অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

किसी प्रियजन की मृत्यु

परिचय

किसी प्रियजन की मृत्यु एक ऐसा अनुभव है  जिससे हम सब को जीवन में कभी-न-कभी गुजरना होता है | खासकर तब, जब हम वृद्धावस्था से गुजरना होता है | खासकर तब, जब हम वृद्धावस्था से गुजर रहे होते हैं | यह अनुभव सबसे बड़े तनावों में से है | बाद के जीवन में इसका अर्थ वर्गों से चले आए किसी अत्यंत प्रिय संबंध की समाप्ति भी हो सकता है |

पुराने वक्तों में शोक मनाने की औपचारिकताएँ तथा तथा संताप व्यक्त करने संबंधी रिवाज जीवन शैली का ही एक अंग हुआ करते थे | लेकिन, अब आधुनिक जीवन की विवशताओं का कारण लोग शोक मनाने की जरूरत को नजरअंदाज कर देते हैं | लेकिन, यह हमारे स्वास्थ्य के ठीक रहने व मानसिक आघात से उबरने के लिए बहुत जरूरी है | प्रियजन की मृत्यु के अनुभव से गुजर रहे व्यक्ति को शोक मनाने के समय और अन्य लोगों को फिर से सहज होने का समय दिया जाना चाहिए |

कुछ लोगों को धर्म से अतिरिक्त मानसिक सांत्वना मिल सकती है और धर्म का अर्थ रोजाना उपासनागृह में जाना ही नहीं होता | जिन लोगों को धर्म में आस्था है, उन तक की आस्था अपनी किसी प्रियजन की मृत्यु से विचलित कर सकती है | इसलिए भले ही आप नियमित रूप से उपासनागृह न जाते हो, लेकिन तब भी आपको मदद मांगने में संकोच या भय का अनुभव नहीं करना चाहिए | प्रियजन के वियोग में निजी फलसफा तथा आस्था बहुत बड़ा सहारा और राहत हो सकते हैं |

शोक की अवस्थाएँ

शोक की विभिन्न अवस्थाएँ बखूबी परिभाषित हैं | वे हैं :

  • सदमा और अविश्वास
  • शोक की अभिव्यक्ति
  • अवसाद व उदासिनता
  • शोक से उबरने के संकेत

विभिन्न लोगों में शोक की अवस्थाएँ अलग रूपों में सामने आ सकती हैं | जरूरी नहीं की व्यक्ति इसी क्रम में इन अवस्थाओं से या इन सभी आवस्थाओं से गुजरे | एक ही दिन में व्यक्ति दुख, क्रोध तथा अवसाद की भावनाओं में डूबता – उतरता रह सकता है | यह भी संभव है कि वह इन भावनाओं से तब गुजर रहा हो, जब वह या उसका परिवार सोच रहे हो की वह दुख से उबर चुका है या उबर रहा है |

अपनी भावनाओं को बांटिये

किसी प्रियजन की मृत्यु की स्थिति में बचपन के भय फिर से लौट सकते हैं | या नए भय, जैसे अंधेरे, अज्ञात भविष्य, घरेलू कामकाज या पैसे इत्यादि की जिम्मेदारियों को वहन न कर सकने, वर्षों के प्रेम भरे साथ के बाद अकेले हो जाने, अपनी ही मृत्यु होने के भय पैदा हो सकते हैं, लेकिन उन्हें दूसरों से बांटा जा सकता है | परिवारजनों व मित्रों के सहयोग – समर्थन से इन भयों को नियंत्रित किया जा सकता है |

अन्य सुझाव

शोक का तनाव व्यक्ति की शारीरिक व भावनात्मक क्षमता को बहुत अधिक प्रभावित करता है | तनाव के कारण, दुर्घटना होने की संभवनाएं भी बढ़ जाती हैं | अत: अतिरिक्त सावधानी व देखभाल की जरूरत होती है :

  • अपने आपको गर्म रखें |
  • पौष्टिक भोजन खाने का प्रयास कीजिए |
  • अगर आप सो नहीं पा रहे हैं, तब भी अधिक आराम कीजिए |
  • ताजी हवा में रहिए और व्यायाम कीजिए |
  • किसी स्थाई स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर से परामर्श कीजिए |

 

स्त्रोत: हेल्पेज इंडिया/ वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate