অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

कानूनी और नैतिक मुद्दे

कानूनी और नैतिक मुद्दे

  1. राष्ट्रीय मानव अंग और ऊतक को निष्कासन और संग्रहण नेटवर्क क्या है?
  2. राष्ट्रीय पंजीकरण क्या है?
    1. अंग प्रत्यारोपण पंजीकरण
    2. अंग दान पंजीकरण
    3. ऊतक पंजीकरण
    4. अंग दाता प्रतिज्ञा पंजीकरण
  3. अंग दान पर कानूनी स्थिति क्या है?
  4. अंग तस्करी क्या है?
  5. लोग अंगों को बेच / खरीद सकते हैं?
  6. यदि मुझे लगता है कि अंगों की बिक्री की जा रही है तो मैं किससे रिपोर्ट कैसे करूं?
  7. जीवित असंबंधित दान के साथ नैतिक चिंताएं क्या हैं?
  8. "जरूरी अनुरोध" क्या है?
  9. "परिकल्पित सहमति" क्या है?
  10. " सूचित सहमति" क्या है?
  11. मेडिको-लीगल मामले क्या हैं?
  12. क्या ब्रेन स्टेम मौत की घोषणा करने के लिए किसी भी तरह से पुलिस विभाग शामिल है?
  13. अंग प्रत्यारोपण के लिए भारत सरकार आर्थिक रूप से समर्थन करता है?
  14. क्या यह संभव है कि यदि आप, अमीर अच्छे संपर्क से जुड़े हुए हैं और प्रभावशाली हैं तो प्रतीक्षा सूची में आपका स्थान पहले होगा?
  15. किसी को एक अंग की सख्त जरूरत है तो एक विशेष अपील करने का कोई बिंदु है?
  16. यह सही है कि एक जीवित व्यक्ति से एक स्वस्थ अंग निकालकर और दूसरे को दे दिया जाए?

राष्ट्रीय मानव अंग और ऊतक को निष्कासन और संग्रहण नेटवर्क क्या है?

केंद्र सरकार ने मानव अंग और ऊतक को निष्कासन और संग्रहण के लिए एक राष्ट्रीय नेटवर्क स्था्पित किया है, जिसका नाम एनओटीटीओ (NOTTO)है, जिसका अर्थ है राष्ट्रीय मानव अंग और ऊतक को निष्कासन और संग्रहण नेटवर्क। NOTTO के पांच क्षेत्रीय नेटवर्क हैं (ROTTO)और देश के प्रत्येक क्षेत्र में प्रत्येक राज्य / संघ राज्य क्षेत्र में SOTTO (राज्य मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन) विकसित किया जाएगा। देश के प्रत्येक अस्पताल में प्रत्यारोपण गतिविधि, चाहे इसका संग्रह या प्रत्यारोपण हो, यह एक राष्ट्री्य नेटवर्क के भाग के रूप में ROTTO / SOTTO के जरिए NOTTO से जुड़ा है।

राष्ट्रीय पंजीकरण क्या है?

अंग दान और प्रत्यारोपण के लिए राष्ट्रीय पंजीकरण इस प्रकार है: -

अंग प्रत्यारोपण पंजीकरण

अंग प्रत्यारोपण पंजीकरण में प्रत्यारोपण (अंग / अस्पताल वार प्रतीक्षा सूची), दाता (जीवित दाता सहित संबंधित दाता, निकट संबंधियों के अलावा दाता, स्वैप दाता और मृतक दाता की) अस्पतालों, प्राप्तकर्ता और दाता के अनुवर्तन के विवरण आदि की जानकारी और सभी पुनर्प्राप्ति और प्रत्यारोपण केंद्रों से आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। आंकड़ों को संग्रह वरीयता वेब आधारित इंटरफेस या जमा किए गए कागजों के जरिए किया जाएगा और यह जानकारी विशिष्ट अंग वार और समेकित फॉर्मेट दोनों में रखी जाएगी। अस्पताल या संस्थान उस अस्पताल या संस्थान में किए गए प्रत्यारोपणों की कुल संख्या के साथ प्रत्येक प्रत्यारोपण के उचित विवरण अपनी वेबसाइट पर नियमित रूप से अपडेट करेंगे और इन आंकड़ों को संकलन, विश्लेषण तथा उपयोग के लिए संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के अधिकृत व्यक्तियों द्वारा लिया जा सकेगा।

अंग दान पंजीकरण

अंग दान पंजीकरण में दाता (जीवित और मृत दोनों) की जन संख्यां सूचना, अस्पताल, लंबाई और वज़न, पेशा, मृत दाता के मामले में मृत्यु का प्राथमिक कारण, इससे जुड़ी चिकित्सा् बीमारियों, संगत प्रयोगशाला जांचों, दाता अनुरक्षण विवरण, ड्राइविंग लाइसेंस या दान की प्रतिज्ञा के अन्य् दस्तावेज, उनके द्वारा अनुरोध किए गए दान, प्रत्यारोपण समन्वयक, प्राप्त अंग या ऊतक, दान किए गए अंग या ऊतक के परिणाम, ग्राही के विवरण आदि होंगे।

ऊतक पंजीकरण

ऊतक पंजीकरण में ऊतक दाता, ऊतक पुनर्प्राप्ति या दान, मृतक दाता के मामले में मौत का प्रमुख कारण, दाता रखरखाव विवरण ब्रेन स्टेम मृत दाता, इससे जुड़ी चिकित्सा बीमारियों, प्रासंगिक प्रयोगशाला परीक्षण, ड्राइविंग लाइसेंस या किसी अन्य दस्तावेज़ वचन दान के मामले में, जिनके द्वारा दान का अनुरोध किया गया, सलाहकारों की पहचान, लिए गए ऊतक या अंग, ऊतक प्राप्तकर्ता के बारे में जनसांख्यिकीय डेटा, गंभीर रोगियों के लिए प्रत्यारोपण करने वाले अस्पताल, प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची और प्राथमिकता सूची का रखरखाव, यदि इसमें प्रत्यारोपण, प्रत्यारोपित ऊतक के परिणाम, आदि का संकेत है, के विवरण आदि होंगे।

अंग दाता प्रतिज्ञा पंजीकरण

राष्ट्रीय अंग दाता रजिस्ट्रर एक कंप्यूटर डेटा बेस है, जिसमें उन लोगों की इच्छाएं दर्ज की जाती है, जिन्होंने अपने ऊतकों और अंगों के दान की प्रतिज्ञा ली है। व्यक्ति अपने जीवन के दौरान ही अपनी मृत्यु के बाद अपने ऊतकों या अंगों के दान की प्रतिज्ञा ले सकते हैं और इसके लिए प्रपत्र 7 भरना होता है जिसे ऑनलाइन या कागज के रूप में संबंधित नेटवर्किंग संगठन में जमा किया जा सकता है और प्रतिज्ञा लेने वाले व्यक्ति के पास सूचना देकर अपनी प्रतिज्ञा वापस लेने का विकल्प होता है।

ऐसे अनेक अस्पताल और संगठन हैं जहां उन व्याक्तियों की सूची रखी गई है जो उनके साथ अंगदान करने की प्रतिज्ञा लेते हैं जिनकी जानकारी ऊतक और अंग प्रत्यारोपण संगठन में राष्ट्रीय रजिस्टार में भेजा जाएगा।

अंग दान पर कानूनी स्थिति क्या है?

कानून के तहत अंग प्रत्यारोपण और दान की अनुमति दी जाती है और इसे 'मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994'' के तहत कवर किया गया है, जिसमें जीवित और मृत मस्तिष्क दाताओं द्वारा अंग दान की अनुमति दी गई है। वर्ष 2011 में अधिनियम के संशोधन के जरिए मानव ऊतकों के दान को इसमें शामिल किया गया है और इस प्रकार संशोधित अधिनियम ''ऊतकों और अंगों के प्रत्याकरोपण अधिनियम 2011'' कहलाता है।

अंग तस्करी क्या है?

वर्तमान परिदृश्य में ठोस अंगों की मांग आवश्यकता पूरी करने से बहुत दूर है, अत: लोग अपने प्रिय जनों का जीवन बचाने के लिए अलग अलग तरीकों से इसे पूरा करते हैं। अनेक दृष्टांतों में, जीवित दान वाणिज्यिकृत हो गया है, खास तौर पर जीवित असंबंधित समूहों में। यह एक विवादास्पद मुद्दा है। गरीब और जरूरत मंद लोगों का शोषण होता है, वे पैसे के बदले अपने अंग बेच देते हैं और वे सर्जरी तथा ऑपरेशन के बाद होने वाली देखभाल की गंभीरता को नहीं समझते । यह देखा जाता है कि आम तौर पर विकसित देशों के लोग प्रत्यांरोपण के लिए विकासशील देशों में रोगियों को लेकर आते हैं।

लोग अंगों को बेच / खरीद सकते हैं?

नहीं। मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (THOA) के अनुसार किसी भी प्रकार से अंगों की बिक्री / खरीद दण्डनीय है और इसमें कोई उल्लेखनीय वित्तीय तथा न्यायायिक दण्ड दिया जा सकता है। न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के अन्यी हिस्सों में भी किसी अंग की बिक्री की अनुमति नहीं है।

यदि मुझे लगता है कि अंगों की बिक्री की जा रही है तो मैं किससे रिपोर्ट कैसे करूं?

गलत रिकॉर्ड जमा करने या अन्य‍ किसी उल्लंघन के मामले की रिपोर्ट राज्य सरकार के उपयुक्त प्राधिकारी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में की जानी चाहिए। किसी भी अस्पताल, प्राधिकरण समिति या राज्यि के उचित प्राधिकरण में किसी व्यक्ति से संपर्क किया जा सकता है। उचित प्राधिकरण द्वारा उस व्यक्ति के खिलाफ मामला दायर किया जा सकता है। संशोधित मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (टीएचओए) के अनुसार इसके लिए निम्नानुसार अपराध / दण्ड् की व्यवस्था है :

अपराध (टीएचओ अधिनियम 2011संशोधन)

कारावास

जुर्माना

प्राधिकार के बिना अंगों को निकालना

 

10 वर्ष

 

20 लाख रु.

 

आरएमपी के लिए जुर्माना – प्राधिकार के बिना अंगों को निकालना

 

पहला अपराध: 3 साल के लिए पंजीकरण समाप्‍त

 

दूसरा अपराध: स्थायी पंजीकरण समाप्‍त

 

अंगों का वाणिज्यिक लेन-देन, दस्तावेजों का मिथ्याकरण

 

5 - 10 वर्ष

 

20 लाख - 1 करोड़ रुपए

 

टीएचओए का कोई उल्लंघन

 

5 वर्ष

20 लाख रु.

जीवित असंबंधित दान के साथ नैतिक चिंताएं क्या हैं?

डॉक्टरों को इसके मामले में दाताओं के संभावित भावनात्मक / वित्तीय शोषण को लेकर चिंता है जो ग्राही के परिवार के लोग और प्रत्यारोपण करने वाले अस्पताल करते हैं। उन्हें यह भी चिंता है कि अंगों की बढ़ती मांग के साथ निर्धन दाताओं को सम्मान के साथ जीवित रहने के अधिकार को ठुकराया जा सकता है।

प्रत्यारोपण अस्पताल छानबीन की उचित प्रणाली और सभी अनुप्रयोगों की समीक्षा के लिए अस्पताल / जिला / राज्य में इसकी उचित व्यवस्था होती है। आज जीवित असंबंधित दान अधिक पारदर्शी और सुचारु बन गया है।

"जरूरी अनुरोध" क्या है?

जरुरी अनुरोध मृत दाता प्रत्यारोपण के लिए व्यक्ति की सहमति पाने का एक तरीका है। कोई भी व्यक्ति जो अपने अंगों और ऊतकों को अपनी मृत्यु के बाद दान करने का इच्छुक है तो उसे यह प्रतिज्ञा लेनी होती है कि उसकी मौत के बाद उसके अंगों का इस्तेमाल प्रत्यारोपण और अन्य लोगों का जीवन बचाने में किया जा सके।

मृत्यु के समय अस्पताल के कर्मचारी मृत व्यक्ति के परिवार से संपर्क करते हैं और अपने प्रियजन के अंग और ऊतक दान देकर अन्य लोगों का जीवन बचाने का अनुरोध करते हैं। इस तरीके को ''विकल्प'' मार्ग भी कहते हैं।

"परिकल्पित सहमति" क्या है?

परिकल्पित सहमति मार्ग में अंग दान के लिए मृत्यु के समय प्रत्येक व्यतक्ति को सहमत होना चाहिए, जब तक उस व्यक्ति ने अपने जीवन काल के दौरान यह निर्णय नहीं लिया हो कि वह अपनी मृत्यु के बाद अंगों एवं ऊतकों का दान करने का इच्छुक नहीं है। इस प्रणाली को भी ''विकल्प हटाने'' की प्रणाली कहते हैं। दुनिया में ऐसे कई देश है, जहां लोगों ने अंग दान के लिए परिकल्पित सहमति का विकल्प अपनाया है और वे मानते हैं कि परिकल्पित सहमति मार्ग से अंग दान की दर आम तौर पर बढ़ जाती है। जबकि सभी लोग इससे सहमत नहीं हैं। भारत में इस मार्ग को नहीं अपनाया जाता है।

" सूचित सहमति" क्या है?

सूचित सहमति ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी विशिष्ट‍ अंग और ऊतक का दान नहीं किया जाता। यह इस बात को पूरी तरह समझने पर आधारित एक करार है जो किया जाएगा और यह एक चिकित्सा उपचार के रूप में होगा। सूचित सहमति में जानकारी साझा की जाती है और चिकित्सा उपचार के संबंध में विकल्प बनाने की स्वातंत्रता होती है और उसे समझा जाता है।

मेडिको-लीगल मामले क्या हैं?

