संक्षिप्त नाम, 1. इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम सूचना का विस्तार और प्रारंभ| अधिकार, 2005 है|
२. इसका विस्तार जम्मू –कश्मीर राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर है|
3. धारा 4 की उपधारा(1), धारा 5 की उपधारा (1) और उपधारा (२), धारा 12, धारा 13, धारा 15, धारा 16, धारा 24, धारा 27 और धारा 28 के उपबंध तुरंत प्रभावी होंगे और इस अधिनियम के शेष उपबंध इसके अधिनयम के एक सौ बीसवें दिन को प्रवृत होंगे|
इस अधिनियम में जब तक की सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,
क) “समुचित सरकार” से किसी ऐसे लोंक प्राधिकरण के सम्बन्ध में जो-
1.केन्द्रीय सरकार या संघ राज्यक्षेत्र द्वारा स्थापित, गठित, उसके स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या उसके द्वारा प्रत्यक्ष रूप से या आप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा पूर्णतया वित्त-पोषित किया जाता है, केन्द्रीय सरकार अभिप्रेत है|
२.राज्य सरकार द्वारा स्थापित, गठित उसके स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या उसके द्वारा प्रत्यक्ष रूप से या आप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा पूर्णतया वित्त-पोषित किया जाता है, केन्द्रीय सरकार अभिप्रेत है|
ख) “केन्द्रीय सूचना आयोग” से धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन गठित केन्द्रीय सूचना आयोग अभिप्रेत है|
ग) “केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी” से उपधारा (1) के अधीन नियुक्त केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत धारा 5 की उपधारा (२) के अधीन इस प्रकार पदाभिहित कोई केन्द्रीय सहायक लोक सुचना अधिकारी भी है|
घ) “मुख्य सुचना आयुक्त” और “सुचना आयुक्त” से धारा 12 की उपधारा (3) के अधीन नियुक्त मुख्य सुचना आयुक्त और सुचना आयुक्त अभिप्रेत हैं| 25
ङ) “सक्षम प्राधिकारी” से अभिप्रेत है-
1) किसी राज्य की विधानसभा या ऐसी सभा वाले सभी किसी राज्यक्षेत्र की दशा में अध्यक्ष और राज्य सभा या विधान परिषद् की दशा में सभापति,
2) उच्चतम न्यायालय की दशा में भारत का मुख्य न्यायमूर्ति,
3) किसी उच्च न्यायालय की दशा में उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति, 30
4) संविधान द्वारा या उसके अधीन स्थापित या गठित अन्य प्राधिकरणों की दशा में, यथास्थिति, राष्ट्रपति या राज्यपाल
5) सविधान के अनुच्छेद 239 के अधीन नियुक्त प्रशासक.
च) “सुचना” से किसी रूप में कोई ऐसी सामग्री, जिसके अंतर्गत किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में धारित अभिलेख, दतावेज, ज्ञापन, ई-मेल, मत, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लागबुक संविदा, रिपोर्ट, कागजपत्र, नमूने, माडल, आंकड़ों सम्बन्धी सामग्री और किसी प्राइवेट निकाय से सम्बन्धित ऐसी सुचना सम्मिलित है, जिस तक तत्समय प्रवृत किसी अन्य विधि के अधीन किसी लोंक प्राधिकारी की पहुँच हो सकती है, अभिप्रेत है, 35
छ) “विहित” से यथास्थिति समुचित सरकार या सक्षम प्राधिकारी द्वारा अधिनियम के अधीन बनाये गे नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है,
ज) “लोक प्राधिकारी” से-
5. क) संविधान द्वारा या उसके अधीन,
ख) संसद द्वारा बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा,
ग) राज्य विधान मंडल द्वारा बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा,
घ) समुचित सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना य किये गये आदेश द्वारा, स्थापित या गठित कोई प्राधिकारी य निकाय य स्वायत सरकारी संस्था अभिप्रेत है,
10 और इसके अंतर्गत समुचित सरकार के स्वामित्वाधीन, नियत्रणाधीन या उसके द्वारा प्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई गई विधियों द्वारा, -
1) पूर्णतया वित्त-पोषित कोई गैर सरकारी संगठन ,
2) कोई अन्य निकाय भी है,
झ) “अभिलेख” में निम्नलिखित सम्मिलित हैं-
1) कोई दस्तावेज, पांडुलिपि और फाइल,
2) किसी दस्तावेज की कोई माइक्रोफिल्म, माइक्रोफिच या प्रतिकृति प्रति
15 3) ऐसी माइक्रोफिल्म में समाविष्ट प्रतिविम्ब या प्रतिविम्बों का पुनरुत्पादन)चाहे वर्धित रूप में हो या न हो), और
4) किसी क्म्प्यूटर द्वारा या किसी अन्य मुक्ति द्वारा उत्पादित कोई अन्य सामग्री,
संक्षिप्त “सूचना का अधिकार” से इस अधिनियम के अधीन पहुँच योग्य सूचना का, जो किसी लोंक प्राधिकारी द्वारा या उसके नियंत्रणाधीन धारित है, अधिकार सम्मिलित है-
20 अधिकार सम्मिलित है-
1) कृति, दस्तावेज, अभिलेखों का निरीक्षण,
2) दस्तावेजों या अभिलेखों के टिप्पण, उद्धारण या प्रमाणित प्रतिलिपि लेना,
3) सामग्री के प्रमाणित नमूने लेना,
25 4) डिस्केट, फ्लापी , टेप, वीडयो कैसेट के रूप में या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिकरीति में या प्रिंटआऊट के माध्यम से सूचना को, जहाँ ऐसी सुचना किसी कम्प्यूटर या किसी अन्य युक्ति में भंडारित की जाती है, अभिप्रेत करना, या
ट) “राज्य सुचना आयोग” से धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन गठित रजी सूचना आयोग अभिप्रेत है,
ठ) “राज्य मुख्य सूचना आयुक्त” और “राज्य सूचना आयुक्त” से धारा 15 की उपधारा (3) के अधीन नियुक्त राज्य मुख्य सूचना आयुक्त” और राज्य सूचना आयुक्त अभिप्रेत भी है,
ड) “राज्य लोक सूचना अधिकारी” से उपधारा (1) के अधीन पदाभिहित राज्य लोक सूचना अधिकारी अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत धारा 5 की उपधारा (२) के अधीन इस प्रकार पदाभिहित राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी भी है,
35 ढ) “तीसरा पक्षकार” से सूचना के लिए अनुरोध करने वाले व्यक्ति कोई नागरिक अभिप्रेत है, और इसके अंतर्गत कोई लोंक प्राधिकारी भी है|
स्रोत:- सूचना का अधिकार विधेयक, 2005, जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची|
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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