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उच्च रक्तचाप

परिचय

रक्त धमनियों की दीवारों को जिस शक्ति के साथ धकेलता है, उस शक्ति के माप को रक्तचाप कहा जाता है | धमनियां रक्त को दिन से शरीर के अन्य भागों में ले जाने वाली नलिकाएं होती हैं जब दिल रक्त को बाहर पंप करने के लिए सिकुड़ता है, उस समय रक्त का दबाव सबसे ज्यादा होता है, इस माप को प्रंकूचक (सिस्टोलिक) दबाव कहा जाता है | रक्त को बाहर पंप कर देने के बाद ह्रदय आराम की स्थिति में आता है और नई धड़कन के ठीक पहले रक्त का दबाव सबसे कम होता है | इस माप को प्रसारक (डायस्टोलिक) दबाव कहते हैं | किसी व्यक्ति के रक्तचाप के माप को प्रसारक दबाव/प्रंकूचक दबाव के रूप में प्रस्तुत किया जाता है | वयस्कों के लिए सामान्य रक्तचाप 120/80 मि. मि माना जाता है | आम तौर पर 140/90 से अधिक रक्तचाप को वयस्कों के लिए उच्च माना जाता है और 90/60 को कम |

हाइपरटेंशन या उच्च रक्त चाप सामान्यत: एक ऐसी आवस्था है जिसमें धमनियां सिकुड़ता जाती है इसके कारण रक्त धमनियों की दीवारों को अधिक शक्ति के साथ धकेलता है | यह इस बात का संकेत है की दिल और रक्तवाहिकाओं को अधिक काम करना पड़ रहा है | अगर उच्च रक्तचाप का उपचार नहीं किया जाता, तो अतिरिक्त काम करने के कारण दिल ऐसी स्थिति में पहुंच सकता है जहां उसे कोई गंभीर नूकसान हो सकता है उदहारण के लिए, दिल की मांसपेशियां मोटी हो सकती हैं (हाईपरट्रॉफी) और उनके क्रियाकलाप में असामान्यता आ सकती है | या फिर वे सामान्य शक्ति के साथ फैलना और सिकुड़ना बंद कर देती हैं | इससे मष्तिस्क, आँखों (रेटिनोपैथी) और/या गुर्दों (नेफ्रोपैथी) को चोट पहुँच सकती है | उच्च रक्तचाप वाले रोगियों को दिल की बीमारियों तथा दौरे का जोखिम भी ज्यादा होता है | उच्च रक्तचाप के ज्यादातर मामलों का कोई इलाज नहीं, लेकिन, ज्यादातर मामले खानपान के परहेज और दवाओं के जरिए प्रबंधित और नियंत्रित किए जा सकते हैं |

कारण

ज्यादातर लोगों में उच्च रक्तचाप एक लिए किसी खास कारण की पहचान नहीं हो पाती | लगता है जैसे यह अपने आप में एक अलग किस्म का रोग है जो शायद किसी हद तक उच्च रक्तचाप के प्रति अनुवांशिक रूझान के कारण होता है | उम्र बढ़ने के साथ उच्च रक्त चाप की संभावनाएं बढ़ती जाती हैं | 65 साल के आसपास लोगों में से आधे से ज्यादा को उच्च रक्तचाप की शिकायत होती है | करीब पांच प्रतिशत रोगियों में उच्चचाप का कोई दूसरा गौण कारण भी मौजूद होता है | गौण कारणों में गुर्दे की कुछ बीमरियों, कुछ ग्रंथियों (अधिवृक्क यानी एड्निरल ग्रंथि, अवटु यानी थायराइड ग्रंथि, पैराथैराइड ग्रंथि) के क्रियाकलाप में असामान्यता आना, कुछ नशीले पदार्थों व दवाओं ( उदहारण के लिए, शराब और स्टीराइड ) का दीर्घकालिक सेवन और किसी असामान्य ट्यूमर (उदहारण के लिए फियोक्रोमोसाइटोमा, जो ऐड्रीनेलाइन जैसे पदार्थ पैदा करता है ) की मौजूदगी शामिल हैं |

उच्च रक्तचाप को अक्सर “खामोश हत्यारा” कहा गया है, क्योंकी शूरूआती आवस्थाओं में रोगियों को आम तौर पर इसका तब तक पता नहीं लगता, जब तक कोई गंभीर नुकसान न हो चुका हो उपचार न किए जाने की स्थिति में उम्र के साथ उच्च रक्तचाप धीरे- धीरे बढ़ता चला जाता है | इसके, दिल को अतिरिक्त काम करना पड़ता है और आख़िरकार यह स्थिति किसी गंभीर नुकसान के रूप में सामने आती है | उपचार न होने पर, उच्च रक्तचाप अन्य तंत्रों (उदहारण के लिए, रक्त संचार तंत्र) और अंगों (जैसे, गुर्दे) के लिए भी ज्यादा जोखिम पैदा कर देता है जिसके परिणाम स्वरुप ये तंत्र या अंग काम करना बंद कर सकते हैं |

उच्च रक्तचाप के रोगियों को निम्न का ज्यादा खतरा होता है :

  • दिल के रोग-दिल में खून के अतिरिक्त जमाव के कारण दिल का बंद होना (कंजेस्टीव हर्ट फेल्यर), अचानक हृदय गति बंद होने से मृत्यु, दिल की मांसपेशियों से संबंधित बिमारियों (कार्डियोमायोपैथी)
  • स्ट्रोक
  • धमनियों का सख्त होना (एथिरोस्क्लेरोसिस)
  • ऐन्यूरिज्म या नाड़ी – अर्बुद (धमनी की दीवार में पैदा हुई एक कमजोरी जिसके कारण वह सामान्य आकार से 1.5 गुणा अधिक फूल जाती है और उसके फटने का खतरा पैदा हो जाता है ) जिसके कारण अक्सर अचानक हृदयगति रूकने से मृत्यु हो जाती है |
  • गुर्दों का खराब होना
  • दृष्टिपटल संबंधी रोग के कारण अंधे हो जाना ( रेटिनोपैथी)

रक्तचाप बढ़ते जाने के साथ, उपरोक्त में से एक या अधिक बिमारियों का जोखिम भी बढ़ता चला जाता है |

उच्च रक्तचाप के लक्षण

हल्के या माध्यम उच्च रक्तचाप वाले ज्यादातर रोगियों को पता ही नहीं लगता कि उन्हें उच्च रक्तचाप के एक तिहाई रोगी अपने रोग से बेखबर होते हैं | रोगियों को सीने में दर्द (ऐन्जाइन), साँस फूलने की शिकायत हो सकती हैं या दिल के रोग या उससे हुई क्षति से संबंधित किन्हीं अन्य लक्षणों का अनुभव हो सकता है |

उच्च रक्तचाप के कारण निम्न बातें हो सकती हैं :

  • थकान
  • मानसिक संभ्रम
  • उबकाई आना या पेट खराब होना
  • दृष्टि में परिवर्तन या समस्याएँ
  • ज्यादा पसीना आना
  • त्वचा का पीला या लाल होना
  • खून बहना घबराहट या चिंता
  • दिल की धड़कनों का तेज या अनियमित होना
  • कानों में सांय- सांय होना
  • नपुंसकता
  • सरदर्द
  • चक्कर आना

 

रक्तचाप मापना

आम तौर पर डॉक्टर या स्वास्थ्य कार्यकर्ता रोगी के बाजू के ऊपरी हिस्से के चारों ओर रक्तचाप- कफ लगाता है | और फिर हवा से उसे फूलाता है | कफ के हवा से भर जाने पर, कफ के भीतर दबाव बढ़ जाता है जिससे बाजू में धमनियों के जरिए रक्त आना बंद हो जाता है | स्वास्थ्यकर्मी धीरे-धीरे कफ में से हवा बाहर जाने देता है | इससे कफ के भीतर हवा का दबाव धीरे- धीरे घटता जाता है | कफ में हवा का दबाव जब धमनियों के प्रंकूचक या सिस्टोलिक दबाव से नीचे आ जाता है, तो बाजू में रक्तप्रवाह फिर से शुरू हो जाता है और स्वास्थयकर्मी को एक खास तरह की आवाज सुननी शुरू हो जाता है और स्वास्थ्यकर्मी को एक खास तरह की आवाज सुननी शुरू हो जाती है रक्तचाप कफ सिकुड़ता रहता है और जब कफ में दबाव धमनियों के प्रसारक या डायस्टॉलिक दबाव से नीचे आ जाता है, तो वह खास तरह की आवाज सुनाई देनी बंद हो जाती है | इस आवाज के शुरू और खत्म होने के साथ- साथ कफ के दबावमापी को देख कर स्वास्थ्यकर्मी प्रंकूचक प्रसारक रक्तचाप को माप लेता है अगर रक्तचाप सही तरीका से नहीं नापा गया है, तो रक्तचाप कृत्रिम रूप से ऊँचा आ सकता है |

कई उपाय है जो सुनिश्चित करते हैं कि मापा गया रक्तचाप रोगी का वास्तविक रक्तचाप ही है :

1. रक्तचाप की माप लेने के समय रोगी को अपने बाजू दिल जितनी ऊँचाई पर रख कर बैठना चाहिए |

2. रक्तचाप का माप लिए जाने से 30 मिनट पहले तक रोगी को ना ही धूम्रपान और न ही कैफिन का सेवन करना चाहिए |

3. रक्तचाप मापे से जाने से पहले रोगी को कम से कम पांच मिनट बैठना चाहिए |

4. रक्तचाप – कफ का फूला हुआ हिस्सा बाजू के गिर्द इस तरह लगाना चाहिए की वह बाजू को कम से कम 80 प्रतिशत घेर ले | मोटी बाजू वाले रोगियों के लिए बड़ा कफ इस्तेमाल किया जाना चाहिए |

5. कम से कम दो मिनट के अंतर से दो बार रक्तचाप मापा जाना चाहिए |

आकलन

उच्च रक्तचाप के रोगियों का आकलन मुख्यत: उनके रोग के इतिहास और शारीरिक जाँच के आधार पर किया जाता है | डॉक्टर या नर्स रोगी से पूछते हैं की क्या मापने पर कभी पहले भी उनका रक्तचाप ऊँचा पाया गया है; क्या उनके परिवार में उच्च रक्तचाप की शिकायत रही है: वे क्या दवाएँ ले रहे हैं (डॉक्टर द्वारा बताई गई और सीधे दूकान से ली गई कुछ दवाएँ उच्च रक्तचाप के कारण की पहचान करने में मदद देती हैं); क्या उन्होंने पसीना आने, दिल के तेज या अनियमित धड़कने, सरदर्द होने, चक्कर आने या वजन कम होने (जिससे ग्रंथि कारण या कभी – कभार ट्यूमर के होने के संकेत मिलता है ) जैसे लक्षणों का अनुभव किया है | अन्य चिकित्सीय स्थितियों के बारे में भी पूछताछ की जाती है|

शारीरिक जाँच के दौरान, डॉक्टर आम तौर पर दोनों बाजूओं में रक्तचाप की जाँच करता है (असामान्य स्थितियों में दोनों बाजुओं में रक्तचाप का माप अलग- अलग आता है): गर्दन में थायराइड ग्रंथि को यह जानने के लिए टटोलता है की कहीं वह बढ़ या गांठदार तो नहीं हो गई है: “अतिरिक्त” आवाज के लिए दिल की धड़कनों को सुनता है; और रूग्ण या रुकी गई धमनियों में रक्त के तेज प्रवाह द्वारा पैदा की गई आवाजों को सुनने के लिए गर्दन, पेट और पेडू के इलाके में ध्वनियों को सुनता है | स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञ एक औप्ठेल्मोस्कोप के जरिए आँखों के पिछले हिस्से को ध्यान से देखता है, ताकि लघु रक्तवाहिकाओं में दीर्घकालिक उच्च रक्त चाप से हुए नुकसान के चिन्हों को देख सके |

गुर्दे के ठीक काम न करने से भी उच्च रक्तचाप हो सकता है | इसकी पहचान करने के लिए आम तौर पर खून की कई जांचें की जाती है | आसामान्य खनिज स्तरों का होना ग्रंथि संबंधी समस्या का संकेत होता है | इसके लिए भी खून के जांचे की जाती है | यह जानने के लिए की दीवारें या प्रकोष्ठ मोटे या बड़े तो नहीं हो रहे या कहीं व्यक्ति को पहले दिल का दौरा (माइयोकार्दियल इन्फेक्शन यानी दिल की मांसपेशियों के किसी हिस्से का मृत होना) तो नहीं पड़ा, आम तौर पर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) लिया जाता है |

उपचार

अनेकों अध्ययनों के जरिए यह बात सामने आई है कि रोगी के रक्तचाप को नीचे लेन के लिए किए गए उपचार से, उन चिकित्सीय स्थितियों के विकसित होने का जोखिम बहुत हद तक कम हो जाता है जो व्यक्ति को असमर्थ बना सकती हैं या उनके लिए घातक हो सकती हैं | ज्यादातर रोगियों में उपचार का मकसद प्रंकूचक दबाव का 140 मि. मि. एचजी से नीचे और प्रसारक दबाव आर भी नीचे, प्रकूंचन दबाव को 130 मि. मि. एचजी और प्रसारक दबाव को 80 मि. मि. एचजी से नीचे लाने की सलाह की जाती है |

उच्च रक्तचाप  के उपचार में दवाएँ लेनी होती हैं (औषिधिय चिकित्सा) और साथ ही रोगी को अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करने होते हैं |

क) जीवन शैली में परिवर्तन

कुछ रोगियों के मामले में, खासकर उनके जिनका रक्तचाप थोड़ा ही ऊंचा है, केवल जीवन शैली में परिवर्तन लाने भर से उपचार के लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं | जिन रोगियों को औषिधिय चिकित्सा की जरूरत है, वे भी जीवन शैली में बदलाव लाकर दवाओं की संख्या व मात्रा में कमी ला सकते हैं | भोजन व शारीरिक गतिविधियों में निम्न बदलावों के बारे में डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए |

वजन कम करना

अधिक वजन वाले रोगी अपना वजन घटा कर रक्तचाप को कम कर सकते हैं | कैलोरी की मात्रा में कमी और शारीरिक गतिविधि में बढ़ोतरी दे द्वारा धीरे-धीरे वजन कम करना, सबसे अच्छा तरीका है |

शारीरिक गतिविधि

नियमित और हल्का एयरोबिक व्यायाम रक्तचाप को कुछ कम करता है | उसके अन्य लाभ भी हैं | धीरे- धीरे अपनी शरीरिक गतिविधि बढ़ाने का कार्यक्रम, सबसे समझदारी का रास्ता है | उदाहरण के लिए, सप्ताह में 3-5 बार 20-30 मिनट तक तेज - तेज चलना | ऐसे व्यक्ति जिन्हें सीने दर्द की शिकायत (एंजाइना) है या जिन्हें हृदय रोग का अंदेशा है, उन्हें व्यायाम कार्यक्रम बनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए |

नमक कम करना

अतिरिक्त मात्रा में नमक खाने से कुछ लोगों को उच्च रक्तचाप हो सकता है | नमक की मात्रा में थोड़ी सी कमी करने से रक्तचाप कम हो सकता है | आमतौर पर, कई डॉक्टर अपने रोगियों को नमकीन खाने से परहेज करने और दिन में 2.4 ग्राम से ज्यादा नमक न खाने की सलाह देते हैं | (डॉक्टर “नमक” और सोडियम” शब्द का प्रयोग एक ही चीज के लिए करते हैं |)

शराब की मात्रा कम करना

कम मात्रा में शराब के सेवन से (दिन में एक या दो गिलास) उच्च रक्तचाप नहीं होता | लेकिन, लम्बे समय तक अधिक मात्रा में शराब का सेवन उच्च रक्तचाप को बढ़ा सकता है | जिसे बड़ी आसानी से ठीक किया जा सकता है | इसलिए, अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने वाले उच्च रक्तचाप के रोगियों को अपने डॉक्टर से इस बारे में चर्चा करनी चाहिए और शराब की मात्रा घटा देनी चाहिए |

धूम्रपान छोड़ना

धूम्रपान करने वाला अपने स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण काम कर सकता है, वह है धूम्रपान छोड़ना | अन्य बुरे प्रभावों के अलावा, धूम्रपान रक्तचाप को बढ़ाता है | उच्च रक्तचाप पैदा करने में भावनात्मक कारण बहुत अहम भूमिका अदा करते हैं | अध्ययनों ने दर्शाया है की संज्ञानात्मक – व्यवहारात्मक चिकित्सा (काग्निटिव – बिहेवियोरल थेरेपी), अनूभावातित ध्यान (ट्रैंसेंडेंटल मेडिटेशन), सक्रिय धार्मिक आस्था तथा पूजास्थल संबंधी गतिविधियों में संलग्नता रक्तचाप को स्वस्थ स्तरों तक नीचे लेन में सहायक होते हैं |

ख) औषिधियाँ

उच्च रक्त चाप के उपचार में अनेकों प्रकार की दवाओं का प्रयोग किया जाता है | इन्हें उच्च रक्तचाप प्रतिरोधी दवाएँ या एंटीहाइपर सेंसिटिव एजेंट कहा जाता है इन दवाओं का प्रयोग कई बातों पर निर्भर करता है | इनमें इस्तेमाल की आसानी, सहगामी प्रभाव या साइड इफेक्ट और न अन्य साथ की चिकित्सीय स्थितियां शामिल हैं, जिनके कारण के बजाय दूसरी दवा को प्राथमिकता दी जा सकती है | आम तौर पर, उच्च रक्तचाप प्रतिरोधी दवा की शूरूआत अपेक्षाकृत कम मात्रा में की जाती है और कई सप्ताहों तक इसके प्रभाव का आकलन किया जाता है अगर इसके उपयोग के बाद भी रक्तचाप ऊँचा ही बना रहता है, तो आम तौर पर दवा की मात्रा धीरे- धीरे बढ़ा दी जाती है |

जब उच्च रक्तचाप प्रतिरोधी दवा ही की ज्यादा मात्रा भी रक्तचाप को निर्धारित स्तर तक नीचे नहीं ला पाती, तो दो विकल्प खुले होते हैं :

  1. उस ख़ास दवा को बंद किया जा सकता है और उसकी जगह किसी दूसरी उच्च रक्तचाप प्रतिरोधी दवा को शुरू किया जा सकता है, या
  2. पहली दवा के साथ - साथ कोई दुसरे प्रकार की उच्च रक्तचाप प्रतिरोधी दवा शुरू की जा सकती है |

 

आम तौर पर दूसरा रास्ता ही अख्तियार किया जाता है, क्योंकी विभिन्न उच्च रक्तचाप प्रतिरोधी दवाएँ अलग तरीके से रक्तचाप को नीचे लाती है | दूसरी दवा, पहली के काम को और असरदार बना सकती है | कुछ रोगियों के मामले में, किसी तीसरी दवा को भी साथ दिए जाने की जरूरत हो सकती है |

अन्य चिकित्सा जोखिम

उच्च रक्तचाप वाले लोगों को सीधे दूकान से ली जाने वाली उन कुछ दवाओं के बारे में सावधानी बरतनी चाहिए जिनमें वाहिका संकीर्णक या वास्कोकन्सट्रीक्टर होते हैं | वे रक्तचाप को बढ़ा सकते हैं | इनमें आँखों में डालने वाली ड्रॉप्स, सर्दी, फ़्लू, जुकाम और खाँसी की दवाएँ (खासकर जिनमें विभिन्न जमावों को पिघलने वाले तत्व होते हैं) शामिल हैं

प्राकृतिक चिकित्सा

उच्च रक्तचाप अत्यंत आम बीमारियों में से एक है और जीवन शैली में परिवर्तन करने, व्यायाम करने तथा तनाव घटाने से उस पर नियंत्रण पाया जा सकता है | बुनियादी उच्च रक्तचाप के प्राकृतिक उपचार से भी रक्तचाप सामान्य दायरे में आ सकता है | लेकिन, अगर जीवन शैली के परिवर्तनों को जारी न रखा गया, तो रक्तचाप फिर से बढ़ सकता है | गौण उच्च रक्तचाप के आंगिक  कारण होते हैं | उदहारण के लिए गुर्दे की बीमारी, गर्भावस्था | इसका आकलन और निगरानी किसी डॉक्टर के द्वारा की जानी चाहिए और उसके मूलभूत कारण को संबोधित किया जाना चाहिए |

ग) भोजन

उच्च रक्तचाप के रोगी अपने भोजन में परिवर्तन के द्वारा अपने रक्तचाप को काफी नीचे ला सकते हैं | भोजन में सब्जियों और फलों की मात्रा बढ़ा कर, चर्बी और कोलेस्ट्रोल की मात्रा घटा कर लाल मांस की मात्रा कम कर के, न केवल रक्तचाप को कम करने, बल्कि वजन घटाने और शरीर के अनुपात को ठीक रखने में भी सहायता मिलती है | वजन घटाने से रक्तचाप भी कम होता है | भोजन के संबंध में निम्न सलाहों पर ध्यान दिया जाना चाहिए:

  1. फलों, सब्जियों, लहसुन, प्याज, साबुत अन्न, सोयाबीन, बीज, गिरियाँ, जैतून का तेल और ठंडे पानी में पाये जाने वाली मछली (सामन, तूना, सार्डीन, हैलिबट और बांगडा) जैसा साबुत, ताजा, अपरिकृत और आसंसधित भोजन लेना चाहिए|
  2. ऐसा भोजन लेना चाहिए जिसमें सोडियम की मात्रा कम और पोटाशियम की मात्रा ज्यादा हो | अगर सोडियम की मात्रा कम करने के साथ पोटाशियम की मात्रा बढ़ा दी जाए तो रक्तचाप में ज्यादा सुधार आता है संसाधित व तैयार शुदा भोजन के लेबल पर सोडियम की मात्रा के बारे में पढ़ लेना चाहिए |
  3. कम नमक खाना चाहिए, चीनी, डेयरी उत्पादों, रिफाइन्ड पदार्थों, तली चीजों, जंक फ़ूड और कैफीन से परहेज करना चाहिए |
  4. दिन में 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए |

 

भोजन संपुरक

भोजन संपुरक पौष्टिकता के लिए दिए जाते हैं | कोई संपुरक या उसके कोई खास मात्रा, सभी लोगों के लिए उपयुक्त नहीं होती, इसलिए कैल्सियम या मल्टी – विटामिन इत्यादि लेने से पहले किसी चिकित्सक ( यानी किसी लाइसेंसधारी प्राकृतिक चिकित्सक या होलिष्टिक एमडी या डीओ) से परामर्श कर लेना चाहिए |

घ) होम्योपैथी

उचित होम्योपैथी उपचार शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ स्थिति की ओर ले जाने में सहायक हो सकता है | गहरे असर वाले स्वास्थ्यकर इलाज की पहचान करने और उसे तजवीज करने के लिए किसी प्रशिक्षित होम्योपैथी चिकित्सक की जरूरत होती है |

अगर आप उच्च रक्तचाप के रोगी हैं, तो अपने चिकित्सक की उपचार से संबंधित सभी सलाहें और निर्देश मानिए ताकि अप्प गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार न हो जाएँ | अपने उपचार के सहगामी प्रभावों या अन्य चिंताओं के संबंध में कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें |

 

स्त्रोत: हेल्पेज इंडिया/ वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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