कुछ लोगो को इसका दर्द महसूस होता है। लेकिन कुछ लोगों को दिल का दर्द बिलकुल नही महसूस होता। कुछ लोगों का समस्या जॉंच के लिये कार्डिओग्राम करने के समय कभी कभार भूतपूर्व दिल का दौरा समझ में आता है। जैसे हमने कहा, कुछ लोग नींद मे ही गुजर जाते है।
दौरे का दर्द छाती, कंधा नाभी के उपर या गले के उपरतक किसी भी अंग में अनुभव होता है। कभी कभी पेट में जलन या पीठ में तीखा दर्द अनुभव होता है। मरीजकी सांस तेजी से चलती है। पसीना और छाती में धडकन होती है। रक्तचाप कम होने से आदमी बेहोश होकर गिर सकता है। नाडी तेजी से दौडती है लेकिन दुबली होती है। कभी कभी नाडी सामान्य गती से कम होती है।
ज़्यादातर मामलों में दिल के दौरे में दर्द बहुत ही ज़ोर का होता है और इसमें कमी नहीं आती है। इसे व्यक्त करने का सबसे आम तरीका है – दिल के क्षेत्र में तीखा, काटने वाला या निचोड़ने वाला दर्द जो बांये हाथ की ओर जा रहा होता है।
कभी कभार ये दर्द नाभी के ऊपर छाती के बीचों बीच भी होता है (आमाश्य शोथ जैसे)।
साथ साथ पसीना आना, उल्टी या बेहोशी भी हो सकती है।
कभी कभार बिना दर्द के भी शांत रूप से दिल का दौरा पड़ सकता है। ऐसे में इसका पता किसी और कारण से किए गए ई.सी.जी. से चलता है।
दिल के दौरे से कभी कभी उसी समय मृत्यु हो जाती है। कभी कभी इससे पीडित व्यक्ति को किसी किस्म की कोई चेतावनी भी नहीं मिलती।
इलाज के समय कई मुद्दों का विचार होता है। उम्र, धमनी का अवरोध कितना प्रतिशत है, डायबिटीज का होना न होना यह सब महत्त्वपूर्ण है। धमनी में खून की थक्का अटका हो तो दो घंटों के अंदर उसपर द्रावक इंजेक्शन देना जरूरी होता है। यह दवा खर्चिली है लेकिन जान बचा सकती है। इमर्जन्सी एन्जिओग्राफी का मूल्य लगभग दस हजार तक होता है। एन्जिओग्राफी का मतलब है धमनी की अंदरुनी स्थिती देखना।
कुछ मरिजों के लिये एन्जिओप्लास्टी की जरूरत होती है। एन्जिओप्लास्टी का मतलब है उस धमनी का अटकाव निकालना। इसका खर्चा स्टेंट के उपर निर्भर होता है। बायपास ऑपरेशन कुछ लोगों मे अनिवार्य होता है। खराब धमनी को शरीर के अन्य धमनी का टुकडा लगाकर प्रवाहित किया जाता है। बायपास सर्जरी काफी खर्चेली साबित हो सकती है। वैसे ही बायपास सर्जरी का फल वह इमर्जन्सी या पूर्वनियोजित होने पर निर्भर होता है। अन्य उपचार खून को पतला और प्रवाहित रखने के दिशा में होते है। बाधित मांस पेशी सिकुडकर सख्त हो जाती है। कुछ हप्तों के बाद मरीज फिर से अपना काम संभाल सकता है। तब तक बिस्तर पर पूर्ण आराम करना जरूरी है।
मधुमेह और उच्चरक्तचाप इन बीमारीयों को दूर रखे। वजन, बॉडी मास इंडेक्स, कमर-नितंब प्रमाण संतुलित रखे। उचित आहार, मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक श्रम, उचित नींद यह सब आवश्यक पहलू है। धूम्रपान सर्वथा दूर रखे। आहार में फल, सब्जियॉं, नींबू, लहसून, हलदी और स्वास्थ्य कारक तेलों का ही प्रयोग करे। हप्ते में कम से कम चार दिन श्वसन क्रिया वाले व्यायाम करे। योगासन अपने अपने एक अलग स्वास्थ्यपूर्ण पद्धती है। लेकिन फिर भी एरोबिक याने श्वसन क्रिया वाले व्यायाम जरूरी होते है।
स्त्रोत: भारत स्वास्थ्य
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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