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मधुमेह प्रबंधन के लिए योग चिकित्सा

व्यायाम की आवश्यकता

नियमित व्यायाम मधुमेह को नियंत्रण में रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है। शारीरिक श्रम से रक्त शर्करा की अधिक मात्रा इस्तेमाल हो जाती है जिससे बाह्य रूप से ली जाने वाली इन्सुलिन की मात्रा में भी कमी आ जाती है। टहलना, धीरे-धीरे दौड़ना, साईकिल चलाना तथा योगाभ्यास सभी इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। फिर भी मधुमेह से ग्रस्त रोगियों को टहलने पर पर्याप्त ध्यान देना चाहिए। इससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। हृदय की कार्यक्षमता में सुधार होता है। पेशियों में प्रसारण एवं संकुचन की क्रिया होने से वे सशक्त होती हैं।

व्यायाम से मधुमेह के नियंत्रण में सहायता

नियमित रूप से व्यायाम करना यद्यपि प्रत्येक व्यक्ति के लिए लाभदायक है किन्तु मधुमेह को चिकित्सा आहार के पश्चात् व्यायाम का ही स्थान है। चलना, दौड़ना, तैरना, साईकिल चलाना तथा बागवानी करना ऐसे व्यायाम हैं जो विशेष श्रम साध्य न होकर मधूमेह के रोगियों के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। व्यायाम के नियमित अभ्यास से रक्त में शर्करा की मात्रा कम होती है अत: औषधि  या इन्सुलिन लेने वाले मधुमेह के रोगियों को व्यायाम के अनुपात में दवा की मात्रा का निर्धारण अपने चिकित्सक के परामर्श से कराते रहना चाहिए। व्यायाम शुरू करने के बाद दवा की मात्र पूर्णनिर्धारित न करने पर रक्त में शर्करा का स्तर नीचे आ जाने का खतरा बना रहता है।

व्यायाम के कुछ अन्य लाभ भी हैं। ये हृदय की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं। शरीर में एकत्र वसा को खर्च करके वजन को कम करते हैं। व्यायाम के नियमित अभ्यास अभ्यास से मधोमेह को रोगी की मानसिक स्थिति में काफी सकरात्मक सुधार आता है। शरीर के अंग–प्रत्यंग के रक्तसंचार को बढाकर व्यायाम कोलेस्ट्रोल एवं ट्राईग्लिसराइड्स के स्टर को भी कम करते हैं।

मधुमेह के रोगी को व्यायाम करते समय बीच-बीच में आवश्यक्तानुसार विश्राम भी करते रहना चाहिए।

व्यायाम से जुड़ीं सावधानियाँ

व्यायाम प्रारंभ करने से पूर्व मधुमेह के रोगी को अपनी रक्त शर्करा की जाँच करा लेनी चाहिए तथा अपने चिकित्सा के निर्देशानुसार व्यायाम का कार्यक्रम बनाना चाहिए। उचित होगा की एक अनुभवी एवं प्रशिक्षित प्राकृतिक योग चिकित्सक से इसके बारे में परामर्श लेकर योगाभ्यास के एक क्रम का निर्धारण करा लिया जाए। व्यायाम करते समय या व्यायाम करने के पश्चात् यदि थकान महसूस हो, जी घबराने लगे, दुर्बलता मालूम हो, सीने में दर्द या भारीपन लगे तो सभी कार्य छोड़कर तुरंत लेट जाना चाहिए। उपर्युक्त लक्षण उत्पन्न होने का अर्थ है की व्यायाम की मात्रा शरीर की क्षमता से अधिक हो गई है। पैदल चलने के बाद यदि पैरों में दर्द रहने लगे तो पैदल चलने के बाद यदि पैरों में दर्द रहने लगे तो पैदल चलने का अभ्यास कम कर देना चाहिए। व्यायाम करते समय किसी तरह क आघात या चोट न लगे इसका ध्यान रखना चाहिए। यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि व्यायाम के उपरांत रोगी द्वारा लिए जाने वाले आहार की मात्रा में वृद्धि न हो अन्यथा व्यायाम से लाभ मिलने की सम्भवना क्षीण हो जाएगी।

योगाभ्यास की उपयोगिता

प्राय: मधुमेह को जीवन भर चलने वाले रोग की संज्ञा दी जाती है किन्तु योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा की दृष्टि से यह पाचन संबंधी रोग माना जाता है। नियमित योगाभ्यास करने से इस रोग की स्थिति को काफी हद तक रूप से नियंत्रण में लाया जा सकता है। मधुमेह का नियंत्रण प्रभावी रूप से करने वाले साधनों में योग सबसे उत्कृष्ट साधन है। व्यायाम करने में असमर्थ मधुमेह के बहुत से रोगी, घरेलू कामकाज कर कारण सवेरे टहलने के लिए घर से न निकल पानी वाली महिलाएँ तथा प्रौढ़ व्यक्ति नियमित रूप से योगाभ्यास करके अपने रोग को नियंत्रण में ला सकते हैं।

विभिन्न योगासानों का अभ्यास

मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक प्रमुख योगासन कटिचक्रासन, ऊर्ध्वह्स्तोत्तानसन, पादहस्तासन, भुजंगासन, धनुरासन, पशिच्मोत्तानासन, कोणासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन, मयूरासन, सुप्तपवनमुक्तासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, तथा श्वसन आदि हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कई आसन भी हैं जो मधुमेह के रोगियों को लाभ पहुंचाते हैं। आसनों का अभ्यास किसी योग प्राकृतिक चिकित्सक की देख रेख में तथा अपने चिकित्सका के परामर्श से प्रारंभ करना चाहिए। इन आसनों के अतिरिक्त सूर्यनमस्कार एवं नाढ़ी शोधन प्राणायाम का नियमित अभ्यास भी इस रोग के नियंत्रण में प्रभावी रूप से कार्य करता है।

सूर्यनमस्कार के लाभ

सूर्यनमस्कार पूरे शरीर का एक लयबद्ध व्यायाम है। इसका नियमित अभ्यास शरीर के सभी अंगो और संस्थानों को सक्रिय और सशक्त बनाता है। यह विशेष रूप से पाचन संस्थान एवं अत: स्रावी संस्थान को प्रभावित करता है जिसका प्रभाव इन्सुलिन का स्राव करने वाली अग्नाशय ग्रंथि पर भी पड़ता है। इसके अतिरिक्त यह शरीर के रक्त संसार को उन्नत करता है तथा स्त्रियों के प्रदर रोग को दूर करते हुए गर्भाशय को सबल बनाता है । यह शरीर की अतिरिक्त वसा इसके लगातार अभ्यास से कम हो जाती है तथा मोटापा दूर हो जाता है जो मधुमेह का एक बड़ा कारण है। इसके नियमित अभ्यास से तनाव दूर होकर व्यक्ति की स्थिरता, एकाग्रता व आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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