विगत दशक में सूचना प्रौद्योगिकी सॉफ्टवेयर और संबंधित सेवाओं के निर्यात में भारत की सफलता सर्वविदित है। वर्तमान में ऑफशोर सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व बाज़ार का 65 प्रतिशत एवं सूचना प्रौद्योगिकी सहायी सेवा के क्षेत्र में विश्व बाज़ार के 46 प्रतिशत हिस्से पर भारत का आधिपत्य है। इस क्षेत्र में प्रगति की वजह से रोज़गार के कई अवसर उत्पन्न हुए हैं।
हालॉकि उपरोक्त विकास के प्रभाव अधिकांशतः कुछ राज्यों के गिने चुनें आई.टी. हब तक ही सीमित हैं। बिहार इस विकास से अधिकांशतः वंचित रहा है। राज्य सरकार की यह मंशा है कि सूचना प्रौद्योगिकी के विकास और सूचना प्रौद्योगिकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी सहायी सेवा उद्योगों में निवेश को प्रोत्साहन द्वारा सुशासन उपलब्ध कराई जाए जिसके फलस्वरूप बिहार के लोग अपने द्वार पर ही बेहतर नागरिक सुविधाओं तथा आर्थिक समृद्धि का लाभ उठा सकें ।
ऐसी असमानांतर सूचना प्रौद्योगिकी आधारभूत संरचना, जो राज्य के हर एक नागरिक तक पहुंचती हो, का निर्माण कर ग्रामीण एवं द्गाहरी जन मानस के बीच की डिजिटल दूरी को पाटना।
बिहार को सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी सहायी सेवा उद्यागों में निवेश हेतु अगला
मुख्य केन्द्र बनाना।
उद्देश्य
राज्य के आइ.टी. विज़न 2015 की दृष्टि को पूरा करने के लिए निम्नलिखित उद्देश्य अपनाए जाने की आवश्यकता है।
1. मानव व बौद्धिक पूंजी संसाधन:
विद्यालय स्तर पर क्म्प्यूटर साक्षरता को प्रोत्साहित कर विद्यार्थियों को प्रतिभाशाली बनाना एवं रोज़गार के लायक युवाओं को समुचित प्रशिक्षण देकर सूचना प्रौद्योगिकी में सक्षम बनाना।
2. रोजगार:
सूचना प्रौद्योगिकी/ सूचना प्रौद्योगिकी सहायी कंपनियों को राज्य में पूंजी निवेश
के लिए आकर्षित कर स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार उत्पन्न करना।
3. सूचना प्रौद्योगिकी आधारभूत संरचना:
राज्य में विश्व स्तरीय सूचना प्रौद्योगिकी आधारभूत संरचना विकसित करना।
4. ई-शासन:
एन. ई. जी. पी.एवं राज्य सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अन्तर्गत ई-शासन हेतु उठाए जाने वाले कदमों को प्रोत्साहन देकर अधिकतम सरकारी विभागों एवं नागरिक सेवाओं को पारस्परिक ऑनलाइन मोड में लाना।
5.निवेश :
राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी क्षमता को गति देने हेतु निजी उद्योगों को सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी सहायी सेवा उद्योग में निवेश के लिए बढ़ावा देना।
6. माहौल:
राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी सहायी सेवा उद्योगों के लिए सरकार द्वारा संभावनाएँ बढ़ा कर व्यवसाय हेतु बेहतर माहौल देना।
7.कानून:
सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी सहायी सेवा उद्योगों के बेहतर प्रशासन हेतु समुचित क़ानूनी ढांचा तैयार करना एवं सूचना प्रौद्योगिकी, बौद्धिक सम्पदा अधिकार, पेटेंट और ट्रेडमार्क के अनुचित इस्तेमाल को रोकना।
आई.टी. सेवायें:
आई.टी. सॉफ्टवेयर और आई.टी. उत्पाद के माध्यम से दी जाने वाली सूचना प्रौद्योगिकी सेवायें ।
आई.टी. के माध्यम से दी जाने वाली सेवायें:
सूचना प्रौद्योगिक द्वारा दूरसंचार नेटवर्क और इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न व्यवसायों, मेडिकल ट्रस्किपसन , विधि डाटा प्रोसेसिंग, डिजिटल डाटा संग्रहण, एनिमिशन , खातों एवं वित्तीय मामलों से संबंधित कॉल सेंटर के संचालन से संबंधित सेवायें।
आई.टी. उद्योग
सूचना प्रौद्योगिक के हार्डवेयर, सूचना प्रौद्योगिक द्वारा दी जाने वाली सेवायें/ विजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग/ज्ञान प्रक्रिया आउटसोर्सिंग/परामर्श से संबंधित व्यवसाय/ज्ञान पर आधारित उद्योग ।
एच एम:
एच एम इकाई का अर्थ इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर विनिर्माण उद्योग से है ।
आई.टी.इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी:
सूचना प्रौद्योगिक उद्योग के लिए आधारभूत संरचना, सूचना प्रौद्योगिक उद्योग के लिए ऑफिस बनाने के कंपनी ।
संस्थानों:
सूचना प्रौद्योगिक के क्षेत्र में विशेष परिष्करण परीक्षण, उद्यमद्गिालता विकास संस्थान,
इन्क्युवेसन संस्थान एवं ज्ञान उद्योग से जुड़े हुए परिक्षण संस्थानों से है ।
बेहतर समझ एवं प्रकाश के उद्देश्य से सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी नीति को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।
सभी आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों, औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, 2011 में दिये गये प्रोत्साहन के लिए योग्य होगे ।
उत्पादक से पूर्व के लिए सुविधाएँ:
(1) पंजीकरण/स्टाम्प शुल्क में छूट
(क) वैसे आईटी/आईटीईस/ईएचएम इकाई जो औद्योगिक क्षेत्र/रोज/आईटी पार्क में या इनसे बाहर स्थापित होगी, उनको स्टैम्प शुल्क एवं भूमि के पट्टा/विक्रय/हस्तांतरण में लगने वाली पंजीकरण शुल्क में 100 प्रतिशत छूट मिलेगी ।
(ख) यह सुविधा केवल प्रथमवार में ही मिलेगी तथा बाद के भूमि के पट्टा/विक्रय/हस्तांतरण के लिए नहीं मिलेगी । यह सुविधा सिर्फ नई इकाईयों के लिए वैध होगी ।
(ग) वैसी इकाईयों जो पहले से स्थापित हैं, अपनी उत्पादन क्षमता में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि करती है तथा जिन्होंने पहले से स्टैम्प शुल्क/पंजीकरण शुल्क में छूट की सुविधा नहीं ली है, उन्हें भी यह सुविधा विस्तार के लिए इस्तेमाल की जानी वाली भूमि पर लागू होगी ।
(घ) वैसी इकाईयाँ जो इस छूट की सुविधा का लाभ नहीं उठा पाती हैं, उनको यह सुविधा उत्पादन के बाद प्रतिपूर्ति के रूप में मिलेगी ।
(2) उत्पादन के बाद मिलने वाली सुविधाएँ
इस इकाई को उत्पादन प्रारंभ होने के बाद प्रतिपूर्ति के रूप में मिलने वाली विभिन्न सुविधाओं जैसे कि परियोजना रिपोर्ट को तैयार करने के लिए प्रोत्साहन, भूमि क्रय के लिए प्रोत्साहन, तकनीकी ज्ञान के लिए वित्तीय सहायता, पूंजी सब्सिडी इत्यादि की अधिकतम सीमा 600 लाख होगी (यह स्वयं के इस्तेमाल के लिए किए गए विद्युत उत्पादन पर दिये गये प्रोत्साहन से अलग होगी) ।
(3)परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए प्रोत्साहन
(क) आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों द्वारा परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में आने वाले व्यय का 50 प्रतिशत खर्च, जिसकी अधिकतम सीमा 2 लाख रूपये होगी, प्रतिपूर्ति के रूप में दिया जाएगा, बशर्ते यह रिपोर्ट किसी आईटी विभाग द्वारा मान्य कंपनी ने बनाई हो ।
(ख) वैसी परियोजना रिपोर्ट जो कार्बन क्रेडिट लेने के लिए हो, उसको बनाने में आने वाले व्यय का 50 प्रतिशत (अधिकतम सीमा 50 लाख) प्रतिपूर्ति के रूप में मिलेगा, बशर्ते कार्बन क्रेडिट मिले ।
(4) तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता
उद्योगपति जो किसी भी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय स्तर की रिर्सच केन्द्र/प्रयोगशाला अथवा संस्थान से अपनी कंपनी को विस्तारित करने के लिए तकनीकी ज्ञान प्राप्त करते है, उनको शुल्क में किए गए खर्च का 30 प्रतिशत (अधिकतम 15 लाख रूपये तक) प्रतिपूर्ति के रूप में मिलेगा ।
(5) गुणवत्ता प्रमाणीकरण के लिए प्रोत्साहन
(क) आई.एस.आई. (अथवा सामान राष्ट्रीय/अंतराष्ट्रीय संस्थान) से गुणवत्ता प्रमाणीकरण में आने वाली शुल्क पर व्यय प्रतिपूर्ति के रूप में वापस किया जाएगा, परवर्ती धारायें के अनुसार ।
(ख) यह लाभ आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाई केवल एक बार ही प्राप्त कर सकेंगी ।
(ग) सरकार व्यय का 75 प्रतिशत वापस करेंगी ।
(i) यदि सॉफ्टवेयर कंपनी आई.एस.ओ./एस.ई.आई. सी.एम.एम लेवल-2 और उपर/एस. टी.ओ.टी. गुणवत्ता प्रमाणीकरण प्राप्त करती है ।
(ii) यदि आईटीईएस कंपनी सी.ओ. पी.सी. (कस्टमर ऑपरेशन परफोरमेंस सेंटर) अथवा
ई-एस सी एम (ई-सोर्सिंग कैपेब्लिटी मॉडल) जैसे गुणवता प्रमाणीकरण प्राप्त करती है ।
(iii) यदि ईएचएम इकाई आई.एस.आई./आई.एस.ओ./बी.एस. अथवा अन्य गुणवत्ता प्रमाणीकरण, जो अंतराष्ट्रीय एजेंसी जैसे की BVQI/DNV/LRQA/TOV द्वारा मान्य है तथा STQC प्राप्त करती है ।
(6)भूमि के लिए मिलने वाले प्रोत्साहन
(क) सभी आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों, बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास अभिकरण/ निर्यात संवर्धन औद्योगिक पार्क/फूड पार्क/कृषि निर्यात जोन/आईटी पार्क में आवंटित भूमि के मूल्य पर निम्न प्रकार से प्रोत्साहन के लिए हकदारी होंगी :-
उद्योग |
अनुदान |
लघु/छोटे इकाई (निर्धारित वित्तीय सीमा के भीतर) |
50 प्रतिशत या 15 लाख (अधिकतम)
|
सभी बड़े/मझौले/मेगा इकाईयों (निर्धारित वित्तीय सीमा के भीतर) |
25 प्रतिशत या 30 लाख (अधिकतम)
|
(ख) बिहार सरकार जहां भी संभव होगा, वहां तक बड़ी आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों के लिए उपयुक्त सरकारी जमीन की पहचान कर आरक्षित करेंगी ।
(7) ए.एम.सी/न्यूनतम बेस उर्जा प्रभार/मांग प्रभार में छूट
मौजूदा तथा नई आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों को ए.एम.सी/न्यूनतम बेस उर्जा प्रभार/मांग प्रभार में नई सूचना एवं संचार नीति के अंतर्गत सूचना एवं संचार नीति को घोषणा की तिथि से छूट मिलेगी । यह सुविधा अगले पांच साल तक वैद्य होगी ।
(8)कैप्टिव विद्युत उत्पादन प्लॉट तथा मशीन पर मिलने वाले प्रोत्साहन/अनुदान
कैप्टिव विद्युत उत्पादन/डीजल जैनरेटर सेट/सोलर पॉवर के प्लॉट तथा मशीन पर मिलने वाले प्रोत्साहन/अनुदान निम्न प्रकार से होंगेः-
(क) कैप्टिव विद्युत उत्पादन/डीजल जैनरेटर सेट को स्थापित करने में लगने वाले प्लांट तथा मशीन के लिए 50 प्रतिशत अनुदान योग्य होगी । इसके लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं होगी ।
(ख) मौजूदा इकाईयां भी कंडिका (क) के अनुरूप कैप्टिव उत्पादन/डीजल जेनरेटर सेट पर अनुदान के योग्य होंगी । यह सुविधा सूचना एवं संचार नीति, 2011 के लागू होने के उपरांत 5 वर्षों तक मिलेगी ।
(ग) यह अनुदान औद्योगिक क्षेत्र/इडस्ट्रीज के समूह को बिजली आपूर्ति के उद्देश्य से निर्मित स्पेशल पर्पस व्हीकल को भी मिलेगी, वर्शते स्पेशल पर्पस व्हीकल के ज्यादात्तर सदस्य उस औद्योगिक क्षेत्र/समूह से हो ।
