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म्युचुअल फंड – कंस्यूमर वायस की रिपोर्ट

म्युचुअल फंड – कंस्यूमर वायस की रिपोर्ट

  1. ये जमा पूंजी कितनी सही?
  2. परिचय
  3. निवेश के मॉडल और प्रकार
    1. आक्रामक वृद्धि (संचयी रिटर्न)
    2. वृद्धि एवं आय फंड (संतुलित फंड)
    3. आय फंड (लाभांश की प्राप्ति)
    4. अनिर्धारित परिपक्वत्ता अवधि फंड (क्लोज एडं फंड)
    5. निर्धारित परिपक्वता अवधि (ओपन एंडेड फंड)
  4. इक्विटी फंड के प्रकार
    1. लार्च कैप फंड
    2. जार्ज और ग्रिड कैप फंड
    3. मिड और स्मॉल कैप फंड
    4. टैक्स (प्लानिंग) फंड
    5. इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड
    6. अंतराष्ट्रीय फंड
    7. इक्विटी लिंवड बचत योजना (ईएलएसएस)
  5. फंड योजनाएं
    1. इक्विटी फंड
    2. डेट यानी ऋण फंड (आय फंड)
    3. बचत खाता बनाम लिक्विड फंड
    4. लिक्विड फंड
    5. हाइब्रिड फंड
    6. डाइवर्सिफाइड  फंड (संतुलित फंड)
  6. सुस्पष्ट निवेश के लक्ष्य
  7. प्रभावित करने वाली पहचान के लिए बिंदु
    1. गिल्ट फंड
    2. मनी मार्केट फंड
    3. सेक्टर स्पेसिफिक/थेमैटिक पह्न्द (क्षेत्र विशिष्ट/विषयगत फंड)
    4. इंडेक्स फंड
  8. म्युचुअल फंड के बारे में मिथक (असत्य)

ये जमा पूंजी कितनी सही?

इस समय अगर आपने अधिकाँश निवेश बचत खाते या सावधि जमा में कर रखा है और आपके पासMF परिसंपत्ति के रूप में खुद का एक घर है, तो अप फायदे में कहें जाएँगे। आपकी तरह अधिकतर छोटे एवं मध्यम आम के निवेशक, खासकर मासिक वेतन पर आश्रित रहने वाले में लोग बमुश्किल ही स्टॉक्स या म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं। इसका पहला कारण जानकारी में कमी पूर्वाग्रह से ग्रसित विचार है, जहाँ रकम डूब जाने का खतरा माना जाता है। वह आलेख वैकल्पिक एवं आकस्मिक निवेश के विकल्पों में बारे में तथ्यात्मक जानकारी देने का प्रयास है, जिनकी ओर  आम निवेशक भी दे सकते हैं। इसके अंतर्गत म्युचुअल फंड  के महत्व और सहकारी मॉडल के साथ-साथ औसत उपभोक्ताओं को निवेश के बेहतर निर्णय लेने में मदद करने वाले विकल्पों और भ्रांतियों की जानकारी देना ही कंस्यूमर वायस का उद्देश्य है।

परिचय

सरलता से निवेश करने के लिए म्युचुअल’ फंड की अवधारणा इस विकल्प के साथ हुई कि ह्कोते अकांउट इस विकल्प जब चाहे स्टॉक खरीद या बेच सकते हैं। मूल रूप से म्युचुअल में दूसरे छोटे निवेशों के साथ मिलाकर एक बड़े निवेश के पुल में परिवर्तित किया जाता है। इस तरह के फंड के म्युचुअल फंड कहा जाता है, जिसमें सभी निवेशकों को खुद के द्वारा किये गए निवेश तुलना में फंड फायदा एवं साथ साथ एक समान स्तर पर नुकसान भी होता है। आश्चर्यजनक रप में आप अपने ढेर सारे निवेश के माध्यम से पोर्टफोलियो में विविधता ला सकते हैं, जिससे एक बड़ी हानि को कम किया जा सके। फंड  के पोर्टफोलियों में होने वाले उतार-चढ़ाव को लेकर आपको विशेष चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है।

पोर्टफोलियो रखने के लिए म्युचुअल फंड में कई विकल्प मौजूद होते हैं

  • सिस्टेमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी)

एसटीपी में आप एक खास म्युचुअल फंड में कुछ रकम रख सके हैं और उसके बाद निश्चित रकम को दूसरे म्युचुअल फंड में ट्रांसफर भी कर सकते हैं।

  • सिस्टेमेटिक विथ्द्र्वल प्लान (एसडब्ल्यूपी)

अगर म्युचुअल फंड निवेशक हर महीने अपनी निवेश की राशि को निकालता है अरु व्ही रकम अपने बैंक अकाउंट में डालता है, तो इसे एसडब्ल्यूपी कहा जाता है । अगर बाजार में वृद्धि दिखाई देती, तो इसे देखने के बाद निवेशक इस योजना को म्युचुअल फंड कोपर्स में लिक्विडेट के लिए आगे बढ़ा देता है।

  • सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी)

म्युचुअल फंड में मासिक रकम निवेश करने का बेहतर जरिया है, जिसमें एक निश्चित रकम आपके बैंक  अकाउंट से म्युचुअल फंड में जाती है।

  • फिक्स्ड मौच्योरिटी प्लान (एफएमपी)

बैंक  में सावधि जमा की तरह फिक्स्ड मौच्योरिटी प्लान होता है जिसमें कुछ शर्तें भी होती है है। बैंक  फिक्स्ड रकम की परिपक्वता राशि पर किसी तरह गारंटी नहीं होती है, लेकिन एफएमपी में इस तरह क संकेत दिया जाता है। विनियामक फंड कंपनियों को रिटर्न की गांरटी नहीं देते हैं, लेकिन एफएमपी में कीच रिटर्न मिलता है। एफएमपी दरअसल ऋण योजनाएं  होती हैं और  ये कम से कम 5000 रूपये निवेश के साथ दो से तीन दिनों में खुल जाती है। एफएमपी से जिस सांकतिक रिटर्न की अपेक्षा, चालू लाभ से खर्च अनुपात (यह 0.25 से 1 फीसदी तक बदलता है) को घटाकर, निवेश कर सकते हैं।

निवेश के मॉडल और प्रकार

आमतौर पर कंपनी द्वारा निर्धारित लक्ष्य और म्युचुअल फंड की योजना के शतों के आधार पर उपभोक्ता के धन का विभीन प्रकार की इक्विटीज, ब्रांड और ऋणपत्र में निवेश किया जाता है। कुछ फंड  सोना या दूसरी परिसंपत्ति में  निवेश करते हैं।

कई प्रकार कर म्युचुअल फंड को लेकर एक औसत यह नौसिखए निवेशक असंमजस की स्थिति  में रहते हैं और साधारनतया उन्हें नहीं पता होता है  कि कहाँ निवेश करें। हालंकि अगर कोई व्यक्ति ध्यान से पढ़ना चाहे और कुछ सलाहकारों से बात करें, तो विभिन्न प्रकार के म्युचुअल फंडों में अतर का सकते हैं। बाजार के आंतरिक विशेषज्ञ के बताए रास्ते पर चलते हुए, म्युचुअल फंड निवेशक के लिए अवकाश प्राप्ति बचत को पूरक करने का बेहतर रास्ता होता है, खासकर अगर आपनी उम्र 30 वर्ष के आसपास है। आईये बाजार में चल रहे विभिन्न प्रकार के फंडों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

आक्रामक वृद्धि (संचयी रिटर्न)

आपके  पर आक्रामक वृद्धि तब लागू होती है, जब आप स्टॉक्स की खरीददारी करते हैं ,जिसमें नाटकीय वृद्धिहोने के असार रहते हैं और रिटर्न मिल सकता है। जो  निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए यह अच्छा विकल्प है। यह सलाह दी  जाती है कि अगर आप  मूल बचाना चाहते हैं तो इस विकल्प का चुनाव न करें, आप आगे बढ़ सकते हैं यदि आप अपने मूल के नुकसान को बर्दाश्त करने की क्षमता रखते हैं।

