অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

विज्ञान शहरों की स्थापना के लिए दिशानिर्देश

विज्ञान शहरों की स्थापना के लिए दिशानिर्देश

अवधारणा

कोई विज्ञान शहर अवधारणात्मक रूप से विज्ञान केंद्र के तुल्य होगा। तथापि, यह परिमाप में अपेक्षाकृत बड़ा होगा और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के अग्रणी क्षेत्रों में ध्यान केन्द्रित करेगा तथा शिक्षा और मनोरंजन वित्तीय तौर पर स्व धारणीय होगा। इसकी अवधारणा इस प्रकार तैयार की जाएगी कि यह विद्यार्थियों, परिवारों, पर्यटकों और आम जनता के लिए आकर्षक और उपयोगी हो। यह अपने प्रस्तुतीकरण में नवीनतम संचार साधनों और प्रौद्योगिकी का प्रयोग करेगा।

मुख्य उद्देश्य

i. लोगों के बीच वैज्ञानिक अभिवृत्ति और मनोवृत्ति का विकास करने, उनके बीच सामान्य जागरूकता पैदा करने, समझाने और इसे बनाए रखने के उद्देश्य से उद्योग और मानव कल्याण में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास तथा उनके अनुप्रयोगों का निरूपण करना।

ii. प्रदर्शनियों, सेमिनारों, लोकप्रिय व्याख्यानों, विज्ञान शिविरों तथा विभिन्न अन्य कार्यक्रमों का आयोजन कर विद्यार्थियों और आम व्यक्तियों के लाभार्थ, नगरों, शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाना।

iii. विज्ञान और प्रौद्योगिकी की संस्कृति की सार्वजनिक समझ का संवर्धन करना और उसे बढ़ाना।

iv. स्कूलों और कॉलेजों में दी गई विज्ञान शिक्षा का अनुपूरण करना तथा विद्यार्थियों के बीच वैज्ञानिक उत्सुकता और सृजनशीलता की भावना का पोषण करने के लिए स्कूल से बाहर विभिन्न शैक्षिक कार्यकलापों का आयोजन करना।

v. विज्ञान शिक्षा और विज्ञान लोकप्रिय बनाने के लिए विज्ञान संग्रहालय प्रदर्शी, प्रदर्शन उपस्कर और वैज्ञानिक शिक्षण साधनों की डिजाइन तैयार करना, उसका विकास और निर्माण करना।

vi. विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग के विशिष्ट विषयों पर विज्ञान शिक्षकों/विद्यार्थियों/ युवा उद्यमियों/तकनीकीविदों/शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों/ गृहिणियों और अन्य के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना।

अंतर्वस्तु

विज्ञान शहर के प्रदर्श और कार्यकलाप के प्रस्तुतीकरण में वैज्ञानिक मूल्यों और नवीनता का उचित मिश्रण होगा ताकि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से आम लोगों को आकर्षित करने में सक्षम हो सके। विज्ञान शहर के प्रदर्शों और कार्यकलापों की संरचना करने में शिक्षा और मनोरंजन पर मुख्य जोर होगा। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित कार्यकलापों में आंगतुकों की भागीदारी के लिए व्यापक अवसर प्रदान करेगा। निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर विचार किया जा सकता है : (क) विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ अंतर्संबंध

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अधुनातन क्षेत्रों तथा रूचिकर और आनंददायी वस्तुगत प्रस्तुतिकरण, वृहत् आरूप वाली फिल्मों, 3डी प्रस्तुतिकरण, वास्तविक अनुभवों, अनुरूपकों और अनेक हाइ-टेक प्रणालियों जैसे अनुभव आधारित और निमज्जित प्रदर्शी के माध्यम से समाज पर उनके प्रभाव से परिचित कराने हेतु एक विज्ञान प्रदर्शनी हॉल; वस्तुगत प्रस्तुतिकरण भारतीय प्रयास को रेखांकित करेंगे।
  • प्रदर्श अपनी विषयवस्तु में बहुआयामी होंगे तथा अपनी प्रकृति में यथासंभव दक्ष और बौधिक होंगे जिनमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अग्रणी क्षेत्रों को दर्शाया जाएगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नए क्षेत्रों के आविर्भाव के साथ ये विषय समयांतराल में बदल जाते हैं। तथापि, मौजूदा संदर्भ में, नैनो-प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी, रोबोटिक्स और ऑप्टिकल फाइबर, कंप्यूटर्स, पृथ्वी विज्ञान, मानव शरीर, सूचना प्रौद्योगिकी, बायो इन्फोर्मेटिक्स, भारी उद्योग, कृषि पर्यावरण और वैज्ञानिक अवधारणाओं की हाल में प्राप्त जानकारी आदि जैसे विषयों पर विचार किया जा सकता है।
  • कारपोरेट निकायों, अनुसंधान और विकास संस्थानों, वैज्ञानिक विभागों आदि के लिए उनके कार्यकलाप के संबंधित क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मौजूद स्थिति और अनुसंधान एवं विकास पहलों को दर्शाने के लिए एकनिष्ठ अवसंरचना प्रदान की जाएगी।
  • 600-1000 सीटों वाला एक बहुप्रयोज्य ऑडिटोरियम जिसमें विज्ञान शिक्षा कार्यक्रम और विज्ञान फिल्म प्रदर्शन किए जा सकें, शैक्षिक, सांस्कृतिक, औद्योगिक/कारपोरेट कार्यक्रम आयोजित किए जा सकें, (इस बात को ध्यान में रखते हुए कि एक मिलियन दर्शक विज्ञान शहर देखने आएंगे, ऑडिटोरियम की क्षमता निर्धारित की गई है।)

अन्य संस्थानों को अपने सम्मेलन, व्याख्यान, बैठक, प्रदर्शनी और सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किराया प्रभारों का भुगतान कर विज्ञान शहर में करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि बिजली प्रभारों, निगम करों आदि सहित ओडिटोरियम के नियमित रखरखाव और प्रचालन के लिए सभी व्यय पूरे किए जा सकें। यद्यपि रियायती दरों पर बिजली प्रदान करने तथा गैर-वाणिज्यिक दर पर निगम कर सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों से अनुरोध किया जाएगा, तथापि इन कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए सभी करों और रॉयल्टी का वहन आयोजकों द्वारा किया जाए।

(ख) प्रयोग और पाठ्यक्रम अनुपूरण

  • विद्यालयों में विज्ञान शिक्षा का अनुपूरण करने वाले परस्पर क्रियाशील प्रदर्श यहां विकसित और स्थापित किए जाएंगे जिनका उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मूल सिद्धांतों का रोचक तथा मनोरंजक तरीके से व्याख्या करना होगा।
  • आगंतुकों और विद्यार्थियों के लिए प्रायोगिक कार्यकलाप आधारित प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी जिनका उद्देश्य जनजागरूकता फैलाना तथा जैवप्रौद्योगिकी, नैनोप्रौद्योगिकी, फोटोनिक्स आदि जैसे अधुनातन विज्ञान और इंजीनियरी का समावेश और समझ पैदा करना होगा। ऐसी प्रयोगशालाओं का उद्देश्य विज्ञान केन्द्रों और शैक्षिक संस्थानों को सक्रिय अधुनातन विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोग तथा अनुसंधान से जुड़े अनुसंधान संस्थानों के साथ जोड़ना होगा।

(ग) चारदीवारी से बाहर विज्ञान का अनुशीलन

साइंस पार्क का उद्देश्य मनोरंजनयुक्त शिक्षा अर्थात् मनोरंजन के माध्यम से शिक्षा की सुविधा प्रदान करना है। इसकी रूपरेखा इस प्रकार तैयार की जाएगी कि विज्ञान अनौपचारिक "प्रायोगिक और बौधिक" दृष्टिकोण से दैनिक जीवन में प्रासंगिक हो सके। इसकी विशेषता संचार का धिआयामी माध्यम होगा-प्रदर्श और कार्यकलाप। प्रदर्श अधिकांशत: परस्पर कार्यशील होंगे तथा प्राकृतिक और बिना दबाव वाली परिस्थितियों में खेल-खेल में और आनंदपूर्वक विज्ञान की बुनियादी बातें सीखने में एक साथ बच्चों और बड़ों की सहायता करेंगे। यहां सामाजिक स्तर, शिक्षा या आयु वर्ग पर ध्यान दिए बिना सभी की रुचि अनुसार कुछ न कुछ होगा जिससे सीखने की संस्कृति कायम होगी। साइंस पार्क व्यवसाय, उद्योग तथा समुदाय को एकजुट करने के लिए एक सेतु का काम करेगा।

(घ) दर्शकों के मनोरंजन की सुविधाएं:

  • इस क्षेत्र में जल निकाय, प्राकृतिक पगडंडी, सड़क, रेलगाडियों, जलस्रोतों, खाद्य निकाय केंद्रों, उपहार और स्मृति चिह्नों की दुकानें, भोजनालय, विश्राम गृह और ऐसी अन्य सुविधाएं शामिल होंगी जिससे न केवल दर्शकों की आवश्यकता की पूर्ति होगी बल्कि उनको लंबे समय तक रोक कर रखा जा सकेगा।

(ड़) मूलभूत ढांचा

  • विज्ञान शहर में जनता के लिए निम्नलिखित मुख्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी:-
    • 5 से 7 बड़ी संवादात्मक विज्ञान प्रदर्शनियों सहित विज्ञान अन्वेषण हॉल
    • डिजिटल डोम थियेटर, 3-डी शो, सिमुलेटर तथा अंतरिक्ष विज्ञान प्रदर्शनियों सहित अंतरिक्ष की सैर
    • क्रियाकलापों एवं प्रयोगों द्वारा विज्ञान को समझाने के लिए प्रदर्शन क्षेत्र बाह्य साइंस पार्क
    • विकास पार्क / ऑडिटोरियम
    • कार्यशाला
    • कैफेटेरिया, उपहार की दुकान, आगंतुक इंटरप्रटेशन क्षेत्र सहित जन उपयोगिताएं।
    • कार पार्किंग