जब एक दुर्घटना के घायल व्यक्ति को अस्पताल में आपातकालीन उपचार के लिए लाया जाता है तो परिवार की ओर से नजदीकी पुलिस थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है। आम तौर पर इन मामलों को मेडिको लीगल मामले कहते हैं। साथ ही किसी चिकित्सा उपचार (आत्मर हत्या, दुव्यर्वहार, जहर पीने या गिर जाने के लिए), जिसके लिए पुलिस को सूचित करने की जरूरत होती है, इसे मेडिको लीगल मामला कहते हैं।

पुलिस द्वारा घटना की जानकारी प्राप्त की जाती है और मामले को देखा जाता है। एक फोरेंसिक डॉक्टर रोगी की जांच करेगा और वह अंग प्राप्ति की अनुमति या अस्वीकृति देगा।

क्या ब्रेन स्टेम मौत की घोषणा करने के लिए किसी भी तरह से पुलिस विभाग शामिल है?

पुलिस विभाग को सूचित करना होता है कि यदि रोगी के मस्तिष्क की मौत हो गई है और यह एक मेडिको लीगल मामला है, किंतु मस्तिष्क की मौत की घोषणा डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा ही की जा सकती है।

अंग प्रत्यारोपण के लिए भारत सरकार आर्थिक रूप से समर्थन करता है?

हां। अंग प्रत्यारोपण के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय अंग और प्रत्‍यारोपण कार्यक्रम (एनओटीपी) आरंभ किया है, जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले रोगियों को प्रत्यारोपण के खर्च के अलावा प्रत्यारोपण के बाद एक वर्ष तक दवाओं का खर्च पूरा करने के लिए आर्थिक रूप से समर्थन दिया जाता है। इसके अलावा सभी सार्वजनिक अस्पताल में गुर्दा प्रत्यारोपण पर भारत सरकार की नीति के अनुसार सब्सिडी दी जाती है।

क्या यह संभव है कि यदि आप, अमीर अच्छे संपर्क से जुड़े हुए हैं और प्रभावशाली हैं तो प्रतीक्षा सूची में आपका स्थान पहले होगा?

नहीं। भारत में, प्रतीक्षा सूची के ग्राहियों को अंग का आबंटन पहले से निर्धारित मानदण्डों पर आधारित है, जिसमें पंजीकरण की तिथि और चिकित्सा मानदण्ड शामिल होते हैं। एक व्यक्ति की संपत्ति, नस्लं या लिंग से प्रतीक्षा सूची में उसके स्थान पर कोई प्रभाव नहीं होता और न ही यह तय होता है कि उस व्यक्ति को अंग का दान किया जाएगा। मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 में भारत में मानव अंगों की बिक्री या खरीद को गैर कानूनी बताया गया है।

किसी को एक अंग की सख्त जरूरत है तो एक विशेष अपील करने का कोई बिंदु है?

आम तौर पर कोई विशेष अपील करने से कुछ अधिक व्यक्ति दाता बनने के लिए सहमत हो जाते हैं और इस प्रकार अंग दान करने की शपथ लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ जाती है।

जबकि, समाचार पत्रों और टेलीविजन के जरिए अपील करने वाले परिवारों को उस व्यक्ति के लिए तुरंत कोई अंग उपलब्धत नहीं होगा, जिसके लिए अपील की गई थी। रोगी अब भी प्रतीक्षा सूची में बना रहेगा, जैसे कि अन्य लोग हैं, और दाता अंगों को ग्राहियों के साथ मिलान करने और इनके आबंटन के नियमों को अब भी लागू किया जाता है।

यह सही है कि एक जीवित व्यक्ति से एक स्वस्थ अंग निकालकर और दूसरे को दे दिया जाए?

अंग प्रत्यारोपण केवल एक जीवन रक्षक उपचार है। यह प्रत्यारोपण दल के लिए सर्वोत्तम निर्णय होता है कि वे एक जीवित व्यक्ति से अंग निकालकर उसे दान के रूप में लगाते समय इन दो मुद्दों को ध्यान में रखें, कि इससे दाता को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए और यह ग्राही के लिए लाभकारी होना चाहिए। यह निर्णय केवल प्रत्यारोपण दल ले सकता है कि क्या रोगी को होने वाला लाभ दाता के सामने आने वाले जोखिम की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। प्रत्यारोपण दल दाता की रोग और मृत्यु दर को विचार में ले, जबकि इसका शुद्धता पूर्वक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।

 

स्त्रोत: राष्ट्रीय मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate