(1) केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, साइबर अपील अधिकरण नामक एक या अधिक अपील अधिकरणों की स्थापना करेगी ।
(2) केन्द्रीय सरकार, उपधारा (1) में निर्दिष्ट अधिसूचना में, वे विषय और स्थान भी विनिर्दिष्ट करेगा, जिनके संबंध में साइबर अपील अधिकरण अधिकारिता का प्रयोग करेगा ।
(1) साइबर अपील अधिकरण, अध्यक्ष और उतने अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा जिन्हें केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियुक्त करे;
परन्तु सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 के प्रारंभ के ठीक पूर्व इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन साइबर अपील अधिकरण के पीठासीन अधिकारी के रूप में नियुक्त व्यक्ति सूचना प्रौद्योगिकी (सशोधन) अधिनियम 2008 द्वारा यथासशोधित इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन उस साइबर अपील अधिकरण के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया समझा जाएगा ।
(2) साइबर अपील अधिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन, केन्द्रीय सरकार द्वारा भारत के मुख्य न्यायमूर्ति के परामर्श से किया जाएगा ।
(3) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए
(क) साइबर अपील अधिकरण की अधिकारिता, शक्तियों और प्राधिकार का प्रयोग उसकी न्यायपीठों द्वारा किया जा सकेगा;
(ख) किसी पीठ का गठन, साइबर अपील अधिकरण के अध्यक्ष द्वारा, ऐसे अधिकरण के एक या दो सदस्यों से, जो अध्यक्ष उपयुक्त समझे किया जा सकेगा;
(ग) साइबर अपील अधिकरण की न्यायपीठों की बैठक नई दिल्ली और ऐसे अन्य स्थानों पर होगी, जो केन्द्रीय सरकार, साइबर अपील अधिकरण के अध्यक्ष के परामर्श से, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे;
(घ) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, उन क्षेत्रों को विनिर्दिष्ट करेगी जिनके संबंध में साइबर अपील अधिकरण की प्रत्येक न्यायपीठ अपनी अधिकरिता का प्रयोग कर सकेगी ।
(4) उपधारा (3) में अंतर्विष्ट किसी बातके होते हुए भी, साइबर अपील अधिकरण का अध्यक्ष, ऐसे अधिकरण के किसी सदस्य का एक न्यायपीठ से दूसरी न्यायपीठ में स्थानांतरण कर सकेगा।
(5) यदि साइबर अपील अधिकरण के अध्यक्ष या सदस्य को किसी मामले यी विषय की सुनवाई सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 द्वारा विलोपित। के किसी प्रक्रम पर यह प्रतीत होता है कि मामला या विषय ऐसी प्रकृति का है कि उसे अधिक सदस्यों से मिलकर बनने वाली किसी न्यायपीठ द्वारा सुना जाना चाहिए, तो उस मामले या विषय को अध्यक्ष द्वारा ऐसी न्यायपीठ को जो अध्यक्ष उचित समझे अतरित किया जा सकेगा।
(1) कोई व्यक्ति साइबर अपील अधिकरण के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए तभी अहित होगा जब वह किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश है या रहा है या न्यायाधीश होने के लिए अहित है ।
(2) साइबर अपील अधिकरण के सदस्यों को, उपधारा (3) के अधीन नियुक्त किए जाने वाले न्यायिक सदस्य के सिवाय, केन्द्रीय सरकार द्वारा सूचना प्रौघोगिकी, दूरसंचार, उद्योग, प्रबंध या उपभोक्ता मामलों का विशेष ज्ञान और वृत्तिक अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से नियुक्त किया जाएगा;
परन्तु किसी व्यक्ति को सदस्य के रूप में तभी नियुक्त किया जाएगा जब वह केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार की सेवा में है या रहा है और उसने भारत सरकार के अपर सचिव का पद या केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार में कोई समतुल्य पद एक वर्ष से अमृत की अवधि के लिए अथवा भारत सरकार में संयुक्त सचिव का पद या केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार में कोई समतुल्य पद सात वर्ष से अन्यून की अवधि के लिए धारण किया होI
(3) साइबर अपील अधिकरण के न्यायिक सदस्यों को केन्द्रीय सरकार द्वारा ऐसे व्यक्तियों में से नियुक्त किया जाएगा जो भारतीय विधिक सेवा का सदस्य है या रहा है और उसने अपर सचिव का पद एक वर्ष से अन्यून की अवधि के लिए या उस सेवा का श्रेणी- 1 पद पाँच वर्ष से अन्यून की अवधि के लिए धारण किया है ।
(1) साइबर अपील अधिकरण का अध्यक्ष या सदस्य उस तारीख से, जिसको वह अपना पदभार ग्रहण करता है, पांच वर्ष की अवधि के लिए या उसके पैंसठ वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, इनमें से जो भी पूर्वतर हो पद धारण करेगा ।
(2) साइबर अपील अधिकरण के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में किसी व्यक्ति को नियुक्त करने से पूर्व केन्द्रीय सरकार अपना यह समाधान करेगी कि उस व्यक्ति का कोई ऐसा वित्तीय या अन्य हित नहीं है जिससे ऐसे अध्यक्ष या सदस्य के रूप में उसके कृत्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है ।
(3) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के किसी अधिकारी को साइबर अपील अधिकरण के, यथास्थिति अध्यक्ष या सदस्य के रूप में उसके चयन पर अध्यक्ष या सदस्य के रूप में पदभार ग्रहण करने से पूर्व सेवानिवृत्त होना होगा ।
साइबर अपील अधिकरण के अध्यक्ष या सदस्य को, संदेय वेतन और भत्ते तथा उसकी सेवा के अन्य निबंधन और शर्ते जिनके अंतर्गत पेंशन, उपदान और अन्य सेवानिवृत्ति फायदे भी हैं, ऐसे होंगे जो विहित किए जाए ।
साइबर अपील अधिकरण के अध्यक्ष को, उस अधिकरण के कामकाज के संचालन में साधारण अधीक्षण और निदेशन की शक्तियां होंगी और वह अधिकरण की बैठकों की अध्यक्षता करने के अतिरिक्त अधिकरण की ऐसी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे कृत्यों का निर्वहन करेगा जो विहित किए जाएं ।
जहां न्यायपीठों का गठन किया जाता हैं, है। वहां साइबर - अपील अधिकरण का अध्यक्ष, आदेश द्वारा, न्यायपीठों के बीच उस अधिकरण के कारबार और प्रत्येक न्यायपीठ द्वारा कार्रवाई किए जाने वाले मामलों का भी वितरण कर सकेगा ।
पक्षकारों में से किसी पक्षकार के आवेदन पर और पक्षकारों को सूचना के पश्चात् तथा ऐसे पक्षकारों में से किसी की, जिनकी सुनवाई करना वह समुचित समझे या स्वप्रेरणा से ऐसी सूचना के बिना, सुनवाई करने के पश्चात् साइबर अपील अधिकरण का अध्यक्ष किसी न्यायपीठ के समक्ष लंबित किसी मामले को, निपटान के लिए किसी अन्य न्यायपीठ को अंतरित कर सकेगा ।