आमतौर पर आक्रामक  वृद्धि उच्च दर पर रिटर्न देती है। फंड पोर्टफोलियो बड़ी, मध्यम और छोटी कंपिनयों का मिश्रण होता है इस फंड का चुनाव स्थिर, अच्छी तरह स्तापित, ब्लू-चिप कंपिनयों सहित छोटे एवं नये  व्यवसायों में निवेश के लिए किया जाता है।  फंड मैंनेजर उन कंपिनयों के स्टॉक्स का चुनाव करता है, जिसमें लाभांश की देने के बजाय लाभ का उपयोग वृद्धि के लिए किया जाता है। यह मध्यम से लंबी अवधि के निवेश के लिए है।

वृद्धि एवं आय फंड (संतुलित फंड)

ऐसे फंड से एक साथ कई लक्ष्यों की पूर्ति होती है। ये फंड निवेशकों को संभावित वृद्धि का लाभ देने के साथ-साथ उनको वर्तमान आय का लाभ भी देते हैं। इस प्रकार के फंडों में आपकी उम्मीद के मुताबिक कई तरह के फायदे होते हैं। वृद्धि और आय फंड आपकी वर्तमान आय और उसमें बढ़ोतरी की सिमित संभावना के साथ कम से मध्यम स्थिरता होती है। आपको इस तरह के फंड लक्ष्य के साथ आराम की  स्थिति के अनुसार जोखिम की कल्पना करनी चाहिए।

आय फंड (लाभांश की प्राप्ति)

इस तरह के फंडों के निश्चित आय  की प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है। यह आपको नियमित आय की सुविधा देता है। अवकाश प्राप्त निवेशक इस तरह के फंड का फायदा उठा सकते है, क्योंकि इससे उन्हें नियमित रूप से लाभांश की प्राप्ति होगी। फंड मैंनेजर ऋणपत्रों, कंपनी के सावधि जमा आदि की खरीददारी करता है, ताकि वह आपके लिए नियमित आय की व्यवस्था कर सके। यहाँ तक कि इसे एक स्थिर विकल्प माना जाता है और इसमें बाजार में होने वाली हलचल के बावजूद जोखिम काफी कम रहता है।

अनिर्धारित परिपक्वत्ता अवधि फंड (क्लोज एडं फंड)

इस तरह के फंड में निश्चित संख्या में शेयर रहते हैं और इसकी अवधि भी निश्चित होती है। (आमतौर पर तीन से पन्द्रह वर्षों तक) यह फंड एक तय समय तक ही खुलता है और इसमें खरीददार व विक्रेता के बीच संतुलन भी होता है। इसलिए अगर कोई अपनी प्रतिभूति बेचना चाहता है, तो आप उसे खरीद सकते है। क्लोज-एंड फंड स्टॉक एक्सचेंज में भाई सूचीबद्ध है इसलिए इसे दूसरे स्टॉक की तरह खरीदा जा सकता है यह। आमतौर पर इसमें ऋणमुक्ति की भी व्यवस्था होती है, जिसका मतलब है कि इन्हें किसी निश्चित अवधि पर हटाया जा सकता है, जब निवेशक अपनी इकाइयों को  मुक्त कराना चाहता हो।

निर्धारित परिपक्वता अवधि (ओपन एंडेड फंड)

इस तरह के फंडों का विकल्प पूरे साल उपलब्ध रहता है और ये किसी स्टॉक एक्सचेंज रो सूचीबद्ध नहीं होते है म्युचुअल फंड में अधिकतर  ओपन एंडेड फंड होते हैं। निवेशकों के आपस अपने निवेश के किसी भी भाग की किसी की समय खरीद और बिक्री का विकल्प होता है, जिसमें उसे फंड की नीचल परिसंपत्ति मीली (नेट एसेट वेल्यु) से जुड़ा मूल्य मिल जाता है।

इक्विटी म्युचुअल फंडों में ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता होती है, लेकिन इनमें जोखिम ज्यादा होता है इसलिए यह योजनाएं युवा निवेशकों के लिए अधिक उचित मानी जाती है, जो लंबी अवधि के लाभ के लिए छोटी अवधि के उतार-चढाव को बर्दाश्त कर सकते अहिं। बाजार के निवेशकों के अनुसार 25 से 30वर्ष की उम्र तक के किसी भी युवा के लिए इक्विटी फंड पसंद  होना चहिए, ताकि उसका स्थायी कोष बन जाए। इक्विटी फंड में निवेश का एक और लाभ यह ही इसके लाभांश करमुक्त होते हैं।

इक्विटी फंड के प्रकार

लार्च कैप फंड

80% से अधिक निवेश लार्ज कैप कंपनियों में इसलिए किया जाता है, ताकि अच्छा लाभ प्राप्त हो सके और स्टॉक के तेजी की स्थिति में निवेश को  सहारा मिल सके।

जार्ज और ग्रिड कैप फंड

इसके तहत 60 से 80% निवेश को लार्ज कैप कंपनियों में निवेश किया जाता है। स्टॉक में अगर कोई बड़ी गिरावट होती है, तो निवेश पर मामूली प्रभाव पड़ता है।

मिड और स्मॉल कैप फंड

यह कम से कम 60% निवेश को लार्ज कैप कंपनियों में  में किया जाता  है। स्टॉक  में अगर कोई तेज गिरावट होती है, तो इसका सीधा प्रभाव पड़ता है, लेकिन जब फंड में वृद्धि होती है, तो यह भी बहुत तेजी से बढ़ता है।

टैक्स (प्लानिंग) फंड

इन फंडों में आमतौर पर एक निश्चित लॉक इन अवधि ( मानो तीन साल की दई ओपन एंडेड फंड में न बदल दिए जाए) इसके बाद इनकी खरीद-बिक्री की जा सकती है। आगे खरीददारी लॉक इन अवधि दौरान किसी भी समय भी जा सकती है। यह फंड आयकर कानून की धारा 60 (सी) के अंतर्गत छुट का लाभ देते है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड

इस प्रकार के फंडों का उपयोग केवल रियलटी  सेक्टर में निवेश के लिए किया जाता है, जो परियोजना की संरचना की लंबी अवधि ही रिटर्न देने शुरू करते हैं रिटर्न फंड द्वारा हाउस के ब्रांड और समय से परियोजना के पूरा होने पर साथ ही साथ निर्माण इकाइयों की जनता/कोर्पेरेट की बिक्री पर निर्भर करते हैं।

अंतराष्ट्रीय फंड

ये फंड 65% से अधिक देश से बाहर के निवेश को आकर्षित करते हैं।

इक्विटी लिंवड बचत योजना (ईएलएसएस)

इसके तहत आप इक्विटी बाजार में निवेश किये गये अपने धन में बढ़ोत्तरी कर सकते है और आयकर की धारा 60 सी के तहत आयकर छूट प्राप्त कर कसते हैं और करमुक्त लाभांश मिलता है। कुछ ईएलएसएस फंडों में तीन साल की लॉक अप अवधि भी हो सकती है।

फंड योजनाएं

इक्विटी फंड

जब इक्विटी फंडों में निवेश कर रहे हैं तो ऋण आधारित  फंडों से अलग आपके आस मूलधन, ब्याज की दर या अवधि के बारे में किसी प्रकार की कोई आवश्वासन नहीं होता है। जब आप इक्विटी में निवेश करते है, तो आपको उस कंपनी का मालिक आपके निवेश के अनुरूप माना जाता है जिसमें आपने निवेश कियाहै। इसलिए सामान्यतः किसी अन्य मालिक की तरह आपका लाभांश आपकी कंपनी की उपलब्धि के साथ जुड़ जाता है। कंपनी का लाभ बढ़ने के आपको इकाई का मूल्य एवं लाभ बेहतर मिलता है।

जैसे किसी उच्च जोखिम काम के साथ, इक्विटी फंड में ज्यादा बढ़ोतरी देने की क्षमता होती है। इस तरह के जोखिम के टालने के लिए म्युचुअल फंड का  विभिन्न कंपनियों में निवेश किया जाता है, जो आमतौर पर एक समान अ आपस में संबंधित सेक्टरों में नहीं होती है। इसे विविधता कहा जाता है।  लंबी अवधि में कोई भी व्यक्ति मंहगाई और छोटी अवधि में बाजार के उतार-चढ़ाव से बचना चाहता है। इक्विटी, हालंकि उतार-चढ़ाव वाली है, मंहगाई के खिलाफ बेहतर विकल्प है, बशर्तें लंबी अवधि के लिए निवेश हो।

डेट यानी ऋण फंड (आय फंड)

इस तरह के फंड ऐसे निवेश होते है, जिनमें प्रस्ताव पुस्तिका में लिखे निवेशक के उद्देश्य के अनुसार औसत मौच्योरिटी बदलती है। डेट या ऋण  म्युचुअल फंड उधार लेने मॉडल पर काम करता है। उधार लेने की निम्नलिखित परिस्थितियां शामिल रहती है।

ए) एक उचित आवश्वासन कि मूल धन और  निवेश किया गया गया छन वापस मिल जाएगा।

बी) मिलने वाला ब्याज कमाए हुए ब्याज की दर पर निर्भर करेगा (जिसे कूपन की दर भी कहा जाता है)

सी) निवेश योजना की अवधि समाप्त होने यह खत्म होने पर मूल धन वापस मिल जाएगा।

ऐसा माना जाता है कि कंपनियां, राज्य सरकारें और यहाँ तक कि केंद्र सरकार को अपनी योजनाओं को चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती है। ऐसे में वे ऋण आधारित विभिन्न उपकरण जैसे ट्रेजरी बिल, ऋणपत्रों (डिबेंचर), सरकारी प्रतिभूतियां(जी-सेक्शन) आदि प्रस्तुत करती है और म्युचुअल फंड उनके द्वारा जारी ऋण को खरीद लेते है।

डेट यानी ऋण पह्न्द आपके निवेश पोर्टफोलोयो को स्थिरता देनेमने मदद करता है क्योंकि इक्विटी फंड यह कम जोखिम वाला होता है, इसके बावजूद ये फंड लिक्विड फंड के मुकाबले ज्यादा जोखिम वाले होते है और उनका लक्ष्य नियमित रिटर्न उत्पादित का आपके मूलधन की सुरक्षा करना होता है।

यह फंड आमतौर पर सरकारी प्रतिभूतियों, अपरिवर्तित ऋणपत्रों (एनसीडी), निवेश के प्रमाण पत्र (सीडी), व्यवसायिक पत्र (सीपी), ब्रांड और अन्य नियत आय प्रतिभूतियों के साथ बड़ी संस्थाओं अथवा कॉर्पोरेट संगठनों को नियन्त ब्याज दर पर धन देने में निवेश किये जाते है। इसलिए, डेट म्युचुअल फंड में निवेश करना सबसे ठीक होगा यदि आप लिक्विड फंडों के मुकाबले मध्यम अवधि यानि तीन महीने से २ साल के दौरान संभावित उच्च रिटर्न की अपेक्षा रखते हैं।

बचत खाता बनाम लिक्विड फंड

इसमें कोई संदेह नहीं कि आपात फंड के लिहाज से बचत खाते से बेहतर कोई विकल्प नहीं होता है। जैसा की नाम से ही ज्ञात होता है, बचत खाते में उच्चतम लिक्विडिटी होती है क्यिंकि आप अपनी राशि तक बैंक या एटीएम के माध्यम से कभी पहुंच सकते हैं लेकिन अगर आपके पास आपात स्थिति में काम आने वाली राशि से अधिक फंड हैं, तो लिक्विड  फंड अच्छे विकल्प हो सकते हैं। बैंक यह प्रयास करते हैं कि  आपके पैसे मान्य ऋणमुक्ति आगरा उनको मिलने के अगले कार्यकारी दिन ही मिल जाए। वास्तव में लिक्विड फंड एक दिन से लेकर एक या दो महीने तक निवेश के लिहाज से उपयोगी माध्यम हो सकते हैं।

लिक्विड फंड

वित्तीय भाषा में कहा जाए, तो दुनिया में लिक्विड का मतलब यह होता है कि आप अपनी निवेश की गई राशि की कितनी जल्दी प्राप्त कर सकते हैं। अत्यधिक लिक्विड फंड में जोखिम का कारक कम होता है और यह आपको बचत खाते के मुकाबले ज्यादा कुछ अच्छा रिटर्न डे सकते हैं। इन फंडों को तेजी से मौच्योर होने वाले डेट प्रतिभूतियों में निवेश करना चाहिए, जिनमें जोखिम भी कम होता है। यहाँ विचार यह है कि डेट उपकरण की मैच्योरिटी जितनी नजदीक होगी, उतना ही मूलधन तथा ब्याज मिलने की उम्मीद भी बढ़ती जाएगी।

हाइब्रिड फंड

जैसा कि नाम सुझाता है, हाइब्रिड फंड परिसंपत्ति वर्गों जैसे उनके पोर्टफोलियों में डेट और इक्विटी का मिलाजुला रूप है जिन्हें डेट, मनी मार्केट उपकरणों और इक्विटी में मिश्रित रूप से निवेशित किया जाता अहि।

डाइवर्सिफाइड  फंड (संतुलित फंड)

अगर कोई निवेशक इक्विटी बाजार निवेश में जोखिम से बचना चाहता है, तो उसे संतुलित फंड का चुनाव करना चाहिए। जहाँ इक्विटी में निवेश कम होता है।

म्युचुअल फंड में निवेश की योजना , लाभ एवं नुकसान का विश्लेषण

लाभ

नुकसान

  • ज्यादादर फंड , लचीले, लिक्विड, स्पष्ट और सुरक्षित होते हैं।

 

  • फंड आपको विविधता में मदद करते हैं

 

  • फंड जमा करने या निकास के खर्च को कम करते हैं।

 

  • लाभांश पर आपको आयकर छुट का फायदा मिलता है।

 

  • पेशेवर प्रंबधन भी मौजूद रहता है।

सुस्पष्ट निवेश के लक्ष्य

सामान्य पुनःनिवेश कार्यक्रम

  • कई फंडों मने भारी फीस रहती है, जिससे समस्त रिटर्न कम हो जाते है
  • एक समय के बाद आंकड़े बताते है कि ज्यादातर सक्रिय प्रंबधित फंड औसत रूप से अपने तय मानक से कमतर प्रदर्शन करते हैं
  • म्युचुअल फंड को स्टॉक एक्सचेंज में नियमित ट्रेडिंग घंटों के दौरान न तो खरीदा जा सकत है और न ही बेचा जा सकता है लेकिन इसके बदले एक दिन में ही बार इनका मूल्य तय होता है।
  • कई बार फंड मैनेजर का रिकोर्ड किसी ख़ास फंड की सफलता या असफलता को सुनिश्चित करता है। मैनेजर  में बार-बार परिवर्तित से पहले दोषपूर्ण मिश्रण के निवेशी के फैसलों को रद्द करने की स्थिति हो सकती है।
  • निवेशों का दोषपूर्ण मिश्रण फंड को नीचे की ओर ले जाने का प्रमुख कारण होता है।

निवेश के लिहाज से कंस्यूमर वॉयस की

सिफारिश

इक्विटी फंड्स

यूटीआई इक्विटी

आईसीआईसीआई ग्रेडेशियल फोकस्ड ब्लू चिप

यूटीआईऑच्युर्निटी

डेट फंड्स

सवसे अच्छा फंड

रिलांयस रेग्युलर सेविंग्स डेट

अच्छा फंड

बिड़ला सनलाइफ डायनेगिक ब्रांड रिटेल

हमने निम्नलिखित पैरामीटर पर आधारित फंडों का मूल्यांकन और चुनाव किया है।

  1. पांच साल पर मिलने वाला रिटर्न
  2. एक समय के अंतराल पर परिसंपत्ति के प्रबन्धन का बार-बार दोहराव
  3. फंड का श्रेणीकरण (इकोनोमिक्स टाइम्स के वेल्थ-वैल्यू रिसर्च रेटिंग पर आधारित) जो समय-समय पर परिवर्तित होता है।
  4. नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) जो प्रतिदिन बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव के आधार पर बदलता है।
  5. खर्च का अनुपात (कम और बेहतर का मललब है कि फंड  को भली-भांति प्रबधन किया गया है और यह निवेशक के लिए अनुकूल है)
  6. जोखिम का निर्धारित (निवेश करने के समय)
  7. रिटर्न  की रेटिंग (फंड रिटर्न्स)
  8. निकास का भार (विवरणिका के अनुसार प्रस्तावित होल्डिंग अवधि के बाद फंड के निकास के समय) जो होल्डिंग अवधि के आधार पर एक फंड से दूसरे फंड में बदलता है।

प्रभावित करने वाली पहचान के लिए बिंदु

कंस्यूमर वॉयस की टीम ने सारे उत्पादों का अध्ययन किया और हर चिहिन्त परिवर्तनों को उनकी पहचान और प्रभावकारी तत्वों के आधार पर अंक प्रदान किए, जिन पर एक निवेशक खरीदने स पहले विचार करता है। कंस्यूमर वायस  निश्चित व चुने हुए फंड  की ओर जाने के रास्ते बताये है और  म्युचुअल फंड को पोर्टफोलियो में सारे फंडों के बारे में नहीं बताया गया है।

गिल्ट फंड

ये ऐसे म्युचुअल फंड होते है, जो केवल सरकारी प्रतिभूतियों में निवेशित किये जाते हैं। यह जोखिम से बचने की चाहत वाले और संकोची निवेशकों द्वारा पसंद किये जाते है, जो सुरक्षित सरकारी ब्रांड की छाया में निवेश करना चाहते है। चूँकि गिल्ट फंड केवल  सरकारी ब्रांड में  निवेश होते है, तो ऐसे में निवेशक ऋण जोखिम से बचे रहते हैं।

मनी मार्केट फंड

सबसे सावधान रहने वाले निवेशक मनी  मार्केट फंड का चुनाव करते हैं, जिसमें मूलधन संरक्षण का प्रबन्धन प्रमुख लक्ष्य होता है। यह बताता है कि इसमें लाभ एक विकल्प नहीं हालंकि दी जाने वाली ब्याज  की दर बैंक में जमा राशि पर मिलने याली ब्याज दर से कहीं ज्यादा हो सकती है। इस तरह के फंडों में जोखिम काफी कम होता है, लेकिन ये आपकी शुरूआती खरीद क्षमता वाले निवेश की सुरक्षा नहीं करते। पिछले कुछ वर्षों में महगाई ने खरीद क्षमता समाप्त कर देगी जब आपका धन भी महंगाई दर से सुरक्षित नहीं रहा है। यह फंड, हालांकि, अत्यधिक लिक्विड  है इसलिए आप हमेशा अपनी निवेश की रणनीति को बदलने की स्थिति में रहते हैं।

सेक्टर स्पेसिफिक/थेमैटिक पह्न्द (क्षेत्र विशिष्ट/विषयगत फंड)

इस तरह के फंड क्षेत्र विशिष्ट (जैसे सीमेंट, लोहा और स्टील आदि) में निवेशित किये जाते हैं। क्षेत्र विशिष्ट फंड का लक्ष्य पाने पूरी राशि को एक से तीन क्षेत्रों में निवेशित करना होता है। यह क्षेत्र एक दूसरे के साथ करीब से जुड़े होते हैं।

वहीं दूसरी ओर विषयगत फंड किसी एक सेक्टर से  बंधकर नहीं रहता। यह उन सारे क्षेत्रों में मौजूद रहता है, जो एक ही आम विषय ओर केन्द्रित होते है। इन फंडों के कुछ विषयों के चारों ओर आधारभूत संरचना और ग्रामीण भारत है।

इंडेक्स फंड

इस तरह के फंड इक्विटी फंड होते हैं, जो किसी खास इक्विटी इंडेक्स को दोहराते हैं उन स्टॉक में निवेश करके जो इंडेक्स को ट्रैक करते हैं। अगर आप इक्विटी म्युचुअल फंड निवेश करना चाहते हैं, लेकिन फंड मैनेजर की क्षमताओं को लेकर भरोसा नहीं है, तो इंडेक्स फंड  आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं।

म्युचुअल फंड के बारे में मिथक (असत्य)

मिथक 1: फंड केवल लंबी अवधि के लिए होते है

हाँ लंबी अवधि में थोड़ा लाभ होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता है कि म्युचुअल फंड केवल ऐसे निवेशकों के लिए हो होते है। वास्तव में कई लघु अवधि का योजनाएं भी होता है, जहाँ आप एक दिन कुछ सप्ताह के लिए निवेश कर सकते हैं।

मिथक २: म्युचुअल फंड केवल इक्विटी उत्पाद होते है

आमतौर पर लोग इक्विटी फंड के साथ म्युचुअल पह्न्द में निवेश करते हैं, लेकिन यह पूरा सच नहीं है। म्युचुअल  फंड में निवेश करने से आप इक्विटी से लेकर डेट तक सभी में निवेश कर सकते हैं। डेट के अंदर वे डेट उपकरणों में निवेश कर सकते है, जो एक दिन भी  मैच्योर हो सकता है (मनीमार्केट उपकरण के नाम से भी प्रचलित) और 1 से दस वर्षो में भी।

मिथक 3: निम्न निबल परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) के फंड के मुकाबले उच्च निबल परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) वाले फंड ज्यादा अच्छे होते हैं।

तथ्य यह है कि निवेश की राशि पर रिटर्न का प्रतिशत क्या है, इस पर गौर  किया जाता है। इसलिए किसी कम एनएवी वाले इकाईयों की ज्यादा संख्या पर ध्यान केन्द्रित करने के बजाय यह कारक विचार करने लायक है जैसे कि प्रदर्शन रिकोर्ड, फंड प्रबन्धन  और उतार-चढ़ाव जो पोर्टपोलियो रिटर्न को सुनिश्चित करते हैं।

मिथक 4: निवेश के लिए बड़ी राशि आवश्यक होती है

यह सबसे लंबे समय से स्थापित मिथक है, कोई मतलब नहीं है। ज्यादातर फंड एन 1000/- की राशि के साथ निवेश किया जा सकता है, जिसमें अधिकतम राशि की कोई सीमा नहीं होती। वास्तव में इक्विटी से जुडी बचत योजनाएं है जिसमें राशि 500/- जितनी कम होती है। साथ ही यहाँ कई मासिक या वार्षिक रखरखाव शुल्क नहीं लिया जाता ही, भले ही आप आगे निवेशक करें यह न करें। म्युचुअल फंड की विभिन्न योजनाओं में सिस्टेमेटिक प्लान की सुविधा भी होती है, जो आपको छोटी राशि से लेकर आपकी इच्चा तक लगातार निवेश की सुविधा देते हैं।

मिथक 5: डीमैट अकाउंट आवश्यक होता है

यह सही नहीं है। ऐसे कई रस्ते है, जिनके माध्यम से आप म्युचुअल फंड खरीद सकते अहिं जिनमें से कुछ इस प्रकार है

1) ऑफ़लाइन(कसी वित्तीय बिचौलियों जैसे स्वंतत्र वित्त सलाहकार, बैंक, वित्त वितरण संगठन आदि से आवेदन भरना)

2) ऑन्लाइन-कई उपलब्ध वितरकवेबसाइट्स के माध्यम से या परिसंपत्ति प्रबन्धन कंपनियों (म्युचुअल कंपनियों) के माध्यम से उनकी वेबसाइट् पर।

अगर आपके पास डीमैट अकांउट है, तो म्युचुअल फंड को दूसरे डीमैट अकाउंट के साथ समेकित है। यहाँ तक कि आप उसी मध्यस्थ के माध्यम से म्युचुअल फंड की खरीद कर सकते है, जो माध्यम स्टॉक से शेयरों की खरीद और बिक्री में आपकी मदद करता है।

मिथक 6: उच्च निबल परिसंपत्ति मूल्य वाले फंड ज्यादा ऊंचाई तक जाते है

यह बहुत सामान्य भ्रांति है क्योंकि म्युचुअल पह्न्द का कंपनियों के शेयरों के साथ सामान्य तौर पर संबंध रहता है। यदि रखे म्युचुअल फंड मैनेजर उचित समझें। यदि फंड मैनेजर को महसूस होता है कि स्टॉक शिखर पर है, तो वह उसे बेचने के लिए चुनता है।

इस मिथक की सच्चाई को अच्छी तरह से समझने के लिए आपको एनएवी को समझने की आवश्यकता है, जो कुछ नहीं है, बल्कि किसी भी दिन फंड द्वारा खरीदे गए शेयरों के बाजार मूल्य की प्रतिक्रिया मात्र है। अधिकतर संभावना है कि कई वर्षों तक अच्छे  प्रदर्शन के कारण एनएवी शिखर पर हो सकती है।

 

स्त्रोत: उपभोक्ता कार्यों के मंत्रालय, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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