पात्रता के मानदण्ड और मूल भूत ढांचा

विज्ञान शहर या तो राज्य की राजधानी या ऐसा शहर जिसकी आबादी 50 लाख से कम न हो, में होना चाहिए। विज्ञान शहर की अवस्थिति का निश्चय करते समय, सबसे पहले यह सुनिश्चित किया जाए कि वह स्व-संवहनीयता हेतु कम से कम 10 लाख दर्शकों को प्रतिवर्ष आकर्षित कर सके।

i. विज्ञान शहरों की स्थापना, वरीयतापूर्वक केवल उन्हीं स्थानों पर की जाएगी, जहां पर कोई मुख्य विज्ञान केंद्र पहले से मौजूद न हो। तथापि, ऐसे क्षेत्र जहां विज्ञान केंद्र से काफी अधिक प्रगति हुई हो अर्थात वह विज्ञान शहर बनने के पात्र हों तो वहां विज्ञान केंद्र को क्षेत्रीय विज्ञान शहर के रूप में उन्नत कर दिया जाना चाहिए या उस स्थान के महत्व को ध्यान में रखते हुए एक अलग विज्ञान शहर की स्थापना की जानी चाहिए।

ii. राज्य सरकार, निम्नलिखित मूलभूत सुविधाएं निशुल्क प्रदान करेगी:-

(क) शहर के बीच में और आसानी से पहुँच वाली पूर्णरूप से विकसित एवं बाधारहित कम से कम 25 एकड़ भूमि; (यद्यपि, सभी प्रदर्शी विशेषकर वे प्रदर्श जिनको खुले स्थान की आवश्यकता हो तथा भविष्य में जिनमें विस्तार की संभावना हो, वहां 30 एकड़ भूमि; उपलब्ध कराना बेहतर होगा);

(ख) सड़कों का मुख्य मार्ग से जुड़ा होना,

(ग) दूरसंचार सुविधाएं,

(घ) जल आपूर्ति, बिजली आपूर्ति,

(ङ) सीवरेज और स्टार्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम,

(च) पर्याप्त सार्वजनिक/निजी परिवहन सुविधाएं

iii. राज्य सरकारें और उनके द्वारा इस उद्देश्य के लिए प्रोत्साहित सोसायटी/प्राधिकरण समूह केन्द्रीय सरकार के मानदण्डों के अनुसार वित्तीय सहायता प्राप्त करने के पात्र होंगे।

(iv) राज्य सरकार, जल, बिजली, स्थानीय कर आदि के लिए रियायती दरों में भुगतान करने का भी प्रावधान करेगी जैसा कि शैक्षणिक संस्थानों के लिए उपलब्ध करवाया जाता है।

नोट: उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए भारत सरकार द्वारा अतिविशिष्ट मामलों में उपर्युक्त मानदण्डों में छूट दी जा सकती है/या उन्हें संशोधित किया जा सकता है।

प्रदर्शनी का क्षेत्रफल

(ए) भवन के अंदर प्रदर्शनियों के लिए भूमि क्षेत्रफल

(क) विज्ञान प्रदर्शन हॉल - 10000 वर्ग मीटर

(ख) खुली प्रयोगशाला और पारस्परिक प्रदर्श हॉल- 2500 वर्ग मीटर

(ग) प्रवेश प्लाज़ा और दर्शकों की सुविधाएं - 1500 वर्ग मीटर

कुल योग: 14,000 वर्गमीटर

(बी) बाह्य प्रदर्शन:

(क) विज्ञान पार्क 4,000 वर्ग मीटर

स्थानीय मूलभूत ढांचा विकसित करते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि निर्मित और खुले क्षेत्रफलों का अनुपात 25:75 रहे जिससे कि दर्शकों को किसी एक विशेष स्थान पर ही सीमित होकर न रह जाना पड़े और वर्ष के उन विशेष दिनों की भीड़ के समायोजन के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध हो सके।

भविष्य में किसी विस्तार के लिए भी प्रावधान किया जाएगा। भूमि के एक भाग को वाणिज्यिक क्षेत्र की तरह विकसित किया जा सकता है, जिसको विज्ञान शहर की परिचालन लागत को पूरा करने के लिए धन एकत्र करने के उद्देश्य से दूसरी एजेंसियों को किराए पर दिया जा सकता है ताकि उसे स्व-संवहनीय बनाया जा सके।

समय अनुसूची

विज्ञान शहर परियोजना के क्रियान्वयन में अपेक्षित समय 54 माह लगेगा जो मुख्य भवन के निर्माण कार्य के आरंभ होने से प्रारम्भ होगा। पहले चरण में, विज्ञान अन्वेषण हाल, जिसमें एक फुल डोम चल-चित्र प्रक्षेपण इकाई, एक घूर्णन अनुरूपी और एक 3-डी दृश्य मंच की स्थापना प्रवेश प्लाजा के साथ-साथ की जाएगी। इससे राजस्व की प्राप्ति में सहायता मिलेगी।

बजट (2011 से 2013 डीपीएआर पर आधारित औसत)

नई विज्ञान शहर परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए संपूर्ण लागत का अनुमानित व्यय 110.00 करोड़ रूपए है। फिर भी, किसी विशेष परियोजना का विस्तृत ब्यौरा निर्माण-स्थल की स्थिति, भवन के मानचित्र और निर्माण की स्थानीय कीमतों के आधार पर तैयार किए जाने की आवश्यकता है।

योजना अवधि के दौरान किसी विज्ञान केन्द्र परियोजना के लिए निर्धारित लागत से अधिक व्यय एवं लागत वृधि का निर्धारण आरबीआई सूचंकाक द्वारा किया जाएगा तथा उसका वहन राज्य सरकार के अपने संसाधनों से किया जाएगा।

व्यय की विभिन्न मदों का सांकेतिक ब्यौरा इस प्रकार है:

क्र.सं.

मदें

लागत करोड़ रु. में

 

भवनों और अन्य निर्माण कार्यों में व्यय

 

 

क. भूमि की कीमत * वैचारिक, राज्य सरकार, परियोजना के लिए अपने हिस्से के रूप में बिना मूल्य प्रदान करेगी

00.00

 

 

ख. विज्ञान शहर भवन 14,000 वर्ग मीटर, जिसमें आंतरिक (भवन के अंदर) प्रदर्शनी हाल (26,004/-रू. प्रति वर्ग मीटर की दर से)

36.41

 

 

ग. अत्यधिक भार को वहन करने के लिए अधिक मज़बूत संरचनात्मक ढांचा 14000x1675.00

2.35

 

 

घ. 35 वर्ग मीटर के ऊपर अधिक बड़ा मॉड्यूल 14,000x1950

2.73

 

ड. मृदा जनित प्रतिरोधी बल 14,000 x1241.00

1.74

 

च. बाहरी सर्विस कनेक्शन 17.5% की दर से आंतरिक विद्युतीकरण

7.57

 

छ. कार/बस पार्किंग/अंदर की सड़के/भू-परिदृश्य/ जल निकाय/चार दीवारी

2.72

 

ज. वातानुकूलन/ऊष्मारोधन/ध्वनिकता

03.27

 

झ. ट्रान्सफार्मर (2 मेगावाट) यूपीएस/डी.जी.सेट/अग्नि शमन

03.00

 

ञ. कुर्सियां/कार्पेट

01.00

 

 

ट. योजना, पर्यवेक्षण और परामर्श शुल्क 6%

03.12

 

उप-योग

(63.91

अर्थात 64.00)

 

ii.

प्रदर्शी, उपकरणों और भंडारगृहों पर व्यय :

14.00

 

क. बृहद प्रारूप चलचित्र प्रक्षेपण इकाई, सहायक उपकरणों सहित

03.00

 

ख. अनुरूपक/3डी चलचित्र मंच

 

 

ग. प्रदर्श और कला वस्तुएं

 

 

i.     विज्ञान और प्रौद्योगिकी, की जानकारी हेतु विषयगत प्रदर्श।

08.00

 

ii.     प्रयोग कार्य और पाठ्यक्रम पूरक के लिए पारस्परिकता वाले प्रदर्श

02.00

 

घ. प्रक्षेपण-उपकरण, श्रव्य-दृश्य, विद्युतीय संस्थापन आदि

 

 

  1. ऑडिटोरियम के लिए

01.00

 

ii.        डिजिटल पैनोरमा के लिए

12.00

 

ड़. विविध उपस्कर

 

 

i. कार्यशाला के औजार और मशीनें

01.00

 

च. प्रदर्शों की लागत सहित विज्ञान पार्क के विकास की लागत

01.50

 

छ .परियोजना स्टाफ का वेतन

02.50

 

 

ज. परियोजना स्टाफ के लिए यात्रा भत्ता/दैनिक भत्ता

0.40

 

झ. अन्य प्रशासनिक खर्च

0.40

 

त्र. विज्ञापन एवं प्रचार

0.20

 

उप योग

46.00

 

जोड़

109.91

 

 

(अर्थात् 110.00)

iii.

उपर्युक्त मद (ii) में विदेशी आदान-प्रदान घटक शामिल है

 

 

क. वृहद प्ररूप चलचित्र प्रक्षेपण इकाई, सहायक उपकरणों सहित

14.00

 

 

ख. अंतरिक्ष कैपसूल (अनुरूपक) एवं 3-डी थियेटर

03.00

 

 

ग. डिजिटल पैनोरमा के लिए प्रोजेक्शन उपस्कर

08.00

 

 

घ. विविध, अन्य उपकरण

1.00

 

 

उप योग

26.00

 

(iv) विदेशी विशेषज्ञों को लाने या विदेशी विशेषज्ञता की खरीद के लिए कोई विदेशी मुद्रा मिल नहीं है।

 

(उपर्युक्त अनुमान केवल बजट के उद्देश्यों के लिए है। विशेष परियोजनाओं के लिए विस्तृत लागत मूल्यों के अनुमानों को, परियोजनाओं के मास्टर योजनाओं के तैयार होने के बाद आकलित कर लिया जाएगा)।

1/4/2011 को दिल्ली का लागत सूचकांक

49%

1/4/2012 को दिल्ली का लागत सूचकांक

61%

1/4/2015 को दिल्ली का लागत सूचकांक यथा अनुपातिक आधार पर होगा

97%

यदि मिट्टी की वहन क्षमता अच्छी न हो तो भराव की लागत अतिरिक्त हो जाएगी (14000x12746.00=17.84 करोड़ अर्थात् 18.00 करोड़

 

 

वित्तपोषण-व्यवस्था

(i) नए विज्ञान शहरों के लिए केंद्रीय सरकार की आर्थिक भागीदारी केवल 6600.00 लाख रू. तक सीमित रहेगी (कुल 11000.00 लाख रू. का 60 प्रतिशत)।

(ii) विज्ञान शहर की स्थापना के लिए शेष धन 44.00 करोड़ रूपए (कुल 110.00 करोड़ रू. का 40%) और 25 एकड़ भूमि की व्यवस्था राज्य सरकार इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु करेगी। राज्य सरकारों के 44.00 करोड़ रू. का सहयोग स्वयं उनके द्वारा या प्राइवेट/कारपोरेट अभिकरणों या दोनों के संयुक्त प्रयास द्वारा पूरा किया जा सकेगा।

(iii) प्रत्येक वर्ष के आरंभ में, राज्य सरकार, उस वर्ष के लिए अपना हिस्सा (44.00 करोड़ रूपए में से) पहले ही प्रदान कर देगी और केंद्रीय सरकार भी अपने हिस्से का आनुपातिक भाग, एक बार में ही (110.00 करोड़ रू. के 60:40 की अनुपातिक दर के आधार पर) जारी कर देगी।

पूंजी व्यय की वर्षवार चरण-सारणी (लाख रू. में)

स्रोत

प्रथम वर्ष

दृवितीय वर्ष

तृतीय वर्ष

चतुर्थ वर्ष

पंचम वर्ष

योग

भारत सरकार

600

2000

2000

2000

0

6600

राज्य सरकार

500

 

1300

 

1300

 

1300

 

0

4400

योग

 

1100

3300

3300

3300

0

11000

 

(iv) तथापि, उत्तर पूर्वी क्षेत्रों तथा द्वीपीय क्षेत्रों के लिए पूंजी लागत को भारत सरकार तथा संबंधित राज्य सरकारों के बीच क्रमश: 90:10 के अनुपात में बांटा जाएगा।

उत्तर पूर्व के लिए पूंजी व्यय की वर्षवार चरण-सारणी (लाख रू. में)

स्रोत

प्रथम वर्ष

दृवितीय वर्ष

तृतीय वर्ष

चतुर्थ वर्ष

पंचम वर्ष

योग

भारत सरकार

1000

4000

4000

900

0

9900

राज्य सरकार

200

400

400

100

0

1100

योग

1200

4400

4400

1000

0

11100

 

प्रबंधन और प्रचालन

i. नए विज्ञान शहरों का संचालन तथा प्रबन्धन, संबंधित राज्य सरकारों द्वारा बनाई गई ऐसी सोसाइटियों द्वारा किया जाएगा, जिससे ये नए विज्ञान शहर स्वतंत्र रूप से स्वायत्त शासित निकाय के रूप में कार्य कर सकें। तकनीकी मार्ग-दर्शन और प्रदर्शों के विकास में परामर्श और कर्मचारियों के प्रशिक्षण में एनसीएसएम को सामान्य भुगतान किया जाएगा। इन सोसाइटियों को परियोजना के प्रारंभ होने के पूर्व ही गठित किया जाएगा, जिससे वे केंद्र और राज्य सरकार, दोनों से मौद्रिक अनुदान प्राप्त करने में समर्थ हो सकें, और प्राइवेट/कारपोरेट/औद्योगिक स्रोतों से वित्तीय सहायता तथा आर्थिक संस्थानों से ऋण प्राप्त कर सकें। प्रबंधन एवं प्रचालन के लिए अंतराल निधि का प्रयोजन पृथक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारों द्वारा किया जाएगा।

ii. सभी विज्ञान नगरों का सर्वोत्तम संभाव्य तरीकों से रख-रखाव किया जाएगा जिससे वे स्वयं ही सभी प्रचालनों को बनाए रखने के निमित्त, पर्याप्त धन का आगमन सुनिश्चित कर सकें। फिर भी, भविष्य के विकास के लिए पूंजी अनुदान को विभिन्न स्रोतों से एकत्र किया जा सकता है। कारपोरेट निवेश का विचार दो रूपों में किया जा सकता है- या तो पूंजी अनुदान या सार्वजनिक निजी भागीदारी और यदि यह नहीं हो पाने की स्थिति में है तो सुविधाओं और मूलभूत ढांचे के लगातार कई वर्षों के सदुपयोग से सृजित, राजस्व की सहायता से।

मंत्रालय के अनुमोदन संबंधी पूर्वापेक्षाएं

व्यवहार्यता रिपोर्ट: किसी भी विज्ञान शहर की स्थापना की व्यवहार्यता को सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत अध्ययन किए जाते हैं। अध्ययन में यह सावधानी पूर्वक निश्चय करना आवश्यक होगा कि क्या प्रस्तावित विज्ञान शहर में यह योग्यता क्षमता है कि वह प्रतिवर्ष 10 लाख दर्शकों को आकर्षित कर सके और उसके आधार पर क्या उसमें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की सम्भावना है। व्यावसायिक परामर्श सेवादाताओं को एनसीएसएम के सक्रिय सहयोग सहित अध्ययन कार्य में लगाया जाएगा। एनसीएसएम को परामर्श देने के लिए उचित शुल्क देय होगा। विज्ञान शहर में, यदि आवश्यकता पड़ती है तो, बाद के दिनों में, माड्यूल के लिए प्रावधान अवश्य होना चाहिए।

परियोजना का कार्यान्वयन

नई विज्ञान नगर परियोजना का कार्यान्वयन, उनके राज्यों द्वारा बनाई गई संबंधित सोसाइटियों द्वारा किया जाएगा। यदि एनसीएसएम से परामर्श लेने का प्रयास किया जाता है। तो वह तकनीकी मार्ग-दर्शन और मानचित्र, प्रदर्शन सामग्री के विकास और संस्थापन तथा उपकरणों के प्राप्त करने तथा उनके प्रचालन तक सीमित रहेगा। कर्मचारियों का प्रशिक्षण भी एनसीएसएम से परामर्श लेने का एक भाग होगा।

निगरानी

विज्ञान शहर की परियोजना की निगरानी, भारत सरकार, संबंधित राज्य सरकार, उनके प्राइवेट/ कारपोरेट भागीदार (यदि कोई हों), एनसीएसएम और शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उद्योग और संग्रहालय विज्ञान के क्षेत्र के कम से कम 5 प्रतिष्ठित व्यक्तियों के उचित प्रतिनिधित्व के माध्यम से संबंधित राज्यों द्वारा बनाई गई उच्च स्तर की सोसाइटियों द्वारा की जाएगी।

विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के लिए संशोधित मानदण्ड

प्रस्तावना

1970 के दशक में योजना आयोग द्वारा विज्ञान संग्रहालयों की गतिविधियों का मूल्यांकन करने के लिए एक कार्यदल का गठन किया गया था जिसने इन संस्थानों के विकास, भरण-पोषण और प्रभावी उपयोग हेतु कार्यप्रणाली पर कई सिफारिशें भी दी गयी थीं। यह, लोगों के बीच विज्ञान के प्रति जागरूकता और वैज्ञानिक सोच पैदा करने हेतु विज्ञान संग्रहालयों की अपार संभावनाओं को प्रकाश में लाया।

सबसे प्रमुख सिफारिशें थी, देश के विभिन्न भागों में विशेष रूप से ग्रामीण जनता की सेवा के लिए तीन स्तरों अर्थात राष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं जिला स्तर पर विज्ञान संग्रहालय केंद्रों की स्थापना।

इसके आधार पर राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद ने राष्ट्रीय स्तर के विज्ञान संग्रहालय/ केन्द्र, क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्र और जिला विज्ञान केन्द्र स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की है जो क्रमश: मुख्य नगर, राज्य की राजधानियों और जिला मुख्यालयों में स्थित हों।

90 के दशक के दौरान जब एनसीएसएम ने पूर्वोत्तर क्षेत्रों में विज्ञान केन्द्रों की स्थापना कर रही थी, तब यह महसूस किया गया कि हालांकि पूर्वोत्तर राज्य आकार में छोटे हैं किंतु एक राज्य के रूप में उनकी अलग पहचान है। अत: पूर्वोत्तर में विज्ञान केंद्रों को जिला विज्ञान केन्द्रों का नाम देना अनुचित प्रतीत हुआ। फलस्वरूप ये केन्द्र उप-क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्रों के रूप में नामित हुए।

फिलहाल यहां अनेक नामपद्धतियां प्रचलित है जो विज्ञान संग्रहालयों/केन्द्रों को श्रेणीबद्ध करती हैं। ऐसी भिन्न प्रकार की नामपद्धतियों राज्य सरकारों या अन्य एजेन्सियों को भ्रमित कर सकती हैं जो विज्ञान केन्द्रों को स्थापित करने की उत्सुक हैं। अत: यह प्रस्ताव दिया जाता है कि विज्ञान केंद्रों के लिए भिन्न-भिन्न नामपन्धितियों के स्थान पर "विज्ञान केंद्र" नामक एकल शीर्षक पर विचार किया जाना चाहिए तथा विज्ञान केंद्रों को स्थापित करने हेतु मानदंडो का निर्धारण उस स्थान की जनसंख्या के आधार पर किया जाना चाहिए जहां विज्ञान केंद्र स्थापित किया जाना प्रस्तावित हो।

संस्कृति मंत्रालय ने विज्ञान केन्द्र परियोजना और उनके वित्तपोषण के लिए निम्नलिखित संशोधित मानदंड निर्धारित किए हैं :

उद्देश्य

विज्ञान केन्द्रों के मुख्य रूप से निम्नलिखित उद्देश्य होंगे :

  • लोगों के बीच वैज्ञानिक दृष्टिकोण और प्रकृति का विकास करने और उनमें सामान्य जागरूकता का सृजन करने, बढ़ाने और कायम रखने की दृष्टि से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास तथा उद्योग और मानव कल्याण में उनके अनुप्रयोग को दर्शाना।
  • प्रदर्शनियों, सेमिनार, लोकप्रिय व्याख्यान, विज्ञान कैंप और अन्य विविध कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा क्षेत्र के आम आदमी और छात्रों के लाभ के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाना।
  • स्कूल और कॉलेजों में दी जा रही विज्ञान शिक्षा का अनुपूरण और छात्रों के बीच वैज्ञानिक अन्वेषण की मनोवृत्ति और सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल के बाहर विविध शैक्षिक क्रियाकलापों का आयोजन करना।
  • विज्ञान शिक्षा और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने हेतु विज्ञान संग्रहालय प्रदर्शी, प्रदर्शन उपकरणों और वैज्ञानिक अध्यापन सामग्री को डिजाइन करना, विकसित और विरचित करना।
  • विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और उद्योग के विशेष विषयों पर विज्ञान शिक्षकों/युवाछात्रों, उद्यमियों/ तकनीशियनों/शारीरिक रूप से विकलांगों/गृहिणियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।

संकल्पना

विज्ञान केन्द्र, कुल मिलाकर समाज में अन्वेषण की मनोवृत्ति को बढ़ाने के लिए प्रयोग पर आधारित शिक्षा वातावरण, सृजनात्मक प्रतिभा और वैज्ञानिक मिजाज का सृजन प्रदान करता है। इसकी विशेषता उसकेदो भागों में विभाजित संचार माध्यम अर्थात् प्रदर्श एवं गतिविधियां हैं। यद्यपि भीतरी और बाहरी दोनों प्रदर्श मुख्यत: इंटरएक्टिव हैं, प्रदर्शन और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी पूरी तरह से भागीदारी परक हैं और बच्चों एवं वयस्कों को समान रूप से कौतुक तथा आनंद से विज्ञान के मूलतत्व सीखने में सहायता करते हैं।

विज्ञान को अनुभव और प्रयोग के द्वारा अच्छे से समझा जा सकता है। अत: विज्ञान शिक्षा अनिवार्यतः कार्य करके सीखने और प्रयोग पर आधारित होनी चाहिए तथा पाठ्यपुस्तकें पढ़ने तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए। देश में व्यापक विज्ञान निरक्षरता की दृष्टि से भारत में इसका बहुत महत्व है। दूसरी ओर विज्ञान केन्द्र, अपने आप करके सीखने के दृष्टिकोण को अपनाते हुए 'अनुभवमूलक विज्ञान' की गुंजाइश प्रदान करता है और आगंतुकों के लिए बड़ी संख्या में प्रयोगात्मक विकल्प सामने रखता है जिसके द्वारा वे स्वयं वैज्ञानिक खोज कर सकते हैं। इस प्रकार की शिक्षा हमारे देश में, औपचारिक विज्ञान शिक्षा की अनुपूर्ति में बहुत प्रभावी सिद्ध हुई है।

भौतिक और वित्तीय मांग

श्रेणी । (क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्र)

(क) : 15 लाख और उससे अधिक जनसंख्या वाले शहर/नगर में स्थित विज्ञान केन्द्र

i. भूमि: राज्य सरकार द्वारा कम से कम 7 एकड़ विकसित भूमि (बेहतर होगा कि कोई निचला क्षेत्र न हो और सम आकर का हो) बिना किसी लागत के उपलब्ध कराई जाएगी।

ii. पूंजी व्यय: श्रेणी । के विज्ञान केन्द्र स्थापित करने के लिए आवश्यक मूल निधि 14.50 करोड़ रूपए है।

iii. लागत का विस्तृत ब्यौरा।

क्र.सं.

कार्य/व्यय की मदें

 

 

राशि (लाख रू. में)

01

लगभग 4000 वर्ग मी. के कवर क्षेत्र सहित आरएससी मुख्य भवन, प्लम्बिंग और स्वच्छता सहित सिविल निर्माण

 

 

855.36

 

 

 

 

 

 

 

1028.36

 

विद्युतीय कार्य एवं वातानुकूलन

106.92

 

लिफ्ट और अग्निशमन

 

25.00

 

प्रेक्षागृह के लिए कुर्सियां

 

5.00

 

 

वास्तुकार शुल्क

36.08

02

50 प्रदर्श प्रत्येक सहित लगभग 600 वर्ग मी. की तीन विषयक वीथियां

220.00

 

03

मार्ग एवं अपेक्षित प्रदर्शी (संख्या 50) सहित लगभग 4 एकड़ क्षेत्र का विज्ञान पार्क

70.00

04

इन्फलैटेबल गुम्बद वाली तारामंडल प्रणाली (तारामंडल)

5.00

05

पूर्ण क्रियाशील प्रदर्श विकास प्रयोगशाला

9.00

06

सभी अपेक्षित अवसंरचना सहित, कंम्प्यूटर प्रशिक्षण क्षेत्र, पुस्तकालय, सम्मेलन कक्ष, भण्डार और कार्यालय आदि जैसी अन्य सुविधाएं

35.00

07

भर्ती किये गए कार्मिक सदस्यों का प्रशिक्षण और अन्य विविध खर्चे

5.00

08

उपकरण, फर्नीचर आदि सहित 3डी थिएटर सुविधा

30.00

09

विविध (सुसज्जित भवन/प्रेक्षागृह संकेतक, म्युरल्स आदि)

8.00

10

परियोजना कार्मिकों का वेतन एवं यात्रा भत्ता/मंहगाई भत्ता

40.00

 

कुल जोड़

 

1450.36 अर्थात

1450.00

 

* अनुमोदन हेतु संस्कृति मंत्रालय को प्रस्तावित नये लागत अनुमान के अनुसार

 

 

iv. अपेक्षित निधि :

विज्ञान केन्द्र (स्कीम 'क') - इस श्रेणी के विज्ञान केन्द्र की अनुमानित लागत 14.50 करोड. रू. होगी। इनकी स्थापना ऐसे स्थानों/क्षेत्रों में जहां विज्ञान केन्द्र कार्यकलाप अभी तक शुरू नहीं हो पाये हैं या प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में की जा सकती है। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ऐसे केन्द्रों के लिए एनसीएसएम के माध्यम से पूर्ण वित्तपोषण उपलब्ध कराने पर विचार कर सकता है। विज्ञान केन्द्र (स्कीम 'ख') - विज्ञान केन्द्र परियोजना (श्रेणी-I) की पूंजी लागत 14.50 करोड़ रू. होगी जिसमें राज्य सरकार और भारत सरकार के बीच भागीदारी 50:50 आधार पर होगी।

विज्ञान केन्द्र (स्कीम 'ग') - विज्ञान केन्द्र की पूंजी लागत 14.50 करोड़ रू. होगी। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र इस विज्ञान केन्द्र परियोजना का पूर्ण वित्तपोषण करेंगे और विज्ञान केन्द्र की स्थापना इस बजट के भीतर एनसीएसएम की तकनीकी सहायता से करेगी।

(V) पूँजी व्यय की वर्षवार चरण बद्धता

(रूपये करोड़ में)

स्रोत

 

प्रथम वर्ष

दवितीय वर्ष

तृतीय वर्ष

योग

भारत सरकार

 

2.50

3.25

1.50

 

7.25

 

4.00**

6.50**

4.50**

 

14.50**

राज्य सरकार

 

7.25 जो परियोजना प्रारंभ होने के पहले ही अग्रिम के रूप में जारी किए जाने हैं।

 

** भारत सरकार द्वारा पूर्ण रूप से वित्तपोषित मामले में:

आयोजित अवधि के दौरान किसी विज्ञान केन्द्र पर परियोजना की अधिक मात्रा में हुई लागत व्यय अथवा लागत बढ़ोतरी को भी सम्बन्धित राज्य सरकारों/संघ राज्यक्षेत्रों द्वारा वहन किया जाएगा और उसे आरबीआई सूचकांक द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

(vi) आवर्ती व्यय:

आवर्ती व्ययों को सम्पूर्ण रूप में राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा, इनमें वे मामले अपवाद स्वरूप होंगे जिनमें भारत सरकार परियोजना का पूर्ण रूप से वित्त पोषण करने का निश्चय करती है और उसका प्रबन्धन राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद जैसी एजेंसियों के माध्यम से करती है। वर्तमान समय में, एक विज्ञान केन्द्र के लिए औसत वार्षिक आवर्ती व्यय 60.00 लाख से 75.00 लाख रूपयों के मध्य है। प्रत्येक वर्ष में, केन्द्र के रख-रखाव के लिए वार्षिक आवर्ती व्यय और वर्षपर्यन्त चलने वाले कार्य कलापों के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रावधान किया जाएगा।

(vii) प्रचालन: विज्ञान केन्द्र का प्रचालन निम्नलिखित प्रचालनीय पद्धतियों से किया जा सकता है:

स्कीम-क

विज्ञान केन्द्र की स्थापना, भारत सरकार द्वारा पूर्ण रूप से प्रदत्त निधि से की जाएगी और इसका प्रचालन संस्कृति मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद के माध्यम से किया जाएगा। ऐसे विज्ञान केन्द्र उन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों या राज्यों में स्थापित किए जाएंगे जहां पर विज्ञान केन्द्रों से सम्बंधित कार्यकलाप अभी तक प्रारंभ नहीं हुए हैं। भविष्य में, स्कीम के तहत किसी भी राज्य/संघ राज्यक्षेत्र के, किसी भी मामले में एक से अधिक विज्ञान केन्द्र की स्थापना नहीं की जाएगी। जिन स्थानों में एनसीएसएम केन्द्र पहले से ही अस्तित्व में हैं, वहां पर यह प्रावधान लागू नहीं होगा। तथापि, एनसीएसएम द्वारा स्थापित किए गए परन्तु सम्बन्धित राज्यों या संघ राज्य क्षेत्रों को सौंपे गए केन्द्रों की, आवश्यक होने पर, उनके उद्देश्यों को पूरा करने और विज्ञान से सम्बन्धित कार्यकलापों के बेहतर समन्वय के लिए एनसीएसएम द्वारा राज्यों/संघ राज्यक्षेत्र, जैसा भी मामला हो, से प्राप्त निधियों से देख-भाल की जा सकती है।

स्कीम-ख

ऐसे राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन जो एक से अधिक विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के लिए इच्छुक हैं या विज्ञान केन्द्रों का त्वरित विकास चाहते हैं, उनको प्राथमिकता प्रदान की जाएगी, बशर्ते वे परियोजना के लिए 50:50 के अनुपात के आधार पर लागत की हिस्सेदारी सहित निःशुल्क भूमि और केन्द्र की सम्पूर्ण प्रचालन लागत को केन्द्र के विकसित होने और उन्हें राज्य सरकारों/संघ राज्यक्षेत्रों को सौंपने के बाद के व्ययों को वहन करने के लिए सहमत होते हैं।

स्कीम-ग

इस स्कीम के तहत, उन राज्य सरकारों को प्राथमिकता प्रदान की जाएगी जो विज्ञान केन्द्र परियोजना में पूर्ण रूप से निधियॉ और भूमि तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान करते हैं। विज्ञान केन्द्रों की स्थापना करने में उनको एनसीएसएम द्वारा तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी जिसमें राज्य सरकार की लागत पर प्रदर्श शामिल है।

राज्यों को सौंपी गई परियोजनाओं के मामले में, ऐसे विज्ञान केन्द्रों को राज्य सरकार द्वारा गठित की गई एक पंजीकृत सोसाइटी द्वारा प्रचालित और अनुरक्षित किया जाएगा। तथापि, ख और ग दोनों स्कीमों के अंतर्गत, राज्य सरकार द्वारा परियोजना की पूंजी लागत के अपने हिस्से को जारी करने के पश्चात तुरन्त ही सोसाइटी का गठन किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद का एक सदस्य सोसाइटी का पदेन सदस्य होगा या एनसीएसएम से आंगिक सम्बन्ध बनाए रखने के लिए एक नियंत्रक परिषद होगी। यह सोसाइटी यह सुनिश्चित करेगी कि विज्ञान केन्द्र अपने उद्देश्यों से विचलित हुए बिना ही परिचालित हो रहा है।

(vii) कार्यान्वयन रणनीति:

  • निर्माण

स्कीम-क के अन्तर्गत स्थापित किए गए विज्ञान केन्द्र भवनों का निर्माण, अभिकल्पन विकास, सजावट कार्य और भवन की आन्तरिक तथा बाह्य प्रदर्शनियों की स्थापना एनसीएसएम करेगी। केन्द्र का परिचालन एनसीएसएम के प्रशासनिक नियंत्रण में किया जाएगा।

स्कीम-ख के अन्तर्गत स्थापित किए जाने वाले विज्ञान केन्द्रों का कार्य टर्न- की आधार पर (विज्ञान केन्द्र का निर्माण और स्थापना सहित) एनसीएसएम द्वारा पूरा किया जाएगा और इसके पूर्ण होने पर वह इसको राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र को सौंप देगी। राज्य सरकार से उसका शेयर या निधियों के प्राप्त होने के बाद ही एनसीएसएम निर्माण का कार्य प्रारंभ करेगी।

स्कीम-ग के अन्तर्गत स्थापित किए जाने वाले केन्द्रों का कार्य-राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र द्वारा एनसीएसएम से प्राप्त निवेश के अनुसार भवन निर्माण, विज्ञान पार्क आदि के विकास का कार्य एनसीएसएम की सलाह के अनुसार किया जाएगा। एनसीएसएम द्वारा परियोजना के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी।

  • कर्मचारियों की भर्ती

स्कीम-क के अन्तर्गत विज्ञान केन्द्र-विज्ञान केन्द्रों के परिचालन के लिए एनसीएसएम द्वारा आवश्यक मानवशक्ति की भर्ती और प्रशिक्षण दिया जाएगा। विज्ञान केन्द्र के लिए आवश्यक मुख्य कार्मिक संख्या की संस्वीकृति मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाएगी और एनसीएसएम को आवश्यक निधियों का आबंटन वार्षिक रूप में किया जाएगा।

स्कीम-ख के अन्तर्गत विज्ञान केन्द्र- ऐसे विज्ञान केन्द्रों का प्रचालन और अनुरक्षण राज्य सरकार द्वारा गठित की गई पंजीकृत सोसाइटी द्वारा किया जाएगा। इस प्रकार से गठित की गई पंजीकृत सोसाइटी द्वारा निधियों के जारी होने के 3 माह के अन्दर आवश्यक मुख्य कर्मचारी सदस्यों की भर्ती का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। एनसीएसएम द्वारा कार्मिकों की भर्ती के लिए तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाएगा जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि समुचित अभिवृति के उम्मीदवारों का चयन किया जा सके। यदि 3 माह के अन्दर भर्ती नहीं की जाती है तो, एनसीएसएम, सम्बन्धित राज्य सरकार/परियोजना के स्थानीय समन्वयक निकाय के परामर्श से मुख्य कर्मचारियों की भर्ती करेगी। परियोजना के सौंपने के पश्चात, एनसीएसएम द्वारा भर्ती किए गए कर्मचारियों के भुगतानों की देनदारी राज्य/संघ राज्यक्षेत्र द्वारा यह सुनिश्चित करते हुए ली जाएगी कि लाभार्थियों को परियोजना को सौंपने के समय पर प्राप्त होने वाले वेतन बाद में भी प्राप्त होते रहें।

स्कीम-ग के अन्तर्गत विज्ञान केन्द्र-ऐसे विज्ञान केन्द्रों का परिचालन और अनुरक्षण राज्य सरकार द्वारा गठित पंजीकृत सोसाइटी द्वारा किया जाएगा। परियोजना के प्रारंभ होने पर तुरन्त ही सोसाइटी का गठन किया जाना चाहिए। राज्य सरकार द्वारा गठित पंजीकृत सोसाइटी, आवश्यक मुख्य कर्मचारियों की भर्ती का कार्य, निर्माण कार्य के प्रारंभ होने के 3 माह के अन्दर पूरा कर लेगी। एनसीएसएम राज्य सरकार को तकनीकी सहायता प्रदान करेगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उचित अभिवृत्ति के उम्मीदवारों का चयन हो सके।

  • प्रशिक्षण

स्कीम-'क' के अधीन स्थापित विज्ञान केन्द्र-ऐसे विज्ञान केन्द्रों के प्रचालन के लिए आवश्यक मुख्य कर्मचारियों की भर्ती और विज्ञान केन्द्रों के प्रचालन और अनुरक्षण के लिए कर्मचारियों के लिए समुचित प्रशिक्षण एनसीएसएम द्वारा प्रदान किया जाएगा।

स्कीम-ख और ग के अन्तर्गत स्थापित विज्ञान केन्द्र-पंजीकृत सोसाइटी या राज्य सरकार द्वारा भर्ती किए गए अधिकारियों और कर्मचारियों को, एनसीएसएम की किसी भी इकाई में प्रशिक्षित किया जाएगा। राज्य सरकार उनको परियोजना पूरी होने के कम से कम एक वर्ष पहले विज्ञान केन्द्र के विकास, प्रचालन और अनुरक्षण में आवश्यक प्रशिक्षण हेतु प्रतिनियुक्त करेगी। ऐसे प्रशिक्षण की लागत/व्यय को राज्य/संघ राज्य/क्षेत्र द्वारा वहन किया जाएगा।

(ix) भर्ती की अनुसूची:

क्र.सं.

राज्य सरकार द्वारा जारी की गई निधि की तारीख से 3 माह के अन्दर भर्ती करके तैनात किए जाने हेतु

राज्य सरकार द्वारा जारी की गई निधि की  तारीख से एक वर्ष के अन्दर भर्ती करके तैनात किए जाने हेतु

01

क्यूरेटर

02

सहायक (सामान्य)

01

02

शिक्षा सहायक

02

उच्च श्रेणी लिपिक

01

03

तकनीकी सहायक

01

कनिष्ठ आशुलिपिक

01

04

तकनीशियन

08

अवर श्रेणी लिपिक

02

 

जोड़

13

योग

05

 

कुल जोड़-18

 

 

 

(x) समय-सूची:

किसी भी विज्ञान केन्द्र की स्थापना के लिए अपेक्षित समयावधि 33 माह है।

(xi) अन्तर्वस्तुः

सम्पूर्ण भवन में कवर किया गया क्षेत्रफल 4000 वर्गमीटर (लगभग) होगा, जिसका 1800 वर्गमीटर प्रदर्शी के प्रदर्शन हाल के रूप में, 1200 वर्गमीटर दर्शकों के कार्यकलाप/गतिविधि क्षेत्र के रूप में और शेष 1000 वर्ग का उपयोग प्रदर्श विकास प्रयोगशाला, कार्यालय आदि के रूप में किया जाएगा। भूतलक्षेत्र के विस्तार का भी प्रावधान किया जाएगा।

विज्ञान केन्द्र में सामान्य रूप में निम्नलिखित वीथियों और सुविधाओं की स्थापना की जाएगी:

स्थायी वीथियां:

  • विषयपरक वीथियां: केन्द्र में दो विषयपरक वीथियां होंगी। केन्द्र की वीथियां अपनी प्रकृति में बहुविषयक होंगी, जो वैज्ञानिक महत्व और सामाजिक सरोकारों पर आधारित होंगी। प्रदर्श, अधिकांश रूप में परस्पर विचार-विमर्श वाले होंगे। इनके पूरक के रूप में दृश्य, उदाहरण और कला-वस्तुओं की संगति प्राप्त होगी। इन वीथ्यिों वीथियों हुए विषय के पहलुओं का प्रतिबिम्बन इस प्रकार से होगा कि वह विषय विद्यार्थियों और आम जनता की समझ में सरलता से आ जाए।
  • मनोरंजक विज्ञान: भौतिक विज्ञान, गणित, भूगोल, भू-विज्ञान, इलैक्ट्रोनिक, जीवन विज्ञान, रसायन शास्त्र, कम्प्यूटर विज्ञान और सूचना-प्रौद्योगिकी का एक परस्पर संवादी समूह इस वीथि का निर्माण करेगा। प्रदर्शो से विद्यार्थियों की पाठ्यचर्या में सहायता प्राप्त होगी और दर्शकों को विज्ञान की शिक्षा मनोरंजनक लगेगी।

अस्थायी प्रदर्शनी हाल:

इस हाल में महत्वपूर्ण विषयों पर कुछ अन्तरालों और विभिन्न अवसरों पर अस्थायी प्रदर्शनियों के आयोजन किए जाएंगे।

आउटडोर विज्ञान पार्क:

विज्ञान को चार-दीवारी से बाहर लाया गया है। पार्क की हरी-भरी हरीतिमा में परस्पर संवादी प्रदर्शी को सौन्दर्यात्मक रूप में रखा गया है। विज्ञान के मूल सिद्धांतों को सीखने के समय बच्चे उनके साथ खेलते हैं। दर्शकों के लिए वाटर बॉडी, एवियरी, एनीमैलोरियम, जड़ी-बूटियों और चिकित्सीय कार्नर, पिकनिक क्षेत्र आदि अतिरिक्त आकर्षण के केन्द्र हैं।

तारामण्डल:

इनफ्लैटेबल डोम प्लैनेटेरियम, खगोल विद्या को सीखने में श्रेष्ठ प्रकार के परस्पर संवाद को प्रदान कर सकता है। केन्द्र में यह कार्यक्रम नियमित रूप में किया जाएगा।

प्रदर्श विकास प्रयोगशाला:

भविष्य में, इसको प्रदर्शों के अनुरक्षण और प्रदर्शों के विकास के लिए प्रयुक्त किया जाएगा। प्रयोगशाला औजारों और फिटिंग, कार्पेटरी, शीट मेटल, वेल्डिंग, विद्युतीय, इलैक्ट्रोनिक्स और पेंटिंग कार्य की मशीनरियों से युक्त रहेगी।

चल विज्ञान प्रदर्शनी (वैकल्पिक):

केन्द्र की चल विज्ञान प्रदर्शनी (एमएसई) ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों के दौरे करेगी और प्रासंगिक विज्ञान और पर्यावरणीय विषयों पर वर्ष पर्यन्त प्रदर्शनियों के आयोजन करेगी।

अन्य सुविधाएँ:

कम्प्यूटर प्रशिक्षण-कक्ष, विज्ञान पुस्तकालय, सम्मेलन-कक्ष, कार्यालय, स्टोर आदि।

शैक्षिक और प्रशिक्षण कार्यक्रमः

केन्द्र विद्याथियों, अध्यापकों और सामान्य जनों के लिए विज्ञान प्रदर्शन व्याख्यान, लोकप्रिय व्याख्यान, सृजनात्मक योग्यता कार्यक्रम, दूरबीन के माध्यम से आकाश-निरीक्षण, कम्प्यूटर जागरूकता कार्यक्रम, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान सेमिनार और विज्ञान मेले, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम, समुदाय जागरूकता कार्यक्रम, अंध-विश्वास विरोधी कार्यक्रम, विज्ञान फिल्म शो आदि जैसे शैक्षिक कार्यक्रमों को नियमित रूप से आयोजित करेगा। इन उद्देश्यों के लिए एक प्रशिक्षण हाल और एक 150 कुर्सियों वाले सभागार का उपयोग किया जाएगा।

एक आदर्श विद्यालय विज्ञान केन्द्र होगा जिसमें विद्यार्थी विज्ञान में प्रयोग और विज्ञान के मॉडलों के निर्माण के माध्यम से विज्ञान के मूल सिद्धांतों को सीखेंगे, जिसको शिक्षण सामग्री के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इसमें एक बाल-कार्यकलाप कार्नर भी होगा।

(xii) परियोजना-अवधि:

अनुसूची

आदेश देने की तारीख से

(क)

भवन निर्माण

24 माह

(ख)

विज्ञान पार्क का विकास

12 माह

(ग)

प्रदर्शी का निर्माण

30 माह

(घ)

प्रदर्थों का संस्थापन

03 माह (अन्य सुविधाओं के पूर्ण होने के पश्चात)

(ड.)

केन्द्र का प्रारंभ

33 माह (लगभग)

 

सरकारी क्लियरेंस :

राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद द्वारा विज्ञान केन्द्र की स्थापना करने के लिए भारत सरकार के अनुमोदन की आवश्यकता होती है। राज्य सरकार/अन्य निकाय आदि के स्थानीय प्राधिकारियों द्वारा अन्य सभी सांविधिक क्लियरेंस और अनुमोदन राज्य सरकार से प्राप्त किया जाएगा।

श्रेणी-I (उप-क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र)

(ख) 5 लाख से 15 लाख के बीच की जनसंख्या वाले शहर/नगर और पहाड़ी इलाकों और द्वीप

प्रदेशों में स्थित विज्ञान केंद्र

भूमि : राज्य सरकार द्वारा कम से कम 5.0 एकड़ विकसित भूमि (बेहतर होगा कि कोई उथला क्षेत्र न हो और सम आकार हो) बिना किसी लागत के उपलब्ध कराई जाएगी। पहाड़ी क्षेत्रों, द्वीप प्रदेशों आदि के लिए 2.5 एकड़ भूमि प्रदान की जाएगी बशर्ते कि उस भूमि के आस-पास का क्षेत्र अच्छा हो।

पूंजी व्यय : श्रेणी ॥ का विज्ञान केंद्र स्थापित करने के लिए अपेक्षित पूंजी निधि 5.00 करोड़ रु. है। तथापि, पहाड़ी इलाकों, टापू प्रदेशों और दुर्गम पहुंच वाले क्षेत्रों के लिए, विज्ञान केंद्र की पूंजी लागत 6.00 करोड़ रू. होगी। ऐसे केंद्रों की संख्या प्रति राज्य/संघ शासित प्रदेश में एक केंद्र तक ही समिति होगी। विज्ञान केंद्र हेतु आवश्यक भूमि, राज्य सरकार या स्थानीय निकाय द्वारा बिना किसी लागत के उपलब्ध कराई जाएगी।

ii. लागत का विस्तृत ब्यौरा

क्र. सं.

कार्य/व्यय की मदें

राशि (लाख रू. में)

01

 

लगभग 1500 वर्ग मी. के कवर क्षेत्र सहित एस आर एस सी मुख्य भवन, प्लम्बिंग और स्वच्छता सहित सिविल निर्माण

320.76

 

376.38

 

वैद्युत कार्य एवं वातानुकूलन

40.09

 

 

प्रेक्षागृह के लिए कुर्सियां

 

2.00

 

 

वास्तुकार शुल्क

 

13.53

 

02

 

250 वर्ग मी. की दो थीमैटिक वीथियां (25 प्रदर्श)

70.00

03

मार्ग एवं अपेक्षित प्रदर्शी सहित लगभग 3 एकड़ क्षेत्र का विज्ञान पार्क

20.00

04

 

इनफ्लैटेबल गुम्बद वाला तारामंडल

5.00

05

पूर्णत: क्रियाशील प्रदर्श विकास प्रयोगशाला

 

5.00

06

सभी अपेक्षित अवसंरचनाओं सहित कम्प्यूटर प्रशिक्षण क्षेत्र, पुस्तकालय, सम्मेलन कक्ष, भंडार और कार्यालय आदि जैसी अन्य सुविधाएं

10.00

07

परियोजना स्टाफ का वेतन, यात्रा भत्ता एवं महंगाई भत्ता

15.00

 

कुल योग

501.38

 

अर्थात

500.00 लाख

 

पूर्वोत्तर तथा अन्य पहाड़ी इलाके के लिए

600.00 लाख

 

(* संस्कृति मंत्रालय के अनुमोदन के लिए प्रस्तावित नए लागत अनुमान के अनुसार)

 

 

(iv) अपेक्षित निधि :

विज्ञान केन्द्र (स्कीम क) - इस श्रेणी के विज्ञान केन्द्र की अनुमानित लागत 5.00 करोड. रू. होगी। इनकी स्थापना ऐसे स्थानों/क्षेत्रों में जहां विज्ञान केन्द्र कार्यकलाप अभी तक शुरू नहीं हो पाये हैं या प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में की जा सकती है। तथापि, पहाड़ी इलाकों, टापू प्रदेशों और दुर्गम पहुंच वाले दूर-दराज के क्षेत्रों के लिए, विज्ञान केंद्र की पूंजीगत लागत 6.00 करोड़ रू. होगी। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ऐसे केन्द्रों के लिए एनसीएसएम के माध्यम से पूर्ण वित्तपोषण उपलब्ध कराने पर विचार कर सकता है।

विज्ञान केन्द्र (स्कीम ख) - विज्ञान केन्द्र परियोजना (श्रेणी-II) की पूंजी लागत 5.00/6.00 करोड़ रू. होगी जिसमें राज्य सरकार और भारत सरकार के बीच भागीदारी 50:50 आधार पर होगी।

विज्ञान केन्द्र (स्कीम ग) - विज्ञान केन्द्र परियोजना की पूंजी लागत 5.00/6.00 करोड़ रू. होगी। राज्य/संघ शासित सरकार इस विज्ञान केन्द्र परियोजना का पूर्ण वित्तपोषण करेगी और विज्ञान केन्द्र की स्थापना इस बजट के भीतर एनसीएसएम की तकनीकी सहायता से करेगी।

(v) पूँजी व्यय की वर्षवार चरण बद्धता

(करोड़ रूपये में)

स्रोत

प्रथम वर्ष

दवितीय वर्ष

तृतीय वर्ष

योग

भारत सरकार

0.50

1.25

0.75

2.50

 

1.00**

2.50**

1.50**

5.00**

राज्य सरकार

2.50 परियोजना प्रारंभ होने के पहले ही अग्रिम के रूप में जारी किये जाने हैं।

** भारत सरकार द्वारा पूर्ण रूप से वित्तपोषित मामले में:

अधिक मात्रा में हुई लागत व्यय को भी सम्बन्धित राज्य सरकारों/संघ राज्यक्षेत्रों द्वारा वहन किया जाएगा।

(vi) आवर्ती व्यय:

आवर्ती व्ययों को सम्पूर्ण रूप में राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा, इनमें वे मामले अपवाद स्वरूप होंगे जिनमें भारत सरकार परियोजना का पूर्ण रूप से वित्तपोषण करने का निश्चय करती है। और उसका प्रबन्धन राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद जैसी एजेंसियों के माध्यम से करती है। वर्तमान समय में, एक विज्ञान केन्द्र के लिए औसत वार्षिक आवर्ती व्यय 30.00 लाख से 40.00 लाख रूपयों के मध्य है। प्रत्येक वर्ष में, केन्द्र के रख-रखाव के लिए वार्षिक आवर्ती व्यय और वर्षपर्यन्त चलने वाले कार्यकलापों के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रावधान किया जाएगा।

(vii) प्रचालन:

विज्ञान केन्द्र का प्रचालन निम्नलिखित प्रचालनीय पद्धतियों से किया जा सकता है:

स्कीम-क

विज्ञान केन्द्र की स्थापना, भारत सरकार द्वारा पूर्ण रूप से प्रदत्त निधि से की जाएगी और इसका प्रचालन संस्कृति मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद के माध्यम से किया जाएगा। ऐसे विज्ञान केन्द्र उन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों या राज्यों में स्थापित किए जाएंगे जहाँ पर विज्ञान केन्द्रों से सम्बंधित कार्यकलाप अभी तक प्रारंभ नहीं हुए हैं। भविष्य में, स्कीम के तहत किसी भी राज्य/संघ राज्यक्षेत्र के, किसी भी मामले में एक से अधिक विज्ञान केन्द्र की स्थापना नहीं की जाएगी। जिन स्थानों में एनसीएसएम केन्द्र पहले से ही अस्तित्व में है, वहाँ पर यह प्रावधान लागू नहीं होगा। तथापि, एनसीएसएम द्वारा स्थापित किए गए परन्तु सम्बन्धित राज्यों या संघ राज्यक्षेत्रों को सौंपे गए केन्द्रों की, आवश्यक होने पर, उनके उद्देश्यों को पूरा करने और विज्ञान से सम्बन्धित कार्यकलापों के बेहतर समन्वय के लिए एनसीएसएम द्वारा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र, जैसा भी मामला हो, से प्राप्त निधियों से देख-भाल की जा सकती है।

स्कीम-ख

ऐसी राज्य सरकारें/संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन जो एक से अधिक विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के लिए इच्छुक हैं या विज्ञान केन्द्रों का त्वरित विकास चाहते हैं उनको प्राथमिकता प्रदान की जाएगी, बशर्ते, वे परियोजना के लिए 50:50 के अनुपात के आधार पर लागत की हिस्सेदारी सहित निःशुल्क भूमि और केन्द्र की सम्पूर्ण प्रचालन लागत को केन्द्र के विकसित होने और उन्हें राज्य सरकारों/संघ राज्यक्षेत्रों के सौंपने के बाद के व्ययों को वहन करने के लिए सहमत होते हैं।

स्कीम-ग

इस स्कीम के तहत, उन राज्य सरकारों को प्राथमिकता प्रदान की जाएगी जो विज्ञान केन्द्र परियोजना में पूर्ण रूप से निधियों और भूमि तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान करते हैं। विज्ञान केन्द्रों की स्थापना करने में उनको एनसीएसएम द्वारा तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी जिसमें राज्य सरकार की लागत पर प्रदर्श शामिल हैं। राज्यों को सौंपी गई परियोजनाओं के मामले में, ऐसे विज्ञान केन्द्रों को राज्य सरकार द्वारा गठित की गई एक पंजीकृत सोसाइटी द्वारा प्रचालित और अनुरक्षित किया जाएगा। तथापि, ख और ग दोनों स्कीमों के अंतर्गत, राज्य सरकार द्वारा परियोजना की पूंजी लागत के अपने हिस्से को जारी करने के पश्चात तुरन्त ही सोसाइटी का गठन किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद का एक सदस्य सोसाइटी का पदेन सदस्य होगा या एनसीएसएम से आंगिक सम्बन्ध बनाए रखने के लिए एक नियंत्रक परिषद होगी। यह सोसाइटी यह सुनिश्चित करेगी कि विज्ञान केन्द्र अपने उद्देश्यों से विचलित हुए बिना ही परिचालित हो रहा है।

कार्यान्वयन रणनीति:

  • निर्माण

स्कीम-क के अन्तर्गत स्थापित किए गए विज्ञान केन्द्र-भवनों का निर्माण, अभिकल्पन विकास, सजावट कार्य और भवन की आन्तरिक तथा बाहय प्रदर्शनियों की स्थापना एनसीएसएम करेगी। केन्द्र का परिचालन एनसीएसएम के प्रशासनिक नियंत्रण में किया जाएगा।

स्कीम-ख के अन्तर्गत स्थापित किए जाने वाले विज्ञान केन्द्र-एनसीएसएम द्वारा विज्ञान केंद्र का कार्य टर्न-की आधार पर (विज्ञान केन्द्र का निर्माण और स्थापना सहित) पूरा किया जाएगा और इसके पूर्ण होने पर वह इसको राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र को सौंप देगी।

राज्य सरकार से उसका शेयर या निधियों के प्राप्त होने के बाद में ही एनसीएसएम निर्माण का कार्य प्रारंभ करेगी।

स्कीम-'ग' के अन्तर्गत स्थापित किए जाने वाले केन्द्र-राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र द्वारा एनसीएसएम से प्राप्त निवेश के अनुसार भवन निर्माण, विज्ञान पार्क आदि के विकास का कार्य एनसीएसएम की सलाह के अनुसार किया जाएगा। एनसीएसएम द्वारा परियोजना के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी।

  • कर्मचारियों की भर्ती

स्कीम-क के अन्तर्गत विज्ञान केन्द्र-विज्ञान केन्द्रों के परिचालन के लिए एनसीएसएम द्वारा आवश्यक मानवशक्ति की भर्ती और प्रशिक्षण दिया जाएगा। विज्ञान केन्द्र के लिए आवश्यक मुख्य कार्मिक संख्या की संस्वीकृति मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाएगी और एनसीएसएम को आवश्यक निधियों का आबंटन वार्षिक रूप में किया जाएगा।

स्कीम-ख के अन्तर्गत विज्ञान केन्द्र- ऐसे विज्ञान केन्द्रों का परिचालन और अनुरक्षण राज्य सरकार द्वारा गठित की गई पंजीकृत सोसाइटी द्वारा किया जाएगा। इस प्रकार से गठित की गई पंजीकृत सोसाइटी द्वारा निधियों के जारी होने के 3 माह के अन्दर आवश्यक मुख्य कर्मचारी सदस्यों की भर्ती का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। एनसीएसएम द्वारा कार्मिकों की भर्ती के लिए तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाएगा जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि समुचित अभिवृति के उम्मीदवारों का चयन किया जा सके। यदि 3 माह के अन्दर भर्ती नहीं की जाती है तो, एनसीएसएम सम्बन्धित राज्य सरकार/परियोजना के स्थानीय समन्वयक निकाय के परामर्श से मुख्य कर्मचारियों की भर्ती करेगी। परियोजना को सौंपने के पश्चात, एनसीएसएम द्वारा भर्ती किए गए कर्मचारियों के भुगतानों की देनदारी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र द्वारा यह सुनिश्चित करते हुए ली जाएगी कि लाभार्थियों को परियोजना सौंपने के समय प्राप्त होने वाले वेतन बाद में भी प्राप्त होते रहें।

स्कीम-ग के अन्तर्गत विज्ञान केन्द्र-ऐसे विज्ञान केन्द्रों का परिचालन और अनुरक्षण राज्य सरकार द्वारा गठित पंजीकृत सोसाइटी द्वारा किया जाएगा। परियोजना के प्रारंभ होने पर तुरन्त ही सोसाइटी का गठन किया जाना चाहिए।राज्य सरकार द्वारा गठित पंजीकृत सोसाइटी, आवश्यक मुख्य कर्मचारियों की भर्ती का कार्य, निर्माण कार्य के प्रारंभ होने के 3 माह के अन्दर पूरा कर लेगी। एनसीएसएम राज्य सरकार को तकनीकी सहायता प्रदान करेगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उचित अभिवृत्ति के उम्मीदवारों का चयन हो सके।

  • प्रशिक्षण

स्कीम-क के अधीन स्थापित विज्ञान केन्द्र-ऐसे विज्ञान केन्द्रों के परिचालन के लिए आवश्यक मुख्य कर्मचारियों की भर्ती और विज्ञान केन्द्रों के परिचालन और अनुरक्षण के लिए कर्मचारियों के लिए समुचित प्रशिक्षण एनसीएसएम द्वारा प्रदान किया जाएगा।

स्कीम-ख और ग के अन्तर्गत स्थापित विज्ञान केन्द्र-पंजीकृत सोसाइटी या राज्य सरकार द्वारा भर्ती किए गए अधिकारियों और कर्मचारियों को, एनसीएसएम की किसी भी इकाई में प्रशिक्षित किया जाएगा। राज्य सरकार उनको परियोजना पूरी होने के कम से कम एक वर्ष पहले विज्ञान केन्द्र के विकास, प्रचालन और अनुरक्षण में आवश्यक प्रशिक्षण हेतु प्रतिनियुक्त करेगी। ऐसे प्रशिक्षण की लागत/व्यय को राज्य/संघ राज्यक्षेत्र द्वारा वहन किया जाएगा।

(vii) भर्ती की अनुसूची:

क्र.सं.

राज्य सरकार द्वारा जारी की गई  निधि की तारीख से 3 माह के अन्दर तैनात किए जाने हेतु

राज्य सरकार द्वारा जारी की गई निधि की तारीख से एक वर्ष के अन्दर भर्ती करके भर्ती करके तैनात किए जाने हेतु

 

01

 

क्यूरेटर

01

अवर श्रेणी लिपिक

02

02

शिक्षा सहायक

 

01

 

 

03

तकनीकी सहायक

04

 

 

 

योग:

 

06

 

02

महायोग- 08

 

(ix) समय-सूची:

किसी भी विज्ञान केन्द्र की स्थापना के लिए अपेक्षित समयावधि 27 माह है।

(xi) अन्तर्वस्तुः

सम्पूर्ण भवन में कवर किया गया क्षेत्रफल 1500 वर्गमीटर (लगभग) होगा, जिसका 800 वर्ग मीटर प्रदर्शों के प्रदर्शन हाल के रूप में, 200 वर्गमीटर दर्शकों के कार्यकलाप/गतिविधि क्षेत्र के रूप में और शेष 500 वर्ग का उपयोग प्रदर्श विकास प्रयोगशाला, कार्यालय आदि के रूप में किया जाएगा। भूतलक्षेत्र के विस्तार का भी प्रावधान किया जाएगा।

विज्ञान केन्द्र में सामान्य रूप में निम्नलिखित वीथियों और सुविधाओं की स्थापना की जाएगी:

स्थायी वीथियां:

  • विषयपरक वीथियाँ: केंद्र की मुख्य वीथिका वैज्ञानिक महत्व के साथ-साथ पर्यावरण, वन, पर्वत, प्राकृतिक संसाधन, स्थानीय संसाधनों और उनके उचित उपयोग पर विशेष रूप से बल देने के साथसाथ देशी प्रोद्योगिकी जैसे सामाजिक प्रासंगिकता के विषय पर आधारित होगी। अधिकतर प्रदर्श परस्पर संवादी प्रकृति के होंगे तथा उनकी अनुपूर्ति दृश्यों चित्रों और कलाकृतियों के साथ की जाएगी।
  • मनोरंजक विज्ञान: भौतिक विज्ञान, गणित, भूगोल, भू-विज्ञान, इलैक्ट्रोनिक, जीवन विज्ञान, रसायन शास्त्र, कम्प्यूटर विज्ञान और सूचना-प्रौद्योगिकी का एक परस्पर संवादी समूह इस वीथि का निर्माण करेगा। प्रदर्शो से विद्यार्थियों की पाठ्यचर्या में सहायता प्राप्त होगी और दर्शकों को विज्ञान की शिक्षा मनोरंजक लगेगी।

भवन-बाह्य विज्ञान पार्क:

विज्ञान को, चार-दीवारी से बाहर लाया गया है। पार्क की हरी-भरी हरीतिमा में परस्पर संवादी प्रदर्शी को सौन्दर्यात्मक रूप में रखा गया है। विज्ञान के मूल सिद्धांतों को सीखने के समय पर बच्चे उनके साथ में खेलते हैं। दर्शकों के लिए वाटर बाडी, एवियरी, एनीमैलोरियम, जड़ी-बूटियों और चिकित्सीय पौधो का कार्नर, आंगतुकों के लिए पिकनिक क्षेत्र आदि अतिरिक्त आकर्षण के केन्द्र हैं।

तारामण्डल:

इनफ्लैटेबिल डोम प्लैनेटेरियम, खगोल विद्या को सीखने में सर्वोत्तम प्रकार के परस्पर संवाद को प्रदान कर सकता है। केन्द्र में यह कार्यक्रम नियमित रूप में किया जाएगा।

प्रदर्श विकास प्रयोगशाला: भविष्य में, इसको प्रदर्शों के अनुरक्षण और प्रदर्शी और किटों के विकास के लिए प्रयुक्त किया जाएगा।

अन्य सुविधाएँ:

अस्थायी प्रदर्शनी हॉल, विज्ञान पुस्तकालय, सम्मेलन-कक्ष, कार्यालय, स्टोर आदि।

शैक्षिक और प्रशिक्षण कार्यक्रम:

केन्द्र विद्यार्थियों, अध्यापकों और सामान्य जनों के लिए विज्ञान प्रदर्शन व्याख्यान, लोकप्रिय व्याख्यान, सृजनात्मक योग्यता कार्यक्रम, दूरबीन के माध्यम से आकाश-निरीक्षण, कम्प्यूटर जागरूकता कार्यक्रम, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान सेमिनार और विज्ञान मेले, अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम, समुदाय जागरूकता कार्यक्रम, अंध-विश्वास विरोधी कार्यक्रम, विज्ञान फिल्म शो आदि जैसे शैक्षिक कार्यक्रमों को नियमित रूप से आयोजित करेगा। इन उद्देश्यों के लिए एक प्रशिक्षण हाल और 150 कुर्सियों वाले एक सभागार का उपयोग किया जाएगा।

यहाँ पर एक आदर्श विद्यालय विज्ञान केन्द्र होगा जिसमें विद्यार्थी विज्ञान में प्रयोग और विज्ञान के मॉडलों को बनाने के माध्यम से विज्ञान के मूल सिद्धांतों को सीखेंगे, जिसको शिक्षण सामग्री के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। यह, विद्यालयों में दी जा रही औपचारिक विज्ञान शिक्षा का अनुपूरक होगा। इसमें एक बाल-कार्यकलाप कार्नर भी होगा।

(xi) परियोजना-अवधि:

कार्यक्रम सूची

आदेश देने की तारीख से

(क)

भवन का निर्माण

18 माह

(ख)

विज्ञान पार्क का विकास

12 माह

(ग)

प्रदर्शों का निर्माण

24 माह

(घ)

प्रदर्थों का स्थापन

03 माह (अन्य सुविधाओं के

पूर्ण होने के पश्चात)

(ड.)

केन्द्र का प्रारंभ

 

27 माह (लगभग)

 

सरकार से निर्बाधता-पत्र

राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद द्वारा विज्ञान केन्द्र की स्थापना करने के लिए राज्य सरकार/अन्य निकाय आदि के स्थानीय प्राधिकारियों द्वारा अपेक्षित निर्बाधता-पत्र और अनुमोदन आदि राज्य सरकार द्वारा प्राप्त किए जाएंगे।

विशेष टिप्पणी

1.  विज्ञान केन्द्र की भूमि का चयन एनसीएसएम के परामर्श और अनुमोदन से किया जाएगा।

2.  विज्ञान केन्द्र के लिए इंगित भूमि सब प्रकार की बाधाओं और अधिक्रमण से मुक्त होनी चाहिए। यह पूर्णतः विकसित भूमि होनी चाहिए जिसके आस-पास के क्षेत्रों में बिजली, जल, सीवरेज कनेक्शन और दूरसंचार सुविधा भी उपलब्ध हो। यह भूमि मुख्य सड़क से भली प्रकार से जुड़ी हो ताकि वहां पहुँचने और परिवहन की सुगमता हो।

3.  जैसा कि उपर्युक्त प्रस्ताव में दर्शाया गया है, कोर स्टाफ के अतिरिक्त अन्य आवश्यक सेवाओं को आऊटसोर्स करवाया जा सकता है।

4.  विज्ञान केन्द्र को, स्थानीय जनसंख्या में वृधि और केन्द्र में आने वाले आगंतुकों की संख्या के आधार पर, आवश्यकतानुसार, भविष्य में विस्तार करने की संभावना उपलब्ध कराने की दृष्टि से, मॉड्यूलर आकार में निर्मित किया जाएगा।

5.  पहाड़ी इलाकों, टापू प्रदेशों, दूर दराज के क्षेत्रों आदि में स्थित विज्ञान केंद्रों के लिए, पूंजीगत लागत को भारत सरकार और संबंधित राज्य सरकार के बीच 90:10 के आधार पर बांटने पर विचार किया जा सकता है।

स्त्रोत: संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate