मिसाइल निर्भय का प्रक्षेपण
भारत ने दिनांक 17 अक्टूबर 2014 को सब सॉनिक क्रूज मिसाइल निर्भय का सफल टेस्ट किया। स्वदेश में बनी और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम इस मिसाइल का परीक्षण ओड़िसा(बालासोर) के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से किया गया।
‘निर्भय’ को डीआरडीओ की बेंगलुरु स्थित प्रयोगशाला ‘एरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट’ (एडीई) द्वारा विकसित किया गया है।
इस रॉकेट को बनाने का काम सन् 2007 में शुरू किया गया था। मार्च 2013 में निर्भय मिसाइल का पहला परीक्षण किया गया था, लेकिन वह परीक्षण असफल रहा था। उड़ीसा के चांदीपुर परीक्षण केन्द्र से छोड़ा गया यह मिसाइल परीक्षण के आरम्भिक दौर में ही गिर पड़ा था। रास्ते से भटकने के मद्देनजर उस परीक्षण को बीच में ही रोकना पड़ा था। डीआरडीओ के अधिकारी ने बताया कि तब मिसाइल के नेविगेशन प्रणाली में कुछ खामी थी, जिसे ठीक किया गया।
भारत के पास 290 किलोमीटर तक मार करने वाली वाली सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस है, जिसे भारत और रूस ने मिलकर बनाया है, लेकिन लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल निर्भय अलग तरह की है। यह बेंगलुरु में डीआरडीओ की यूनिट एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (एडीई) द्वारा बनाई जा रही है। इसे भारतीय वायु सेना के अग्रिम मोर्चे के लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई से दागा जा सकेगा। डीआरडीओ प्रमुख अविनाश चंद्र ने बताया, "निर्भय मिसाइल हवा, जमीन और पोतों से दागी जा सकेगी।" इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह दुश्मन के वायु रक्षा प्रणाली को आसानी से चकमा दे सकती है।
पाकिस्तान की मिसाइल 'बाबर' से बेहतर और अमेरिकी मिसाइल 'टॉमहॉक' को टक्कर देने वाली भारतीय क्रूज मिसाइल 'निर्भय' का परीक्षण सफल रहा है। यह एक अलग तरह की मिसाइल है। यह रॉकेट की तरह ब्लास्ट के साथ लॉन्च होती है, लेकिन एयरक्राफ्ट की तरह चलती है। अग्नि जैसी बैलिस्टिक मिसाइल के बजाय इसमें प्लेन की तरह विंग्स और टेल होती है। लॉन्च के बाद रॉकेट मोटर इससे अलग होकर गिर जाती है, फिर यह प्लेन की तरह चलती है।
इस मिसाइल की खूबी यह है कि यह कम ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकती है। यह पेड़ों से कुछ ही ऊपर उड़ सकती है, जिससे इसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। टारगेट के पास पहुंचकर यह किसी भी दिशा से हमला कर सकती है।
भारत ने अब तक बैलिस्टिक व अन्य कुछ मिसाइल्स सफलता से बना ली हैं, लेकिन अपने बूते पर क्रूज मिसाइल्स बनाने में अभी बहुत काम किया जाना है। निर्भय की सफलता इसी दिशा में बढ़ाया गया एक कामयाब कदम है। भारत के पास दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस भी है, लेकिन इसे रूस के साथ मिलकर विकसित किया गया है
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वैज्ञानिकों को उनकी उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि इस सफलता से हमारी रक्षा क्षमताओं में काफी गति आएगी।
मिसाइल की मारक छमता
भारत ने स्वदेश में निर्मित 'निर्भय' मिसाइल का परिक्षण कर अपनी कामयाबी का एक और अध्याय लिख दिया है। डीआरडीओ द्वारा निर्मित यह क्रूज मिसाइल एक हज़ार किमी. की दूरी तक मार करने में सक्षम है। इस मिसाइल के सफल परिक्षण के बाद भारत उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में आ खड़ा हुआ है, जिनके पास इस तरह की मिसाइल हैं।
शक्तिशाली क्रूज मिसाइल वाले देश
इस तरह की मिसाइल भारत के अलावा अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, इजराइल, पाकिस्तान, तुर्की, ग्रीस, ईरान और चीन के पास हैं। इनकी रेंज एक हजार किमी. तक है और यह करीब आठ सौ किमी. प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकती हैं। यह मिसाइल पंद्रह सौ किग्रा. वजन तक के हथियारों के अलावा परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम हैं।
इस तरह की मिसाइल की शुरुआत में इनिशियल नेवीगेशन सामने आई थी। लेकिन इसमें बाद में बदलाव आता गया और फिर टेरकॉम [टीईआरसीओएम] फिर डीएसएमएसी आया। अब इसका लेटेस्ट वर्जन सैटेलाइट नेवीगेशन के रूप में हमारे सामने है।
विभिन्न देशों के पास ये मिसाइल इन नामों से है-
एजीएम-86 -अमेरिका
एजीएम -129 एसीएम - अमेरिका
बीजीएम-109 टॉमहॉक - अमेरिका और ब्रिटेन
डीएच-10 - चीन
एचएससी -1 ग्रीस
केएच- 55 - रूस
मेशकट- ईरान
निर्भय - भारत
पॉपे टर्बो एसएलसीएम- इजराइल
आरके- 55 - रूस
सोम - तुर्की
निर्भय मिसाइल की विशेषताएँ
1. यह एक उप-सोनिक क्रूज मिसाइल है। यह रॉकेट की तरह छोड़ी जा सकती है। यह एक ऐसी मिसाइल है जो रॉकेट से विमान और फिर एक मिसाइल में तब्दील हो जाती है।
2. निर्भय को आम मिसाइल की तरह ही लॉन्च किया जाता है, लेकिन एक निर्धारित ऊंचाई तक पहुंचने के बाद इसमें लगे विंग्स खुल जाते हैं और निर्भय एक विमान की तरह काम करने लगता है। लांचिंग के बाद इसकी रॉकेट मोटर बंद हो जाती है और छोटे पंख बाहर निकल आते हैं। इसमें लगा एक गैस टरबाइन इंजन इसको आगे ले जाने में सक्षम होता है।
3. निर्भय मिसाइल की खासियत है कि यह कम ऊंचाई पर उड़ सकता है, जिसकी वजह से यह दुश्मनों के राडार में नहीं दिखता।
4. निर्भय को ग्राउंट स्टेशन से कंट्रोल किया जा सकता है। टारगेट तक पहुंचने के बाद ये उसके इर्द-गिर्द चक्कर लगा सकता है और सटीक मौके पर मार कर सकता है।
5. यह 700 किमी से भी अधिक दूरी तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
6. यह भारत के लिए एक बहुत कम कीमत पर विभिन्न प्लेटफामरें और विभिन्न श्रेणियों में पेलोड के विभिन्न प्रकारों को लांच करने की क्षमता प्रदान करता है। इस मिसाइल को मोबाइल लांचर से भी प्रक्षेपित किया जा सकता है।
7. निर्भय 1,500 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकता है। मिसाइल में फायर एंड फोरगेट सिस्टम लगा है, जिसे जाम नहीं किया जा सकता।
8. यह अमेरिका की टॉमहॉक और पाकिस्तान की बाबर मिसाइल के लिए लिए भारत का एक जवाब है।
9. इसके सफल परिक्षण के साथ ही भारत क्रूज मिसाइल बनाने में महारत हासिल कर लेगा।
10. निर्भय मिसाइल हवा, जमीन और पोतों से दागी जा सकेगी। इसके हवाई संस्करण की योजना पर फिलहाल काम चल रहा है। इसका एयर वर्जन तैयार होने के बाद इसे एसयू-30 एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों से दागा जा सकेगा।
मिसाइल का वर्गीकरण
सामान्य तौर पर मिसाइलों को उनके प्रकार, लॉन्च मोड, रेंज, प्रोपल्शन, वारहेड और गाइडेंस सिस्टम के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है. मुख्य रूप से मिसाइल दो प्रकार के होते हैं-
क्रूज मिसाइल और बैलेस्टिक मिसाइल (प्रक्षेपास्त्र)|
क्रूज मिसाइल
एक क्रूज मिसाइल मानव-रहित, सेल्फ प्रोपेल्ड यानी स्वचालित (प्रभाव के समय तक) गाइडेड वेहिकल है, जो एयरोडायनेमिक लिफ्ट के माध्यम से हवा में उड़ान भरने में सक्षम होता है| इसका मुख्य मकसद आयुध या किसी खास पेलोड को अपने लक्ष्य पर दागने के लिए किया जाता है| यह मिसाइल पृथ्वी के वायुमंडल के दायरे में उड़ान भरता है और जेट इंजन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है|
देश की रक्षा से जुड़े मामलों के लिए स्पीड और कार्यक्षमता के मामले में यह मिसाइल बहुत ही कारगर साबित हो सकती है| आकार, स्पीड, रेंज और इसके सतह, वायु या समुद्री जहाज अथवा पनडुब्बी में से कहां से लॉन्च किया जायेगा, इस आधार पर भी क्रूज मिसाइल को वर्गीकृत किया जा सकता है|
स्पीड के आधार पर वर्गीकरण
इसमें स्पीड के आधार पर इन मिसाइलों को इस प्रकार बांटा जा सकता है-
- त्नसबसोनिक क्रूज मिसाइल
इसकी रफ्तार ध्वनि की रफ्तार से कम होती है| इसकी स्पीड तकरीबन 0.8 मैक है| इस श्रेणी में सबसे लोकप्रिय मिसाइल अमेरिकी टॉमहॉक क्रूज मिसाइल है| इसके अलावा, अमेरिका के हारपून और फ्रांस के एक्सोसेट हैं|
2 त्नसुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
यह मिसाइल 2 से 3 मैक की स्पीड से भागती है. यानी इसकी गति प्रत्येक एक सेकेंड में एक किलोमीटर की है| मिसाइल का मॉड्यूलर डिजाइन और इसकी कार्यक्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि वॉरशिप, सबमैरिन, विविध प्रकार के एयरक्राफ्ट, मोबाइल ऑटोनोमस लॉन्चर जैसे किसी खास प्रकार के प्लेटफॉर्म से इसे जोड़ा गया है| सुपरसोनिक स्पीड का कॉम्बिनेशन और वॉरहेड मास व्यापक घातक प्रभावों को निर्धारित करते हुए उच्च गतिज ऊर्जा प्रदान करता है| ‘बह्मोस’ को सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम का एकमात्र उदाहरण माना जाता है, जो सेवा में है|
3.त्नहाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल
यह मिसाइल पांच मैक से ज्यादा की रफ्तार से अपने लक्ष्य पर पहुंचने में सक्षम है| फिलहाल अनेक देश इस श्रेणी के मिसाइल को विकसित करने में जुटे हुए हैं| ‘बह्मोस’ एयरोस्पेस भी हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल को विकसित करने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है. इसे ‘बह्मोस’ -2 नाम दिया गया है, जो पांच मैक से ज्यादा की स्पीड से उड़ान भरने में सक्षम है|
4.बैलेस्टिक मिसाइल (प्रक्षेपास्त्र)
बैलेस्टिक मिसाइल उस तरह की मिसाइल है, जो अपने प्रक्षेप पथ पर आगे बढ़ता हो, भले ही वह हथियार के तौर पर मारक क्षमता से युक्त हो या नहीं| यह ठीक उसी प्रकार ऊपर जाता है, जैसे आप आसमान में पत्थर उछालते हैं| प्रक्षेपास्त्रों को उनकी रेंज और धरती की सतह के जिस हिस्से से उसे लॉन्च किया जाता है, वहां से उसके लक्ष्य तक की अधिकतम दूरी तक पेलोड के तत्वों को ले जाने के आधार पर कई श्रेणियों में विभाजित किया गया है| यह मिसाइल अपने साथ एक विशाल पेलोड ले जाता है| बैलेस्टिक मिसाइलों को बड़े समुद्री जहाजों से भी लॉन्च किया जा सकता है| उदाहरण के तौर पर भारतीय सेना में पृथ्वी, पृथ्वी 2, अग्नि 1, अग्नि 2 और धनुष जैसे प्रक्षेपास्त्र मौजूद हैं|
रेंज के आधार पर वर्गीकरण
- शॉर्ट रेंज मिसाइल
- मिडियम रेंज मिसाइल
- इंटरमीडिएट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल
- इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल
लॉन्च के तरीके के आधार पर वर्गीकरण
सरफेस-टू-सरफेस मिसाइल (सतह-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल)
सरफेस-टू-सरफेस मिसाइल एक ऐसा मिसाइल है, जिसे फिक्स्ड इंस्टॉलेशन के माध्यम से किसी वाहन द्वारा लॉन्च किया जाता है| हालांकि, ज्यादातर इसमें रॉकेट मोटर से ऊर्जा प्रवाहित की जाती है, लेकिन कई बार लॉन्च प्लेटफॉर्म से इसे विस्फोटक से चार्ज किया जाता है|
सरफेस-टू-एयर मिसाइल (सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल)
सतह से हवा में मार करने वाली इस प्रकार की मिसाइल को एयरक्राफ्ट्स, हेलिकॉप्टर्स और यहां तक कि बैलेस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने के लिए एरियल टारगेट पर छोड़ा जाता है| इस प्रकार के मिसाइलों को सामान्य तौर पर एयर डिफेंस सिस्टम कहा जाता है, क्योंकि यह दुश्मनों की ओर से किये जाने वाले हवाई हमलों से बचाव करता है|
- सरफेस (कॉस्ट) -टू-एयर मिसाइल [सतह (समुद्र)-से-हवा में मार करनेवाली मिसाइल] इस तरह के मिसाइल को समुद्र में जा रहे किसी समुद्री जहाज को टारगेट करने यानी उसे भेदने के लिए सतह से छोड़े जाने के लायक डिजाइन किया जाता है|
- एयर-टू-एयर मिसाइल (हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल)
दुश्मन के एयरक्राफ्ट्स को हवा में मार गिराने के लिए आसमान से ही छोड़े जाने वाले मिसाइल को एयर-टू-एयर मिसाइल के रूप में जाना जाता है| इसकी स्पीड 4 मैक तक होती है|
- एयर-टू-सरफेस मिसाइल (हवा-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल)
इस मिसाइल को इस तरह से डिजाइन किया जाता है, ताकि इसे किसी मिलिटरी एयरक्राफ्ट्स से सतह या समुद्र में किसी भी स्थान पर लक्ष्य को भेदा जा सके| ये मिसाइल आम तौर पर लेजर गाइडेंस, इंफ्रारेड गाइडेंस और जीपीएस सिगनल के माध्यम से ऑप्टिकल गाइडेंस पर आधारित होते हैं| लक्ष्य के मुताबिक गाइडेंस निर्भर करता है|
2 सी-टू-सी मिसाइल (समुद्र-से-समुद्र में मार करने वाली मिसाइल)
इस तरह के मिसाइल को एक समुद्र जहाज से दूसरे समुद्री जहाज को मार गिराने के लिए डिजाइन किया जाता है|
3. सी-टू-सरफेस (कॉस्ट) मिसाइल
समुद्री जहाज से जमीनी इलाके में लक्ष्य को भेदने के लिए इस मिसाइल को डिजाइन किया जाता है|
4 एंटी टैंक मिसाइल (टैंक -रोधी मिसाइल)
यह एक प्रकार का गाइडेड मिसाइल है, जिसे हथियारों, गोला-बारूद से भरे किसी युद्धक टैंक को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया जाता है| एंटी टैंक मिसाइल को एयरक्राफ्ट्स, हेलिकॉप्टर, टैंक या किसी सैन्य लॉन्चर पैड से लॉन्च किया जाता है|
मिसाइल में गाइडेंस सिस्टम की तकनीक
- वायर गाइडेंस
यह सिस्टम रेडियो कमांड की तकनीक पर आधारित होता है| इलेक्ट्रॉनिक काउंटर मानकों पर इसकी संवेदनशीलता अपेक्षाकृत कम होती है| इनमें कमांड सिग्नल वायर के माध्यम से संचालित होता है, जो मिसाइल के लांच होने के बाद सक्रिय होता है|
2 कमांड गाइडेंस
लांच साइट या प्लेटफार्म से मिसाइल के प्रक्षेपण पथ की निगरानी के लिए कमांड गाइडेंस काम करता है| कमांड रेडियो, राडार या लेजर द्वारा दिया जाता है| कमांड का संचालन वायर या ऑप्टिकल फाइबर द्वारा किया जाता है| इस प्रकार के मिसाइलों को आम तौर पर एयर डिफेंस सिस्टम कहा जाता है, जो शत्रुओं के एरियल अटैक से बचाव करता है|
3.स्थानिक तुलानात्मक गाइडेंस (टरेन कैंपेरिजन गाइडेंस)
टरेन कैंपेरिजन (टीइआरसीओएम) का इस्तेमाल क्रूज मिसाइल के लिए किया जाता है| भौगोलिक स्थिति व एकत्रित जानकारी के मापने के लिए इसमें संवेदनशील अल्टीमीटर का प्रयोग किया जाता है|
4.टेरेस्ट्रियल गाइडेंस
स्टार एंगल्स से मिसाइल के अनुमानित प्रक्षेप पथ के एंगल को मापने के लिए इस सिस्टम को प्रयोग में लाया जाता है|
5 इनर्सियल गाइडेंस (जड़त्वीय पथप्रदर्शन)
इस सिस्टम को पूर्ण रूप से मिसाइल में स्थापित किया जाता है और इसकी प्रोग्रामिंग मिसाइल को लॉन्च किये जाने से महज कुछ समय पहले की जाती है|
6.लेजर गाइडेंस
लक्ष्य की सही स्थिति का पता लगाने के लिए लेजर बीम को फोकस किया जाता है| गाइडेंस सिस्टम लेजर रिफ्लेक्शन की तकनीक पर काम करता है|
आरएफ एंड जीपीएस रिफरेंस
आरएफ (रेडियो फ्रिक्वेंसी) और जीपीएस (ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम) तकनीकें मिसाइल गाइडेंस की अत्याधुनिक तकनीकों में से हैं| इनका इस्तेमाल लक्ष्य की वास्तविक स्थिति का सही पता लगाने के लिए किया जाता है|
मिसाइल का वर्गीकरण प्रॉपल्शन के आधार पर
- सॉलिड प्रॉपल्शन (ठोस प्रणोदन)
ठोस प्रणोदन में ठोस ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है| सामान्य तौर पर यह ईंधन एल्युमिनियम पाउडर होता है| ठोस प्रणोदन को आसानी से स्टोर किया जा सकता है और ईंधन के तौर पर इसे आसानी से हैंडल किया जा सकता है| यह तेजी से भागते हुए अत्यधिक ऊंचाई पर पहुंचने में सक्षम है|
2.लिक्विड प्रॉपल्शन (द्रव प्रणोदन)
द्रव प्रणोदन में ईंधन के रूप में द्रव का इस्तेमाल किया जाता है| ये ईंधन हाइड्रोकार्बन्स होते हैं| द्रव ईंधन को मिसाइल में स्टोर करना बहुत कठिन और जटिल होता है| साथ ही ऐसे मिसाइल को तैयार करने में समय ज्यादा लगता है| हालांकि, वॉल्व के माध्यम से ईंधन का नियंत्रण करते हुए किसी आपातकालीन अवस्था में द्रव प्रणोदन को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है|
3.हाइब्रिड प्रॉपल्शन
हाइब्रिड प्रॉपल्शन के दो चरण होते हैं- ठोस प्रणोदन और द्रव प्रणोदन| इस प्रणोदन सिस्टम के तहत दोनों सिस्टम काम करते हैं, जिससे इसमें दोनों ही तरीकों के फायदे के साथ उनके अवगुण देखने में आते हैं|
4.क्रायोजेनिक
क्रायोजेनिक प्रणोदक द्रवीकृत गैस होती हैं, जिन्हें बेहद कम तापमान पर स्टोर किया जाता है| इसमें ईंधन के रूप में ज्यादातर द्रव हाइड्रोजन और ऑक्सिडाइजर के रूप में द्रव ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जाता है|
(स्रोत: दैनिक समाचार , ब्रह्मोस डॉट कॉम)
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