यदि दो सदस्यों से मिलकर बनने वाली किसी न्यायपीठ के संदस्यों की किसी प्रश्न पर राय में मतभेद है तो वे उस प्रश्न या उन प्रश्नों पर, जिन पर उनमें मतभेद है, कथन करेंगे और साइबर अपील अधिकरण के अध्यक्ष को निदेश करेंगें जो स्वयं उस प्रश्न या उन प्रश्नों की सुनवाई करेगा और ऐसे प्रश्न या प्रश्नों का विनिश्चय ऐसे सदस्यों के बहुमत की राय के अनुसार किया जाएगा, जिन्होंने मामले की सुनवाई की है, जिसके अंतर्गत वे सदस्य भी हैं, जिन्होने मामले की पहते सुनवाई की थी ।
यदि साइबर अपील अधिकरण के यथास्थिति, अध्यक्ष या सदस्य के पद में अस्थायी अनुपस्थिति से भिन्न कारण से कोई रिक्ति होती है तो केन्द्रीय सरकार, उस रिक्ति को भरने के लिए इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार किसी अन्य व्यक्ति की नियुक्ति करेगी और साइबर अपील अधिकरण के समक्ष कार्यवाहिया उस प्रक्रम से चालू रखी जा सकेगी जिस पर रिक्ति भी जाती है ।
(1) साइबर अपील अधिकरण का अध्यक्ष या सदस्या केन्द्रीय सरकार को संबोधित स्वहस्ताक्षरित लिखित सूचना द्वारा अपने पद का त्याग कर सकेगा;
पंरतु उक्त अध्यक्ष या सदस्य, जब तक कि उसे केन्द्रीय सरकार द्वारा उससे पहले पद का त्याग करने के लिए अनुज्ञात न किया गया हो, ऐसी सूचना की प्राप्ति की तारीख से तीन मास की समाप्ति तक या उसके उत्तरवर्ती के रूप में सम्यकंत; नियुक्त व्यक्ति के पद-ग्रहण करने तक या उसकी पदावधि की समाप्ति तक जो भी पूर्वतम हो, अपना पद धारण करता रहेगा।
(2) साइबर अपील अधिकरण के अध्यक्ष या सदस्य को, उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश द्वारा की गई ऐसी जांच के पश्चात, जिसमें संबद्ध अध्यक्ष या सदस्य को उसके विरुद्ध आरोपों की सूचना दे दी गई हो और आरोपों की बाबत सुनवाई का उचित अवसर दे दिया गया हो साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर, केन्द्रीय सरकार द्वारा किए गए आदेश से ही उसके पद से हटाया जाएगा, अन्यथा नहीं ।
(3) केन्द्रीय सरकार, पूर्वोक्त अध्यक्ष या सदस्यों के कदाचार या असमर्थता के अन्वेषण की प्रक्रिया को नियमों द्वारा विनियमित कर सकेगी ।
अपील अधिकरण का गठन करने वाले आदेश का अंतिम होना और उसकी कार्यवाहियों का अविधिमान्य न होना
केन्द्रीय सरकार का साइबर अपील अधिकरण के अध्यक्ष या सदस्या के रूप में किसी व्यक्ति की नियुक्ति करने वाला कोई आदेश किसी भी रीति से प्रश्नगत नहीं किया जाएगा और साइबर अपील अधिकरण का कोई कार्य या उसके समक्ष कार्यवाही केवल इस आधार पर किसी भी रीति से प्रश्नगत नहीं की जाएगी कि साइबर अपील अधिकरण के गठन में कोई दोष है ।
(1) केन्द्रीय सरकार, साइबर अपील अधिकरण को उतने, अधिकारी और कर्मचारी उपलब्ध कराएगी जितने वह सरकार उचित समझे ।
(2) साइबर अपील अधिकरण के अधिकारी और कर्मचारी, अध्यक्ष के साधारण अधीक्षण के अधीन अपने कृत्यों का निर्वहन करेंगे ।
(3) साइबर अपील अधिकरण के अधिकरियों और कर्मचारियों के वेतन और भत्ते तथा उनकी सेवा की अन्य शर्ते वे होंगी जो विहित को जाए ।
(1) उपधारा (2) में जैसा उपबंधित है उसके सिवाय, इस अधिनियम के अधीन नियंत्रक या न्यायनिर्णायक अधिकारी द्वारा किए गए किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति, उस साइबर अपील अधिकरण को अपील कर सकेगा, जिसकी उस विषय पर अधिकारिता है ।
(2) न्यायनिर्णायक अधिकारी द्वारा पक्षकारों की सहमति से किए गए किसी आदेश के विरुद्ध अपील साइबर अपील अधिकरण को नहीं होगी ।
(3) उपधारा (1) के अधीन प्रत्येक अपील, उस तारीख से, जिसको नियंत्रक या न्यायनिर्णायक अधिकारी द्वारा किए गए आदेश की प्रति व्यथित व्यक्ति द्वारा प्राप्त की जाती है, पैतालीस दिन की अवधि के भीतर फाइल की जाएगी और वह ऐसे प्ररूप में होगी और उसके साथ उतनी फीस होगी जो विहित की जाए;
परंतु साइबर अपील अधिकरण, उक्त पैंतालीस दिन की अवधि की समाप्ति के पश्चात् अपील ग्रहण कर सकेगा यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि उक्त अवधि के भीतर उसे फाइल न किए जाने के लिए पर्याप्त कारण था ।
(4) साइबर अपील अधिकरण, उपधारा (1) के अधीन अपील की प्राप्ति पर, अपील के पक्षकारो को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात्, उस आदेश पर जिसके विरुद्ध अपील की गई है उसकी पुष्टि उपान्तरण या अपास्त करने वाला ऐसा आदेश पारित करेगा जो वह उचित समझे ।
(5) साइबर अपील अधिकरण, अपने द्वारा किए गए प्रत्येक आदेश की एक प्रति अपील के पक्षकारों और संबंधित नियंत्रक या न्यायनिर्णायक अधिकारी को भेजेगा ।
(6) उपधारा (1) के अधीन साइबर अपील अधिकरण के समक्ष फाइल की गई अपील यथासंभव शीघ्र निपटाई जाएगी और अपील की प्राप्ति की तारीख से छह मास के भीतर अपील को अंतिम रूप से निपटाने का प्रयास किया जाएगा ।
(1) साइबर अपील अधिकरण, सिविल प्रक्रिया सहितों, 1908 (1908 का 5) द्वारा अधिकथित प्रक्रिया से आबद्ध नहीं होगा, किन्तु नैसर्गिक न्याय के सिद्धातों से मार्गदर्शित होगा और इस अधिनियम के अन्य उपबंधो तथा किन्हीं नियमों के अधीन होगा । साइबर अपील अधिकरण, को अपनी प्रक्रिया को, जिसके अंतर्गत वह स्थान भी है जहां उसकी बैठकें होंगी, विनियमित करने की शक्ति होगी ।
(2) साइबर अपील अधिकरण को इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों के निर्वहन के प्रयोजनों लिए निम्नलिखित विषयों के संबंध में शक्तियां होंगी, जो किसी वाद का विचारण करते समय सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908(1908 का 5) के अधीन सिविल न्यायालय में निहित है अर्थात्;
(क) किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना;
(ख) दस्तावेजों या अन्य इलैक्ट्रानिक अभिलेखों को प्रकट और पेश करने की अपेक्षा करना;
(ग) शपथपत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना;
(घ) साक्षियों या दस्तावेजों की परीक्षा के लिए कमीशन निकालना;
(ड़) अपने विनिश्चयों का पुनर्विलोकन करना;
(च) किसी आवेदन को व्यतिक्रम के लिए खारिज करना या एकपक्षीय विनिश्चय करना;
(छ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाए ।
(3) साइबर अपील अधिकरण ए समक्ष प्रत्येक कार्यवाही भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 193 और धारा 228 के अर्थान्तर्गत और धारा 196 के प्रयोजनार्थ न्यायिक कार्यवाही समझी जाए और साइबर अपील अधिकरण, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973(1974 का 2) की धारा 195 और अध्याय 26 के सभी प्रयोजनों के लिए सिविल न्यायालय समझा जाएगा ।
अपीलार्थी, साइबर अपील अधिकरण के समक्ष अपना मामला प्रस्तुत करने के लिए स्वयं हाजिर हो सकेगा या एक अथवा अधिक विधि व्यवसायियों को अथवा अपने किसी अधिकारी को प्राधिकृत कर सकेगा ।
परिसीमा
परिसीमा अधिनियम, 1963 ( 1963 का 36) के उपबंध, जहां तक हो सके, साइबर अपील अधिकरण को की गई अपील को लागू होंगे ।
ऐसे किसी विषय की बाबत, जिसके सबंध में इस अधिनियम के अधीन नियुक्त कोई न्यायनिर्णायक अधिकारी या इस अधिनियम हे अधीन गठित कोई साइबर अपील अधिकरण, इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन अवधारित करने के लिए सशक्त है, कोई वाद या कार्यवाही ग्रहण करने की किसी न्यायालय को अधिकारिता नहीं होगी और इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन प्रदत्त किसी शक्ति के अनुसरण में की गई या की जाने वाली किसी कार्रवाई की बाबत किसी न्यायालय या अन्य प्राधिकारी द्वारा कोई व्यादेश अनुदत्त नहीं किया जाएगा ।
साइबर अपील अधिकरण के किसी विनिश्चय या आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति, ऐसे विनिश्चय या आदेश से उद्भूत होने वाले तथ्य या विधि के किसी प्रश्न पर साइबर अपील अधिकरण के विनिश्चय या आदेश की उसे ससूचना की तारीख से साठ दिन के भीतर उच्च न्यायालय को अपील कर सकेगा;
परंतु यदि उच्च न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि अपीलार्थी, उक्त अवधि के भीतर अपील फाइल करने से पर्याप्त कारण से निवारित किया गया था तो वह ऐसी और अवधि के भीतर, जो साठ दिन से अधिक नहीं होगी, अपील फाइल करने के लिए अनुज्ञात कर सकेगा ।
(1) इस अधिनियम के अधीन कोई उल्लंघन, न्यायनिर्णयन कार्यवाहियों के संस्थापन के पूर्व या पश्चात्, यथास्थिति, नियंत्रक या उसके द्वारा इस निमित्त विशेष रूप से प्राधिकृत किसी अन्य अधिकारी द्वारा या न्यायनिर्णायक अधिकारी द्वारा, ऐसी शर्तों के अधीन रहते जो नियंत्रक या ऐसे अन्य अधिकारी द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए, शमन किया जा सकेगा;
पंरतु ऐसी राशि, किसी भी दशा में, शास्ति की उस अधिकतम रकम से अधिक नहीं होगी, जो इस अधिनियम के अधीन इस प्रकार शमन किए गए उल्लघन के लिए अधिरोपित है ।
(2) उपधारा (1) की कोई बात, उस व्यक्ति को लागू नहीं होगी जो उसके द्वारा किए गए पहले उल्लंघन, जिसका शमन किया गया था, की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के भीतर वही या वैसा ही उल्लंघन करता है ।
स्पष्टीकरण
इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, उस तारीख से, जिसको उल्लंघन का पहले शमन किया गया था, तीन वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात् किया गया कोई दूसरा या पश्चात्वर्ती उल्लंघन पहला उल्लंघन समझा जाएगा।
(3) जहां उपधारा (1) के अधीन किसी उल्लंघन का शमन किया गया है, वहां इस प्रकार शमन किए गए उल्लंघन की बाबत उस उल्लंघन के दोषी व्यक्ति के विरुद्ध, यथास्थिति कोई कार्यवाही या अतिरिक्त कार्यवाही नहीं की जाएगी ।
इस अधिनियम के अधीन अधिरोपित कोई शास्ति या अधिनिर्णीत प्रतिकर यदि उसका संदाय नहीं किया जाता है, भू-राजस्व की बकाया के रूप में वसूल की जाएगी, और यथास्थिति, अनुज्ञप्ति या इलेक्ट्रोनिक चिन्हक प्रमाणपत्र शास्ति का संदाय किए जाने तक निलंबित रखा जाएगा ।
स्रोत: इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 8/8/2019
इस पृष्ठ में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के ...
इस भाग में केंद्रीय सूचना आयोग के गठन के बारे में ...
यह भाग राज्य सूचना आयोग के बारे में अधिक जानकारी उ...
इस भाग में प्रकीर्ण के बारे में जानकारी दी गई है।