यिक कर/केन्द्रीय विक्रय कर के समतुल्य राशि

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

बाहुल्य क्षेत्र

सफल पूंजी निवेश का 45% अधिकतम राज्य में भुगतान किये गए 7 वर्ष के वाणिज्यिक कर/केन्द्रीय विक्रय कर के समतुल्य राशि

ग मेगा-प्रोजेक्ट

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

सफल पूंजी निवेश का 35% अधिकतम राज्य में भुगतान किये गए 7 वर्ष के वाणिज्यिक कर/केन्द्रीय विक्रय कर के समतुल्य राशि

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

बाहुल्य क्षेत्र

सफल पूंजी निवेश का 45% अधिकतम राज्य में भुगतान किये गए 7 वर्ष के वाणिज्यिक कर/केन्द्रीय विक्रय कर के समतुल्य राशि

 

टीप- अनुदान की अधिकतम सीमा के निर्धारण के लिए भुगतान किये गए वाणिज्यिक कर/केन्द्रीय विक्रय कर की ऐसी राशि, जिसका वैट स्कीम में समायोजन/वापसी का दावा किया गया गया हो, सम्मिलित नहीं की जाएगी|

3.विद्युत शुल्क छूट

केवल नवीन उद्योगों को विद्युत शुल्क भुगतान से निम्नलिखित विवरण अनुसार छूट दी जायगी| विद्यमान औद्योगिक इकाईयों की विस्तार परियोजनाओं को विद्युत शुल्क छूट की पात्रता नहीं होगी-

लघु उद्योग

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने के दिनांक से 15 वर्ष तक पूर्ण छूट

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

बाहुल्य क्षेत्र

वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने के दिनांक से 15 वर्ष तक पूर्ण छूट

 

ख- मध्यम वृहद उद्योग

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने के दिनांक से 15 वर्ष तक पूर्ण छूट

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

बाहुल्य क्षेत्र

वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने के दिनांक से 15 वर्ष तक पूर्ण छूट

ग- मेगा-प्रोजेक्ट

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने के दिनांक से 15 वर्ष तक पूर्ण छूट

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

बाहुल्य क्षेत्र

वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने के दिनांक से 15 वर्ष तक पूर्ण छूट

4. स्टाम्प शुल्क से छूट

उपरोक्त दर्शाये गए उद्योगों को स्टाम्प शुल्क भुगतान से निम्नलिखित विवरण अनुसार छूट दी जाएगी|

औद्योगिक इकाई के लिए भूमि, शेड तथा भवनों के क्रय/लीज के विलेखों के निष्पादन पर छूट

औद्योगिक इकाई द्वारा लिए जाने वाले ऋण तथा अग्रिम से सम्बन्धित विलेखों के निष्पादन पर इकाई के पंजीयन दिनांक से तीन वर्ष तक छूट

प्रवेश कर से छूट

उद्योगों को वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने के लिए दिनांक अथवा प्रथम बार छूट लेने के दिनांक, जो भी पहले हो, से निम्नलिखित कालावधि के लिए प्रवेश कर से भुगतान से छूट दी जायेगी|

5.लघु उद्योग/ मध्यम वृहद उद्योग/ मेगा-प्रोजेक्ट/अति वृहद उद्योग

 

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

राज्य में स्थित केप्टिव क्वारी/मायनिंग लीज से प्राप्त माल, डीजल तथा पेट्रोल को छोड़कर 7 वर्ष तक पूर्ण छूट

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

बाहुल्य क्षेत्र

राज्य में स्थित केप्टिव क्वारी/मायनिंग लीज से प्राप्त माल, डीजल तथा पेट्रोल को छोड़कर 9 वर्ष तक पूर्ण छूट

6. औद्योगिक क्षेत्रों में आवंटित भूमि पर प्रीमियम में छूट/रियायत

निवेशकों को औद्योगिक क्षेत्रों में भू-आवंटन में भू-प्रीमियम पर निम्नलिखित विवरण अनुसार छूट दी जाएगी-

लघु/मध्यम तथा वृहद उद्योग

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

भू-प्रब्याजि में 50% छुट, अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के निवेशकों के लिए भू-प्रब्याजि में 100% छूट

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

बाहुल्य क्षेत्र

भू-प्रब्याजि में 50% छुट, अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के निवेशकों के लिए भू-प्रब्याजि में 100% छूट

मेगा-प्रोजेक्ट

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

भू-प्रब्याजि में 50% छुट, अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के निवेशकों के लिए भू-प्रब्याजि में 100% छूट

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

बाहुल्य क्षेत्र

भू-प्रब्याजि में 50% छुट, अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के निवेशकों के लिए भू-प्रब्याजि में 100% छूट

 

टीप

अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों को निशुल्क प्लांट आवंटन की सुविधा प्राप्त हो सके, इस हेतु औद्योगिक क्षेत्रों में सामान्य क्षेत्र में 25% तक तथा अति अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में 50% भू-खंड इन वर्गों के सदस्यों के लिए आरक्षित किये जायेंगे|

7.परियोजना प्रतिवेदन अनुदान

नवीन उद्योगों को परियोजना प्रतिवेदन पर किये गए व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु उद्योग स्थापना उपरांत निम्नलिखित विवरण अनुसार अनुदान दिया जायेगा|

लघु/मध्यम तथा वृहद/ मेगा-प्रोजेक्ट

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

केवल  अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के निवेशकों को परियोजना लागत का में 1%, अधिकतम सीमा रु. 1 लाख,.

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

बाहुल्य क्षेत्र

सभी निवेशकों के लिए परियोजना प्रतिवेदन तैयार करने हेतु किये गए व्यय की शत-प्रतिशत राशि, अधिकतम सीमा रु. 2लाख,.

8.प्रौद्योगिकी प्रौन्नति हेतु ब्याज अनुदान

विद्यमान औद्योगिक इकाईयों को वित्तीय संस्थाओं से तकनीकी प्रौन्नति हेतु लिए गए सावधि ऋण व कार्यशील पूंजी पर “प्रौद्योगिकी प्रौन्नति कोष” से निम्नलिखित विवरण अनुसार ब्याज अनुदान दिया जायेगा|

क लघु उद्योग

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

5 वर्ष तक कुल भुगतान किये गए ब्याज का 40% अधिकतम सीमा रु० 12.5 लाख वार्षिक

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

 

बाहुल्य क्षेत्र

5 वर्ष तक कुल भुगतान किये गए ब्याज का 40% अधिकतम सीमा रु० 25 लाख वार्षिक

 

 

मेगा-प्रोजेक्ट

क्षेत्र

विशेष थ्रस्ट उद्योग

श्रेणी अ-सामान्य क्षेत्र

निरंक

श्रेणी ब-अति पिछड़े अनुसूचित जनजाति

बाहुल्य क्षेत्र

5 वर्ष तक कुल भुगतान किये गए ब्याज का 40% अधिकतम सीमा रु० 25 लाख वार्षिक

 

9.भूमि व्यपवर्तन शुल्क से छूट

नवीन लघु उद्योगों को भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क से अधिकतम 5 एकड़ भूमि के लिए पूर्ण छूट दी जाएगी|

10.औद्योगिक क्षेत्रों के बाहर भू-आवंटन सेवा शुल्क

उद्योगों के लिए निजी भूमि का अर्जन करने के लिए जिला कलेक्टर का देय 10 प्रतिशत सेवा शुल्क तथा छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवेलपमेंट कारपोरेशन द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों के बाहर उद्योगों के लिए अर्जित निजी भूमि/शासकीय भूमि के आवंटन के लिए देय 25 प्रतिशत सेवा शुल्क को कम करके निम्नानुसार किया जायेगा-

क.    निजी भूमि के अर्जन हेतु जिला प्रशासन को आवार्ड राशि के 5% की दर से सेवा शुल्क देय होगा|

ख.    उपर्युक्त के अतिरिक्त औद्योगिक क्षेत्रों के बाहर अर्जित निजी भूमि/शासकीय भूमि के आवंटन हेतु छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवेलपमेंट कारपोरेशन को भूमि के लिए देय 25 प्रतिशत सेवा शुल्क देय होगा|

11.गुणवत्ता प्रमाणीकरण अनुदान

राज्य में स्थापित किये गए समस्त नवीन उद्योगों को, आईएसओ-14000 या अन्य समान राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय प्रमाणीकरण प्राप्त करने पर इस हेतु किये गए व्यय के 50% या रु. 75,000 जो भी कम हो, की सीमा तक प्रतिपूर्ति नहीं की जायगी|

12.तकनीकी प्रमाणीकरण अनुदान

राज्य में स्थापित किये गए समस्त नवीन उद्योगों को, पेंटेंट प्राप्त करने पर इस हेतु किये गए व्यय के 50% या रु. 5 लाख, जो भी कम हो, की सीमा तक प्रतिपूर्ति नहीं की जायगी|

स्रोत:-सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, छत्तीसगढ़|

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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