(घ) गैर पारंपरिक स्रोंत से उर्जा उत्पादन के लिए प्लांट तथा मशीन स्थापित करने में होने वाले
व्यय का 60 प्रतिशत अनुदान के रूप में मिलेगा (कोई अधिकतम सीमा नहीं)।
(9) पूंजी निवेश पर सब्सिडी
(क) नई इकाईयों को हार्डवेयर तथा आईटी उपकरण, सॉफ्टवेयर, नेटवर्क उपकरण पर होने वाले
पूंजी निवेश का 20 प्रतिशत राशि प्रतिपूर्ति के रूप में मिलेगा (अधिकतम सीमा 75 लाख
रूपये) यह नीति के लागू होने के बाद एवं उत्पादन शुरू होने के बाद ही मिलेगा ।
(10) प्रवेश-कर पर लाभ
उत्पादन के बाद वाली स्थिति में, नई आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों को उत्पादन-कर
प्रवेश -कर के रूप में समायोजित करने की स्थिति में, प्रवेश -कर पर दी गई राशि , वैट की राशि की 80 प्रतिशत प्रतिपूर्ति में शामिल होगी ।
(11) केंद्रीय विक्रय- कर
पंजीकृत एमएसएमई/आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों को बिहार राज्य सरकार को 1 प्रतिशत सी.एस.टी. ही देना होगा ।
नोट: GST व्यवस्था लागू होने पर उपरोक्त सुविधाएँ उस व्यवस्था के तहत् समान रूप से देय
होगी ।
(12)वैट की प्रतिपूर्ति
(क) उद्योगों को पासबुक द्वारा सुविधा दी जाएगी, जिसके माध्यम से आईटी/आईटीईएस/ईएचएम उद्योगो द्वारा दिये जा रहे वैट की संबधित जानकारी वाणिज्य-कर विभाग द्वारा रखी तथा सत्यापित की जाएगी ।
(ख) वाणिज्य-कर उपयुक्त सत्यापन के उपरांत प्रोत्साहन राशि देने के लिए अधिकृत विभाग होगा ।
(ग) नये उद्योग दस वर्षों तक राज्य सरकार में जमा होने वाले 80 प्रतिशत वैट राशि के प्रतिपूर्ति के हकदार होगे ।
(घ) प्रतिपूर्ति राशि की अधिकतम सीमा पूंजी निवेश का 300 प्रतिशत होगी ।
(ड0) स्थापित आईटी/आईटीईएस/ईएचएम उद्योग वैट/विलासिता कर के 25 प्रतिशत के प्रतिपूति के हकदार होगे । जो कि पॉच वर्षो के लिए अनुमान्य होगा।
(13) विद्युत् शुल्क, रूपांतरण शुल्क एवं विलासिता कर में छूट
नये आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाई वाणिज्यिक उत्पादन में आने के बाद निम्नलिखित लाभ के लिए हकदार होंगेः-
(क) विलासिता कर में 100 प्रतिशत छूट के हकदार 7 वर्षों तक के लिए होगे ।
(ख) विद्युत शुल्क में 100 प्रतिशत छूट के हकदार 7 वर्षों के लिए होगे ।
(ग) भूमि रूपांतरण शुल्क पर 100 प्रतिशत की छूट होगी ।
(14) रोजगार सृजन में अनुदान
सूचना एवं संचार प्रावैधिकी नीति 2011 के क्रियान्वयन के बाद आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों द्वारा 100 व्यक्तियों के नियोजन के बाद आईटी क्षेत्र में स्थापित उद्योग प्रोत्साहन राशि के हकदार हो जाऐगे । प्रोत्साहन राशि नये नियोजन के 1 वर्षों के ई.पी.एफ. राशि के बराबर होगा ।
(15) एस.सी./एस.टी./महिला/भिन्न रूप से सक्षम व्यक्ति
(क) इसके श्रेणी के उद्योगपति 5 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान/शुल्क से मुक्त/आंशिक सहायता के हकदार होगें । इस सुविधा का हकदार व्यक्ति और व्यक्तियों का समूह होगा, जो कि इस श्रेणी के मापदण्ड को पूरा करता हो|
(ख) एस.सी./एस.टी./महिला/भिन्न रूप से सक्षम व्यक्ति द्वारा लगाया जाने वाला आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों का कारोबार प्रत्येक साल 30 लाख तक होने पर वैट दिये जाने वाली 100 प्रतिशत की राशि लौटा दी जाएगी ।
(16) उद्यय निधि
राज्य सरकार अभिनव आईटी/आईटीईएस/ईएचएम उद्यमियों को बढ़ाया देने के लिए 100 करोड़
रूपये का उद्यय निधि बनायेगी ।
(17) विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए इकाईयों को सुविधाएं
स्थापित आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए उपरोक्त सुविधाएं दी जाएगी ।
(18) अभिनव एवं स्वदेशी आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों के लिए विशेष प्रोत्साहन
अभिनव एवं स्वदेशी आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज दिया जाऐगा । ऐसे परियोजना इकाईयों को परिभाषित करने के लिए ईएचएम इकाईयों में 100 नागरिकों, आईटी परियोजना में 500 नागरिकों, आईटीईएस में 1000 नागरिकों को नौकरी देनी होगी अथवा 50 करोड़ रूपये या उससे अधिक की पंजी निवेश करना होगा ।
निम्न अतिरिक्त विशेष पैकेज मिलेगाः-
(19) पब्लिक सेक्टर और राज्य के आपूर्तिकर्ताओं के लिए मूल्य वरीयता
(क) बिहार के उद्योगपतियों को प्रोत्साहित करने हेतु आईटी/आईटीईएस (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) इकाईयों को, जो बिहार में स्थापित एवं पंजीकृत है, अधिकतम 10 प्रतिशत की मूल्य तरजीह दी जाएगी, अपेक्षाकृत उन आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों से जो बिहार के बाहर स्थापित एवं पंजीकृत है ।
(ख) सामान की गुणवत्ता में राज्य में स्थापित उद्योगों को कोई छूट नही दी जाएगी । सरकार में सामान का आपूर्ति और फार्मों के सही समय पर नही करने वाले ऐसे उद्योगों को ब्लैक लिस्ट कर के वेबसाईट पर डाल दी जाएगी ।
(20) सिंगल विंडो प्रणाली की स्थापना
(क) राज्य निवेश संवर्धन बोर्ड सभी लंबित मंज़ूरियों के निष्पादन एवं राज्य में नई आई.टी. ईकाई स्थापित करने एवं आदेशों देने हेतु सिंगल विण्डो एजेन्सी के रूप में काम करेगा।
(ख) सिंगल विण्डो प्रणाली को मज़बूती देने के लिए एस्कॅार्ट सेवा की शुरुआत की जाएगी जो उद्यमियों को एस.पी. आई. बी. अनुमोदन के पूर्व एवं उसके बाद की गतिविधियों में सहायता करेगा। उद्यमियों की सुविधा के लिए एक ऑनलाइन क्लियरेंस एवं समर्थन नेटवर्क का भी गठन किया जाएगा जो सभी संबंधित विभागों और संगठनों को आपस में जोड़ेंगे।
(ग) उपरोक्त को एक केन्द्रियकृत हेल्पडेस्क एवं कॉल सेंटर द्वारा मदद दी जाएगी, जिनमें समुचित संखया में प्रशिक्षित कर्मी होंगे जो चौबीसों घण्टे एवं सातों दिन के आधार पर लोगों के फोन कॉल एवं ई-मेल का उत्तर देंगे।
(21) वैधानिक प्रावधानों से संबंधित विशेष प्रोत्साहन
स्वतः प्रमाणीकरण का एक प्रावधान होगा तथा सॉफ्टवेयर इकाइयों को निम्नलिखित से
छूट दी जाएगी।
निम्नलिखित छूट विभिन्न कानूनों के दायरे में आईटी/आईटीईएस/ईएचएम इकाईयों को मिलेगी
फार्म रखने के लिए स्वतः प्रमाण पत्र देने की अनुमति होगी :-
• मजदूरी भुगतान अधिनियम
• न्यूनतम मजदूरी अधिनियम
• वर्कर भुगतान अधिनियम
• कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम
• ग्रेच्युटी एक्ट का भुगतान
• मातृत्व अवकाश अधिनियम
• समान पारिश्रमिक अधिनियम
• जल एवं प्रदूषण अधिनियम
• रोजगार विनिमय अधिनियम
• कंपनी अधिनियम
• कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम
• संविदा श्रम (विनियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम
(22) अन्य प्रोत्साहन /लाभ
(1) विद्यालय स्तर पर आई.सी.टी.
(2) महाविद्यालय स्तर पर आई.सी.टी.
(3) बिहार नॉलेज सोसाइटी
ज्ञान आधारित समाज की स्थापना सूचना प्रौद्योगिक और अन्य तकनीकी प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए बिहार नॉलेज सोसायटी की स्थापना की जायेगी । बिहार नॉलेज सोसायटी द्वारा राज्य सरकार 5 नये सूचना प्रौद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान जिलों में खोलेगी । सूचना प्रौद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान द्वारा कंप्यूटर साक्षरता और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अल्पावधि पाठ्यक्रम (6 माह) का संचालन बेरोजगार युवकों को रोजगार प्रदान करने हेतु पीपीपी मोड के माध्यम से किया जायेगा ।
इन प्रशिक्षण केन्द्रों को सरकार द्वारा अनुदान/रियायते दी जाऐगी ।
(4) आई.टी. के लिए उत्कृष्ट केन्द्रों की स्थापना
सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट केन्द्रों की स्थापना के लिए एक टास्क फोर्स की स्थापना राज्य में स्थापित तकनीकी संस्थानों को उत्कृष्ट केन्द्रों के तौर पर स्थापित करने के लिए टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम के मदद से की जायेगी । प्रत्येक उत्कृष्ट केन्द्र द्वारा नजदीकी आई.टी.आई. और डिप्लोमा कॉलेज को स्थापित किया जाएगा । 46 कॉलेजों का चयन उत्कृष्ट केन्द्रों के स्थापना के लिए किया जायेगा ।
(5)अन्य प्रमुख क्षेत्र
(1) शासकीय ढाँचा
राज्य सरकार की यह मंशा है कि सचिवालय को ग्रामीण स्तर तक जोड़ा जाए। बी.एस.वैन.का इस्तेमाल विभिन्न विभागों और संस्थाओं द्वारा नागरिक सुविधा प्रदान करने में किया जाएगा।
एन.ई.जी.पी. कोर आधारभूत संरचना के तहत बी. एस.वैन का लक्ष्य राज्य एवं ज़िला मुखयालय के बीच 4 एम.बी. पी. एस.तथा ज़िला एवं प्रखण्ड मुखयालय के बीच 2 एम.बी. पी. एस.क्षैतिज कनेक्द्गान देने का है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, बिहार सरकार, ने राज्य के विभागों के अधिक बैण्डविथ की ज़रूरतों को पूरा करने हेतु आवश्यक कदम उठाए हैं, और यह सभी विभागीय कार्यालयों को क्षैतिज कनेक्टिविटी के द्वारा निकटवर्ती बी.एस.वैन. पी.ओ.पी. से जोड़ने हेतु भी कदम उठा रही है। बी.एस. वैन. के द्वारा सभी प्रखंडों को ज़िलों तक भी जोड़ा जाएगा। इसी प्रकार सभी निदेशालयों को भी उनके संबंधित कार्यालयों से इसी तरह की संप्रेषण सुविधा दी जाएगी।
राज्य सरकार द्वारा उच्च क्षमता, विश्वसनीय एवं सुरक्षित सूचना प्रावैधिकी आधारभूत संरचना की स्थापना की जायेगी। इस दिशा में स्टेट डाटा सेन्टर/स्टेट पोर्टल एवं एस.एस.डी.जी. का कार्य प्रारम्भ भी हो चुका है।
सभी विभागों की ये योजना है कि सभी सरकारी आदेशों , योजनाओं,फार्मों निविदा इत्यादि को सामान्य वेब पोर्टल पर रखा जाए। सी.एस.सी. नागरिकों को विभिन्न विभागों के दस्तावेजों को ऑनलाइन फाइल करनें की सुविधा दिलाएगा।
(2) ई-सरकार अंतर कार्यकारी ढाँचा और खुले मानक
सूचना प्रावैधिकी विभाग राज्य में आई.टी. मानकों को समान रूप से विकसित और लागू करने के लिये कदम उठायेगी । यह सुनिश्चित किया जायेगा कि ये मानक हार्डवेयर केन्द्रित और विक्रेता निर्भर नहीं हो । इन मानकों, टेम्पलेट्स और डेटा स्वरूपों के विशेषज्ञों के दल, जिसमें सरकार, आई.टी. कंपनियों, शिक्षा, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और उपयोगकर्ताओं/हितधारकों के द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार कराया जायेगा । मुक्त स्रोंत और खुले मानक समाधान के उपयोग को प्रोत्साहित किया जायेगा ।
(3) क्षमता निर्माण एवं परिवर्तन प्रबंधन
क्षमता निर्माण ई-शासन योजना के लिए आवश्यक तत्व है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि क्षमता निर्माण कार्यक्रम के नतीजे निम्नलिखित के अनूरूप हों
• चिन्हित स्टेकहोल्डरों के आवश्यक प्रशिक्षण का प्रावधान सुनिश्चित हो
• राज्य ई-शासन मिशन टीम का गठन कर ई-शासन को लागू करने हेतु संस्थागत क्षमता का निर्माण करना।
• सभी सरकारी विभाग पंचवर्षीय आइ.टी. योजना तैयार करेंगे, जिसमें प्रतिवर्ष आइ.टी. आधारभूत संरचना में निवेश ,कर्मियों के प्रशिक्षण का वार्षिक ब्यौरा दिया जाएगा। ये योजना राष्ट्रीय ई-शासन योजना के अनुरूप होगी।
• सभी सरकारी विभाग अपने कुल बजट का 3 प्रतिशत बजट एवं एक नोडल अधिकारी को चिन्हित करेंगे जो आइ.टी. परियोजनाओं के संदर्भ में सूचना प्रावैधिकी विभाग से समन्वय
करेंगे।
(4) एम-शासन अंगीकरण
राज्य सरकार के विभागों द्वारा एम-शासन के सुविस्तृत स्वीकरण को G2C, C2C और C2G जानकारी की लेन-देन वास्तविक समय में प्राप्त की जा सकती है, जिससे कि SMS द्वारा स्वतः कहीं भी, कभी भी, किसी को भी इस विधि द्वारा तत्काल नागरिक सेवायें उपलब्ध करायी जा सकती है । बिहार सरकार प्रबंधित सेवा मॉडल पर एम-शासन प्लेटफार्म की परिकल्पना करती है, जो एक छोटी अवधि में बहुत जल्दी कायान्वित किया जा सकें ।
(5) हरित क्रांति को बढ़ावा
बिहार सरकार अपने वातावरण के प्रति जिम्मेवारी से अच्छी तरह अवगत है और हरित आई.टी. का बढ़ावा के लिये निम्नलिखित के लिए प्रतिबद्ध हैः-
संसाधनों का प्रयोग करना ।
(6) ई-शासन की निगरानी
एस.ई.जी.पी. एक शीर्ष समूह है, जिसका गठन माननीय मुख्य मंत्री की अध्यक्षता में राज्य को दृष्टि, नीति एवं दिशा देने के लिए किया गया है।इस समिति में राज्य सरकार के संबंधित विभागों के पदाधिकारीयों के अतिरिक्त सूचना प्राधौगिकी से जुड़े राज्य एवं राज्य के बाहर के विशेषज्ञ रहेगें, जिनका मनोनयन मुख्य मंत्री, बिहार, द्वारा किया जायेगा।सभी विभाग नियमित आधार पर इस समिति के लिए आई.टी.परियोजनाओं के निष्पादन पर व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बाध्य होंगे।
एस.इ.जी.पी. स्टीयरिंग परिषद् का गठन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आई. टी. को
रणनीतिक दिशा देने एवं संबंधित निर्णय लेने हेतु किया गया है। सभी विभाग को नियमित
रूप से इस समिति को आईटी परियोजनाओं के निष्पादन पर व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करना आवश्यक होगा । इस शीर्ष समिति के सदस्य निम्नलिखित हैं:
• मुख्य सचिव- अध्यक्ष
• विकास आयुक्त- उपाध्यक्ष
• प्रधान सचिव, वित्त- सदस्य
• प्रधान सचिव, कार्मिक विभाग- सदस्य
• प्रधान सचिव, योजना एवं विकास- सदस्य
• प्रधान सचिव, सूचना प्रावैधिकी- सदस्य
• एस. आइ. ओ. एन. आइ. सी.- सदस्य
• तकनीकी परामर्शदाता- सदस्य
1. विभिन्न जलवायु तत्व जैसे वर्षा, जल की उपलब्धता एवं मिट्टी की उर्वरक दशा पर डाटाबेस;
2. भूमि उपयोग प्रबंधन, कृषि कार्य एवं लोक स्वास्थ्य हेतु डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली एवं प्रबंधन सूचना प्रणाली;
3. कृषि विस्तार तथा अन्य जागरुकता संबंधी कार्यक्रमों के क्षेत्र में द्गिाक्षण एवं प्रशिक्षण कार्य हेतु मल्टीमीडिया सुविधा प्रदान करना।
वायरलेस टावर ये जोड़ा जाएगा। फेज-3में प्री. वाइ. मैक्स/वाइ. मैक्स परिदृश्य के तहत इन ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा।
एक लाख रोज़गार योग्य युवाओं को आइ.टी. के क्षेत्र में रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराना है। यह भी अनुमानित है कि अगले तीन वर्षों में इससे तीन लाख अप्रत्यक्ष
रोज़गार भी सृजित होगा।
बुनियादी सुविधाओं की समुचित उपलब्धता व्यापारिक गतिविधियों के सुचारू संचालन हेतु एक दूसरा ज़रूरी तत्व है। इन ज़रूरतों को पूरा करने हेतु बिहार में व्यापारिक और सामाजिक आधारभूत संरचना में महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता है।
सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी सहायी सेवा उद्योग के परिपेक्ष्य में व्यापारिक गतिविधियों हेतु मुख्य बुनियादी आवश्यकताओं में संचार, विश्व स्तरीय कार्यालय हेतु समुचित स्थान, जहां नियमित बिजली, पानी की व्यवस्था हो तथा जो वायुमार्ग से जुड़ा हो, आवश्यक तत्व हैं। दूसरे संबंधित तत्वों में घरेलू रियेल इस्टेट, रिटेल एवं हॉस्पिटैलिटी आवश्यक हैं। इस संदर्भ में की गईं मुख्य योजनाएं निम्नलिखित हैं।
(1) वायुमार्ग संपर्क
राज्य को सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी सहायी सेवा के अनुकूल बनाने हेतु वायुमार्ग संपर्क आवश्यक है। पटना एवं गया का संपर्क मुख्य राष्ट्रीय और चुने हुए अन्तर्राष्ट्रीय स्थानों से बढ़ाया जाएगा। हवाई अड्डों पर सुविधाओं को बढ़ाने में निवेश किया जाएगा। देद्गा के विभिन्न शहरों के बीच निजी कंपनियों द्वारा एयर टैक्सी के संचालन को प्रोत्साहित किया जाएगा।
(2) सड़क संपर्क
हवाई अड्डों और रेलवे स्टेद्गानों को आइ.टी. पार्क से जोड़ने हेतु संपर्क सड़क का निर्माण किया जाएगा, ताकि कम समय में यात्रा की जा सके। इन सड़क नेटवर्क के विकास करने हेतु मूल्य वर्धित सेवा जैसे अन्तर्राष्ट्रीय सतर की सुविधा, होटल, रेस्त्रां,पेट्रोल पंप, आकस्मिक सेवा इत्यादि भी विकसित की जाएगी।
(3)विद्युत् आपूर्ति
लोक एवं निजी क्षेत्रों में नई विद्युत परियोजनाओं को प्रोत्साहन देकर आइ.टी. उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा किया जाएगा। वैसी आइ.टी. इकाईयां जो अपना कैप्टिव पावर प्लांट विकसित करेंगी, उन्हें सुविधा और प्रोत्साहन दिया जाएगा।
(4) विश्वसनीय सम्प्रेषण लिंक
राज्य सरकार सभी आइ.टी. पार्कों हेतु विश्व सनीय टेलिकॉम सेवा प्रदाताओं को उच्च द्गाक्ति का टेलीकॉम संप्रेषण लिंक लगाने को प्रोत्साहित करेगी। चुने हुए स्थानों में बेस स्टेद्गान तथा नेटवर्क उपकरण लगाने को प्राथमिकता दी जाएगी। ऑप्टिक फाइबर बिछाने तथा टावर लगाने के सही तरीके सुनिश्चित करने हेतु सिंगल विंडो प्रणाली स्थापित की जाएगी।
(5) घरेलु लियल इस्टेट
निजी क्षेत्रों को उच्च कोटि का आवासीय परिसर निर्मित करने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसमें पर्याप्त खुली जगह, खेल का मैदान तथा पार्किंग उपलब्ध हों। आइ.टी. पार्कों के आस पास कर्मचारियों एवं उनके परिवार के रहने हेतु घरेलू इकाई का निर्माण किया जाएगा।
(6) रिटेल एवं मनोरंजन हेतु केंद्र
बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर, मॉल, 5 एवं 7 सितारा होटल, कैफे, आधुनिक रेस्त्रां, आधुनिक सिनेमाघर एवं मल्टीप्लेक्स खोलने को प्रोत्साहित किया जाएगा। ये सुविधाएं सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी सहायी सेवाओं के कर्मचारियों की मनोरंजन की जरूरतों को पूरा करने हेतु होगा।
7. महत्वपूर्ण सूचनाएं
सूचना प्रावैधिकी विभाग की अध्यक्षता में गठित समिति के निर्णय द्वारा सुलझाये जायेगें ।
स्रोत: सूचना व संचार मंत्रालय, बिहार
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
डिजिटल इंडिया की परिकल्पना को बताया गया है|
इसमें उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी नीति की जानक...
इस पृष्ठ में यूनिफाइड मोबाइल एप्लीकेशन फॉर न्यू-एज...
इस पृष्ठ में सीएससी के माध्यम से आई-स्कॉलर सेवा की...